हमें तो बस आपकी बेटी चाहिए – मीनाक्षी सिंह 

रमेश जी – अरे भाई साहब ,दहेज की कौन कह रहा हैं ! हमें तो बस अपनी बेटी दे दिजिये ! 

भूषण जी – वो तो ठीक हैं समधी जी ,पर फिर भी आपकी कोई मांग हो तो बता दिजिये ! जैसे सब बातें साफ रहे ! कोई समस्या ना हो आगे ! 

रमेश जी – इसमें बताना क्या ,आप खुद समझदार हैं ,जो भी देंगे अपनी बेटी को देंगे ! वैसे आप कह ही रहे है तो बताये देता हूँ ,हमारे घर में एक फोर व्हीलर गाड़ी हैं और एक टू व्हीलर ! बड़ी गाड़ी तो मै और विवेक (रमेश जी का एकलौता बेटा )अपने ऑफिस ले जाते हैं ! नई – नई  शादी के बाद बहू कोई टू व्हीलर से अपने स्कूल जाती अच्छी थोड़ी ना लगेगी ! तो एक बड़ी गाड़ी देख लिजियेगा ,अब देंगे ही तो थोड़ी बड़ी दे दिजियेगा ! पहले वाली तो छोटी हैं ,माडल भी पुराना हो गया हैं ! इतनी बड़ी तो दिजियेगा ही सब परिवार के लोग आराम से आ जाये ! बाकी बहू बेटे के कमरे के लिए फरनीचर ,टीवी ,एसी ,बेड ,अलमारी ,वाशिंग मशीन  तो देंगे ही आप ! फिर कहें देता हूँ ,हमें कुछ नहीं चाहिए ,हमारे पास तो सब हैं ! ये तो आप अपनी बीटिया को देंगे ! रमेश जी मूँछों  पर तांव देते हुए बोले ! 

बेचारे भूषण जी के 3 बेटियां ,2 बेटे हैं ! पोस्ट ऑफिस की छोटी सी नौकरी में इतने बड़े परिवार का भरण पोषण करते आये हैं ! किसी तरह बड़ी बीटिया का ब्याह किया ! अब दूसरे नंबर की रजनी की बारी थी ! पढ़ने में बहुत कुशाग्र बुद्धि की थी रजनी ! इसलिये जल्दी ही सरकारी अध्यापिका के पद पर आसीन हो गयी ! भले ही बेटी सरकारी नौकरी से ही क्यूँ ना हो ब्याह की चिंता तो रहती ही  हैं ! भूषण जी थे भी बहुत स्वाभिमानी ! रजनी कहती पिता जी अब तो मैं भी घर के खर्चों में आपका सहयोग कर सकती हूँ ! भूषण  जी तुरंत उस से कहते – बेटी का पैसा लेकर अगर घर चलाना पड़े,, तो उस बाप का जीना बेकार हैं ! अपने पैसे को संभाल के रख रज्जू ,आड़े वक्त में काम आयेगा ! रजनी भी उनकी बात को काट कर कह देती – आप ही ने तो पढ़ा लिखाकर इस काबिल बनाया हैं पिताजी कि आज अपने पैरों पर खड़ी हो पायी हूँ ! फिर बेटी का क्या कोई फर्ज नहीं हैं ,अपने परिवार के प्रति ! भूषण जी को  तर्कों में कोई ना हरा सकता था ! रजनी को ही चुप होना पड़ता ! 

भूषण जी – समधी जी ,ये बातें तो आपने पहले नहीं बतायी ,जब सगाई हो गयी तब कह रहे हैं ! माफ कीजियेगा पर बोलना पड़ रहा हैं ! 




रमेश जी – गुस्से में उठते हुए ,क्या तुम अपनी बेटी को इतना भी नहीं दोगे ! हमारी हैसियत के हिसाब से तो बात करो ! मेरे विवेक के  एक एक करोड़ के ब्याह लगे थे ! पर जब शर्मा जी आपकी बेटी का रिश्ता लेकर आये तो सोचा उनके ज़ानने वालों में से हैं ,अच्छी ही शादी करेंगे इसलिये कहने की ज़रूरत नहीं समझी ! ऐसा करो अपनी बेटी को जीवनभर घर बैठाकर रखो ! और हाँ अगर ब्याह करना हो तो सभी बारतियों के लिए एक -एक चांदी  का सिक्का  और मेवे के डिब्बे का इंतजाम कर लेना ! मैं चलता हूँ ! वो तो इतना इसलिये बोल रहा हूँ कि सगाई हो गयी हैं नहीं तो कबका चला जाता ! मेरी भी समाज में कुछ इज्जत हैं ! 

भूषण जी ( हाथ जोड़ते हुए ) – माफ कीजिये मुझे ,नादान हूँ ! आप जैसा कह रहे हैं ,सारा इंतजाम वैसे ही होगा ! बस ब्याह 2-4 महीने बाद रख लिजिये ! ताकी मैं इस  घर को बेचकर पैसे का इंतजाम कर सकूँ ! 

78 वर्षीय भूषण जी की आवाज कंपकपाने लगी ! अपनी धोती के कोरें से आंसुओं को पोंछते हुए आगे बोले ! आप तो समझदार हैं ,एक बेटी के बाप की क्या इज्जत रह जायेगी अगर ये रिश्ता टूटा तो ! जिस लड़की की शादी टूट जाती हैं उसके लिए रिश्ता मिलना कितना मुश्किल  हो जाता हैं ! ये तो आप भी समझते हैं ! 

रमेश जी – ठीक हैं फिर 15 दिन इंतजार करूँगा ,अगर पैसों का इंतजाम हो जाये तो फ़ोन कर देना  नहीं तो राम राम ! 

पता नहीं कबसे रजनी परदे के पीछे से खड़ी सारी बातें सुन रही थी ! 

उसने अपने आंसुओं को पोंछते हुए बोला !  पिता जी के चेहरे को गौर से निहारा तो भूषण जी ने बीटिया से आँखें चुरा ली ! 




रजनी – अंकल जी ,,कौन हैं आप ,,एक बेटे के पिता,, जिस बकरे को आपने जीवनभर खिलाया पिलाया ,,इस दिन के लिए,, जब उसे बेचकर अपनी जरूरतें पूरी कर सकें ! खबरदार मेरे पिता जी का अपमान किया तो ! अपने बेटे को बीच चौराहे पर खड़ा करके उसकी निलामी क्यूँ नहीं लगवा देते ! जो सबसे ज्यादा कीमत लगाये उसी को बेच दो ! कम से कम इससे किसी बाप का आप लड़कों वालों की खातिरदारी का पैसा तो बच  जायेगा ! और आपको अपने बकरे की मुंह मांगी कीमत ! सही कहा ना ! पिता जी आपको मेरी कसम हैं अगर आपने ऐसे लालची लोगों के यहाँ मेरा रिश्ता किया तो ! कुंवारी रहना स्वीकार हैं मुझे पर आपकी आँखों में आंसू ,आपका इन गिरे हुए लोगों के आगे गिड़गिड़ाना ,हमारे इस स्वर्ग जैसे घर को बेचना कतई बर्दाशत नहीं हैं ! देखिये मेरी तरफ ! मेरी चिंता में कैसे हो गए हैं आप ! अब समझ आया कि बेटी के पैदा होते ही लोग क्यूँ दुखी हो जाते हैं ! जन्म से लेकर उसकी शादी तक बस बेटी के दहेज की ही चिंता रहती हैं एक बेटी के बाप को ! पर अब नहीं ,,लड़की हूँ लड़ सकती हूँ इस समाज से ! खुद के पैरों पर खड़ी हूँ ,आत्मनिर्भर हूँ 

! मैं कहीं नहीं जाऊंगी आपको छोड़कर ! आपको सुख देने के दिन आये हैं अब ! मैं  आजीवन शादी नहीं करूँगी ! ये लिजिये अंकल जी आपकी अंगूँठी ! अब आप जा सकते हैं ! 

रमेश जी अपना सा मुंह लेकर चलते बने ! 

भूषण जी ने बीटिया को गले लगा लिया ! तेरी  जैसी बेटी अगर हर माँ बाप को मिल जाए तो कोई बेटी को बोझ नहीं समझेगा !भूषण जी भी आज खुद से एक प्रण कर चुके थे ! 

पाठकों ,,अपनी बेटी को काबिल बनाईये ! शादी करके बेटी को दूसरे के घर भेजने से पहले जांच पड़ताल अवश्य कीजिये ! 

स्वरचित 

मौलिक अप्रकाशित

मीनाक्षी सिंह 

आगरा

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