हमारे घर में औरतों के लिए अलग से कुछ नहीं बनता –  सविता गोयल 

शिवानी एक मध्यमवर्गीय परिवार से थी। पिता की कमाई भले हीं संयमित थी लेकिन कभी उसके माता पिता ने अपने बच्चों की ख्वाहिशों को नहीं मारा था…..  जब वो विवाह लायक हुई तो  रूप और गुण को देखते हुए कई बड़े बड़े घरों से उसके लिए रिश्ते आने शुरू हो गए थे । शिवानी के पिताजी के एक मित्र ने एक बहुत अच्छे घर का रिश्ता बताया तो उन्हें वो रिश्ता भा गया..

लड़के वालों के यहाँ जमीन जायदाद की कोई कमी नहीं थी। उसी शहर में दो बड़े बड़े बंगले भी बना रखे थे… अपनी बेटी के सुखद भविष्य की कल्पना करते हुए उन्होंने शिवानी का रिश्ता वहाँ तय कर दिया । 

जो भी सुनता यही कहता,” बिटिया के तो भाग्य खुल गए जो इतने बड़े खानदान में शादी हो रही है । ,,

शादी भी काफी धूम धाम से हुई थी । शिवानी ने आंखों में ढेरों सपने लिए अपनी ससुराल में पहला कदम रखा। शिवानी की ससुराल में सास ससुर, एक जेठ जेठानी और एक कुंवारी ननद थी । जेठानी रमा भी मध्यमवर्गीय परिवार की हीं थी … सास उमा जी के सामने वो कभी पलटकर नहीं बोलती थीं… यंत्रवत बस जैसा उमा जी कहतीं वैसे ही उस घर में सारे काम होते थे…..

शादी के बाद मुंह दिखाई के लिए जब जान पहचान की औरतें आकर शिवानी की खूबसूरती की तारीफ करती तो उसकी सास उमा जी झट से कहतीं , ” इसकी तो किस्मत खुल गई जो हमारे घर में बहू बनकर आई है । हम तो बस शक्ल देखकर ही बहू ले आए वर्ना हमारे बेटे के लिए तो बड़े बड़े घरों के रिश्ते लाईन लगाए खड़े थे।”

पहले कुछ दिनों तक तो घर के कामों के लिए एक कामवाली बाई रखी हुई थी लेकिन कुछ दिनों बाद हीं उसकी छुट्टी कर दी गई । अब दोनों बहुएं हीं घर के सारे काम करती थीं । सुबह पांच बजे से उठकर दोनों बहुएं रात तक काम में लगी रहती फिर भी यही सुनने को मिलता था कि

” हमारे घर जैसा सुख मायके में कहाँ देखा होगा!”

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एक दिन पता चला कि शिवानी की जेठानी गर्भवती है। घर में सब खुश तो बहुत थे लेकिन जेठानी की दिनचर्या में कोई फर्क नहीं आया।   सुबह उठने में भी यदि थोड़ी देर हो जाती तो उमा जी दस बातें सुनाती थी… एक रोज रसोई में काम करते हुए शिवानी ने देखा कि रमा कुछ उदास है तो उसने पूछ लिया, ” क्या हुआ भाभी? आपकी तबियत ठीक नहीं है क्या?”

” शिवानी.. वो इन दिनों कुछ अच्छा नहीं लगता… सब्जी रोटी भी नहीं भाती… कुछ मीठा खाने को मन कर रहा है…. माँ के हाथों का मुंग दाल का हलवा आज बहुत याद आ रहा है” रमा सकुचाते हुए बोली।

” अरे, तो इसमें क्या बड़ी बात है भाभी!! मैं अभी बना देती हूँ,” शिवानी चहकते हुए बोली।

” नहीं, नहीं शिवानी, इस घर में औरतों के लिए अलग से कुछ नहीं बनता।  सासु माँ गुस्सा हो जाएंगी” रमा बोली।।

” ये क्या बात हुई भाभी, भला ऐसे समय में कौन मना करता है!! जब हमारे पड़ोस वाली भाभीप्रेग्नेंट थीं तो मेरी मम्मी भी उनके लिए कुछ कुछ बना कर देती थीं फिर मम्मी जी भला अपनी बहू के लिए क्यों मना करेंगी?? ,, शिवानी ने आश्चर्य से कहा और  बिना आगे कुछ सुने कड़ाही चढ़ा दी  जैसे ही रसोई में घी की खुशबू फैली उमा जी पारा चढ़ गया  रसोई में आकर जोर से बोलीं, ” ये घी क्यों चढ़ाया है?”

रमा तो डर से गर्दन झुकाए खड़ी हो गई लेकिन शिवानी बोली, ” मम्मी जी, भाभी का मन हलवा खाने को कर रहा है.”



इतना सुनते ही कड़कते हुए उमा जी बोलीं  ” छोटी बहू औरतों को अपनी जुबान काबू में रखनी चाहिए… हमारे घर में औरतों के लिए अलग से कुछ नहीं बनता”

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” लेकिन मम्मी जी, भाभी गर्भवती हैं और इस समय तो……

” तो क्या….. बैठे बैठे तुम लोगों को इतना कुछ मिल रहा है वो कम है क्या… ?? बाप के घर में कभी कुछ देखा नहीं और यहाँ आकर नखरे दिखा रही हो!”

सास की बात सुनकर शिवानी हैरान थी

” माफ कीजिये मम्मी जी, हमारे मायके में भले यहाँ की तरह बड़ा बंगाल गाड़ी नहीं है लेकिन हमारे माता पिता ने कभी हमारा मन नहीं मारा … आपकी तरह खाने पीने पर कभी रोक नहीं लगाई….  ये घर भले ही बड़ा है लेकिन यहाँ के लोगों की सोच बहुत छोटी है..  हमारे यहाँ तो पड़ोसी भी इस अवस्था में एक दूसरे की पसंद नापसंद का ध्यान रखते हैं लेकिन यहाँ घर की बहुएं भी अपनी इच्छा से कुछ खा नहीं सकतीं…..  यहाँ अपने से छोटे घर की बहुएं सिर्फ इस लिए लाई जाती हैं ताकि मुफ्त में आपको नौकरानी मिल जाए और आपके आगे मुंह भी ना खोले….. लेकिन मम्मी जी हमारा घर छोटा सही लेकिन हमारा दिल आपके जितना छोटा नहीं है  ..लेकिन एक बात याद रखिये मम्मी जी, जिस तरह हम इस घर की बहुएं हैं आप भी इस घर की बहू ही थीं… लगता है आपने अपने मायके में हमेशा यही भेदभाव देखा है जो आप हमारे साथ कर रही है.”

उनकी बहस सुनकर घर के पुरुष भी वहाँ आ गए… रमा के पति ने जब ये सब सुना कि उसकी पत्नी के हलवा खाने की इच्छा पर इतना बवाल हुआ तो शर्म से उसकी गर्दन नीचे हो गई… अपनी माँ को उसने साफ शब्दों में कह दिया, ” माँ हम इतना कमाते हैं लेकिन यदि हमारी पत्नी छोटी छोटी इच्छाओं को मारती रहती है तो हमारी कमाई पर धिक्कार है…. अपना रवईया बदल दीजिये नहीं तो परिवार बिखरते देर नहीं लगेगी.”

बेटे का इशारा उमा जी समझ चुकी थीं इसलिए अपनी गलती सुधारने का वचन दिया…. शिवानी की आवाज ने आज उसके मायके और ससुराल के बीच की खाई को काफी हद तक मिटा दिया था… 

 सविता गोयल 

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