शारदा की शादी के कुछ महीने बाद ही उसके देवर मदन की शादी हुई ,और शारदा को घर में एक छोटी बहन के रूप में कृष्णा मिली ।
दोनों की आपस में बहुत बनती थी, घर के कामों को दोनों मिलजुल कर पूरी लगन से करती सास ,ननद देवर सब यही कहते कि इन दोनों में सगी बहनों सा प्यार था।
उनकी सास हमेशा कहती कि मेरी बहूओ को किसी की नजर ना लगे उन्हें अपने लड़कों से ज्यादा अपनी बहुओ पर गुरुर था। वह दोनो फूलीं न समाती
समय के साथ-शारदा और कृष्णा दोनों मां बनी जहां शारदा ने एक एक करके तीन लड़कियों को जन्म दिया वही कृष्णा ने तीन लड़कों को ….उन दोनों के मन में लड़के लड़कियों को लेकर कोई भेदभाव में न था दोनों एक दूसरे के बच्चों को एक समान ही देखती थी।
पर कहते हैं वक्त बदलते देर नहीं लगती एक बार जब कृष्णा कुछ समय के लिए अपने मायके गई, वहां से लौटने पर उसका अपनी जेठानी शारदा के प्रति व्यवहार बदल गया अब बह न उसके पास ज्यादा उठाती बैठती और न किसी काम में उसका साथ देती।
धीरे-धीरे उसका बदला हुआ रूप सभी के सामने आने लगा वह बच्चों में भी भेदभाव करने लगी। और कृष्णा ने धोखे से मकान और जमीन अपने लड़कों के नाम करवा ली।
बच्चे जब स्कूल जाने लायक हुए तो उसने अपने पति से लड़कियों का एडमिशन सरकारी स्कूल और अपने लड़कों को अच्छे स्कूल में एडमिशन करवाने की बात की। उसके कहना था की लड़कियों को ज्यादा पढ़ाई करवाने की क्या जरूरत है? …… कौन सी उनसे कमाई करवानी है। उन्हें जाना तो पराए घर ही है। लड़कों की पढ़ाई जरूरी है , मैं अपने बेटों को डॉक्टर इंजीनियर और टीचर बनाऊंगी। उसे अपने तीनों लड़कों पर बहुत गुरूर था
यह बात जब घर में मकान और जमीन के बारे में सभी को पता चला तो बहुत हंगामा हुआ शारदा ने कहा , छोटी तुझे अपनी लड़कों पर गुरूर है तो मुझे अपनी लड़कियों पर गुरुर है , मैं उन्हें किसी पर बोझ नहीं बनने दूंगी …..मेरी लड़कियां मेरा स्वाभिमान है ,उसी दिन से शारदा सास ससुर के साथ पुराने मकान में रहने लगी।धीरे-धीरे दोनों के बच्चे बड़े होते गए जहां एक ओर शारदा की लड़कियां पढ़ाई के साथ-साथ घर के कामों में उसका हाथ बंटाती और मन लगा कर पढ़ाई करती… और अपने पैरों पर खड़ी होकर, ससुराल में नौकरी के साथ-साथ अपने घर की जिम्मेवारी निभा रही हैं।
वही दूसरी ओर कृष्णा के लड़के ज्यादा लाड़ प्यार और बिना रोक-टोक के कारण बिगड़ते गये। गुंडा गर्दी के साथ साथ शराब भी पीने लगे …..और और जब कृष्णा ने शराब के लिए पैसे देना बंद कर दिया तो वह मां पर हाथ उठाने से भी ना चुके।…. उसके तीनों लड़कों का यही हाल था अब कृष्णा और उसके पति अत्याधिक बीमार रहने लगे।
घर की सारी जमा पूंजी व जमीन गिरवी रख दी। लड़कों ने घर बर्बाद कर दिया …..अब तो दो वक्त भोजन के भी लाले पड़ने लगे। ऐसी हालत होने शारदा से रहा नहीं गया……. उसने दूसरो की मदद से जमीन व मकान खरीद कर लड़कियों के करवा दिए ….जब कृष्णा और उसके पति को यह बात पता चली तो दोनों पति-पत्नी ने घर जाकर हाथ जोड़कर अपने किए पर पछताते हुए माफ़ी मांगी और रोते हुए कहने लगे, भाभी मेरे लड़कों ने मेरा गुरूर तोड़ दिया।
जिन्हें मैं पराया धन समझता रहा उन्हीं लड़कियां ने हर जगह आपके गुरुर को बढ़ाया है … शारदा ने कहा वह मेरी नहीं तुम्हारी भी तो बेटियां है , अच्छा अब “‘बीती बातें छोड़कर आगे की सुधि होय ” हमें अपने लड़कों को सही राह पर लाना है…. शारदा की बात सुन कृष्णा उसके गले लग कर रोने लगी शारदा ने उसे माफ कर छोटी बहन की तरह सीने से लगा लिया।
श्रद्धा खरे ©®
स्वरचित
ललितपुर (उत्तर प्रदेश)