hindi kahaniya : पापा पापा आज तो दादाजी का जन्मदिन है शाम को केक लेते आना फिर हम सब होटल चलेंगे आप ऑफिस से जल्दी आ जाना ….पांच वर्ष के विशू ने अपने दादाजी को हैप्पी बर्थडे बोलते हुए उन का हाथ पकड़ कर अपने पापा सुहेल से कहा तो सुहेल चिहुंक उठा.. केक ..!होटल..!!अरे नहीं नहीं होटल वोटेल नहीं जाना है यहीं घर पर जो करना हो कर लेना इनकी हालत देख रहे हो कहीं बाहर आने जाने लायक है ही नहीं!!
क्यों पापा हम सबका जन्मदिन तो हमेशा होटल में ही मनाया जाता है पार्टी होती है कितने सारे लोग गिफ्ट लेकर आते हैं दादाजी का भी वैसे ही होगा तभी तो खूब सारे गिफ्ट मिलेंगे क्यों दादाजी ठीक कहा ना मैंने!!उत्साह में भरे हुए दादाजी ने अपने बेटे सुहेल की तरफ देखते हुए निगाह नीची कर ली” नहीं विशू सुहेल ठीक कह रहा है इस हालत में मैं क्या किसी होटल में जाऊंगा विशू ज़िद नहीं करते बूढ़े आदमी का क्या जन्मदिन !!गहरी उदास सांस भर कर चुप हो गए ।
लेकिन विशू कहां चुप होने वाला था ऐसा तहलका मचाया उसने कि बालहठ से विवश सुहेल ने शाम को होटल में पार्टी का आयोजन कर लिया ।
विशू ने बहुत उत्साह से दादाजी को तैयार करवाया मेरे बर्थडे में तो आप मुझे हमेशा नई ड्रेस पहनाते हैं दादू आपको भी पहनना पड़ेगा आज…अच्छा अच्छा भाई ठीक है अब अपने विशू का कहना तो मानना ही पड़ेगा कहते हुए दादा पोता सज धज कर तैयार हो गए थे शाम को और तय समय पर होटल पहुंच गए…
विशू की ज़िद… दादू भी केक काटेंगे कैंडल बुझाएंगे जैसे मैं करता हूं अपने जन्मदिन पर…बड़ा सा केक लाया गया कैंडल्स जलाई गईं विशू ने दादाजी के हाथ में चाकू देकर केक काटने कहा दादाजी भी पोते के उत्साह में खो से गए चाकू लेकर जैसे ही केक काटने लगे वृद्धावस्था के हाथ कांपने लगे संतुलन बिगड़ गया और वो उसी केक के ऊपर गिर गए …!
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पार्टी में आए आगंतुकों में उपहास पूर्ण हंसी बिखर गई ..अरे अरे देखो संभालो क्या शौक चढ़ा है बूढ़ेती में जन्मदिन वो भी होटल में ..सुहेल तो आगबबूला हो उठा था इसीलिए मैंने मना किया था बुढ़ापे में हाथ पांव चलता है नहीं चले हैं होटल में जन्मदिन मनाने बच्चे की जिद में खुद भी बहक गए बच्चे को समझाना चाहिए था इन्हे खुद ही समझना चाहिए कि इनको ये सब शोभा नहीं देता अरे चुपचाप घर में पड़े रहो लेकिन नहीं विशू के बहाने अपना आनंद मना रहे हैं….सबके सामने मेरी क्या इज्जत रह गई पूरी पार्टी का सत्यनाश कर दिया अब लो इनको संभालो…. विशू ए विशू…अपने दोस्तों के सामने खूब खरी खोटी सुनाते हुए उसने पलट कर देखा तो देखता ही रह गया….
नन्हा सा विशू हैप्पी बर्थडे दादू बोलता हुआ बहुत ज्यादा शर्मिंदा खड़े अपने दादाजी को संभालता नैपकिन लेकर अपने छोटे छोटे कोमल हाथों से उनका पूरा चेहरा साफ कर रहा था उनके कपड़े साफ कर रहा था बिना ये परवाह किए कि उसके खुद के कपड़े खराब हुए जा रहे हैं और दादू उसके नन्हें हाथों को अपने खुरदुरे हाथों से साफ कर रहे थे… दोनों एक दूसरे को संभाल रहे थे साफ कर रहे थे हंस रहे थे रो रहे थे ….।
निश्छल मासूम दृश्य ने सबका मन हिला दिया
अचानक सुहेल को अपना बचपन याद आ गया जब साइकिल सीखते समय वो कीचड़ में गिर गया था उसका कीचड़ से लथपथ चेहरा सबकी हंसी का पात्र बन रहा था अपने कपड़े और साइकिल दोनों खराब कर दिए थे तब उसके इसी पिता ने बिना कोई खरी खोटी सुनाए उतने ही प्यार से उसका चेहरा और कपड़े इसी तरह साफ किए थे जितने प्यार से उसका बेटा विशू कर रहा है।
जल्दी से आगे बढ़ वो भी अपने पिता और पुत्र से लिपट गया ….. पूरा हॉल हैप्पी बर्थडे विशू के दादू से गूंज उठा था।
लतिका श्रीवास्तव