तुमने अपने बड़े भाई और भाभी का बहुत अपमान किया गौरव, तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था बेटा।घर आए मेहमान का इतना बड़ा निरादर कैसे किया तुमने। ऐसे संस्कार तो न दिए थे हमने तुम दोनों को और गौरव चुप था कुछ बोल न रहा था। फिर गौरव के पापा विनोद जी ने डांटा कुछ बोलते क्यों नहीं।
तुम दोनों ही तो अपनी पत्नी के साथ आखिर उनके घर जाते रहते थे लेकिन उन लोगों ने तो तुम्हारे साथ ऐसा नहीं किया।जब भी तुम लोग गए तुम्हें अच्छे से रखा खिलाया पिलाया ध्यान रखा और वो लोग पहली बार तुम्हारे घर आए और तुमने ऐसा व्यवहार किया ।मेरा तो शर्म से सिर झुक गया कि कैसे संस्कार दिए हैं हमने अपने बच्चों को। चाहे मां बाप ने इस तरह की सीख न दी हो बच्चों को लेकिन बच्चों के गलत व्यवहार पर उंगली हमेशा मां बाप पर ही उठती है।
विनोद जी चार भाई थे ।एक भाई बड़े थे राम अवतार और उससे छोटे विनोद जी और दो और छोटे बबुआ और राघव। सभी के बच्चे अब बड़े हो गए थे अच्छा पढ़-लिखकर अपने अपने काम धाम में मशगूल थे। सभी शादी शुदा थे । सबसे बड़े भाई रामवतार के दो बेटे थे बड़ा विकास और छोटा आकाश।
आकाश मुम्बई में था और विकास बड़ा वो कानपुर में था । विकास की पत्नी मुक्ता , दोनों बहुत अच्छे थे। घर में सबसे बड़े बेटे और बहू होने के नाते घर में सभी चाचा चाची और उनके बच्चों को बहुत प्यार और बड़ों को सम्मान देते थे। बराबर विकास के घर चचेरे भाई बहनों और चाचा लोगों का आना जाना लगा रहता था। लेकिन सबको इज्जत और मां सम्मान देना विकास और मुक्ति नहीं भूलते थे।
विनोद जी के दो बेटे थे गौरव और सौरभ दोनों भोपाल में रहते थे । दोनों शादी शुदा थे दोनों अक्सर अपनी पत्नियों के साथ विकास के घर आते जाते रहते थे।और विकास और मुक्ता उनका खूब अच्छे से ख्याल रखते थे। अभी कुछ साल पहले विनोद जी के छोटे बेटे सौरभ का एक एक्सीडेंट हो गया था काफी बड़ा हादसा हुआ था मुंह का जबड़ा टूट गया था तो विकास के पास फोन आया सौरभ के मोबाइल पर ।खबर दी गई कि ये आपके कौन है जिसका मोबाइल है उनका एक्सीडेंट हो गया है लखनऊ पी जी आई में भर्ती कराया गया है आप जल्दी आ जाए ।
विकास और मुक्ता पहुंचे और तुरंत उसका इलाज चालू कराया गया बेहोश था सौरभ । आपरेशन हुआ जबड़े को ठीक किया गया ।जब तीन चार दिन में स्थिति थोड़ी नार्मल हुई तो सौरभ के घर पर पापा विनोद जी को फोन किया गया । पहले इस लिए नहीं बताया गया कि विनोद जी हृदय संबंधी परेशानी थी अभी कुछ समय पहले हार्टअटैक आ चुका था । इसलिए ऐसी खबर सुनकर फिर से प्राब्लम न हो जाए इसलिए नहीं बताया था पहले। विकास ने चाचा विनोद को आश्वासन दिया कि आप लोग परेशान न हों यहां पर हम और मुक्ता है ।
एक हफ्ते बाद सौरभ की छुट्टी हुई अस्पताल से तो विकास ने सौरभ को घर पहुंचाया।और फिर वहां पर विनोद जी और उनकी पत्नी ने सौरभ की देखभाल की ।और विकास और मुक्ता की बहुत सराहना की तुम लोगों ने इस मुसीबत के वक्त इतना साथ दिया बहुत बहुत आशीर्वाद बेटा तुम दोनों को।
विकास की ये आदत बहुत अच्छी थी कि किसी को कोई परेशानी हो तो वो वहां पर पहुंचने की हर संभव कोशिश करता था।उसकी इस आदत से विकास और मुक्ता की छवि सबके दिलों में घर कर गई थी।सौरभ के एक्सीडेंट को अब काफी समय बीत चुका था अब वो बिल्कुल ठीक हो गया था अब तो करीब दस साल से बीत चुके थे सबकुछ ठीकठाक है गया था।इस बीच विकास और सौरभ और गौरव के बीच काफी घनिष्ठता हो गई थी। अक्सर सौरभ और गौरव सपत्नीक कानपुर विकास के घर आते जाते रहते थे।और विकास और मुक्ता स्नेह और प्यार से सबको रखते थे ।
भोपाल में सौरभ और गौरव का अपना अलग घर था और उनके पापा मम्मी गांव में अपने पुश्तैनी मकान में रहते थे। अभी कुछ समय पहले विकास और मुक्ता अपने मामा के यहां इंदौर ग्रहप्रवेश में गए थे तो वहां से लौटते समय चार दिन का प्रोग्राम भोपाल का भी बनाया दो दिन सौरभ के पास और दो दिन गौरव के पास।
विकास और मुक्ता जब भोपाल स्टेशन पहुंचे तो कोई भी स्टेशन लेने नहीं आया बस यही से शुरू हो गई सब कहानी।बस घर की लोकेशन भेज दी ।कैब से विकास और मुक्ता घर पहुंच गए। लेकिन बिल्कुल ठंडा स्वागत पहली बात तो गौरव घर पर ही नहीं था
उसकी पत्नी नेहा ने चाय नाश्ता कराया विकास को गौरव का इंतजार करते करते रात के दस बज गए।आने के बाद थोड़ी औपचारिक बातचीत के बाद गौरव सोने चला गया।सुबह उठकर गौरव नाश्ता करके विकास के उठने के पहले ही आफिस चला गया। विकास थोड़ा देर से सोकर उठते थे तब-तक गौरव जा चुका था। दिनभर विकास गौरव का इंतजार करता रहा पर वो न आया तो शाम को विकास ने भोपाल घूमने का प्रोग्राम बनाया ।मुक्ता और नेहा को लेकर बाहर खड़ी ओमनी गाड़ी उठाई और निकल पड़े पर ये क्या अभी थोड़ी दूर ही पहुंचे होंगे कि पेट्रोल खत्म बड़े परेशान हुए ।
फिर किसी से लिफ्ट लेकर पेट्रोल लाया गया।जब रात को गौरव लौटकर आया तो विकास ने बताया कि यार गौरव तुम तो बिल्कुल समय ही नहीं दे रहे हो तो गौरव बोला आफिस तो नहीं छोड़ सकता न मैं।और गाड़ी में पैट्रोल डलवा कर नहीं रखते क्या थोड़ी दूर ही जाकर पेट्रोल खत्म हो गया तो क्या हुआ पेट्रोल डलवा लेते अरे डलवा तो लिया था लेकिन जहां गाड़ी खड़ी था वहां आसपास कोई पेट्रोल पम्प नहीं था । किसी बंदे से लिफ्ट लेकर पेट्रोल लाना पड़ा । अरे मैं तो कहीं गाड़ी से जाता नहीं हूं तो पेट्रोल का भी पता नहीं होता ।हद हो गई यार।
खाना लगाया गया रात का टेबिल पर तो विकास जब बैठने लगा तो टेबिल को थोड़ा धक्का लग गया । विकास थोड़ा हेल्दी है तो गौरव बोला अरे भइया ठीक से बैठो क्या तोड़ोगे क्या टेबल को ।कुल मिलाकर गौरव का व्यवहार विकास और मुक्ता के लिए अच्छा नहीं था।
दूसरे दिन विकास ने सोचा चलो छोटे भाई सौरभ के यहां चलते हैं तो पता चला कि सौरभ और उसकी पत्नी बेटे से मिलने हास्टल गए हैं जो भोपाल से दूर किसी कालेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था और हास्टल में रहता था । जबकि विकास ने दोनों को पहले से बता दिया था अपने प्रोग्राम के बारे में।कुल मिलाकर दोनों को विकास और मुक्ता का आना अच्छा न नहीं लग रहा था ।
अपेक्षित सा महसूस कर रहे थे विकास ।चार दिन बाद का टिकट था वापसी का ।तीसरे दिन सुबह-सुबह विकास ने अपना सामान समेटा और गौरव से बोला सुनो मैं तो होटल जा रहा हूं यहां अपनी बेइज्जती कराने थोड़ी आया हूं । टिकट चार दिन बाद का है नहीं तो मैं तो आज ही वापस घर चला जाता।गौरव बोला जैसी आपकी मर्जी।ये तक नहीं कहा कि होटल क्यों जा रहे हो।
भोपाल से लौटकर सारी बात विकास ने विनोद चाचा को बताई कि गौरव और सौरभ ने इस तरह से मेरे साथ व्यवहार किया तो तो विनोद जी बहुत नाराज़ हुए बेटों से कि तुम लोगों ने ये क्या किया ।घर आए मेहमान के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं । ऐसे संस्कार तो नहीं दिए हैं हमने लज्जित कर दिया तुम लोगों ने ।
बड़े भाई भाभी है तुम्हारे भले ही ताऊजी के बेटे हैं तो क्या ।और सौरभ के एक्सीडेंट के समक्ष कितना किया था विकास ने सब भूल गए क्या तुम लोग।मेरा सर शर्म से झुका दिया तुम लोगों ने ऐसी उम्मीद न थी मुझे ।चार लोगों को बताएंगे तो क्या इज्जत रह जाएगी हमारी।
दोस्तों आजकल ऐसा ही हो रहा है ।खुद तो किसी के घर जाकर खातिर तवज्जो करवाते रहो लेकिन जब कोई तुम्हारे घर आए तो सब कुछ भूल जाओ । ऐसा व्यवहार करो कि फिर से वो तुम्हारे घर आए ही नहीं । आजकल लोग रिश्ते को सहेजने में नहीं तोडने में ज्यादा लगे हैं ।
रिश्तों को संभालना तो कोई पुराने लोगों से सीखे ।दूर की जान पहचान तक में लोग किसी के घर आ जाने पर कितना सम्मान देते थे और आजकल तो लोग अपनों को ही नहीं पसंद करते आने पर । यही कारण है कि आजकल मां बाप तक बच्चों के घर अपने आपको उपेक्षित महसूस करते हैं । लेकिन आजकल रिश्तों को संभालना लोग भूल गए हैं और किसी ने आपके जरूरत पड़ने पर आपका साथ भी दिया है तो उसे भी भूल जाते हैं पलभर में ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर
26 जनवरी