आगरा शहर में एक भरी-पूरी फैमिली रहती थी—सास, ससुर, दो बेटे, दो बहुएँ और एक ननद। घर में इन दिनों एक खास रौनक थी, क्योंकि एक समीप के रिश्तेदार की शादी का न्योता आ चुका था। अलमारियों एवं ट्रंक के ताले खुल गए थे, मैचिंग ज्वेलरी और सूट-साड़ियों का सिलेक्शन हो रहा था, मिठाइयाँ आ रही थीं और हर कमरे में शादी की तैयारी की खुशबू फैली थी।
छोटी बहू अनुपमा का स्वभाव सादगीभरा था। रंग गोरा, चेहरा निखरा, और मन में सजने-सँवरने का खास चाव नहीं। बस घरेलू उबटन और हल्दी-चंदन ही उसके सौंदर्य के राज़ थे। दूसरी ओर, बड़ी बहू प्रिया का रंग थोड़ी साँवली आभा लिए था और वो छोटी बहू से कम नहीं दिखना चाहती थी ।
बड़ी बहू ने मुस्कराते हुए छोटी बहू से पूछा, “इस बार शादी में मेकअप कराओगी? फेशियल कराओगी?”
छोटी बहू ने हल्के से सिर हिलाते हुए कहा, “नहीं, मैं तो उबटन से ही कर लूँगी, मुझे पार्लर का शौक नहीं।”
यह सुनते ही बड़ी बहू प्रिया ने होंठ दबाए, और छोटी बहू वहाँ से निकल गई।
अपने कमरे में प्रिया बैठी-बैठी सोचने लगी—पति से कहकर पैसे ले ही लिए जाएँ, आखिर शादी में खास दिखना भी तो ज़रूरी है। वह सीधी अपने पति के पास गई, “मुझे पैसे चाहिए, शादी से पहले थोड़ा तैयार होना है।”
पति अविनाश ने हँसकर कहा, “तुम वैसे ही अच्छी लगती हो, घरेलू नुस्खे अपनाओ, तैयार होकर चलेंगे।”
लेकिन बड़ी बहू का मन कहाँ मानने वाला था! ज़िद करके पैसे लिए और तभी उसे याद आया—अरे, कुछ दिन पहले ही मोहल्ले में नया पार्लर खुला था, जिसमें डिस्काउंट चल रहा है। मन में सोचा, “इतना सारा काम, इतने कम पैसों में? बस, यही मौका है… ये भी करवा लूँ, वो भी करवा लूँ।”
बिना पार्लर में गए, बिना यह देखे कि वहाँ कौन-से प्रोडक्ट इस्तेमाल होते हैं, उसने फोन पर पूरा पैकेज बुक कर लिया। अनुपमा ने सुना, तो रोकते हुए बोली, “दीदी, पहले देख लो अंदर जाकर कि कौन-से ब्रांड के प्रोडक्ट हैं। उनका सर्टिफिकेट देखो, गूगल पर रिव्यू सर्च करो। डिस्काउंट के चक्कर में मत पड़ो।”कई पार्लर अपनी मशहूरी के लिए ये इस तरह के ऑफ़र चलाते है और सस्ते प्रोडक्ट इस्तेमाल कर ग्राहकों को बेवक़ूफ़ बनाते है ।
दीदी आप ख़ुद ही सोचो वो बढ़िया कंपनी के प्रोडक्ट लगाकर अपना नुक़सान क्यों करेंगे भला?
आप शहर के किसी नामी सैलून पर क्यों नहीं जाती?
लेकिन बड़ी बहू को कहाँ किसी की सुननी थी। वह पार्लर जाकर फेशियल, हेयर-स्पा, वैक्सिंग—सब कुछ करवा लाई।
अगली सुबह आई तो चेहरा कुछ लाल हो गया था ।लाल चकत्ते, आईने में खुद को देखकर बड़ी बहू का मन कसैला हो गया। उसने कई सालों से कभी कोई फ़ैशियल ब्लीच नहीं ली थी ।तो उसे लगा इस वजह से हो गया होगा ।
फिर उस दिन शाम को शादी के लिए निकलना था । तब भी तसल्ली नहीं हुई और उसी पार्लर से सुबह ही मेकअप और बालों में जूड़ा बनवा आई ।
घर आई तो सास आशा देवी हैरान होकर बोली “ये कैसा मेकअप करवा आई प्रिया बहू ।इतना गहरा । पहचान में ही नहीं आ रही हो ।
तभी पास में बैठा प्रिया का पाँच साल का बेटा बोला “मम्मी आप अजीब लग रही हो ।
दरअसल पार्लर वाली लड़की ने प्रिया की आँखों को काजल और लाइनर से ज़रूरत से ज़्यादा गहरा और बड़ा कर दिया था ।
इस पर प्रिया ख़फ़ा होकर कमरे में चली जाती है।और फिर थोड़ीही देर में और जलन भी शुरू हो गयी । इतनी की प्रिया की चीख निकलने लगी ।अनुपमा ने पास आकर धीमे स्वर में कहा, “दीदी, मैंने आपको कहा भी था—पहले जाँच करो, सर्टिफिकेशन और रिव्यू देखो, फिर काम करवाओ। आप तो बिना सोचे सब करवा आईं।”
बड़ी बहू तुरंत चेहरा धोने भागी और अंदर कहीं सोचने लगी—सिर्फ शादी में चमकने की चाहत में, उसने अपनी असली चमक खुद ही फीकी कर दी थी। छोटी बहू उबटन के हल्के रंग में और अपनी सहज मुस्कान के साथ सबसे अलग नजर आई, जबकि बड़ी बहू के चेहरे पर अब भी भयंकर लालिमा थी—शायद पार्लर की गलती से भी ज़्यादा, अपनी जल्दबाज़ी की वजह से।
शाम को सास आशा देवी अपने गहनों का डिब्बा खोलकर बेटी गरिमा को दिखा रही थीं, बच्चे नए कपड़ों में इधर-उधर दौड़ रहे थे, और मेहमानों की चाय-पानी की आवाज़ें हर कोने में गूँज रही थीं। छोटी बहू अपने कमरे में, सलीके से पिन लगाकर साड़ी की पल्लू सँभाल रही थी। हल्दी-चंदन की खुशबू उसके चेहरे से उठकर पूरे कमरे में फैल रही थी।
बड़ी बहू भी तैयार हो रही हर बार जब आईने में झांकती, तो मन में एक हल्का-सा मलाल उठता—काश छोटी देवरानी की बात मान ली होती।
चेहरा अब भी लाल और संवेदनशील था, जले हुए हिस्से पर कोई मेकअप या क्रीम भी नहीं लग पा रही थी, क्योंकि जितना भी लगाती, जलन और बढ़ जाती। मजबूरी में उसे बिना किसी सजावट के तैयार होना पड़ा—बस हल्का-सा काजल और लिप बाम। आईने में खुद को देखकर उसके मन में बार-बार यही खयाल आ रहा था—“इतनी मेहनत, इतने पैसे… और नतीजा ये।”
गाड़ी में बैठते समय, छोटी बहू के चेहरे पर हल्का मेकअप का प्राकृतिक निखार देखकर ननद गरिमा ने अनायास कह दिया, “भाभी, आप तो हीरोइन जैसी लग रही हैं।” यह सुनकर बड़ी बहू के दिल में एक चुभन-सी हुई, लेकिन चेहरे पर उसने मुस्कान बनाए रखी।
शादी में पहुँचकर, रिश्तेदार इकट्ठे होकर फोटो खिंचवाने लगे। कैमरे की फ्लैश में छोटी बहू अनुपमा का चेहरा और भी चमक उठा, जबकि बड़ी बहू के चेहरे की छिपी थकान और जलन की परतें साफ झलक रही थीं। कुछ रिश्तेदारों ने धीरे से कान में कहा, “छोटी भाभी तो गज़ब की सुंदर लग रही हैं… इतनी सादगी में भी।”
रात को जब सब लौटे, तो बड़ी बहू चुपचाप अपने कमरे में बैठ गई। छोटी बहू ने पानी का गिलास आगे बढ़ाते हुए कहा, “दीदी, आप तो वैसे भी सुंदर हैं, बस अपनी त्वचा को सांस लेने दीजिए… ये सब केमिकल वाली चीज़ें हर किसी के लिए नहीं होती ।
बड़ी बहू ने पहली बार बिना बहस किए उसकी बात सुनी, गिलास लिया, और धीमे से बोली, “शायद इस बार मैं सच में हार गई, लेकिन तुम्हारी समझ से… तुम्हारी सादगी से।”
आज कल हाई फ़ाई मेकअप का ट्रेंड है ये सोच कर उस कुएँ में छलांग लगा ली मैंने ।ये भी नहीं सोचा कि इसका असर क्या होगा?
दीदी, आपको पता है मैं क्यों नहीं मेकअप कराती?” छोटी बहू अनुपमा ने धीरे से पूछा।
बड़ी बहू प्रिया ने थकी नज़रों से उसकी तरफ देखा, “क्यों?”
छोटी बहू बोली, “एक तो मुझे घरेलू पदार्थों पर भरोसा है—हल्दी, चंदन, गुलाबजल, जौं का आटा, चावल का आटा… मैं यही सब इस्तेमाल करती हूँ। आपको तो पता है, मेरी शादी पर भी मैंने बहुत सिंपल मेकअप किया था। और उस दिन भी मैंने सारा सामान अपने सामने नई किट से खुलवाया था। जो अच्छे प्रोडक्ट थे, पहले उनकी जाँच की थी। जब मुझे लगा कि सही है, तब ही लगवाया था… वो भी पैच टेस्ट करके। मेरी त्वचा बहुत संवेदनशील है, मुझे ये सब केमिकल जल्दी सूट नहीं करते।”
वह थोड़ा ठहरकर मुस्कुराई, “और एक बात और… न जाने क्यों, सब कहते हैं कि मैं मेकअप करके अजीब लगती हूँ। मुझ पर मेकअप सूट ही नहीं करता, मैं सिंपल रहूँ तो ही अच्छी लगती हूँ। इसलिए मैंने आपको भी मना किया था, कि ऐसे छोटे पार्लर से तो बिल्कुल मत करवाइए।”
बड़ी बहू चुप रही, बस अपनी छोटी देवरानी की बातों को सुनती रही।
शायद पहली बार उसे एहसास हुआ कि सादगी के पीछे भी अनुभव, सोच और अपने बारे में साफ़ समझ होना कितनी बड़ी बात है कि मेकअप हर किसी पर एक जैसा नहीं सूट करता।
किसी भी ख़ास मौके के लिए मेकअप करवाने से पहले यह देखना ज़रूरी है कि वह आपके चेहरे की स्किन टोन, बनावट और मौक़े के हिसाब से सही है या नहीं।
अंधाधुंध ट्रेंड फॉलो करने या सिर्फ़ पॉपुलर पॉलर से मेकअप कराने के बजाय अपने लिए सही और भरोसेमंद विकल्प चुनना चाहिए, ताकि आपका लुक निखरे, बिगड़े नहीं।
उम्मीद है ये कहानी आपको अच्छी लगेगी ।
ज्योति आहूजा