गौरी दीदी – कान्ता नागी

#बड़ी_बहन 

गौरी अपने भाई सुमित से अगाध स्नेह करती थी,उसका एक ही सपना था सुमित पढलिखकर अपने पैरों पर खड़ा हो जाए।गौरी के पापा बैंक मे मैनेजर और मां मंजरी देवी कुशल गृहिणी थी।

गौरी जब भी अपने घर की छत पर जाकर आकाश पर उड़ते विमान को देखती तो सोचती -वह भी एक दिन विमान चालक बनकर विमान उड़ाएगी। उसकी मां सदा उसे प्रोत्साहित करते हुए कहती -कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। गौरी अपने सपने को साकार करने के लिए अथक परिश्रम कर रही थी उसकी मेहनत रंग लाई।

एक एक करके उसने सारी प्रतियोगिताओं में सफलता हासिल कर ली थी अगले सप्ताह उसकी ज्वाइनिंग की तारिख थी पर इधर कई दिनों से देख रहीं थी कि उसका भाई सुमित अजीबोगरीब हरकतें कर रहा था।जब भी वह कुछ पूछती -वह कन्नी काट कर चला जाता।

रविवार का दिन था,पापा अखबार पढ़ रहे थे और मां नाश्ता बना रही थी। इतने में रामू धोबी कपड़े लेने आया,गौरी उसे कपड़े देने से पहले सुमित की पोशाक की जेबें देख ही रही थी कि उसे एक पुड़िया सी मिलीं वह एक कोकिन की पुड़िया थी जिसे गौरी ने छुपा दिया।

अब गौरी को समझ मे आ गया सुमित की हरकतों का राज, उसने मन ही मन निश्चय कर लिया कि वह अपने भाई को इस दलदल मे गिरने से बचाएगी।


मैडम मारिया उनके घर के पास ही रहती थीं, गौरी ने जाकर उन्हें सारी बातें बताई तो उन्होंने भी कहा कि आजकल सुमित बंक मारकर स्कूल से गायब हो जाता है। दोनों ने मिलकर एक योजना बनाई उसे कार्यान्वित करने का मौका मिल ही गया।उसके माता-पिता एक कार्यक्रम में चले गए और सुमित अपने दोस्तों से मिलने चला गया।

जैसे ही शाम को वह वापस आया तो घर में ताला लगा देख वह सोचने लगा,दीदी आखिर कहां गई होगी।?

पड़ोसी अंकल ने कहा -गौरी बिटिया मैडम के साथ उनके घर गई है।

सुमित जब मैडम के घर गया तो यह देखकर हैरान रह गया कि उसकी दीदी जिन्हें वह अपना आदर्श मानता था,वह मैडम के साथ बैठकर शराब पी रही थी।

सुमित ने जब गिलास लेना चाहा तो उसे धक्का देते हुए कहा -तुम होते कौन हो?तुम मेरे भाई नहीं हो, चलें जाओ।

सुमित रोते हुए अपनी गौरी दीदी के पैरों पर गिरकर बोला -दीदी मुझे माफ कर दो,आज से मै कसम खाता हूं कि सभी बुरे दोस्तों का साथ छोड़कर मन लगाकर पढूंगा।

इस प्रकार गौरी अपने भाई को सुधारने मे सफल हो गयी

स्वरचित

कान्ता नागी

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