रीमा नई नई शादी हो कर आई थी ससुराल मैं सास ,ससुर ,पति राकेश ,और एक शादी शुदा ननद सांची है ननद के एक दो साल की बेटी पीहू है जिसको लिवर इन्फेक्शन है उसके इलाज के लिए उसे मायके आना पड़ता
है क्योंकि उसका ससुराल छोटे शहर मैं है राकेश भी अपनी बहन को बहुत प्यार करता है
तो उसकी सहायता के लिए एक दिन की छुट्टी ले लेता है जिस से अस्पताल जा कर सांची की मदद कर सके उसने ही अपने जीजाजी से कहा की वो परेशान नही हुआ करे क्योंकि सांची एक दो दिन और रुक जाती थी ।
रीमा घर मैं बड़ी थी उसका एक छोटा भाई था जिनकी आपस मै कम बनती थी उनकी मां भी ज्यादा किसी से रिश्ता नही रखती थी उन्हें आजादी पसंद थी समाज मै सोशल स्टेटस बना रहे इस बात की फिक्र थी बाहर जा
कर दिखावे की सेवा करना उन्हें सही लगता था और अपनों से लगाव बेवकूफी वैसी परवरिश बच्चों की करी तो उन्हे भी अपनी आजादी ही प्यारी थी आपस मै प्यार कम था।
ससुराल आ कर शुरू शुरू मैं रीमा सबसे कम मिलती लेकिन यहां का माहौल उसे अच्छा लगता तो वो खुद को ढाल रही थी
आज सांची फिर आने वाली थी मांजी तैयारी मैं लगी थी रीमा को भी बता रही थी सांची को क्या पसंद है ।रीमा को आश्चर्य हो रहा था मांजी को दीदी के जाने के बाद भी सब याद है और मेरी मां ने तो सामने रहते हुए कभी
जानने की कोशिश नही करी की मुझे क्या पसंद है शादी के बाद पहली बार मायके जाने पर भी उनमें कोई उत्साह नही था
बस यही बोली उन लोगों के चक्कर मैं खुद को नहीं भूल जाना पर यहां इतना प्यार और अपनापन देख रीमा को अच्छा लग रहा था पहली बार रिश्तों की कीमत समझ आ रही थी ।
राकेश ने छुट्टी ली हुई थी अस्पताल से आने के बाद शाम को सब लोग घूमने गए ।घर आ कर भी काफी रात तक मस्ती चलती रही ।इस बार रीमा को अपने भाई की याद आई ।
सांची के जाने के बाद जब रीमा ने अपनी मां को बताया की दीदी के आने से कितना अच्छा लगा तो उसकी मां बोली तुम इन चक्कर मैं मत उलझो कुछ अपने बारे मैं भी सोचो नौकरी की जरूरत नही तो सोशल स्टेटस
बढ़ाओ जिस से समाज मै पहचान बने ।रीमा कुछ नहीं बोली लेकिन उसे नए रिश्ते मैं अच्छा लग रहा था अब वो अपने भाई से भी रिश्ता बढ़ाने की कोशिश करने लगी ।
और अपने परिवार मैं भी घुल मिल गई जिसे सुनकर उसकी मां उसे ताने देती इस वजह से रीमा मायके कम ही जाती ।
आज सुबह भाई का फोन आया की मां गिर गई है अस्पताल ले जाने पर पता चला की कूल्हे की हड्डी टूट गई काफी दिन बिस्तर पर रहना था ।घर आने के बाद उन्हें अकेलापन लगा काम तो मेड कर देती लेकिन साथ देने
वाला कोई नहीं था रीमा देखने आती फिर चली जाती ।
क्योंकि मां को जरूरत नहीं थी ।आज रीमा अपनी सास के साथ आई उन दोनों के बीच प्यार देख रीमा की मां की आंख मैं आंसू आ गए उन्हे दुख हुआ की ये रिश्ता वो बच्चों से क्यों नहीं बना पाई ।
उनकी मन की बात जान रीमा की सास बोली बहू तुम कुछ दिन अपनी मां के पास रहो उन्हे अच्छा लगेगा घर की चिंता मत करो और हम लोग मिलने आते रहेंगे ।
रीमा रुक गई सब लोग मिलने आते उनसे बाते करते उसी बीच ननद भी मिलने आई अब रीमा की मां को अहसास हुआ की दिखावे के नहीं अपनेपन से बनाए रिश्ते काम आते है उन्होंने रीमा से माफी मांगी और कहा ध्यान
रखना रिश्तों की डोरी टूटे ना। काफी सालों बाद रीमा की मां ने प्यार जताया अब रीमा को अच्छा लग रहा मायके आ कर भाई को भी अपनापन समझ आया ।
कुछ महीनो मैं मां ठीक हो गई शरीर से भी विचार से भी अब उन्हें रिश्तों की समझ हो गई थी ।।
स्वरचित
अंजना ठाकुर
रिश्तों की डोरी टूटे ना