गृहलक्ष्मी का हक – अंजना ठाकुर : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : इस बार निशा ने निर्णय कर लिया था की वो अपने ससुराल दिवाली के लिए नही जाएगी अब और अपमान वो सहन नही करेगी नितेश को जाना है तो जाए ।

निशा को मालूम था उसका निर्णय आसान नहीं है मनवाना पर ये पहल करनी ही पड़ेगी।

निशा की शादी को चार साल हो गए थे उसका ससुराल पास के शहर मै ही था सास ने सख्त लहजे मै कहा था की हर त्योहार पर घर की गृहलक्षमी का होना जरूरी है ये बात सुन निशा को भी खुशी हुई की सास उसे मान देती है वो भी खुशी खुशी पहले ही चली जाती और सब तैयारी भी जोश से करती नितेश तो वैसे भी अपनी मां के लाडले है तो उनको मनपसंद चीज़े और मां का लाड़ मिलता तो वो भी आतुर रहता जाने के लिए।

दो साल तक सब कुछ अच्छा चला तीसरे साल निशा के देवर की  शादी हो गई वो मां,बाबूजी के साथ ही रहता था उसकी पत्नी देविका को हर त्यौहार पर निशा का आना अच्छा नही लगता

वो निशा को अहसास दिलाती की ससुराल उसका है निशा तो मेहमान है ।

पहली दिवाली पर सब इक्कठे हुए निशा पकवान बनाने की तैयारी करने लगी उसने महसूस किया की मांजी सारे निर्देश देविका को ही दे रही थी ,देविका देखो तुम इस घर की गृहलक्ष्मी हो तो इस घर की मान का तुम्हे ही ख्याल रखना है सब अच्छे से करना और निशा तुम्हारा हाथ बंटा देगी।

निशा को पहले तो बुरा लगा देविका के आने से पहले मांजी उस से यही कहती थी फिर उसे लगा कि जिम्मेदारी दे रही है तो वो चुप रही !पर हर बात मैं देविका को ही लक्ष्मी होने का मान मिल रहा निशा को अपने ही ससुराल मैं परयापन महसूस हो रहा था !देविका भी निशा को जलाने के लिए आगे आगे काम कर रही थी ।

पर दिवाली वाले दिन तो हद ही हो गई मांजी और पिताजी के बाद निशा और नितेश पूजन करते पर इस बार मांजी ने देविका और रितेश को पहले बोला की नई गृहलक्ष्मी के हाथों पूजा होनी चाहिए ,निशा अभी भी चुप रही पर उसे महसूस हो रहा था की देबिका के आने से क्या वो अब गृहलक्ष्मी नही रही ।

निशा बिना कुछ कहे अपने घर वापस आ गई उसकी सास का बर्ताव भी बदल चुका था अब वो फोन भी कम करती और त्योहार पर आने की जिद भी नही करती थी ।

इस बार दिवाली पर उसने फैसला कर लिया की अब वो ससुराल नही जायेगी ,नितेश ने कहा निशा चलो तैयारी कर लो दिवाली पर जाने की

निशा बोली मैं अब नही जाऊंगी जहां अब मेरा कोई सम्मान नहीं है ।

क्या हुआ नितेश बोला ।

निशा ने सारी बात बताई तो नितेश बोला तुमने मुझे पहले क्यों नही बताया मै मां को मना कर देता हूं हम अपने घर दिवाली करेंगे तुम मेरे घर की गृहलक्ष्मी हमेशा रहोगी।

नितेश की बात सुनकर निशा की आंख मैं खुशी के आंसू आ गए ,उसने कहा आपको जाना है तो आप जा सकते हो घर मैं और दिया यहीं रह लेंगे

नितेश बोला पागल हो क्या त्योहार पर तुमको अकेला छोड़ दूं क्या ।

दिवाली पर सास को घर अधूरा अधूरा लग रहा था ,अपनों के बिना दिवाली का त्यौहार फीका लग रहा था

नितेश से कारण पता लगा तो उन्हे अपनी गलती का अहसास हुआ उन्होंने निशा से बात करके अपनी गलती मानी और कहा की तुम लोग आ जाओ घर गृहलक्ष्मी के बिना अधूरा हो तुम दोनो को बराबर हक मिलेगा ।

निशा खुशी खुशी तैयारी करने लगी।।

स्वरचित

अंजना ठाकुर

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!