गुरूर. – विनोद सिन्हा “सुदामा” : Moral Stories in Hindi

सलमा बेगम को जैसे ही खबर मिली की उनकी बेटी जन्नत गैस सिलेंडर फट जाने एवं घर में आग लग जाने से बुरी तरह जल गई है और उसे हॉस्पिटल ले जाया गया है.. सब-कुछ छोड़ बताए हॉस्पिटल की ओर दौड़ी दौड़ी भागी..

जहां उनकी बेटी जन्नत ज़िंदगी और मौत से जुझ रही थी,

वो तो पड़ोस में रहने वाली गायत्री देवी की बहू अदीति थी जिसने उसको बचाया और मुहल्ले वालों के साथ मिलकर हॉस्पिटल पहुंचा दिया था..

जन्नत की हालत बिलकुल नाजुक थी,उसके बचने के आसार बिल्कुल कम थे..डॉक्टर्स ने किसी को भी पास जाने से मना कर रखा था ,

सलमा बेगम किसी तरह अपने मुँह पर दुपट्टा बांध खिड़़की से अंदर झाँक कर अपनी मरती हुई बेटी को देख रही थी..बेटी की यह हालत देखकर उनका कलेजा फटने को आया था..

बदहवास सलमा बेगम ने इधर उधर नज़र घुमाई पर जन्नत के ससुराल वाले कहीं नहीं दिख रहें थे..

सिर्फ़ गायत्री देवी और उनकी बहू और एक दो मुहल्ले वाले खड़े थे जिन्होंने जन्नत को एंबुलेंस में डालकर जल्दी जल्दी अस्पताल ले आए थे..

गायत्री देवी सलमा बेगम का ढांढस बांध रही थी,

कुछ नहीं होगा बहन इत्मीनान रखें

जन्नत बिल्कुल ठीक हो जाएगी,डाक्टर देख रहें हैं न वो सब संभाल लेंगे..

लेकिन सलमा थी कि बेटी को इस हाल में देखकर फफक-फफक कर रो रही थी और आंसू बहाए जा रही थी..

रह-रहकर अपनी बेटी जन्नत के रोने और कहारने की आवाज को सुनकर सलमा जी खिड़की से अंदर वार्ड में देखने लगतीं और फफक रोने लगतीं. ..

या खुदा…क्या हाल हो गया है बच्ची का..

सलमा जी ही जानती थी कि शौहर के इंतकाल के बाद कितनी मुश्किलों से पाला था उन्होंने जन्नत को,कितने अरमानों से असलम के साथ निकाह किया था उसका, लेकिन उस लोभी दरिंदे ने उनकी बेटी का क्या हाल कर दिया था..

कितनी बार जन्नत ने कहा उसे अम्मी मुझे ले चलो यहां से,मेरा शौहर रोज़ शराब पीकर आता है और मुझे रोज़ गाली-गलौज करता है,रोज़ मुझे पीटता है.. मुझे किसी तरह तलाक दिलवा दो इस दरिंदे से,मेरे ससुराल वाले भी मेरा साथ नही देतें खुद के बेटे का पक्ष लेते हैं,कभी कभी तो वो लोग भी मिलकर पीटते हैं मुझे,

लेकिन वो बेवा थी और उनकी अपनी कई मुश्किलें थी ऐसे में सलमा जी दुनिया जहान और लोक लिहाज का वास्ता देकर उसे समझा देती,औलाद हो जाएगा तो ठीक हो जाएगा.. परंतु दो दो औलाद हो जाने के बाद भी असलम का रवैया जन्नत के प्रति नहीं बदला,रोज़ शराब पीकर घर आता और शराब के नशे में जन्नत को गाली देता और खूब पीटता..

सलमा बेगम सोच सोच कर टेंटुआ बहाए जा रहीं थी…,काश वो बेटी की सुन लेतीं..तो आज़ ये दिन नहीं देखना पड़ता,आज़ उनकी बेटी जन्नत का यह हाल न होता..

इधर पुलिसकर्मीयों के आने पर पता चला कि जन्नत का शौहर व ससुराल वाले दोनों बच्चों को लेकर शहर छोड़कर कहीं भाग खड़े हुए थे, इसलिए कोई नहीं आया था उसे देखने,यह हादसा था या इरादतन हत्या की साज़िश खुदा जाने पर सलमा जी जानती थी,कोई आता भी तो किस मुँह से आता सामने, इतने जुल्म किए हैं उन्होंने उनकी बेटी पर..लेकिन सलमा जी माँ थी और एक माँ ही होती है जो किसी भी परिस्थिति में अपने बच्चों का साथ नही छोड़ती..

दिन रात बेटी के पास अस्पताल में डटी रहीं साथ में गायत्री देवी व उनकी बहू अदीति भी सलमा बेगम के साथ खड़ी उन्हें हिम्मत देती रहीं..

सलमा बेगम ने गायत्री देवी व उनकी बहू अदिति का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने उनकी बेटी की जान बचा ली थी,

सलमा बेगम बहू अदीति के कहने पर पूछताछ को आए पुलिसकर्मी को बताया कि उन्हें यह हादसा नहीं बल्कि इरादतन कत्ल की कोशिश लग रही, उन्होंने ससुराल में बेटी पे हुए सारे जुल्म का कच्चा-चिट्ठा पुलिसकर्मी को बता डाला,कैसे उसका शौहर व उसके ससुराल वाले उसे रोज़ पीटते थे..उसके साथ गाली-गलौज करते थे..!!

इस बीच जन्नत को भी थोड़ा होश आया तो उसने भी अपनी आप बीती पुलिस वालों को बता दी कि कैसे आये दिन उसका शौहर और उसके सास ससुर पीटते थे, उसके साथ गाली-गलौज करते थे,उसको भूखा रखते थे ,उसको अपने वालिदा से पैसे लाने को कहते थे.. यहां तक उसके दो बेटों को भी उससे जुदा कर रखा था..

जन्नत के बयान से पुलिस को उसके ससुराल वालों द्वारा जन्नत के इरादतन कत्ल का पक्का सबूत मिल गया था, उन्होंने जन्नत व उसकी अम्मी को भरोसा दिलाया कि वो उसके शौहर व उसके ससुराल वालों को ढूंढ कर कड़ी से कड़ी सजा दिलाएंगे एवं उसके दोनों बच्चों को उसके हवाले कर देंगे ..

ये सब देख सुन आज गायत्री देवी को अपनी बहू पर बड़ा #गुमान हो रहा था,गर्व से जाति चौड़ी हो गई  थी उनकी, #गुरूर हो रहा था उन्हें कि उन्हें ऐसी बहू मिली जिसकी हिम्मत व समझदारी से आज़ एक बेटी बच गयी थी,एक बहू बच गयी थी…

इससे  पहले कि बहू कुछ समझती उन्होंने पास बैठी बहू अदिति को प्यार से गले लगा लिया..

अदिति अपनी सास से कुछ पूछती गायत्री देवी ने बहू को पुनः ममता की एक झप्पी दे डाली…

देखा जाए तो यह घटना समाज के लिए एक आईना है,

धर्म या मजहब कोई भी हो,बेटी किसी की भी हो उसे मरने नही दें बल्कि उसका ज्यादा ध्यान रखें…

माना लड़़की वाले बेटी का कन्या दान करते है परंतु उसे कष्ट उठाने या उसे जिंदा जलाने के लिए ससुराल नही भेजते.. उसे प्रताड़ित करने से पहले एक बार जरूर सोचे कि हम जो करने जा रहे है… उसका गंभीर परिणाम भी हमें ही भुगतना होता है..

जो लड़की आपके घर बहू बनकर आती है, वो भी किसी की बेटी है, किसी माँ के कलेजे का टुकड़ा है। आप उसके सपनों को पूरा करने में उसकी मदद करिए न कि दहेज/मेहर के लिए अपनी बहू को परेशान करिए..

बेटी बचाईए बेटी पर गुमान करिए… गुरूर किजिए… अभिमान किजिए न कि अफ़सोस…

विनोद सिन्हा “सुदामा”

#गरूर 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!