घुटन भरे रिश्ते से आजादी – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

मम्मा क्या बहुत दर्द हो रहा है निधी को अपना हाथ सहलाते हुए देखकर निधि का 6 साल का बेटा आयुष पूछ बैठा , नहीं मेरा बेटा तूझे देखकर तो सारे दर्द भूल जाती हूं तेरी ही खातिर तो जिंदा हूं नहीं तो ये जिंदगी कोई जीने लायक थी ।और आयुष को गले से लगा लिया। मम्मा , हां अब हम पापा के पास नहीं जाएंगे वो अच्छे नहीं हैं तुम्हें मारते हैं और ये देखो सिगरेट से भी जला दिया है अब हम कभी नहीं जाएंगे उनके पास ।

हां बेटा अब हम कभी नहीं जाएंगे उनके पास तुम और हम अब यही रहेंगे अकेले इस मकान में ।और मन ही मन निधि बड़बड़ाने लगी आज ही तो मेरा दूसरा जन्म हुआ है हां आज ही तो मैं आजाद हुईं हूं इस घुटन भरे रिश्ते से कितना मुश्किल वक्त बिताया है मैंने इन आठ नौ सालों में ।सिगरेट के ऊपर लगे जख्म तो भर जाएंगे लेकिन जो मन के अंदर लगे हैं घाव क्या वो कभी भर पाएंगे।

                 निधि और मयंक की अरेंज मैरिज हुई थी । निधि देखने सुनने में बहुत अच्छी थी और पढ़ी लिखी थी स्कूल में टीचर की नौकरी करती थी ।और वही मयंक औसत दर्जे का था । मेडिकल लाइन में नौकरी करता था मयंक दो भाई और मम्मी पापा थे छोटा भाई विदेश में अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहता था । और निधि दो बहनें थीं पिताजी नहीं थे अच्छी पढ़ी लिखी सुसंस्कारी थी । मयंक के घर पर भी सबकुछ अच्छा था जो कुछ भी कभी थी बस मयंक में ही थी । मयंक देखने सुनने में बहुत अच्छा नहीं था । निधि के पिता जी नहीं थे कोई भाई भी नहीं था तो निधी ने समझौते के तौर पर शादी के लिए हां कर दी ।

                    मयंक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव था शादी हो गई इतनी सुन्दर बीबी पाकर तो मयंक जैसे पागल ही हो गया था । दिनभर निधि के आगे पीछे घूमता रहता था ।एक मिनट को भी नहीं छोड़ता था । शुरू शुरू में तो निधी को लगा मयंक मुझे बहुत प्यार करता है लेकिन धीरे-धीरे निधि को मयंक का इतना ज्यादा हर समय पास पास रहना अखरने लगा ।एक मिनट भी अकेले नहीं छोड़ना किसी से बात नहीं करने देना जब भी कभी फोन उठाती कि मां से ही बात कर लूं तो मयंक फोन निधि के साथ से छीन लेता क्या मैं तुम्हारे पास हूं आओ प्रेम प्यार की बातें करें क्या फोन लेकर बैठ जाती है ।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

इतना गुमान ठीक नहीं परिस्थितियों मौसम की तरह कब रंग बदल ले। – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

                    फिर धीरे-धीरे मयंक निधि को हर बात पर टोकने लगा कभी स्कूल से आने में देर हो जाती तो गुस्सा भी करने लगा । शादी के दो महीने बीतते बीतते मयंक में परिवर्तन आने लगा ।असल में वो था ही साइको ये घर में भी सब जानते थे लेकिन किसी ने कुछ नहीं बताया सबने यही सोचा होगा कि शादी हो जायेगी तो ठीक हो जाएगा । क्योंकि अक्सर ऐसे मामलों में जहां लड़का बिगड़ा हुआ है या शराब पीता है या और कोई बुराई है तो लड़के के मां बाप यही सोचते हैं कि शादी कर दो तो ठीक हो जाएगा लेकिन वो ये नहीं सोचते कि एक लड़की की जिंदगी को बर्बाद कर रहे हैं ।

            चूंकि मयंक मेडिकल लाइन में था तो वो रात को निधी को एक गोली खिला देता कि  लो इससे तुम्हारी थकान भी दूर हो जाएगी और अच्छी नींद भी आएगी  निधि खा लेती । फिर कुछ दिन बाद निधी की मम्मी से मयंक कहने लगा वो निधि रात को सोते सोते उठकर चलने लगती है उसको कोई बिमारी है

निधी की मम्मी बोली नहीं ऐसा तो कभी नहीं हुआ उसको कोई बिमारी नहीं है । निधि की मम्मी ने निधि से पूछा तो उसने बताया कि रात को मयंक एक गोली देता है खाने को उसके बाद पता नहीं कैसा लगता है ऐसा लगता है सबकुछ घूम रहा है तो मम्मी ने मना किया अब नहीं खाना गोली ।असल में निधि की मम्मी कुछ समय से बीमार थी तो निधी कह रही थी कि मैं कुछ दिन को मम्मी के पास हो आऊं तो मयंक ने ये बहाना बनाया कि वो रात को उठकर चलती है इसलिए उसे अकेला नहीं छोड सकते ।

        आज निधि जब स्कूल जाने को तैयार हो रही थी तो मयंक बोला इतना तैयार होकर स्कूल क्यों जाती है किसको दिखाने जाती है ,इस बात को लेकर निधि से मयंक झगड़ा करने लगा और बोला कल से मैं जो कपड़े निकाल कर दूंगा तुम वही कपड़े पहन कर स्कूल जाओगी । निधि मयंक के इस तरह के रवैए से परेशान होने लगी थी । इतना परिवर्तन आ गया था मयंक में दरअसल निधि जो प्यार समझ रही थी वो प्यार नहीं एक तरह की मानसिक विकृति है ।जो अब निधि को धीरे-धीरे समझ आ रहा था।

               आज निधि के मौसी के लड़के की शादी है जिसमें निधि के पूरे परिवार का निमंत्रण था । निधि शादी में गई तो वहां उसका ममेरा भाई मिल गया वो पीछे से आकर निधि के कांधे पर हाथ रख दिया और निधि कैसी है । कभी कभी मुझे भी याद कर लिया कर शादी होते ही तू तो हमको भूल ही गई । निधि और मामा का बेटा बचपन में खूब साथ साथ खेले हैं । बहुत दिनों में मुलाकात हुई तो दोनो खूब मस्ती से बातें करते रहे और ज़ोर ज़ोर से हंस भी रहे थे । मयंक को ये सब बर्दाश्त नहीं हो रहा था वो अंदर ही अंदर गुस्सा हो रहा था।

जब मामा का बेटा दीपक वहां से किसी काम से चला गया तो मयंक निधि के पास गया और उसका हाथ पकड़कर खींचता हुआ कमरे तक ले गया और जोर से धक्का देकर कमरे में गिरा दिया ।और बोला क्या इतनी जोर जोर से हंस हंसकर बातें कर रही थी अरे हम दोनो संग संग बचपन में खेले हैं इतने दिनों बाद मिला है

इस कहानी को भी पढ़ें: 

फौजी भैया – भगवती सक्सेना गौड़

तो बाते होने लगी । मामा का बेटा है तो क्या हो गया देखो मुझे ये सब पसंद नहीं है कि किसी गैर मर्द से इस तरह बात करो ।अब तुम इसी कमरे में रहोगी बाहर नहीं निकलोगी कहकर मंयक ने दरवाजा जोर से बंद कर दिया।और खुद जाकर शादी में खाना खाने लगा । निधि की मम्मी को जब निधि दिखाई नहीं दी तो उन्होंने मयंक से पूछा तो मयंक ने जवाब दिया उसके सिर में बहुत दर्द था तो वो आराम कर रही है ।

              घर आकर निधि ने अपनी सास से शिकायत की तो बोली जब मयंक को पसंद नहीं तो क्यों करती हो वो काम।अब निधि को कुछ शक होने लगा कि कहीं कोई नशा वशा तो नहीं करता ये मयंक क्यों कि अक्सर शाम होते होते मयंक का व्यवहार बदल जाता है। उसने मयंक पर नजर रखनी शुरू कर दी एक दिन मयंक के न रहने पर निधि ने मयंक का बैग चेक किया तो उसको उसमें से एक पुड़िया मिलीं निधि ने उसको छुपा दिया

जब मयंक आया शाम को तो बैग खंगालने लगा इतने में निधि वो पुड़िया लेकर आ गई यही ढूंढ रहे हैं न आप कहां से मिला तूझे यही से आपके बैग से लाओ इधर दो तो इसका नशा करते हैं आप , हां करता हूं तो मुझसे झूठ बोला गया मुझे बताया नहीं गया । मामले को बिगड़ते देख मयंक थोड़ा शांत हो गया और निधि को प्यार से समझाने लगा , लेकिन निधि थी कि मान ही नहीं रही थी तो मयंक ने एक जोरदार थप्पड़ दे दिया निधि अवाक सी मयंक को देखें जा रही थी और मन ही मन गुस्सा से भर्ती जा रही थी ।

                  दो साल हो गए शादी के अब बच्चे के बारे में सोचों आज निधि की सास ने निधि से कहा ।और फिर मयंक से भी कहा बच्चे के बारे में सोच मयंक हां मम्मी । निधि बच्चे से बचना चाहती थी मयंक का ऐसा रवैया है क्या बच्चे वच्चे।अब कुछ दिन बीतने पर निधि की सास बच्चे न होने का उलाहना देने लगी निधि को । निधि ने मम्मी से बात करी इस मामले में तो मम्मी ने समझाया बेटा एक बच्चा कर लो शायद मयंक बदल जाए बच्चे के आने से ।

                  मां की बात मानकर निधि ने बच्चा किया ।आज दो साल का बेटा है निधी के लेकिन मयंक के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया । अपनी इन्हीं हरकतों की वजह से मयंक अपनी नौकरी से भी हाथ धो बैठा।अब तो निधी के तनख्वाह के पैसे भी छुड़ाने लगा और नहीं देने पर मारता पीटता निधि को । निधि को कभी कभी मां से बात करनी है तो मोबाइल छिपा लेता या सिम निकाल देता । मां काफी समय से बीमार चल रही थी

अभी कुछ समय पहले उनकी मृत्यु हो गई। निधि अपना दर्द किसी को भी बता नहीं सकती थी किससे कहें एक सहेली थी आभा उसी से कभी कभार मौका लगनें पर बात कर लेती थी।इस घुटन भरी जिंदगी से ऊब गई थी निधि । इसी तरह बेटा आयुष बड़ा हो रहा था वो भी मयंक के सामने बडा सहमा सा रहता था।

              आज निधि की सैलरी मिली तो मयंक उससे पैसे मांगने लगा निधि ने मना कर दिया कि दिनभर मेहनत में करूं और तुम्हें किस बात के पैसे दे दूं मुझे तो कोई खर्चा को देता नहीं है और फिर अब आयुष भी स्कूल जाने लगा है उसकी भी स्कूल की फीस है कहां से करूं मैं , अच्छा अच्छा लेक्चर न दे ला पैसा दे मुझे पुड़िया लानी है । नहीं मेरे पास तुम्हारी पुड़िया लाने को पैसे नहीं हैं। इसी बात पर मयंक ने निधि को जोर से धक्का दिया

इस कहानी को भी पढ़ें: 

बड़े- भैया – सीमा वर्मा 

जिससे उसका सिर दीवार से जा टकराया और  हाथ में मयंक के सिगरेट थी उसे निधि के हाथों में लगा दिया निधि जोर से चीखा पड़ी उसको रोता हुआ देखकर आयुष भी रोने लगा। निधि से पैसे छुड़ाकर आयुष को दादी के पास छोड़कर मयंक पुड़िया लेने चला गया । दर्द से कराहती निधि उठीं सिर पर हाथ लगाया तो खून बह रहा था उसने सख्ती से आज एक निर्णय लिया कि अब मुझे इस रिश्ते से बाहर निकलना है ।

              सुबह होने का इंतजार करती रही निधि और सुबह होते ही उसने अपने और आयुष के कपड़े अटैची में रखे और आटो रिक्शा करके स्टेशन आ गई पीछे से सास आवाज देती रही पर उसने सब अनसुना कर दिया ।जबतक मयंक सो रहा था जाग जाता तो निकलना मुश्किल हो जाता। स्टेशन से निधि ने अपनी सहेली आभा को फोन किया और उसके घर पहुंच गई । वहीं से निधि ने घरेलू हिंसा का केस दर्ज करा कर तलाक के लिए नोटिस लगा दिया । मयंक को आज नोटिस मिल गया था मयंक ने निधि को बहुत खोजने की कोशिश की लेकिन निधि ने अपनी पहचान छुपा रखी ।

        निधि कुछ दिन सहेली के यहां रहने के बाद एक कमरा किराए पर लिया और अपनी नई नौकरी बहाल की ।इस घुटन भरी जिंदगी से बाहर आने की जद्दोजहद करती निधि को आज तलाक़ मिल गया था और वो चैन से आयुष के साथ अपनी जिंदगी जी रही थी ।

मंजू ओमर 

झांसी उत्तर प्रदेश

7 नवंबर 

दोस्तों यह एक सच्ची घटना पर आधारित है । ऐसा होता आया है बेटियों के साथ की मामले सामने आ जाते हैं और कई छिपे रह जाते हैं । मेरी कहानी कैसी लगी बताइएगा जरुर । धन्यवाद

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!