आजकल कहां सच्चे रिश्ते मिलते हैं,मुंह के आगे कुछ और पीठ पीछे कुछ और होते हैं।”मीनू ने अपनी बुआ से रिश्तो के ऊपर अपने विचार रखते हुये कहा।
“ऐसा नहीं है,बस आजकल मैं बड़ा ,मैं बड़ा वाली भावनाओं का बोलबाला ज्यादा है ।रही बात आगे कुछ और पीछे कुछ और वो शायद हर कोई एक दूसरे के आगे अपना अच्छा वाला मुखौटे लेकर घूमने का आदी हो चुका है,जिसमे भावनायें आहत होती हैं लेकिन रिश्ता खरा नहीं रह पाता।”बुआ जी ने परिवर्तन के अनुभव को सांझा करते हुये कहा ।
“उन दिनों की बात अलग थी ,जब आप लोग रिश्ते निभाया करते थे।तब लोगों के अंदर भावनाये हुआ करती थी।”मीनू ने अपनी बात रखते हुये कहा।
“ऐसा नहीं है,आप भला तो जग भला,आजकल के परिवेश में मुझे क्या लगता है?लोग रिश्ते निभाने की उम्मीद दूसरो से रखते हैं जब अपनी बारी आती है तो आइसोलेट हो जाते हैं।हमारे जमाने में रिश्ते खरे इसलिये रहते थे क्योकि उनमे मन की भावनायें चेहरे पर साफ दिखायी देती थीं।प्यार है तो वो भी ,और गुस्सा है तो वो भी।अब कुछ नहीं पता चलता सारी भावनायें खोखली मुस्कान के मुखौटों के नीचे दब गयी है पता ही नही चलता ।अब तुम ही देख लो अभी दो दिन पहले तुम आभा (दोस्त)की मुझसे कितनी बुराई कर रही थी ,लेकिन आज सुबह जब वो आयी थी तब तुम्हारा उसके साथ मेल मिलाप देखकर मुझे ही दो दिन पहले की मेरे सामने हुई बात पर शक होने लगा था।”बुआजी ने अपनी बात को रखते हुये कहा।
“आप भी कमाल करती हो बुआजी ,अब उसके मुंह पर उसकी बुराई करती क्या?मुंह के आगे तो हंस कर ही बात करनी पड़ती है।”मीनू ने थोड़ा हिचकिचाते हुये कहा।
“यही होता है ,जब तुम खुद से ईमानदार नहीं हो रिश्ते में तो दूसरे से क्या गिला?तुमहारी ही तरह 90%लोग की थिंकिंग होती है आजकल।जितना कुछ आभा के बारे में तुमने मुझसे कहा ,जबकि मेरा कोई लेना देना नही उससे।तुम उससे तुम्हारी नाराजगी उससे ही जाहिर करती तो रिश्तों में गहराई आती।वो तुम्हें समझती तुम उसके फलसफे समझती तो रिश्ते में गहराई आती।अपनी भावनाओको,ईमानदारी से जताना रिश्तों को लम्बे समय तक जिंदा रखता है।बस आप गुस्से और खुशी में शब्दों की मर्यादा का ध्यान रखे ,क्योंकि भावनाओकी अपनी मर्यादा होती है।”कहते हुये बुआजी ने एक पल मीनू के लटके चेहरे को देखते हुये “मेरा तुम्हारा मन दुखाने का बिल्कुल मन नही था,बस मैं यह समझाना चाहती हूं कि जिसके विषय में जो बात हो अच्छी या बुरी वो आप उससे कहो ,अपनी भावनाओ को ईमानदारी से निभाना सीखो तो रिश्तों में आज भी वो खरापन तुम्हें खुद ही मिल जायेगा।”
मीनू मुस्कुराते हुये अपने कमरे में चली गयी,जैसे अपने मन की गिरह में कुछ टटोल रही हो।
आपकी दोस्त
स्मिता सिंह चौहान