गुरूर. – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

भैया आप माँ को कुछ दिनों के लिए अपने घर में रख सकते हैं क्या ?

पल्लवी ने फोन पर राजीव से कहा ।

राजीव ने कहा कि क्या बात है बिटटो माँ को कुछ हुआ है क्या या फिर तुम्हारे पति ने कुछ कहा है ?

नहीं भाई ऐसी कोई बात नहीं है । आजकल माँ की तबियत ख़राब चल रही है साथ ही मेरी सासु माँ भी एक हफ़्ते पहले आ कर यहीं रह रहीं हैं । वे माँ को बातें सुना सुनाकर सता रही है । इसलिए मैं चाहती हूँ कि माँ थोड़े दिन शांति से आपके साथ रहें ।

मुझे मालूम है भाई कि भाभी माँ को पसंद नहीं करतीं हैं । लेकिन मेरी भी मजबूरी है ।

राजीव ने कहा कि तू फ़िक्र मत कर मैं उसे लेने आ जाऊँगा । इतने दिनों से तुम दोनों ने माँ को अपने पास रखा यही मेरे लिए बहुत बड़ी बात है । मैं कल आ जाता हूँ ।  उन्हें अपने साथ ले आऊँगा ।

उसी समय पीछे से आवाज़ आई थी कि किसे लाने की बात कर रहे हैं । अपनी माँ को और किसे लाऊँगा । मैं कहे देती हूँ राजीव तुम्हारी माँ इस घर में नहीं आएगी ।

वाहहह किरण जब तक माँ अच्छी थी काम कर सकती थी तब तो माँ तुम्हें बड़ी अच्छी लगती थी । उनका खूब इस्तेमाल किया और जब तुम्हारे बच्चे बड़े हो गए और हॉस्टल में पढ़ने चले गए हैं तो माँ तुम्हारे लिए बोझ बन गई थी ।  तुमने बेरहमी से माँ को घर से बाहर निकाल दिया था । मैं चुप हूँ इसका मतलब यह नहीं है कि मैं तुम्हारी हर बात का सपोर्ट करता हूँ ।

राजीव क्या कर लोगे बोलो? तुम जानते हो ना कि तुम्हारी माँ यहाँ आई तो मैं घर से बाहर चली जाऊँगी ।

राजीव ने भी कह दिया था कि देखो किरण मैंने तो सोच लिया है कि अब मैं तुम्हारी बातों को नहीं सुनने वाला हूँ । तुम क्या जाओगी घर से बाहर मैं ही अपनी माँ को लेकर चला जाऊँगा कहते हुए वह कॉलेज चला गया था । राजीव शहर के एक बहुत बड़े कॉलेज में लेक्चरर है।

वह कॉलेज पहुँचते ही अपने दोस्त सौरभ को फ़ोन करके बुला लिया और उससे अपनी समस्या के बारे में बताया।

सौरभ ने कहा कि इसका एक ही उपाय है वह यह कि यहाँ शहर में बहुत ही अच्छा वृद्धाश्रम है माँ को वहाँ भर्ती करा देते हैं ।

राजीव ने कहा कि सौरभ मेरी माँ बचपन से मुझे अपना गुरूर मानती थी और कहतीं थीं कि मैं अपने परिवार का ध्यान रखूँ और आज मैं ही उन्हें वृद्धाश्रम में भर्ती करा दूँ कितनी शर्म की बात है ।

दुनिया मुझ पर थू थू करेगी । राजीव ने कहा कि देख सौरभ मैं एक काम करता हूँ मैं माँ को अपने साथ रख नहीं सकता हूँ क्योंकि मेरे जाने के बाद पूरे दिन माँ अकेले रहेगी इसलिए मैंने सोचा कि माँ को वृद्धाश्रम में भर्ती करा दूँगा । उस वृद्धाश्रम के पास ही एक कमरा ले कर रहने लगूँगा ताकि माँ को सुबह शाम देखने जा सकूँगा और ज़रूरत पड़ने पर उनके काम आ सकूँगा ।

सौरभ ने कहा कि राजीव फिर किरण का क्या होगा ?

उसे मैं नहीं समझा सका इसलिए सब कुछ समय पर छोड़ देता हूँ ।

राजीव अपनी माँ को लेने बहन के घर पहुँचा ।

उसने बहन और जीजा जी को बता दिया था कि वह माँ को वृद्धाश्रम में भर्ती करा रहा है क्योंकि किरण ने साफ़ साफ कह दिया है कि दोनों में से कोई एक ही घर में रहेगा । इतने साल उसने किरण की बातों को सुना क्योंकि बच्चे छोटे थे आज बच्चे हॉस्टल में पढ़ने के लिए चले गए हैं और वे सब समझ सकते हैं । किरण साथ ही नहीं रहना चाहती है तो मैंने उसे आज़ादी दे दी है । वह नौकरी करती है तो अपनी ज़िंदगी जी सकती है ।

अब मैं अपनी माँ को समय देना चाहता हूँ । इसलिए मैंने फ़ैसला कर लिया है कि वृद्धाश्रम के पास ही घर किराए पर लेकर रहूँगा । माँ की देखभाल करूँगा ।

माँ को लेकर बहन के घर से निकल कर वृद्धाश्रम की तरफ़ जाने लगे तो माँ ने कहा कि राजीव हम घर नहीं जा रहे हैं ।

राजीव ने कहा कि मैं आपको सब बताता हूँ माँ कहते हुए उन्हें अपने घर लेकर गया । उन्हें किरण की सारी बातें बता दिया ।

माँ ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की थी कि इस तरह से अपना घर नहीं तोड़ । मेरा क्या है मैं कितने दिन जियूँगी यह भी नहीं पता ।

 तुम अपने परिवार के साथ खुश रहो बेटा । मैं आश्रम में रह लूँगी तू मेरी फ़िक्र मत कर । इस उम्र में तुम दोनों को अलग अलग नहीं रहना चाहिए । तुम्हारा कॉलेज भी यहाँ से बहुत दूर है

मेरी बात मान ले बेटा ।

 राजीव ने उनकी एक नहीं सुनी और वह वहीं पर एक कमरा किराये पर ले लिया । उसे सुबह तो नहीं परंतु शाम को माँ से मिलने का समय मिल जाता था वह उनके साथ ही रात का खाना खाता था ।

वह बीमार हो जाती थी और आश्रम से फोन आता था तो उन्हें अस्पताल ले जाता था । उसे अच्छा लग रहा था कि वह माँ के लिए कुछ कर रहा है । बहन बहनोई आकर देख कर जाते थे । बच्चे फोन पर बात कर लेते थे ।  एक किरण ही ऐसी थी जिसने एक बार भी माँ का हाल पूछा नहीं था । राजीव को उसकी कोई फ़िक्र नहीं थी । वह किरण को अच्छे से जानता था ।

राजीव को काम से बाहर जाना था तो उसने आश्रम में लोगों को बता दिया था कि उसे आने में दो दिन लग जाएँगे । उसके जाने के बाद माँ की तबियत ख़राब हो गई थी । वह ख़बर मिलते ही आश्रम पहुँच गया परंतु माँ तब तक इस दुनिया को छोड़कर चली गई थी । उसने राजीव के लिए एक खत छोड़ दिया था ।

माँ का क्रियाकर्म ख़त्म होने के बाद राजीव ने अपनी माँ की चिट्ठी को पढ़ने के लिए बैठा उसमें लिखा था कि राजीव बेटा बहुत बहुत प्यार

मैंने तुम्हारे पिताजी के गुजरने के बाद तुम दोनों को बहुत ही लाड़ प्यार से पाल पोसकर बड़ा किया था । तुम दोनों मेरे गुरूर हो बेटा । इतने दिन दामाद ने भी मुझे अपना बनाकर अपने पास रखा था । इसके लिए मैं उनकी आभारी हूँ ।

बेटा मुझे किरण से भी कोई शिकायत नहीं है । मुझे दुख इस बात का था कि तुमने मेरे लिए किरण से दूरी बना ली थी ।

तुम्हें मालूम है कि उस दिन किरण मेरे पास माफी माँगने आई थी । वह बिचारी बहुत दुखी थी मैंने उसे समझा बुझाकर यह कहकर भेज दिया था कि मैं तुम्हें उसके पास वापस भेज दूँगी ।

ईश्वर ने मेरी सुन ली है शायद । मुझे लगने लगा है कि मैं ज़्यादा दिन नहीं जी सकूँगी । मेरी बात मानकर तुम दोनों साथ रहने लगोगे तो मेरी आत्मा को शांति मिलेगी ।

अच्छा बेटा अब बंद करती हूँ हाथ काँप रहे हैं और आँखें बंद होती जा रही है ।

मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा।

तुम्हारी माँ

राजीव ने पत्र पढ़ा और आँखें बंद करके बैठ गया था उसे लगा कि किसी ने उसके सर पर हाथ फेर रहा है ।

आँखें खोलकर देखा तो किरण थी । उसने राजीव से माफी माँग ली । राजीव ने भी उसे माफ कर दिया और उसके साथ घर चला गया ।

के कामेश्वरी

#गरूर 

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