” ममता आज मेरे कुछ दोस्त खाने पर आ रहे है अच्छा सा खाना बना देना समझी !” नितिन ने रविवार की सुबह हुकुम सुनाया।
” पर घर मे सामान नही है आप रात मे बता देते तो मैं ले आती अब अचानक से कैसे तैयारी होगी !” ममता बेबसी से बोली।
” मुझे नही पता कैसे भी करो बस मेरी नाक मत कटा देना !” नितिन बोला । ममता जल्दी से बाजार भागी और जरूरी सामान लाकर रसोई मे लग गई ।
” बन गया सारा खाना अब मैं तैयार हो जाती हूँ !” ममता खाना बना बोली।
” तुम्हे क्या जरूरत है तैयार होने की वैसे भी मेरे सभी दोस्तों को पता है एक गृहिणी हो तुम कोई नौकरी पेशा नही समझी !” नितिन उसे तैयार होते देख बोला । ममता का मुंह उतर गया क्योकि हमेशा से नितिन उसके कम पढ़े लिखे होने का और नौकरी पेशा ना होने का ताना देता आया है ।
” यार भाभीजी क्या खाना बनाती है एक सुघड गृहिणी है वो !” खाने की मेज पर नितिन का दोस्त सुबोध बोला।
” हुँह है तो केवल गृहिणी ही ना जिसे खाना बनाने के सिवा कुछ नही आता । जबकि ये काम तो एक नौकरानी भी कर लेती है !” नितिन व्यंग्य से बोला। जिसे सुन आज ममता को बहुत गुस्सा आ रहा था सुबह से लगी थी रसोई मे दो बोल तारीफ के तो दूर उलटे नितिन को अपने दोस्तों द्वारा की हुई बीवी की तारीफ भी हजम नही हो रही थी !
” जी हां मैं गृहिणी हूँ खाना बनाने , घर संभालने और बच्चे देखने के अलावा मुझे कुछ नही आता पर क्या आप जानते है गृहिणी का मतलब क्या होता है । पूरा गृह यानि घर जिसका ऋणी हो वो होती है गृहिणी। एक गृहिणी की वजह से पति अपनी जॉब अच्छे से करता है क्योकि उसे पता होता है उसके पीछे से उसकी पत्नी जोकि एक गृहिणी है वो घर को , उसके मां बाप को , उसके बच्चो को अच्छे से देख लेगी । साथ ही पति की हर जरूरत भी वक्त से पहले पूरी कर देगी । नौकरानी भले ये सब काम कर देगी पर दिल से नही साथ ही मोटी रकम भी लेगी !” पानी की ट्रे लेकर आती ममता आज बोल पड़ी।
” सच मे यार क्या परिभाषा बताई है भाभी ने गृहिणी की जो हम सोच भी नही सकते । ख़ुशक़िस्मत है यार तू जो भाभी जी तुझे मिली कद्र कर उनकी ।” नितिन का दोस्त राजन बोला। आज नितिन पर घड़ो पानी पड़ गया था क्योकि आज ममता ने उसे उसके दोस्तों के सामने अपनी एहमियत बता दी थी।
संगीता अग्रवाल