गोद भराई – मंगला श्रीवास्तव   : Moral Stories in Hindi

आज  सरिताजी की बहू सलोनी की गोद भराई थी ।सुबह से ही उनके घर में बहुत गहमा गहमी चल रही थी , मेहमानों का रिश्तेदारों का आना लगा हुआ 

था । उनके घर सालों बाद ये खुशी का मौका आया था। इस कारण उन्होंने बहुत ही धूमधाम से उत्साह से सारा कार्यक्रम रखा था। 

पूरे मौहल्ले वालो को भी बुलाया था।

रजनी जो सरिता जी की बड़ी बहू थी वह पूरे उत्साह के साथ  दौड़ दौड़ कर सारे मेहमानों का स्वागत कर रही थी।  सारे घर के काम का जिम्मा  उसके ऊपर ही था।उसकी और सलोनी की बहुत पटती थी।

वह सलोनी को अपनी छोटी बहन के समान मानती थी और प्यार करती थी , हालाँकि उन दोनों की उम्र में बहुत अंतर था।रजनी की शादी को सात साल हो चुके थे ।पर वह माँ बनने के सुख से वंचित थी। सलोनी उसको अपनी जेठानी नही बड़ी बहन  ही मानती थी।

रजनी भी सलोनी का ध्यान बहन की तरह ही रखती थी। सलोनी के पति अमित मिलिट्री में मेजर थे।

उनकी पोस्टिंग  दूर दूर होती रहती थी।इस कारण जब से सलोनी प्रग्नेंट थी वह अपने ससुराल दिल्ली में रह रही थी।   

रजनी ने इन दिनों सलोनी को हाथों हाथ रखा वह उसका हर पल ध्यान रखती थी उसको उदास नही होने देती थी,उसको किस वक्त क्या खाना है क्या अच्छा लगता है सबकुछ रजनी को मालूम था । 

सरिता जी को तो कुछ संभालना भी नही पड़ता था रजनी के कारण वह बिलकुल बेफिक्र रहती थी।

  वह एक साये की तरह उसके साथ रहती रात को उसके पास ही सोती थी।यूँ तो सातवें महीने में ही गोद भराई होनी थी पर अमित को छुट्टी नही मिली इस कारण पूरे नो महीनों में ही गोदभराई का कार्यक्रम रखा था जब अमित दो महीने की छुट्टी पर आए थे।

दोपहर में बहुत गाने बजाने के साथ गोदभराई चालू हुई सब लोग ने बारी बारी से जाकर सलोनी की गोद में फल मिठाई नारियल व कोई जो गिफ्ट भी लाये थे वो उसकी चुनरी में डालें।

रजनी भी उसके लिए एक सुंदर सी चेन लायी थी ,वह जैसे ही गोद भरने उठी तभी सरिताजी और उसकी ननद दोनों ने सबके बीच उसका हाथ पकड़ लिया व बैठा दिया। वह बैठी ही थी कि पास बैठी उनकी बिल्डिंग में ही रहने वाली मीना जी बोली तुम गोद नही भर सकती क्योंकि तुम माँ नही बनी हो अभी तक,पीठ पीछे सब तुमको बाँझ बोलते है।

सुनकर रजनी को मानो काटो तो खून नही ,वो रो पड़ी ,और दौड़कर अपने रूम में चली गयी और जोर जोर से रोने लगी।

     सबने गोद भरी पर जब सलोनी ने चारों तरफ रजनी को देखा पर वो नही दिखाई दी तो उसने अमित से बोला दीदी नही देख रही है उनको बुला दो।पर बीच मे ही सरिताजी बोली अरे अमित मैने उसको काम से भेजा है अभी आ जायेगी वह।

    आखिर सारी रस्म खत्म होने के बाद सलोनी को कमरे में आराम करने भेज दिया गया।इधर रजनी रात तक कमरे से बाहर नही आई उसके पति सुमित ने जब पूछा तो वह बोली कुछ नही मेरा सिर दर्द हो रहा है।

उन्होंने कहा अच्छा मैं यही खाना ले आता हूँ खाना खाकर गोली खा लो व सो जाओ , तुम वैसे भी सबका ध्यान रखती हो पर खुद का नही रखती हो सुबह से ही कितना भागदौड़ कर रही हो इस कारण थक भी गई होगी ।

  रजनी कुछ नही बोली बस उसकी आँखें भर आईं थी।दूसरे दिन सुबह वह उठकर नाश्ता बनाने लगी थी। सलोनी के हर काम  जैसे दूध  देना उसकी पसन्द का नाश्ता बनाना आज उसने सब कमली से करवाये और वह उसके कमरे में गई तक नही।

  इधर सलोनी ने दो तीन बार उसको बुलाया भी पर रजनी ने अपने मन को मानो कठोर कर लिया था।

मन तो उसका भी बहुत दुखी था वह बिना सलोनी को देखे बहुत बैचेन  भी हो रही थी परंतु उसके सामने नही जा रही थी ।

 आखिर जब दोपहर में रजनी अपने कमरें में आई सब काम से निपट कर  तो देखा सलोनी उसके कमरें में ही बैठी थी और रो रही थी। रजनी एकदम सकपका गयी बोली तुम यहां क्यों आई अपने कमरें से  “क्या हुआ तुमको” ?

 तकलीफ तो नही हो रही है। सलोनी उससे लिपट कर रोने लगी हाँ मेरी प्यारी दीदी मुझसे नाराज हो गई है ,मुझसे नही बोल रही है तो क्या मुझको तकलीफ नही होगी। दीदी आपको मेरी कसम “बताओ क्या हुआ  ,?

   आप मेरी गोद भरने भी नही आई । किसी ने कुछ कहा क्या ?

या मुझसे कोई गलती हुई है ।

  नही  सोना तुम तो  बहुत अच्छी हो और रजनी रोने लगी थी, पर मैं माँ नही बनी हूँ ना कहकर वो चुप हो गई ।

 तो क्या हुआ दीदी पर रजनी आगे कुछ नही बोली ,क्योंकि वह नही चाहती थी घर में कुछ क्लेश हो ।   उसका बुरा असर सलोनी पर इस वक्त पड़े ।

 सलोनी तुम अपने कमरे में जाओ आराम करो अमित भी इंतजार कर रहा होगा तुम्हारा।

 नही दीदी ये तो कही गये है ,मैं आपके पास ही रहूँगी अभी और उसकी गोद मे लेट गयी थी।वह भी उसके बालो को सहलाने लगी ।उसकी आँखों मे आंसू भर आये थे ।

 आज अमित के बचपन के दोस्त की मंगनी की रस्म थी। और पूरे परिवार को बुलाया था,  दोनों के पाप भी अच्छे दोस्त थे और दोनो एक ही विभाग में काम करते थे।

 सरिताजी जाते जाते रजनी से बोली हम लोग जल्दी ही आ जायेगे तुम सलोनी का ध्यान रखना।

 कुछ भी प्राब्लम हो फोन कर देना वहां जाना भी जरूरी है कहकर वह लोग चले गए ।

  रजनी ने सलोनी को दूध व नाश्ता दिया।

थोड़ी देर बाद अचानक ही सलोनी के पेट मे बहुत दर्द होने लगा था।

वह दर्द से करहाने लगी और बोली दीदी बहुत दर्द हो रहा है ,उसने उठने की कोशिश भी की पर वह उठ भी नही पाई रजनी उसकी हालत देख कर एकदम घबरा गई।

कमली ओ कमली जरा जल्दी से इधर आ दीदी को बहुत दर्द हो रहा है इसी वक्त अस्पताल ले जाना पड़ेगा ।

कमली आकर बोलती है हाँ दीदी ऐसा दर्द तो बच्चा होने पर ही होता है।

दोनों ने उसको सम्भाल कर उठाया ड्राइवर को जल्दी से गाड़ी निकालने को बोला और सलोनी को गाड़ी में बिठाकर अस्पताल चलने को बोला।

रजनी ओर कमली दोनों सलोनी के पास बैठी उसको दिलासा देती जा रही थी।

रजनी ने जल्दी से सरिताजी को फोन लगाया पर उनका फोन लग ही नही रह था।उसने एक एक कर सबको फोन लगाया पर किसी ने फोन नही उठाया।

कमली शायद वह ढ़ोल बगैरह बज रहे है इस कारण किसी को भी फोन सुनाई नही दे रहा है।

मेडम अस्पताल आ गया है।ड्राइवर बोला जाओ जल्दी से नर्स व स्ट्रेक्चर ले कर आओ।तब तक सलोनी का दर्द बहुत ही बड़ चुका था ।दीदी मुझे और मेरें बच्चें को बचा लो मैं मर जाऊँगी।अमित को बुलवा दो मुझको उनसे मिलना है।रजनी भी रोने लगी और उसके सिर पर हाथ फेरकर बोली “मैं हूँ तुम्हारे साथ तुमको कुछ नही होगा।  

  उसको अंदर ओटी में ले जाया गया। सारे चेकअप के बाद डॉ बाहर आकर बोले थोड़ी परेशानी आ रही है इनका हिमोग्लोबिन भी कम है और बच्चे भी दो है हमको इनका ऑपरेशन करना पड़े और ब्लड की भी जरूरत पड़े।

आपके साथ और कोई है  या तो उनको बुलवा लीजिए हमको जल्दी ही ऑपरेशन करना पड़ेगा।आप पेपर भी साइन कर दीजिए जब तक हम ऑपरेशन की तैयारी करते है।

रजनी बोलती है डॉ साहब आप मेरा ब्लड चेक कर लीजिए । बस सलोनी को और उसके बच्चों को कुछ नही होना चाहिये।

ब्लड ग्रुप मैच हो गया था तब तक अमित का फोन भी आ गया उसने जल्दी से उन सबको अस्पताल आने का बोला। उसका ब्लड ले कर नर्स ने उसको लेटने को कहा

और खुद ओटी में चली गई।

थोड़ी ही देर में नर्स उसको आकर बोली

बधाई हो आपको ,

सलोनी जी को जुड़वाँ बच्चें हुए है और ऑपरेशन भी सफल हो गया है।

रजनी खुशी के मारे रो पड़ी और भगवान को धन्यवाद देने लगी,

तब तक सारा परिवार भी आ चुका था।सबने एक दूसरे को बधाई दी।नर्स बोली आज रजनी जी के कारण दोनों जच्चा बच्चा सलामत है।

सरिताजी रजनी के पास आकर बोली आज मैं तुमसे माफी मांगती हूँ ,बहु मैंने उस रोज तुमको गोद भराई नही करने दी लोगों के कहने में आकर पर आज तुमने सलोनी और उसके बच्चों की रक्षा करके अपना पूरा फर्ज निभाया।

शाम तक सलोनी को भी  होश आ गया था।उसने पालने में देखा दो प्यारें से बच्चें सो रहे थे।उसने अमित से बोला मुझको उठाओं।उसने धीरे से बैठ कर एक बच्चें को गोदी में लिया और पास खड़ी हुई रजनी को बोली

दीदी आपने तो मेरी गोद भराई नही की। पर आज में आपकी गोदभराई करना चहाती हूँ ,और बच्चें को रजनी के हाथों में थमा दिया।दीदी इन बच्चों पर मुझसे ज्यादा आपका हक है। रजनी और सुमित दोनों की आँखे भर आईं थी ।रजनी ने बच्चे को गोद में लेकर अपने आंचल में प्यार से समेट लिया और उसको प्यार करने लगी ,

यह देखकर  पूरे परिवार की आँखे अपनी दोनों बहुओं के प्यार व आपसी समझ को देख खुशी से भर आईं थी। आज उनके घर खुशियों की सौगात आ गई थी और उनकी दोनो बहुओं की गोद  मानो ईश्वर ने भर दी थी ।

मंगला श्रीवास्तव

इंदौर

स्वरचित मौलिक कहानी

V M

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