आज सुप्रिया की एनिवर्सरी थी और आज सुबह ही पति सुशांत से फिर तकरार हो गई बच्चों को लेकर…..
(उनकी लड़ाई हमेशा या तो बच्चों को लेकर या किसी थर्ड पर्सन को लेकर होती थी, दोनो की आपस की कोई लड़ाई नहीं हुई कभी)
शादी की सोलहवीं वर्षगांठ और शुरुआत तकरार के साथ…..
सुप्रिया को कुछ अच्छा नही लग रहा था। दोनो ने एक दूसरे को विश तक नही किया (वैसे सुप्रिया ने रात को बारह बजकर एक मिनट पर मैसेज कर दिया था पर सुशांत ने जवाब नही दिया शायद वो ऑफिस की किसी टेंशन में था)
पर सुप्रिया को अपना हर विशेष दिन जैसे बर्थडे, एनिवर्सरी, या बच्चों को कोई अचीवमेंट मिलता या कोई खुश खबरी होती विशेष खाने के साथ, हंसते मुस्कुराते हुए मनाना पसंद था तो बस उसने खाने में सुशांत की पसंद की चावल की खीर, पालक पनीर और पूरी बना ली शायद सुशांत का मूड कुछ अच्छा हो जाए।
सुशांत को आज सोमवार को ऑफिस में बहुत काम था तो उसने पहले ही बोला था कि एनिवर्सरी सेलिब्रेट करने बाहर नही जा सकते , चलना है तो सन्डे को मंदिर या कही चल सकते हैं पर सुप्रिया का तीसरा दिन था ( पीरियड) तो मंदिर नही जा सकते थे और बच्चों के एग्जाम थे तो बाहर जाना भी नामुमकिन था तो प्लान कैंसल हो गया और आज तो माशा अल्लाह सुबह ही तकरार के साथ शुरू हुई थी तो जाने का तो सोच भी नही सकते थे पर सुप्रिया ने सोचा आज कुछ तो स्पेशल होना चाहिए, ये तकरार तो हमारी ऐसे ही चलती रहेंगी। इसके चक्कर में आज का विशेष दिन बरबाद नहीं होने दूंगी
इस कहानी को भी पढ़ें:
ऐसा करती हूं सोलह साल की सोलह फोटो का कोलाज बनवाकर सुशांत को गिफ्ट करती हूं पर एक दिन में कोलाज कैसे बनेगा ?
तो अब….. कोई नही फोन पर ही बना देती हूं और एक अच्छा सा गाना सेट करके स्टेटस पर लगा दूंगी , जब सुशांत देखेंगे तो उन्हें अच्छा लगेगा।
यही सोचकर सुप्रिया शादी की, बर्थडे की और जो भी पुरानी अलबम थी वो लेकर बैठ गई कि फोटो ढूंढने में आसानी रहेगी।
शादी की अलबम निकाली वैसे ही दोनो बच्चे आ गए जो अब काफी बड़े हो चुके थे( बेटी 15 साल की और बेटा 13 साल का)
अरे मम्मी आज तो आपकी एनिवर्सरी है और आप ये पुरानी अलबम लेकर बैठी हो…. सृष्टि
हां तभी तो, मैं सोलह साल की सोलह फोटो इकट्ठा करके तुझे देती हूं , तू अच्छा सा कोलाज बनाकर दे मुझे
मम्मी स्टेटस पर लगाओगी क्या शुभम हंसते हुए बोला
हां तो…. तुम लोग भी तो लगाते हो, मैं न लगाऊं……
ये क्या फोटो है मम्मी, कैसा मेक अप किया है आपका दुल्हन की फोटो देख सृष्टि बोली
अरे ये नेचुरल ब्यूटी है मेरी, तुम्हारी तरह नही जो कभी फिल्टर तो कभी पोट्रेट का सहारा लेकर फोटो खिंचवाते हो …. हा हा हा…
तुम्हे क्या पता हमारे समय की शादी कितनी अलग थी अबकी दिखावे वाली शादियों से
तो सुनाओ न मम्मी आपकी शादी की कोई मजेदार बाते , मैं आपकी रिकॉर्डिंग करूंगा फिर पापा को बताऊंगा…. शुभम बोला
इस कहानी को भी पढ़ें:
चल बदमाश…. पापा तो बोलेंगे तेरी मम्मी को तो अपनी तारीफ करने की आदत है तो बस कभी भी शुरू हो जाती है
मेरी शादी में स्मार्ट फोन तो थे नहीं और यदि होंगे भी तो इक्का दुक्का ही।
तो एक कैमरा मैन होता बस उसी के सहारे सारी।शादी निपट जाती 200,300फोटो के साथ
बस इतनी सी फोटो,इतनी फोटो तो हम एक घंटे में कही घूमने जाएं तो ही क्लिक कर लेते हैं…शुभम बोला
हां ये तो मुझे भी लगता है अबकी शादियों की हर एक याद को हम फोटो के साथ अपने साथ रख सकते हैं पर उन यादों के चक्कर में कभी कभी शादी का मजा नही ले सकते जो तुम लोग करते हो
वो कैसे मम्मी…. सृष्टि बोली
क्योंकि तुम आजकल के बच्चे न…. शादी पार्टियों के मजे तो लेते नही, तैयार होकर अलग अलग पोज में बस फोटो , वीडियो बनाने में लग जाते हो और बस स्टेटस, स्टोरी लगाकर दिखाते रहते हो ।
मेरी शादी के टाइम तो एक कमरे में ही हम सब साथ बैठते, हंसते, बोलते, टांग खिंचाई करते …. कभी गुस्सा तो कभी प्यार भरी तकरार
कितना मजा आता था । शादी के बहाने सब एक दूसरे से मिलते बतियाते थे। देख ये फोटो तेरे मामा की कैसे पान खा रहा है…..
पहले सब अपने आनंद , खुशियों का सोचते थे फोटो चाहे कैसी भी आए
और एक तुम लोग हो… प्रोग्राम हो जाता है और तुम्हे अपने से फुरसत ही नही मिलती कि किसी से बोले_ बतियाएं ,बस लगे रहते हो फोन पर चिपके हुए।
इस कहानी को भी पढ़ें:
और आजकल तो सबके लिए अलग अलग कमरों की व्यवस्था होती है , किसी को किसी का मुंह माथा भी एक बार दिखने के बाद दुबारा न दिखता। और आधे से ज्यादा समय ब्यूटी पार्लर जाकर तैयार होने में भी लग जाता है और मेरी शादी में मुझे मेरी चाचीजी ने ही तैयार कर दिया क्युकी उन्होंने पार्लर का कोर्स किया हुआ था
तभी आप अच्छे नही लग रहे ….सृष्टि हंसते हुए बोली
अरे पहले इतनी सुविधाएं नही थी जो आजकल है। पार्लर जाकर इंसान की सूरत ऐसे बदल जाती है जैसे गिरगिट अपना रंग बदल लेती है सुप्रिया ठहाका मारकर हंसी
अरे बुरा मत मानो बच्चों मेरे कहने का मतलब है जो मजा नेचुरल ब्यूटी में है वो किसी और में नही। हां ठीक है शादी एक बार होती है …..दुल्हन की और दूल्हे की फोटो अच्छी आनी चाहिए पर ये क्या यहां तो दुल्हन की सखी, सहेली, बहन, भाभी, चाची, मामी सब पार्लर पर जाकर तैयार होती है और किसी से मिलने मिलाने का समय ही कहां होता है किसी के पास आजकल …..
सुविधाएं जितनी बढ़ गई , औपचारिकता भी उतनी बढ़ गई पर रिश्तों में जो प्यार , अपनापन था वो कही खो सा गया है सुप्रिया कुछ उदास होते हुए बोली
क्या हुआ मम्मी आप उदास क्यों हो गई…. शुभम और सृष्टि साथ बोले
अरे मुझे ये फोटो देखकर कुछ याद आ गया
ये बड़ी ताईजी और ये सरिता दीदी पहले मुझे इतना प्यार करती थी कि मिलने के लिए तरसती थी पर जब मैं छोटी की शादी में गई तब एक बार मिली बस फिर सब अपने अपने कमरों में पार्लर वाली के साथ व्यस्त हो गई और किसी ने खाने पीने तक का नही पूछा। मैं तो इतनी दूर से मिलने के लिए ही गई पर अब पहले जैसी बात नही रही।
अरे ठीक है व्यवस्था करना अच्छी बात है पर ऐसे रिश्तों में तो दूरी आ जाती है ना। सब एक साथ मिलकर तैयार हों उसमें कितना मजा आता है , कुछ खट्टी कुछ मीठी तकरार भी हो जाती है कई बार जो रिश्तों की अहमियत को समझने समझाने का भी एक जरिया बन जाती है
पर अब देखो किसी से कुछ मजाक भी कर लिया तो कई कई दिनों तक बोलचाल भी बंद हो जाती है
अरे मम्मी वो पुरानी बाते हो गई अब किसी को अपनी प्राइवेसी में दखल अंदाजी पसंद नही… सृष्टि बोली
इस कहानी को भी पढ़ें:
आप भी क्या फालतू बाते लेकर बैठ गई… आप अपनी और पापा की फोटो पर ध्यान दो बस ये देखो पापा कितने प्यार से आपको देख रहे है इस फोटो में
ये मुझे नही मेरे पीछे इनके चाचाजी खड़े हैं उन्हें देख रहे हैं बस फोटो गलती से ऐसी आ गई
हां तो आ गई न … आपका तो काम बन गया। मम्मी आप न पापा में कमियां ढूंढती रहती हो पर देखो पापा ने आपको इन सोलह सालों में कितनी जगह घुमा दिया क्युकी उनको घूमने का शौक है वरना आप तो बस खर्चा होगा….अबकी नही अगली बार चलेंगे कहकर हमेशा ही प्लान कैंसल करवाने लग जाती हो….सृष्टि पापा की तरफदारी करते हुए बोली
अब तू भी तकरार करने लगी मुझसे ..
सुप्रिया सृष्टि को प्यारी सी चपत लगाते हुए बोली
हां बेटा पापा का ये शौक है तभी तो इतनी फोटो इकट्ठा हो गई वरना तेरे पापा तो मेरे साथ एक फोटो न खिंचाए और शादी का अलबम तो देखते ही नहीं और मुझे चिढ़ाते हुए बोलते हैं…. हादसे याद नही किए जाते …
पर कुछ कुछ हादसे खूबसूरत भी होते हैं ये उन्हें कौन समझाए ..सुप्रिया बच्चों के मजे लेते हुए बोली
हां मम्मी ये हादसा तो सच में खूबसूरत था नही तो आप हमारे मम्मी पापा कैसे बनते और आपको इतने प्यारे बच्चे कहां मिलते शुभम हंसते हुए बोला
अरे तुम दोनो में तो मेरी पापा की जान बसती है …..सुप्रिया दोनो का माथा चूमते हुए बोली
चलो मम्मी आप आराम करो ये कोलाज मैं बना दूंगी क्युकी आपको शाम को हमारे पसंद की आलू टिक्की और छोले भी बनाने है … सृष्टि सुप्रिया से अलबम अपने हाथ में लेते हुए बोली
चल ठीक है वैसे मेरी कमर भी थोड़ी दर्द कर रही है आज सुबह से बैठने की फुरसत भी नही मिली
सुप्रिया अपने कमरे में लेटने चली जाती है और शुभम और सृष्टि ने आंखो ही आंखों में प्लानिंग कर ली शाम के सेलिब्रेशन की
सुप्रिया उठी तब तक पूरा घर सजा हुआ था साथ में लाइटिंग , केक भी देखकर सुप्रिया हैरान हो गई और जब पीछे से सुशांत की आवाज आई
इस कहानी को भी पढ़ें:
सरप्राइज…… मेरी छम्मक छल्लो ( सुशांत प्यार से सुप्रिया को ये ही कहकर पुकारता है)
तो सुप्रिया की खुशी का ठिकाना नहीं रहा जहां सुबह तकरार से शुरू हुई वहां प्यार ही प्यार नजर आ रहा था और जब हाथ में बड़ा सा सोलह फोटो का कोलाज देखा तो सुशांत को चूम लिया
पर जब देखा बच्चे साथ ही हैं तो थोड़ी सकपका गई पर बच्चे बोले… मम्मी कभी कभी प्यार तकरार से नही इकरार से जताना भी पड़ता है आप ही तो कहती हो…… और सब हंस पड़े
सुशांत आपको याद था आज का दिन
हां हां भई क्यों नही… हमारे परिवार की नींव जिस रिश्ते पर टिकी हो और उस रिश्ते की आज जन्मतिथि हो तो फिर मैं कैसे भूल सकता हूं सुप्रिया
सच में तुमने मेरा इन सोलह सालों में इतना साथ दिया , मेरे परिवार को संभाला , मम्मी पापा की केयर करती हो तभी तो मैं चिंता मुक्त हो कर अपना बिजनेस कर पा रहा हूं।
और ये रिश्ता बना तभी तो हमारा प्यारा परिवार बना, मेरे घर दो फूल खिले …..सुशांत सृष्टि और शुभम को देखकर बोला।
हां मम्मी पापा आप नही मिलते तो हम कहां से आते दोनो हंसते हुए बोले ।तो पक्का रहा अब से ये दिन सेलिब्रेट करने की जिम्मेदारी हमारी। पहले हम बच्चे छोटे थे पर अब बड़े हो गए तो मम्मी पापा को इतनी खुशी देने का हक तो बनता है।
जब मम्मी गुस्सा और तकरार करेंगी तो पापा की साइड लेंगे मम्मी को मनाने के लिए और जब पापा तकरार करेंगे तो… तो मम्मी की साइड….
सही बोला ना
एकदम सही मेरे शैतानों ….सुप्रिया और सुशांत साथ में दोनो के कान खींचते हुए बोले।
शाम को सुप्रिया और सुशांत दोनों ने अपने अपने स्टेटस पर कोलाज की फोटो के साथ गाना लगाया
“तुझमें रब दिखता है यारा मैं क्या करूं…”
इस कहानी को भी पढ़ें:
दोनों एक दूसरे से तकरार करने का कोई मौका जो आज नहीं देना चाहते थे।
दोस्तों घर में कितने ही अवसर आते हैं जब हम छोटी छोटी तकरार के बड़ा इश्यू बना लेते है और खुशियों को तकरार करने में ही गंवा देते हैं पर मेरा मानना है तकरार के पीछे छिपे प्यार को देखिए खुश होने के बस अवसर ढूढिये और खुश होइए। जिंदगी का मजा जहां प्यार देता है वहीं कभी कभी तकरार भी जिंदगी के मजे लेने के लिए जरूरी हो जाती है। और जहां प्यार है वहीं तो तकरार है
है कि नही….
आप मेरे विचारों से सहमत हैं तो कृपया मेरा उत्साहवर्धन करना मत भूलिए
धन्यवाद
निशा जैन
दिल्ली