हाय रे मेरी फूटी किसमत – खुशी : Moral Stories in Hindi

राधा एक पढीलिखी लडकी थी , अच्छा घर ,पति  सास ससुर  बच्चे  सब कुछ था ,पर कहते हैं ना कि सब होकर‌ भी कुछ लोग खुश नहीं

होते वो हाल‌ था उसका ,किसी के यहाँ नया टीवी आया तो अपने घर में किचकिच किसी ने कुछ भी लिया तो क्लेश उसके सास ससुर ,

पति सब  समझाते यह व्यवहार ठीक नही है। परंतुच पर कोई असं ना होता वो दो दिन ठीक रहती फिर तुम्हारा वही हाल शुरु।

गर्मी ही छुट्टीया थी राधा आपने  मायके गई उसके भाई का बेटा अपने ऑफिस से काम से जापान जाने वाला था ।

बस राधा को जिद लग गई है घर आकर  अपने पति को बोली हम भी अपने बेटे को भी देश भेज देंगे उसके पती ने कहा हमारा बेटा तो भी दसवी मे है

उसे क्यो विदेश‌  भेजना राधा ने जिद  पकडलीah खाना पिन छोड दिया जप तक उसके बैठे है उसे वादा ना किया की मै  आगे भविष्य में विदेश जागा।

राधा के इस व्यवहार से सभी लोग परेशान थे। समय बीया बच्चे बडे हो गये। बेटा बेटी दोनो ही विदेश चले गये अब राधा और उसका पति थे वो बच्चे को बुलाती पर अब वो ना आ पाते ।

अब राधा कहती उसका लडका अपने मां बाप  ती सेवा करता है हमारा देखो बाहर जाकर  बस गया राधा के पती बोले ये सब तुम्हारा ही तो किया धरा है

हमारे पास रहना चाहता था तुमने उसे बाहर भेजा आब बा हेर गया तो तो तुम्हे अगले हफते मैअपने बच्चो के पास जा रहा हू  तुम्ही यही रहना ।

राधा बोली मैं भी चलूगी उसके  पति ने कहा मैं अपने बच्चो के जीवन में विष घोलने के लिये तुम्हे लेकरं नहीं जाऊगा।

आज राधा पछता रही थी हाय रे मेरी फूटी किसमत. सब था मेरे पास पर हसद और  जलन में मैने सब गवा दिया 

निघारित दिन उसके पती बच्चो के पास चले गये सब खुश थे।

राधा के पति मोहन जी ने अपने बच्चो से कहा बेटा हो सके तो अपनी मा को माफ कर देना।

बहुत पछताती है। बेटा बोला अब पछताने का क्या फायदा?  हमारा तो बचपन छिन लिहा हमेशा दुसरो से मुकाबला मे भारत मे ही रहना

चाहता आप लोगो के साथ पर मा के व्यवहार के कारण मुझे यहा आना पडा।  यहाँ संब अजनबी थे बडी मुश्किल से यहा अड्जस्ट हुए है। 

मोहनजी बोले फिर भी क्या तुम अपने मा को माफ कर दो मेरे साथ चलकर एक बार उस मिल आलो मोहन जी के समझाने  पर बच्चे मा से मिलने आते है

परब नाती पोते व्हा रहना नही चाहते।  राधा खूप फुटकर रोती होती है पर कोई नही सुनता सब चले जाते है और वो अकेली अपनी किस्मत को  कोसती है।

हमारे पास सब होते है  तब हम उनकी कदर नही करते बादमे पछताने पर कुछ  हाथ नहीं आता। रिश्ते अनमोल है उन्हे संभालिए और घर मे प्यार बनाये रखे।

अप्रकाशित स्वरचित 

आपकी सखी 

खुशी 

 

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