पीहू… पीहू कहां है बेटा कितना तंग करती है अपनी मम्मी को कहां छुप गई मेरी परी? जल्दी आ ,देख मैने तेरे पसंद की मैगी बनाई है।
मैगी का नाम सुनते ही परदे के पीछे छुपी पीहू झट से मम्मी की गोद में आकर बैठ गई और झट से मैगी चट कर गई।
पीहू को स्कूल से आते ही कुछ अच्छा खाने को चाहिए जैसे आजकल के सारे बच्चों को चाहिए
आज स्नेहा ने उसके पसंद की मैगी बनाई ताकि वो भूखी न रहे नही तो खेलने के बाद उसको खाने का ध्यान ही नही रहता।
पीहू स्नेहा की 7 साल की सुंदर सी बेटी है जिसका रंग गोरा, आंखे भूरी, बाल काले और घुंघराले उस पर गालों पर पड़ते डिंपल उसको और भी खूबसूरत बना देते हैं, जो भी उसको देखता है, उसे प्यार करने का मन करता है । है ही बड़ी प्यारी बच्ची
अभी 2महीने पहले ही स्नेहा ने उसका एडमिशन नए स्कूल में करवाया है क्युकी उसके पति का अभी अभी ट्रांसफर हुआ है अमृतसर में।
पीहू को भी बहुत पसंद आया अपना नया स्कूल , बहुत जल्दी घुल मिल गई सबसे यहां वो भी।
एक महीने बाद
पीहू ,पीहू मेरा बच्चा आजा जल्दी से देख मम्मा ने आज तेरी पसंद की आलू की कचोरी बनाई है स्नेहा ने पीहू को आवाज देते हुए कहा।
पीहू की तरफ से कोई उत्तर नही आते देख स्नेहा खुद ही पीहू को लेने उसके कमरे में जाती है और देखती है पीहू औंधे मुंह बेड पर पड़ी है और उसकी आंखे लाल हैं। पीहू को इस हालत में देख स्नेहा को तो जैसे सांप सूंघ गया,किसी अनहोनी की आशंका से घिरते हुए उसने पीहू को फिर आवाज लगाई
पीहू क्या हुआ बेटा आज तबियत ठीक नहीं है क्या? सुबह तो बिलकुल ठीक थी अभी अचानक क्या हुआ? किसी से लड़ाई हुई स्कूल में या किसी टीचर ने डांटा मेरी बच्ची को स्नेहा ने पीहू से बड़े प्यार से पूछा
पीहू ने ना में गर्दन हिला दी पर मुंह से कुछ नही बोली
स्नेहा कुछ सोचते हुए अपने आप से बोली (जैसा मैं सोच रही हूं वैसा तो कुछ नहीं है ना, हे भगवान न ही हो तो ही अच्छा है।)
तो फिर क्या बात है बता , मम्मी तो आपकी फ्रेंड है ना , मम्मी से तो सारी बातें शेयर करते हैं बता तो क्या हुआ बच्चा स्नेहा ने पीहू को गोद में उठाते हुए पूछा।
मम्मा मम्मा ….. पीहू बोलते बोलते रुक गई
हां बेटा बोल क्या हुआ, घबरा मत मम्मी को सब कुछ अच्छे से बता स्नेहा ने उसको पुचकारते हुए पूछा
मम्मी वो हमारी बस के नए अंकल है न वो मुझे बिलकुल अच्छे नही लगते आप कल से मुझे खुद छोड़ने चलना स्कूल ठीक है? पीहू ने स्नेहा से कहा।
(अब तो स्नेहा को पक्का यकीन हो गया कि जिस बात का उसको डर था वो ही हुआ)
फिर भी उसने कहना जारी रखा बस इतनी सी बात ठीक है कल मैं छोड़ दूंगी। अब पहले खाना खा लो बाकी बात बाद में करेंगे स्नेहा पीहू को गोद में उठाकर डाइनिंग टेबल पर ले आई और उसको खाना खिलाने लगी और पीहू टीवी देखने में मस्त हो गई।
पर पीहू की बात अब भी उसके कानों में गूंज रही थी बस के नए अंकल है ना वो मुझे बिलकुल अच्छे नही लगते सोचते सोचते
स्नेहा अपने अतीत में खो गई…
जब एक बार ऐसे ही उसने भी अपने चाचा के दोस्त के बारे में अपनी मम्मी को कहा जो उसके स्कूल में टीचर थे और उसके घर आया जाया करते थे।(स्नेहा की उम्र तब कुछ 7,8साल रही होगी)
मम्मी ये सर हमारे घर क्यों आते हैं ,मुझे बिलकुल पसंद नही , जब देखो तब मुझे छूने को कोशिश करते हैं ,मुझे कस कर पकड़ लेते हैं। मुझे उनका ऐसे छूना बिलकुल अच्छा नही लगता , स्नेहा ने शिकायती लहजे में कहा।
उसकी मम्मी को भी कुछ अच्छा नही लगा स्नेहा का ऐसे बोलना पर वो उनको घर आने के लिए कैसे माना करती तो उन्होंने स्नेहा को ही बोला तू उनके पास मत जाया कर जब वो आएं । दूर रहा कर उनसे।
स्नेहा भी अब ये ही करती जब भी उनको आते देखती डर के मारे कहीं छुप जाती या फिर किसी काम में लग जाती, उनसे दूर ही रहती वो आजकल।
पर एक दिन स्नेहा अपने चाचा चाची के साथ , अपने चाचा के दोस्त के परिवार में किसी की शादी में जा रहे थे तो एक ही बस में जाना था उनको। सब लोग बैठ गए और स्नेहा भी खिड़की वाली सीट पर बैठ गई। स्नेहा को वापस डर सा लगने लगा कि इसके सर वापस उसको छूने की कोशिश करेंगे , अब कैसे बचेगी वो उनसे
तभी उसके सर उसके पास आकर बैठ गए और उसको अपनी गोद में बैठा लिया और उसको प्यार करने लगे , स्नेहा को बिलकुल अच्छा नही लग रहा था अब और हद तो तब हो गई जब उन्होंने स्नेहा के टॉप में हाथ डालकर उसके सीने को छू लिया और कस कर पकड़ लिया उसको। स्नेहा को बहुत डर लग रहा था , उसने उनका हाथ हटाया और जोर से चाची को आवाज लगाई उसके सर भी घबरा गए और उसको छोड़ दिया।
उसके बाद से स्नेहा किसी भी आदमी को देखती उसको अजीब सा डर लगने लग जाता। वह अपनी मम्मी के साथ ही रहती जहां भी जाती।
पर घर के लोगों का क्या, उनसे बचकर कहां जाए वो क्योंकि उसकी बुआ का बेटा जब भी आता किसी बहाने से उसको अपने साथ ले आता और फिर उसको अजीब तरीके से छूता जो उसको बिलकुल अच्छा नही लगता पर स्नेहा डर के मारे किसी को कुछ नही बताती बस कोशिश करती कि वो उनके साथ नही जायेगी अब।कभी कभार उसकी ये कोशिश कामयाब हो जाती और कभी नही।
उसके साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है वो समझ नही पा रही थी शायद वो अभी छोटी थी तो सब उसका फायदा उठा रहे थे के वो किसी से कुछ नही बोलेगी। और स्नेहा ने आज तक इस दर्द को खुद ही सहा है किसी को कुछ नही बताया।
लेकिन इस दर्द का मतलब वो आज जाकर समझी है जब ये गुड टच और बेड टच का कॉन्सेप्ट शुरू हुआ है की उसके साथ आखिर ये सब क्या हुआ था ।उसका कितनी बार शारीरिक शोषण हुआ था, पर किसी ने उसको इसके बारे में कभी नहीं बताया कि इस हालात में हमे क्या करना चाहिए।
अचानक पीहू की हंसी की आवाज सुनकर अपने अतीत से बाहर आते हुए उसने अपने आप से कहा….
“अब टाइम आ गया हैं मेरी बेटी को समझाने का कि जिस दर्द से मैं गुजरी थी उस दर्द से उसे नही गुजरना है , उसे अपने आपको इतना मजबूत बनाना है कि कोई चाहकर भी उसको नुकसान नहीं पहुंचा सके और उसके तन और मन को कोई चोट न दे सके….
“जो मेरे साथ हुआ वो तुम्हारे साथ नही होगा”
मम्मा ,मम्मा पीहू की आवाज सुनकर स्नेहा बोली
पीहू खाना खाकर बॉडी पार्ट्स के नाम याद कर लेना मैं पूछूंगी आज और कुछ नया भी सिखाऊंगी
ok मम्मा,पीहू ने उत्तर दिया।
स्नेहा ने अब पीहू को समझाने की पूरी योजना अपने मन में बना डाली और उसके अनुसार पीहू को समझाने लगी।
पीहू आपको पता है हमारे बॉडी पार्ट्स 2 टाइप के होते हैं दूसरों को दिखने वाले और खुद को दिखने वाले।
ये कैसे होता है मम्मा ,मुझे तो मैं ने बताया है आई, नोज इयर, फेस, हैंड, लेग ये सब होते हैं, पीहू बड़े आश्चर्य से बोली
हां ये तो होते हैं जो सबको दिखते हैं पर कुछ और भी जो हमारे कपड़ो से ढके रहते हैं और वो सिर्फ हमे दिखते हैं उनको बोलते हैं प्राइवेट पार्ट्स उन पर सिर्फ हमारा अधिकार होता है, स्नेहा ने खुद के शरीर के पार्ट्स को समझाते हुए पीहू को बताया।
oh मम्मा आ गया समझ में, मेरे प्राइवेट पार्ट्स कौनसे हैं।पीहू ने खुश होते हुए बोला
इसी तरह टच भी दो तरह के होते हैं ,टच का मतलब पता है? स्नेहा ने पीहू से पूछा
हां मम्मा किसी को टच करना मतलब उसको छूना जैसे मैने आपको टच किया , पीहू स्नेहा को छूते हुए बोली
वेरी गुड माय डियर बिलकुल सही। अब सुनो एक होता है गुड टच और एक बैड टच यानी की जब किसी के छूने से हमे अच्छा लगे वो होता है गुड टच जैसे मम्मी पापा दीदी भईया या कोई और तुम्हे जानने वाला या जिसे तुम पसंद करते हों उसके छूने से तुम्हे लगता है।
और जब किसी के छूने से हमे बुरा लगे या जब कोई हमारे प्राइवेट पार्ट्स को छूने की कोशिश करे तब उसे बोलते हैं बैड टच।
अब पीहू कुछ सोचने लगी
क्या सोच रही हो बेटा , क्या किसी ने आपको बेड टच किया?स्नेहा ने पूछा।
हां मम्मी हमारे बस वाले अंकल ने मुझे कई बार टच किया जो मुझे अच्छा नही लगा इसलिए मैने बोला कि आप मुझे कल स्कूल छोड़ने जाना, पीहू ने अब स्नेहा को सारी बात बताई।
मम्मा उन्होंने मेरी 2 फ्रेंड को भी बेड टच किया रिया और आशी को , उन्होंने मुझे बोला ये अंकल अच्छे नही है हमे पकड़ते है जबरदस्ती।पीहू बोली
तो उन्होंने ये बात अपनी मम्मी को बताई जैसे आपने मुझे बताई? स्नेहा ने पूछा
नही मम्मा उन्होंने सोचा मम्मी उन्हे डांटेगी इसलिए नही बताया पीहू बोली
ऐसा नहीं है बेटा, मम्मी पापा तो हमारे सबसे अच्छे दोस्त होते हैं, वो हमेशा बच्चों का भला चाहते हैं, उन्हे डांटते नही इसलिए सबसे पहले जब भी आपको कुछ अच्छा या बुरा लगे सारी बाते उनसे शेयर करनी चाहिए जैसे आज आप शेयर कर रहे हो।
आप नही बताते तो मुझे इसके बारे में कैसे पता चलता स्नेहा बोली
हां मम्मी आप सही कह रही हो पीहू ने स्नेहा के हां में हां मिलाया
और सबसे जरूरी बात यदि आपको लगे कि आपके साथ कुछ गलत हो रहा है तो इसका विरोध करना। आपको किसी आदमी के टच करने से परेशानी हो रही है चाहे वह आदमी आपके घर का ही क्यों न हो ,आपको चिल्लाकर सबको बताना चाहिए और आपको डरना नहीं चाहिए बल्कि आत्मविश्वास, सेल्फ कॉन्फिडेंस रखना चाहिए ।
क्योंकि आपको अपनी रक्षा स्वयं करनी होगी मम्मी या पापा तो हमेशा आपके साथ नही रहेंगे न।
कुछ समझी मेरी बच्ची स्नेहा ने पीहू के कान पकड़ते हुए पूछा
हां मम्मी समझ गई, अब मैं कल ही अंकल की शिकायत टीचर से करती हूं उनको बताऊंगी कि अंकल बेड टच करते हैं और बच्चों को डराते भी हैं।
थैंक यू मम्मा आज आपने मुझे बहुत अच्छी बातें सिखाई और पीहू स्नेहा के गले लग गई।
स्नेहा को अब विश्वास हो गया कि जो वह पीहू को समझाना चाहती थी वो समझ गई थी और अब उसके साथ ऐसा कुछ नही होगा जो स्नेहा के साथ हुआ था।
अगले दिन स्कूल में पीहू ने अपने साथ होने वाली हरकतों की जानकारी टीचर्स को दी तब टीचर प्रिंसिपल से इस बारे में बात की और छानबीन की तो कंडक्टर की करतूतों की सच्चाई सामने आई
स्कूल विभाग ने बिना देरी किए बस कंडक्टर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया ।
सभी ने पीहू को बहुत बहादुर बताया और उसकी मम्मी की बहुत तारीफ की जिनकी वजह से सबको कंडक्टर की करतूतों का पता लगा।
दोस्तों हमारे बचपन में जानकारी के अभाव, आत्मविश्वास की कमी और हमारे डरपोक स्वभाव की वजह से ऐसी घटनाएं होना आम बात थी पर अब जमाना बदल चुका है , बच्चों को बिना संकोच के यौन शिक्षा की जानकारी दी जानी आवश्यक है और बच्चे की उम्र 3या4साल होने पर उसे गुड टच और बेड टच के बारे में भी जरूर बताना चाहिए चाहे वो लड़का हो या लड़की।
ताकि शारीरिक शोषण के दुष्प्रभाव से बच्चे सुरक्षित रह सकें
ये मेरे व्यक्तिगत विचार हैं , आप सहमत है। तो कृपया कॉमेंट करके बताए
धन्यवाद
निशा जैन
दिल्ली