हर बीमारी का इलाज दवा ही नहीं होती है-के कामेश्वरी Moral stories in hindi

रश्मि गहरी नींद में सो रही थी ।  आज ऑफिस में काम ज़्यादा होने के कारण वह बहुत थक गई थी । उसे गहरी नींद से फोन की घंटी ने जगाया । वह सोच रही थी कि आधी रात को फ़ोन किसने किया होगा । फ़ोन उठाया था तो उस तरफ़ से सूरज की आवाज थी । सूरज उसके साथ उसकी ऑफिस में ही काम करता था ।

वे दोनों एक ही डिपार्टमेंट में थे । रश्मि ने फ़ोन उठाया और पूछा “क्या बात है सूरज इतनी रात को फोन किया है । कुछ प्रॉब्लम है क्या ?

सूरज ने कहा कि रश्मि तेरी सहेली चारुलता को अस्पताल में भर्ती कराया गया है ।

रश्मि “क्या !!” कहते हुए झट से उठ गई ! उसकी नींद मानो कोसों दूर उड़ गई थी । उसने पूछा “कौन से अस्पताल में भर्ती कराया गया है क्या हुआ है उसे “। सूरज ने कहा “मुझे भी नहीं मालूम है अभी ही उसके पति का मेसेज आया है । कल चलेंगे हम लोग अभी तुम सो जाओ । तुम्हारी बेस्ट फ़्रेंड है ना इसीलिए तुम्हें बताना ज़रूरी है समझा ।

अच्छा किया तुमने बता दिया है कल सुबह ही उसे देखने जाऊँगी । गुड नाइट” कहते हुए फ़ोन रख दिया ।

अब रश्मि को नींद नहीं आ रही थी ।

रश्मि और चारुलता दोनों के सीट ऑफिस में पास में ही थे ।

चारु के पति भी इसी ऑफिस में काम करते थे । दोनों मिलकर साथ आते थे परंतु जाने के समय चारु अकेली ही चली जाती थी क्योंकि उसके पति रवीन्द्र देर तक काम करके आते थे ।

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उनका एक ही बेटा है जो एम बी ए कर रहा है । चारु बहुत ही भोली है । शादी के इतने साल हो गए बेटा इतना बड़ा हो गया है फिर भी वह सास से डरती थी । उसकी इसी कमजोरी के कारण उसकी सास उसे आड़े हाथों लेती थी ।

चारुलता को ग़ुस्सा इसी बात के लिए आता था कि वह ऑफिस और घर दोनों काम सँभालती आ रही है परंतु सास कभी भी उससे खुश नहीं रहती है। उसके हर काम में मीन मेख निकालती रहती है ।

रवीन्द्र है कि कभी भी उसकी तरफ़ से बोलता ही नहीं था । माँ को कभी नहीं समझाता है । इतने सालों से उसने रवींद्र की सपोर्ट के बिना ही अपने दिन इस घर में गुजार दिए हैं ।

घर की हालत के कारण वह ऑफिस में भी वह खोई खोई हुई सी रहती थी । रश्मि उसे हमेशा समझाती थी कि देख चारु तू नौकरी करती है उनकी बातों का जवाब दिया करना । इतने साल हो गए हैं अब भी उनसे क्या डरती है । तेरी गलती ना होने पर भी उनकी बातों को सुनती रहती है ।

चारुलता का कहना है कि रवीन्द्र मेरा साथ देता तो मैं उनकी बातों का जवाब दे सकती थी । लेकिन मुझे डर लगता है कि कहीं हमारे रिश्ते में दरार ना पड़ जाए बस यही बात सोचकर मैं चुप रहती हूँ और कोई बात नहीं है ।

रश्मि ने समझाने की कोशिश की थी देख चारुलता जब तुमने सोच लिया है कि उनकी बातों को सुनना ही है तो फिर बाहर तो खुश रह आराम से ज़िंदगी जी उदास रहने से क्या मिलेगा तुझे ।

 वह कहती थी कि नहीं रश्मि रवीन्द्र मुझसे प्यार नहीं करते हैं । मैं मानती हूँ कि हम दोनों का अरेंज मेरेज हुआ है । अरेंज मेरेज में भी तो लोग धीरे-धीरे अपनी पत्नी को समझ कर उससे प्यार करते हैं । शादी के पहले ही उन्होंने मुझे बता दिया था कि माँ ही मेरे लिए सब कुछ है । वे थोड़ी कड़क हैं पर दिल की अच्छी है । मैंने इसे भी मान लिया है । अब तू ही बता यह सब ठीक है परंतु पति को पत्नी से प्यार करना चाहिए । मेरी क़िस्मत में पति का प्यार ही नहीं है।

उसके दिल में यह बात बैठ गई थी कि रवींद्र उससे प्यार नहीं करता है । रश्मि के बार बार समझाते रहने के बाद अब उसने उन सबके बारे में सोचना बंद कर दिया था ।

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ऑफिस में भी छोटे मोटे कार्यक्रम में शामिल होने लगी थी । चारुलता दो दिन से बुख़ार था जिसके कारण वह ऑफिस नहीं आ रही थी । यह उसने रश्मि को फोन पर बता दिया था ।

अब यह अचानक क्या हो गया है कि उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

मुझे अच्छे से याद है पिछले साल उसकी माँ की मृत्यु करोना के कारण हो गई थी । माँ उसकी संगी साथी थी । वह माँ से बहुत प्यार करती थी उन्हें अपने दिल की हर बात बता दिया करती थी । इसलिए उनके गुजर जाने के बाद से वह बहुत अपसट हो गई थी अपने आप को अकेली समझने लगी थी । उसके भाई बहन भी तो नहीं थे ।

वह अभी-अभी उस सदमे को भूल कर लोगों के बीच आने लगी थी । रश्मि भी बहुत खुश हो रही थी कि चलो चारुलता लोगों के बीच आने लगी है । अब अचानक यह हादसा हो गया है इन्हीं बातों को सोचते हुए रश्मि सो न पाई थी । वह सुबह का इंतज़ार कर रही थी कि कब सवेरा हो और वह अस्पताल पहुँचे ।

रश्मि के बच्चे भी बड़े हो गए थे । कॉलेज में पढ़ते थे ।

उन सबके लिए बाक्स तैयार कर रश्मि अपने पति के साथ अस्पताल पहुँची । वहाँ किसी को भी अंदर नहीं जाने दिया जा रहा था । परंतु रवीन्द्र से मिलने पर उसने बताया था कि चारुलता को मायल्ड हार्ट अटैक आया था ।

 डॉक्टर अब्जरवेशन में रखे हुए हैं । रवीन्द्र बहुत रो रहा था और रश्मि को बता रहा था कि वह कभी किसी का बुरा नहीं चाहती हूँ । रश्मि वह बहुत अच्छी है ।

मैं ही शायद उसका ठीक से ख़याल नहीं रख पाया हूँ । जब वह ठीक हो कर घर आ जाएगी तो मैं उसे कोई शिकायत का मौक़ा नहीं दूँगा । रोते हुए कहते जा रहा था ।

रश्मि ने रवींद्र को पहली बार इस तरह देखा था । उसने देखा कि ऑफिस से छुट्टी लेकर अस्पताल में वह चारुलता का बहुत ही ख़याल रख रहा था ।

रश्मि उसकी बातों को सुनकर शॉक में थी । उसने कभी नहीं सोचा था कि रवीन्द्र चारु के बारे में ऐसा सोचता है ।

चारु के साथ साथ उसके दोस्तों की भी यही राय थी कि रवीन्द्र चारु की परवाह नहीं करता है ।

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रश्मि जब तक चारु अस्पताल में थी उसको देखने रोज अस्पताल जाती थी । रश्मि को दूसरे दिन ही चारु को आई सी यू में जाकर देखने का मौक़ा मिला था । चारु बातें कर रही थी उससे बात करके उसे ढाढ़स बँधाकर रश्मि घर पहुँची ।

उसने घर पहुँचकर सोच लिया था कि चारु के ठीक होते ही सबसे पहले वह उसे यही बताएगी कि रवीन्द्र उससे कितना प्यार करता है ।

पगली यही सोचते हुए दुखी होती रहती थी कि रवीन्द्र उससे प्यार ही नहीं करता है । रवीन्द्र को प्यार जताना ही नहीं आता है नहीं तो सोचो कितना रो रहा था।

अब रश्मि को भी अच्छा लगने लगा कि चारु कितनी खुश हो जाएगी जब वह सुनेगी कि उसके हमसफ़र के लिए उसकी क्या अहमियत है ।

पाँच दिन आई सी यू में रहने के बाद चारु को रूम में शिफ़्ट कर दिया गया था । पंद्रह दिन बाद उसे डिस्चार्ज किया और घर भेज दिया था । जब रश्मि चारु को देखने पहुँची तो चारु के चेहरे पर मुस्कान और आँखों में ख़ुशी दिखाई दे रही थी ।

रश्मि ने सोचा कि चारु ने भी रवीन्द्र के प्यार को महसूस कर लिया है । और कहते हैं न कि हर बीमारी का इलाज दवा ही नहीं होती है ।

चलो चारु रवीन्द्र के ख़याल रखने से जल्दी ठीक हो कर घर पहुँच गई है । अब शायद मुझे बताने की ज़रूरत ही नहीं है कि उसका पति उससे कितना प्यार करता है ।

के कामेश्वरी

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