” हार बनी जीत ” – गोमती सिंह

—‐-विश्व विद्यालय ऑफ़ इन्दौर से पिकनिक के लिए बस जा रही थी देहरादून के लिए ।

        सभी छात्र छात्राएँ शोरगुल करते हंसते गाते हुए जा रहे थे ।

       सबसे पीछे की सीट पर बैठे आरती और सुनिल भीड़ में भी रहकर युगल एकांत में थे ।

      सड़क पर बस जा रही थी, दोनों ओर आम पेड़ की कतारें थीं जिसमें बौर लगे हुए थे । मदमस्त बसंत का मौसम था ।

       सुनिल के मंसूबे से अनभिज्ञ आरती सुनिल की तरफ देखकर मुस्काने लगी ” तो कामदेव जैसे होंठों की पतली परत में उतर गया हो ।”

           रैस्टोरेंट के टेबल पर बैठी आरती के मानसपटल पर इतना-सा ही चल-चित्र चल पाया था कि आरती को अचानक किसी झटके का एहसास हुआ और वह सचेत हो गई। 

     सामने देखी तो प्लेट पर दो गरम समोसे रखे हुए थे । पिछली यादों को लेकर मन के किसी कोने में पछतावा करते हुए समोसे खाई और एक कप चाय पी कर जब काउंटर में बिल पेमेण्ट कर रही थी तभी उसकी नज़र दरवाज़े पर पड़ी, देखकर आश्चर्य हुआ मगर कुछ खास नहीं।

           क्योंकि जिस आदमी को उसने देखा उसकी फितरत ही ऐसी थी ।उसे समझते देर नहीं लगी कि यह शिकारी किसी दूसरे परिंदे को फंसा लिया है।

         यह वही ‘ सुनिल ‘ था जिसने शादी करनें का आश्वासन दिया था और  मौज मस्ती करनें के बाद धोखा दिया था ।


           आरती कुछ चिंतित हुई मगर फिर भी अपनी स्कूटी स्टार्ट कर चलते बनी।

        आरती Lic .ऑफिस में सिर झुकाए  किसी के लिए टेबल पर  फार्म भर रही थी ।

तभी उसे किसी लड़की की आवाज़ सुनाई दी ” नमस्ते मैडम”

” जी ,  नमस्ते! कहिए क्या काम है। ” आरती ने पूछा। 

और जैसे ही उसकी नज़र उस लड़की को पहचानने लगी ” तब  उसकी इंसानियत जाग।उठी ।

आरती ने उस लड़की से कहा

    ‘ प्लीज बैठिए ‘

चेयर में बैठते हुए उस लड़की ने कहा कि मैडम मैं ……..वह इतना ही बोल पाई थी कि आरती ने रोक लिया ये कहते हुए कि इंसानियत के नाते मैं आपकी कुछ पर्सनल जानकारी ले सकती हूँ  ?

 ” क्यों नहीं मैडम !”

मैडम नहीं दीदी कहो उसे अपनत्व जताने हेतु कहा ।

हम दोनों एक ही प्रजाति के पंछी हैं।  मेरे कहने का मतलब शायद तुम भी कुंवारी लड़की हो ?

” हाँ दीदी! आपने सही पहचाना। “

मगर क्या बात है दीदी आप कुछ सस्पेंस लग रही हैं।

  ” मेरा नाम लाली गुप्ता है “

लाली ने भी अपनेपन का बोध कराते हुए कहा।

  अभी यहाँ काम की बातें कर रहे बाद में तुम्हे सब समझा दूंगी। 

क्या तुम्हें L.I.C. एजेंट के लिए फार्म भरने हैं ? हाँ दीदी उसने हामी भर दी। 

फिर ऑफिस की सारी फार्मेलिटी पूरी कर दोनों बाहर आ गये ।


” दीदी मैं जा रही हूँ, टाइम हो गया। “

कोई मेरा इंतजार कर रहा होगा।

मुझ पर विश्वास करते हो तो चुपचाप मेरे साथ चलो ,दोनों बहन चाय पीते हैं। 

चाय पीते हुए आरती ने सब कुछ बताया ,किस तरह वह उससे धोखा खाई थी ।

 ” मगर लाली को इस बात पर विश्वास ही नहीं हो रहा था ।”

आजमा कर देख लो बहुत जल्द उसका असली चेहरा नजर आ जाएगा।

फिर दोनों अपने अपने राह चल दिए।

लाली अब  अपने होने वाले मंगेतर को पहचानने का प्रयास करनें लगी ।

वह अपनी मुंह बोली दीदी आरती के लिए योजना के तहत खुद को सौपना शुरु किया। 

आजकल के लड़के यही तो चाहते हैं किसी लड़की का भोलेपन से विश्वास जीतने की कोशिश करना फिर शादी का प्रस्ताव मिलते ही मुकर जाना ।

           लाली के साथ भी ऐसा ही हुआ  , वह सुनिल उससे शादी की बात करते ही मिलना-जुलना फोन करना सब बंद कर दिया । 

   लाली ने मर्यादा की  सीमा नहीं लांघी थी , क्योंकि उसे तो पहले सच्चाई का पता लगाना था ।


फलस्वरूप उस लड़के को धारा 376 ,IPC के तहत अरेस्ट करवा दिया गया। 

आरती और लाली दोनों मिलकर उस लड़के को जेल की सलाखों के पीछे धकेल कर ” हार कर भी जीत की फतह हासिल किए। “

आरती ने लाली को बहुत समझाया, जिंदगी में आगे बढते रहने के लिए उसका हौसला अफजाई किया ,और गले लग कर दोनों रोने लगे ।

 तब छोटी बहन लाली ने दीदी को संभालते हुए कहा–

” आरती नहीं, तू कठोर शीला है ,

तुम्हीं ने तो उसे सलाखों में धकेला है ।”

       ।।इति।।

       -गोमती सिंह

         छत्तीसगढ़

           

स्वरचित ,मौलिक एवं अप्रकाशित रचना आप सभी के समक्ष

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