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ये एक सत्य घटना पर है कि अच्छे भले रिश्ते कैसे बिखर जाते हैं। पद्मिनी एक सोफ्टवेयर इंजीनियर प्यारी सी बहुत अच्छी पोस्ट पर आंध्रा के अच्छे कुलीन ब्राह्मण परिवार की छोटी लाडली बेटी थी । उसी की कम्पनी में उ.प्र के ब्राह्मण परिवार का ही अनुज नाम का इंजीनियर भी था पर वह पद्मिनी से नीची पोस्ट पर था । वह मन ही मन पद्मिनी से प्यार करने लगा । जब उसने पद्मिनी को शादी के लिये प्रपोज किया वह तैयार नहीं हुई ना उसके परिवार वाले क्योंकि वह ना तो अनुज के घर वालों को जानते थे और ना उनका कोई जान पहचान वाला उ.प्र में था पर एक दिन आफिस में अनुज ने अपनी नस काटने की धमकी दी तब पद्मिनी के साथियों ने उसको समझाया व उसके मां पापा को भी । वह एक उच्च शिक्षित परिवार था कुछ सोच समझ कर शादी के लिये राजी होगये । अनुज के परिवार वाले संकीर्ण मानसिकता के थे पर बेटे की जिद के आगे उनकी कुछ ना चली । कुछ दिन सब सही चला पद्मिनी एक बेटी और एक बेटे की मां बन गयी । सर्विस में उसका प्रमोशन बहुत हाई पोस्ट पर होगया । बच्चे भी नानी के पास पल रहे थे । अचानक पद्मिनी को कम्पनी ने विदेश मे नयी शाखा का कार्य सौंप दिया।
पद्मिनी यू.एस चली गयी वहाँ जाकर अनुज और बच्चों को भी बुला लिया । अनुज के परिवार वालों ने उसको भड़काना शुरू कर दिया स्वयं अनुज के मन में भी कुछ हीनता उत्पन्न होगयी और उसने उसकी सर्विस छुड़वा दी उसने भी सहर्ष स्वीकार कर लिया व घर पर रह कर बच्चों को पालने लगी । इतने पर भी उसको सन्तुष्टि नहीं हुई और वह उसको मानसिक यातना देने लगा एक दिन उसने कहा तुम ये कागज हैं इन पर हस्ताक्षर करो उसने कहा मुझे पढ़ तो लेने दो पर उसने उसका हाथ पकड़ कर हस्ताक्षर करवा लिये । यू.एस में तलाक की प्रक्रिया भारत जैसी नहीं । तलाक होगया बच्चों को भी अनुज के लिये सौंप दिया बस पद्मिनी बच्चों से कभी कभी मिल सकती थी । तलाक को भी सात साल हो गये । अनुज ने उसे बच्चों से नहीं मिलने दिया । वह लौट कर इण्डिया आगयी । आज भी वह अपने बच्चों के लिये भटक रही है। अनुज ने अपने फोन नं बन्द कर दिये । दो बार ससुराल भी आई सास और ससुर ने दरवाजे से ही लौटा दिया वह रोती रही । जब सबने पूछा तब उस पर यह आरोप और लगा दिया कि चरित्र हीन है व वहाँ से सब जेवर पैसा ले आई थी । मुझे वह रेलवे स्टेशन पर रोती मिली जब मैने पूछा तब टूटी फूटी हिन्दी में उसने बताया मै उसके परिवार से कुछ कुछ परिचित थी ।वह लौट कर आंध्रप्रदेश चली गयी । मै सोचती रही ये प्यार था या केवल किसी को पाने की जिद और उसके बाद उसको नीचा दिखाना । ऐसे टूटते अच्छे परिवार घर वालों के हस्तक्षेप से ।
स्व रचित
डा.मधु आंधीवाल
अलीगढ़