हर रिश्ता थोड़ा स्पेस मांगता है – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” देखो प्राची ये अनामिका पता नही इतना सज धज कर कहां जा रही है ?” प्राची अपने घर के दरवाजे पर खड़ी थी तब उसकी पड़ोसन नीतू उससे बोली।

” जा रही होगी किसी काम से या किसी फंक्शन में !” प्राची लापरवाही से बोली।

” अरे ये तो अपने मिस्टर के बिना कही नही जाती फिर आज कैसे मुझे तो लगता है दाल में कुछ काला है !” नीतू बोली तो प्राची मुस्कुरा दी।

प्राची अपने परिवार के साथ आठ महीने से यहां रह रही थी और इतना तो जान गई थी इस मोहल्ले में लोगों को अपने घरों से ज्यादा दूसरों के घरों और जिंदगी में झांकने की आदत है। मोहल्ले की बाकी औरतें भी एक दूसरे से किसी ना किसी के बारे में बात करती ही रहती।

प्राची इन सबके बीच से मुस्कुराते हुए अलग हो जाती वैसे भी अपनी नौकरी और घर से उसे इतनी फुर्सत ही नही मिलती थी कि वो ज्यादा किसी से बात करे । बस थोड़ी बहुत अपनी हम उम्र पड़ोसनों से दोस्ती सी हो गई थी । 

” प्राची तुम्हे पता है आज तुम्हारी सास ज्वेलर्स की दुकान पर गई थी ?” एक दिन प्राची की एक पड़ोसन रीटा उसके ऑफिस से लौटने पर उससे बोली।

” नही पता पर होगा कोई काम !” प्राची कंधे उचका कर बोली।

” अरे तुम्हे बताना चाहिए था ना जाने से पहले ! तुम्हे पूछना चाहिए उनसे क्या पता अपनी बेटी के लिए कोई गहना गढ़वाने गई हों !” रीटा बोली।

” मम्मी जी अगर खुद बताना चाहेंगी तो बता देंगी नही बताना होगा तो उनकी मर्जी !” प्राची ने कहा।

” ऐसे कैसे यार कमाई तो तुम्हारे पति की है तो तुम्हे जानने का पूरा हक है ।  तुम खुद पूछना अगर वो ना बताएं तो !” रीटा बोली।

” देखो रीटा मैं किसी की जिंदगी में ज्यादा दखल देना पसंद नहीं करती फिर चाहे वो मेरे पड़ोसी हो , रिश्तेदार या घरवाले और खुद भी अपनी जिंदगी में किसी का ज्यादा दखल बर्दाश्त नहीं करती । स्पेस हर रिश्ते में होना चाहिए वही मैं देती हूं ये तो सास है मैं पति को भी पूरा स्पेस देती हूं और वो मुझे।

वैसे भी हर रिश्ते की एक सीमा – रेखा होती है जिसे मैं ना लांघती ना दूसरे का लांघना पसंद करती हूँ । और हां रही मेरे पति की कमाई की बात वो पहले तो मम्मीजी के बेटे है मेरे पति तो बाद में है !” प्राची मुस्कुरा कर बोली।

” मुझे क्या मैं तो तुम्हारे भले के लिए कह रही थी !” ये बोल पड़ोसन वहां से नौ दो ग्यारह हो गई और प्राची अंदर आ गई।

” अरे प्राची बेटा आ गई तू आज मैं सुनार के पास गई थी देख तो क्या लाई !” घर में घुसते ही प्राची की सास कमला जी बोली।

” बहुत सुंदर इयर रिंग्स है मम्मी जी रिया दीदी ( प्राची की ननद) पर बहुत सूट करेंगे !” प्राची मुस्कुराते हुए बोली और अंदर आ गई। उसे पड़ोसन की कही बात एक बार को याद आई और वो सोचने लगी ” क्या मम्मीजी इसी तरह रिया दीदी के लिए चीजे बनवाती है !

” …फिर उसने अपनी सोच को झटक दिया ” बनवाती भी है तो क्या हुआ बेटी है वो उनकी फिर मम्मी जी जब मुझसे सवाल जवाब नही करती तो मैं कैसे नही नही ! 

” प्राची बेटा जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई !” अगली सुबह प्राची को गिफ्ट देते हुए कमला जी बोली।

” मम्मी जी आपको याद था मेरा जन्मदिन और ये इयरिंग्स मेरे लिए थे ? मुझे तो लगा आप रिया दीदी के लिए लाई हो  !” प्राची आश्चर्य से बोली।

” और नही तो क्या रिया के लिए लाने होते तो तुझे साथ लेकर जाती या फिर तुझसे ही मंगवा लेती ये तो तेरे लिए थे कल तुझे इसलिए नही बताया की सरप्राईज कैसे रहता फिर !

” कमला जी हंसते हुए बोली। प्राची ने कमला जी के पैर छू आशीर्वाद लिया उन्होंने उसे गले से लगा लिया। तभी प्राची के पति ने भी बाहर आ उसे विश किया।

प्राची एक पल की अपनी सोच के लिए खुद से शर्मिंदा हो गई साथ ही उसे ये तसल्ली थी उसने खुद से ना पूछ अपनी सास की नजर में खुद को शर्मिंदा होने से बचा लिया।

दोस्तों किसी की जिंदगी में दखल देकर हम उस रिश्ते को थोड़ा बेजार कर देते है । रिश्ता कोई भी हो सबकी सीमा – रेखा होती है और थोड़ा स्पेस तो हर रिश्ता मांगता है तभी वो फलता फूलता है। ये मेरी सोच है और आपकी ??

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल

#सीमा – रेखा

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