कुंदन का फोटो और बॉयोडाटा दिखाते हुए उर्वशी जी ने अपने पति माधव जी को कहा…”देखिए जी ! ये लड़का हर तरह से ठीक लग रहा है | एक बार श्रेया आ जाए ऑफिस से तो उससे बात करती हूँ ।
माधव जी ने हाँ में सिर हिलाते हुए चाय पीना शुरू किया तब तक श्रेया आ गयी । श्रेया वहीं टेबल पर बैठकर फोन देखने लगी । कुंदन की फोटो श्रेया को दिखाते हुए उर्वशी जी ने कहा..”ये बहुत अच्छा लड़का है बेटा ! जैसा तुम्हें पैकेज चाहिए , जैसा स्मार्टनेस और कार्यकुशल चाहिए हर गुण इसके अंदर हैं । बस अब जल्दी से तुम हाँ कर दो तो फिर आज ही जाकर बात आगे बढाऊँ । श्रेया बारी – बारी से कभी मम्मी तो कभी पापा को देखती लेकिन मूक बनी रही ।
श्रेया को निरुत्तर पाकर अब माधव जी ने कहा…”जवाब तो दो बेटा ! पहले भी टाल – मटोल करके कितने रिश्ते ठुकरा चुकी हो । अब दो महीने बाद पैंतीस की हो जाओगी, क्या तुम सारे गुण से परिपूर्ण हो ?
श्रेया ने चीखते हुए स्वर में कहा…”हद हैं मम्मी- पापा आप भी ! मैं हाइट में ही तो सिर्फ कम हूँ बाकी और क्या बुरा है मुझमें ? कल आपलोग बात कर रहे थे सुधा चाची से तो मैंने सुन लिया था कि ये कुंदन का संयुक्त परिवार है ।
“स…संयुक्त परिवार है , तो क्या हुआ ? “माधव जी ने आश्चर्य भाव से श्रेया का मुख पढ़ते हुए कहा..”ये भी मना करने का कोई कारण होता है बेटा ? तभी श्रेया की दोनों भाभियाँ कहने लगीं…फिर हम क्यों रह रहे हैं यहाँ ? हम भी कहीं चले जाएँगे । तब श्रेया को होश आया वो क्या बोल गयी ।
श्रेया भी संयुक्त परिवार में पली – बढ़ी थी ।श्रेया के जन्म के बाद ही दादाजी की मृत्यु हो गयी थी । घर में चाचा, चाची, दादी, 2 अविवाहित बुआ और ताईजी ताऊजी साथ रहते थे । फिर जब श्रेया के दोनो भाईयों की शादी हुई तो दोनो पापा का बिजनेस संभालते थे । दोनों भाई- भाभी भी एक साथ एक ही घर में रहते थे ।
दादाजी ने ही बड़ा सा घर या यूँ कहें कि महल बनवाया था । तभी से आज तक सब साथ में हैं, बंटवारा नहीं हुआ । श्रेया को सबसे ज्यादा कुछ चुभता है तो वो है दादी का खड़ूस स्वभाव ।हर समय उसे हर छोटी बात के लिए टोकती हैं और तरीके सिखाती हैं । श्रेया को बिल्कुल बिंदास रहना पसन्द है । पर घर का ऐसा कोई कोना नहीं जो शांत और सुकून भरा हो ।
श्रेया ने आहें भरते हुए कहा..”मना करने का कारण तो है पापा ! यही माहौल मायके और यही माहौल ससुराल में नहीं चाहिए । और जब आप नहीं ही सुनना चाहते तो मेरी मर्जी क्यों पूछ रहे हैं , जो ठीक लगे कर दीजिए । उर्वशी जी ने प्यार से श्रेया के कंधे पर हाथ रखकर कुछ जैसे ही कहना चाहा श्रेया ने मुस्कुराते हुए कहा…”ठीक है मम्मी ! बात आगे चलाइये ।
शाम को माधव जी फोन करके कुंदन के घर उसके परिवार से मिलने गए । एक तो संयुक्त परिवार और इतना मिलनसार हर एक सदस्य, जैसे माधव जी को चाहिए था सब वैसे ही मिल गया । खुशी से वो गदगद हो उठे । वापस घर आकर श्रेया से बोले दो दिन बाद रविवार को देखने का दिन है । सिटी पार्क में चलेंगे बेटा , समय से तैयार रहना । श्रेया ने अपने पसन्द की साड़ी और चूड़ियाँ आदि निकाल कर रख लिया ।
रविवार का दिन आ गया ।श्रेया के मन में सबको देखने की खलबली मची हुई थी । नियत समय पर तैयार होकर वो मम्मी – पापा ताऊजी ताईजी ,चाचा और दादी के साथ चल दी । पार्क के मुख्य गेट पर ही दोनो परिवार की मुलाकात हुई । कुंदन को देखते ही श्रेया मानो फिसल गई । साँवला सलोना चेहरा, बोलती हुई आँखें और लंबा कद । हर तरह से वो पसन्द आ रहा था । अब दोनों परिवार एक जगह बैठे । बातों – बातों में पूछने का क्रम और उत्सुकता जारी थी । जब सारी बातें पूरी हो गईं तो श्रेया के पापा ने कहा..”अब दोनो बात कर लें आपस में तो अच्छा है । सारे परिवार वाले पार्क में घूमने लगे और श्रेया कुंदन को बात करने के लिए छोड़ दिया ।
कुंदन ने बातों – बातों में श्रेया के शौक और पसन्द के बारे में पूछा तो श्रेया ने कहा उसे प्रकृति प्रेम बहुत ज्यादा है । खुली वादियाँ पहाड़ झरने ये सब घूमने का बहुत शौक है । कुंदन ने खिलखिलाते हुए कहा..”हम कहीं खास जगह की योजना बनाएँगे शादी के बाद हनीमून के लिए, मुझे भी ऐसी जगह बहुत पसन्द है । ये सब सुनकर श्रेया खिलखिलाकर हँस दी ।
अब जाते – जाते कुंदन की हाँ सुनकर परिवार वालों ने कह दिया कि हम जल्दी ही शादी कर लेंगे दोनों बच्चों की तरफ से हाँ है । गाड़ी पर जैसे ही बैठी श्रेया उसकी खुशी उसके चेहरे से साफ दिख रही थी । खिड़की की ठंडी हवाओं में वह खो गयी….घर के पास पहुँची तो दोनो भाभियों ने आँख पर पानी डाला । अचानक से जैसे स्वप्न से वह जगी हो ।
शॉपिंग शुरू हो रही थी , शादी की तैयारियाँ भी अब ज़ोरों – शोरों पर थीं । बीच – बीच मे श्रेया की बात भी होती रहती ।कुंदन के सपने बुनने लगी थी वह । उसे समझ आ रहा था कि मायके के मुकाबले उसके शहर में ज्यादा खुलापन और आधुनिकता है । मज़े से ऑफिस से आने के बाद कुंदन के साथ घूमेगी , कभी बीच – बीच मे परिवार को भी समय दिया करेगी और भी बहुत मनगढ़ंत किस्से बुनती रही और शादी का दिन भी आ गया ।
खूब साज – सजावट और चमकीले रंग – बिरंगे फूलों और झालर से घर बहुत सुंदर लग रहा था । रिश्तेदार भी आ चुके थे । सभी रस्मोरिवाज के बाद वरमाला हुआ और अब शादी के मंडप पर श्रेया थी । यकीन नहीं हो रहा था उसका सपना इस कदर इतनी जल्दी सच होगा और मायके के बंधन से आजाद होकर वह ससुराल चली जाएगी । फेरे हो चुके थे अब विदाई की बारी थी । आँखों मे अपनों से बिछड़ने का दुःख तो मन में नई उमंग और उत्साह लिए वो ससुराल के दहलीज पर खड़ी थी ।
वहाँ भी खूब सारे रस्म रिवाज हुए और खाने पीने के बाद श्रेया को उसका कमरा दिखा दिया गया जहाँ वह बैठी थी । कुंदन के दोस्त उसे कमरे में जाने ही नहीं दे रहे थे । उसकी नज़र बेड से लगी खिड़की पर गयी । उसने खिड़की खोली और सामने का खुबसूरत नज़ारा देखकर भविष्य में गोते लगाने लगी..”खुबसूरत झरना, हसीन वादियाँ, ठंडी हवाएँ,
काली घटाएँ, मनोरम फूल, कलकल करती चंचल नदी, और उसके किनारे कुंदन के साथ बैठी रंग – बिरंगी तस्वीर खिंचाती श्रेया । जितने सपने देखे थे अपनी पसन्द के आधुनिक ड्रेस पहनने के सप्ताह के हर दिन वह एक – एक पहन डाली ।
फिर कुंदन के कहे अनुसार क्लब, डिस्को, स्विमिंग पूल, रिजॉर्ट, रेस्टोरेंट सब कुछ कितना सुखद है । अहा ! असल में अभी तो जन्नत आयी हूँ । पति का प्यार बस हमेशा मिलता रहे और ये चेहरा वादियों सा खिलता रहे, बस जीवन मे फिर कोई काश न हो और किसी अन्य चीज की तलाश न हो ।
काफी तेज शोरगुल का शोर सुनाई दे रहा था । ऐसा लगा कोई ज़ोर से दरवाजे पर दस्तक दे रहा है । कब भविष्य के सपने देखते – देखते श्रेया नींद की आगोश में आ गयी पता ही नहीं चला । अचानक से श्रेया की नींद खुली तो भीड़ देखकर वह हड़बड़ा उठी ।सामने सबसे पहले दादी के आशीर्वाद ली और दादी ने कहा जल्दी से पोते का मुँह दिखाओ तो श्रेया के तन बदन में जैसे लहर दौड़ गयी । और वह सिर पर घूँघट डाले उनके साथ बाकी लोगों का आशीर्वाद लेकर कुंदन को तरेरती हुई अपनी जगह पर बैठ गयी । सबके जाने के बाद कुंदन ने श्रेया से माफी माँगते हुए मुस्कुराकर कहा..दोस्त मेरे बहुत नालायक हैं । श्रेया को भी मन में सोचकर हँसी तो कभी गुस्सा आ रही थी वो कहाँ ख्वाबों में खो गयी थी।
अगले दिन श्रेया कमरे में बैठी थी और कुंदन ने हनीमून पैकेज दिखाते हुए कहा..”चलो फाइनल करते हैं कहाँ घूमना है । श्रेया ने भी हामी भरते हुए कहा..”मॉल जाकर मुझे कुछ शॉपिंग भी करना है । तभी ऑफिस से कॉल आया तो पता चला तीन महीने कोई छुट्टी नहीं मिलेगी अब । श्रेया का मन तो खीझ गया पर फिर भी वह चुप रही । कुंदन ने कहा..”उदास मत हो, इसी महीने में थोड़ी न जाना जरूरी है । बीतने देते हैं दो महीने फिर बाद का प्लान करेंगे ।
देखते देखते दो महीने बीत गए । अब कुंदन सोच रहा था कि घर मे बता दे उसने शिलांग फाइनल किया है । उस दिन शाम को श्रेया चाय बना रही थी , उसे गर्मी सी लगी और सबको चाय देने के बाद खुद पीने की सोची तो उल्टी आ गयी , उसका सिर घुमा और वह बेहोश हो गयी । दादी की नज़र पड़ी तो वह चीख कर सबको इकट्ठा कीं ,पानी के छींटे डालने पर जब होश नहीं आया फिर डॉक्टर को बुलाया गया ।
डॉक्टर ने जाँच किया तो पता चला श्रेया गर्भवती है । अब घर में खुशियों की लहर दौड़ गयी । कुंदन की माँ ने सबको बारी बारी से फोन मिलाया ।
तब तक श्रेया को होश आ गया था और सबकी खुशी को देखते हुए उसका मन खुन्नस से भर रहा था, हनीमून गले की फांस बन रहा था, और आँखों में सजे ख्वाब रेत की तरह चुभ रहे थे ।
सच में लगा जैसे अरमानों पर किसी ने पानी डाल दिया ।
दादी बलाएँ लेते नहीं थक रही थीं और श्रेया ये सोचते नहीं थक रही थी..”हाय रे हनीमून ! हाय ये संयुक्त परिवार ! ये दादी तो मायके वाली दादी से भी ज्यादा खतरनाक लग रही थीं ।
श्रेया की नजरें उस चोर को ढूंढ रही थीं पर वह दादी के आँचल की छाँव तले सुकून पा रहा था और पत्नी के पास जाने के लिए हिम्मत बटोर रहा था ।
मौलिक, स्वरचित
अर्चना सिंह
#संयुक्त परिवार