” भाभी मैं बुआ बनने वाली हूँ बढ़िया सा नेग लूंगी आपसे !” नीलू अपने मायके आने पर अपनी गर्भवती भाभी आस्था से बोली।
” हां हां क्यो नही नेग तो बनता है तेरा !” आस्था की जगह उसकी सास रेखा बोली । आस्था तो मानो नीलू की बात सुनकर कहीं खो सी गई थी।
” भाभी क्या हुआ आप कहाँ गुम हो गई हो मैने तो बस नेग की बात की है !” नीलू हँसते हुए बोली।
” नही दीदी बस ऐसे ही आप मम्मी जी के साथ बात कीजिये मैं चाय लाती हूँ !” आस्था ये बोल रसोई मे आ गई।
” हे भगवान मुझे समझ नही आ रहा माँ बनने वाली हूँ ये सोच खुश होऊँ या मायके पर बोझ जो पड़ने वाला है उसे सोच दुखी । मेरी सहेली रिया को अपनी ननद से कितना सुनना पड़ा था जब उसके बच्चे के होने पर उसके मायके से ननद के लिए नेग मे बस साड़ी आई थी । क्या मुझे भी वही सब सुनना पड़ेगा क्योकि मेरे भी मायके के हाल कुछ अच्छे नही है । मैं तो चलो सुन भी लूंगी पर अगर मेरे मायके वालों की बेइज्जती हुई तो ??” यही सब सोचते सोचते आस्था चाय छान रही थी।
” भाभी संभाल के ध्यान कहाँ है आपका !” कप से बहती चाय देख वहाँ आई नीलू ने उसे झकझोड़ा।
” माफ़ करना दीदी मैं कुछ सोचने लगी थी । चलिए आप मैं बस अभी आती हूँ !” आस्था अपनी सोच से बाहर आ बोली।
ननद चाय नाश्ता कर थोड़ी देर मे चली गई पीछे छोड़ गई आस्था के मन की बेचैनी । अब सोते जागते आस्था को यही चिंता खाये जा रही थी वो अपने मायके से कैसे ननद के लिए नेग मंगाये।
धीरे धीरे आस्था के प्रसव का समय भी आ गया पर क्योकि आस्था का रक्तचाप उच्च था इसलिए उसके बच्चा ऑपरेशन से हुआ ।
” वाह भाभी कितना प्यारा है मुन्ना । धन्यवाद मुझे बुआ बनने की खुशी देने के लिए ।” नीलू मुन्ने को गोद मे ले बोली। सबने बारी बारी मुन्ने को प्यार किया और आस्था को धन्यवाद दिया क्योकि सभी मुन्ने के कारण नए रिश्ते मे बंधे थे । बंधी तो आस्था भी थी एक नए रिश्ते मे ऐसा रिश्ता जो हर रिश्ते से बड़ा था एक माँ बेटे का रिश्ता क्योकि मौत से लड़कर उसे दुनिया मे आस्था ही लाई थी । आस्था ने प्यार से मुन्ने को देखा और दर्द के बावजूद भी मुस्कुरा दी।
तभी उसे नेग की बात याद आई और वो मुरझा सी गई जिसे सबने ऑपरेशन का दर्द समझा।
कुछ दिनों बाद मुन्ना और आस्था घर आ गये । सब मुन्ने के साथ साथ आस्था का भी पूरा ध्यान रख रहे थे ।
आज आस्था के बेटे का नामकरण संस्कार है सभी रिश्तेदार आये हुए है आस्था के घर से भी उसके मम्मी पापा और भाई आये है छुछक का सामान लेकर । रेखा उनकी अच्छे से आवभगत कर रही है । माँ बाप को देख आस्था खुश तो बहुत थी पर मन मे एक डर सा भी था ।
” अगर नीलू दीदी ने कोई सोने की चीज मांगी तो मैं अपने सारे जेवर आगे कर दूंगी जो उनका मन हो ले ले पर मैं अपने मायके वालों पर आंच भी नही आने दूंगी ।” मन ही मन आस्था ने निश्चय किया तब जाकर उसके चेहरे पर थोड़ा सुकून आया।
नामकरण संस्कार बहुत अच्छे से सम्पन्न हुआ । जो सामान आस्था के घर से आया उस पर किसी ने कोई टिप्पणी नही की ना किसी ने नेग की बात की सबने उसके मायके वालों को इज्जत के साथ विदा किया । मायके वालों के जाते ही आस्था ने राहत की सांस ली कि कम से कम सबके सामने उसके माता पिता का कोई अपमान नही हुआ।
कैसी विडंबना होती है ना एक बेटी की भी जो खुद माँ बनने की खुशी भी ठीक से नही मना पाती क्योकि वो एक बेटी है वो बेटी जिसके लिए अपना मायका बहुत प्यारा है पर उसी मायके की इज्जत कई बार एक पल मे रौंद दी जाती है चंद सामान या सोने चांदी के लिए।
धीरे धीरे सब मेहमान भी विदा हो गये अब बस घर मे नीलू, उसकी बुआ और ताई बचे थे जिन्हे रेखा ने रोक लिया था।
” बेटा देखो तुम्हारे मायके से ये सब सामान आया है । देखो कितने सुन्दर कपड़े है मुन्ना के और ये तुम्हारी साड़ी ये हम सबके कपड़े ।” रेखा आस्था को सब सामान दिखा रही थी ।
” मम्मी जी …वो आपसे एक बात कहनी थी !” झिझकते हुए आस्था बोली।
” क्या बात बेटा बोलो ?” रेखा प्यार से बोली।
” मम्मी जी उस अलमारी मे मेरे सारे मायके के गहने रखे है दीदी से बोलो उन्हे नेग मे जो चाहिए ले सकती है । असल मे मेरे पापा ने अभी मेरे भाई की इंजीनिरिंग की फीस जमा कराई थी तो उनके पास इतने पैसे नही बचे थे कि वो दीदी के लिए कोई सोने की चीज बनवा सके।” आस्था डरते डरते धीरे से बोली जिससे उसकी बात कोई दूसरा ना सुन ले।
” पर बेटा नीलू को तुम्हारे मायके वाले क्यो नेग देंगे ?” रेखा हैरानी से बोली।
” मम्मी जी मुन्ना होने की खुशी मे मेरे मायके से ही तो नेग आता ना सबका !” आस्था असमंजस मे बोली।
” हां तो ये आया तो है इतना कुछ !” रेखा मुस्कुरा कर बोली।
” पर इसमे दीदी के लिए सिर्फ साड़ी है कोई और उपहार नही !” आस्था बोली।
” तो बेटा सब कुछ तुम्हारे मायके से आएगा क्या । अरे वो नाना नानी बने उन्होंने अपना फर्ज बहुत अच्छे से निभा दिया । अब हम भी तो दादा दादी बने है । अमन ( आस्था का पति ) बाप बना है तो हमे भी तो अपने फर्ज निभाने है ना तो नेग हम देंगे !” रेखा बोली।
ये क्या अनोखी बात बोल रही है सासुमा आस्था को यकीन नही हो रहा था। उसे तो लगा जैसे रिया के ससुराल वालों ने उससे बोला था ननद के लिए मायके से नेग मंगाने को वैसे उसे भी बोला जायेगा ना आने पर गुस्सा किया जायेगा पर यहाँ तो मम्मीजी मुस्कुरा रही है।
” पर मम्मी जी मैने तो यही सुना की नेग मायके से आता है !” आस्था बोली।
“बेटा ये कोई परम्परा नही है कि सब नेग मायके वाले दे ये तो बस कुछ लालची लोगो की मन से गढ़ी बात है । हमारे खानदान मे ये सब नही होता यहाँ लेन देन की जगह रिश्तो मे मान सम्मान हो इस बात का ध्यान रखा जाता है । तुम्हारे माता पिता ने अपनी तरफ से वो मान बखूबी रखा है और रही नीलू के नेग की बात तो ये कंगन तुम अपनी तरफ से उसे दे दो हो गया नेग !” रेखा हँस कर बोली।
” पर मम्मी जी ये तो दो सेट है कंगन के !” रेखा जी के हाथ मे दो डिब्बी देख आस्था बोली।
” हां तो एक मुन्ने की बुआ के लिए और एक मुन्ने की मम्मी के लिए क्योकि मुन्ने को इस दुनिया मे लाई तो वही है ना तो सबसे पहले उसका नेग बनता है !” ये बोल रेखा ने बहू के हाथ मे कंगन पहना दिये । वहाँ मौजूद सभी लोगो ने ताली बजा खुशी जाहिर की । आस्था ने नम आँखों से ननद नीलू को कंगन पहनाये। पर आज उसकी आँखे किसी चिंता से नम नही थी वो तो नम थी खुशी से इतना प्यारा ससुराल जो मिला था।
थोड़ी देर बाद सब आस्था को आराम करने की बोल उसके कमरे से चले गये । तभी आस्था की माँ का फोन आया ।
” बेटा वहाँ सब सही है ना समधन जी को सामान पसंद तो आया ना !” उन्होंने पूछा।
” हां मम्मी आप चिंता मत कीजिये आपने अपनी तरफ से बहुत अच्छा नेग दिया है ऐसा मैं नही मम्मी जी बोल रही थी और आपकी प्रशंसा भी कर रही थी !” आस्था खुश होते हुए बोली । आज इतने महीनों बाद खुल कर जी रही थी आस्था वरना तो एक घुटन सी झेल रही थी वो।
” बेटा समधन जी ने विदाई मे बहुत सामान दे दिया तेरे भाई का जोड़ा , मीठा और भी सामान । हमने मना भी किया पर उनका कहना था ये हमारी तरफ का नेग है !” आस्था की मम्मी बोली।
” मम्मी यहां हर रिश्ते का सम्मान रखा जाता है आपने अपने नेग किये मम्मी जी ने अपने ।” आस्था बोली थोड़ी देर बाद उसकी मम्मी ने भी आराम करने का बोल फोन रख दिया। आस्था की नज़र मे अपनी सास के प्रति सम्मान बहुत बढ़ गया था क्योकि उन्होंने लेन देन से ऊपर उठ उसके मायके वालों को भी पूरा सम्मान जो दिया था वो भी उसे पता लगे बिना । हर बेटी यही तो चाहती है ना ।
दोस्तों बहुत से घरो मे बहू के बच्चा होने पर मायके वालों के ऊपर नेग के नाम पर अतिरिक्त बोझ डाल दिया जाता है । अपनी खुशी और सामर्थ अनुसार हर माँ बाप करते है पर नेग बोझ बन जाये तो एक बेटी और उसके माता पिता की मानो खुशी ही खत्म सी हो जाती है जो अनुचित है । घर मे कोई भी खुशी हो लेन देन से ऊपर उठ एक दूसरे को सम्मान दीजिये तभी दो लोगो मे नही दो परिवारों मे रिश्ते की नीव मजबूत होगी ।
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल