घमंड टूट गया

फ्लाइट में बैठी सोनिया की नजर अचानक से सामने की सीट पर बैठी एक महिला पर जा टिकी। उसे उम्मीद तो नहीं थी कि सुधा इस तरह फ्लाइट में सफर कर सकती है। फिर भी ध्यान से देखने पर उसे यकीन हो गया कि वो सुधा ही है। काॅटन की साड़ी पहने हुए थी लेकिन बहुत सलीके से, आंखों पर पतले फ्रेम का चश्मा।

सोनिया ने अपनी डिजाइनर साड़ी के पल्लू को थोड़ा फैलाते हुए मन ही मन में कहा, “अभी भी वैसी ही है जैसे काॅलेज में थी। बहन जी टाइप!!

चलिए कुछ साल पहले की सोनिया और सुधा से भी मिल लेते हैं।

सुधा एक गरीब परिवार से थी। पढ़ने में बहुत होशियार थी लेकिन पहनावे और संजीदा स्वभाव के कारण सोनिया और काॅलेज की बाकी लड़कियां उससे दूर रहती थी।दबी – छिपी आवाज में उसका मजाक भी काफी उड़ाया जाता था । लेकिन सुधा इन सब बातों को नजरंदाज करके सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान देती थी।

वहीं सोनिया स्मार्ट, सुंदर और बड़े घराने की थी। उसे अपनी खुबसूरती का काफी घमंड था। अपने आगे उसे काॅलेज की बाकी लड़कियां तुच्छ ही लगती थीं।

ये तो पहले की बातें थी।अब वापस कहानी के वर्तमान में आते हैं।

इतने में ही सुधा की नजरें भी उससे मिल गई। वो भी हौले से मुस्कुरा दी जैसे पहली नजर में ही सोनिया को पहचान गई हो। सोनिया के मन में सुधा के बारे में जानने की जिज्ञासा हो  रही थी कि ये इस फ्लाइट में किस काम से जा रही है ,क्योंकि सोनिया के हिसाब से फ्लाइट में सफर करने की हैसियत सुधा की तो नहीं थी।

उससे रहा नहीं गया तो वो सुधा की पास वाली सीट पर जा बैठी और पूछ बैठी, “सुधा, तुम नागपुर क्यों जा रही हो??? ,,

” सुधा ने बड़ी सौम्यता से कहा , ” वहां मेरी पोस्टिंग हुई है। इसीलिए जा रही हूं। और तुम???

सोनिया ने गर्व से गरदन झटकते हुए कहा,” मेरे हसबैंड को वहां इंजिनियर की पोस्ट मिली है।।अब मैं भी वहीं रहने वाली हूं।,,

सुधा फिर हौले से मुस्कुरा दी। सोनिया सोच रही थी। जरूर सुधा को  किसी सरकारी टीचर की पोस्ट मिली होगी ।

एयरपोर्ट पर उतरकर दोनों ने अपना लगेज लिया। और आगे बढ़ी। सोनिया ने देखा कि तीन चार लोग फूलों का गुलदस्ता लिए किसी का इंतजार कर रहे हैं। वो ठगी सी रह गई जब उन लोगों ने सुधा के पास आकर नम्रता से झुककर संबोधित करते हुए कहा,     ” वेलकम मैडम,.. । इस शहर में आपका स्वागत है।हम आपको रिसीव करने आए हैं।  ,,

सुधा ने भी हल्की मुस्कान के गुलदस्ता स्वीकार किया। सोनिया हतप्रभ सी ये सब देख रही थी। उसे काटो तो खून नहीं। उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि वो सिंपल सी लड़की सुधा जो किसी से बात करने में भी हिचकती थी उसे इतना सम्मान किस चीज के लिए दिया जा रही रहा है???

सुधा ने पलट कर सोनिया की तरफ देखा और बोली, ” सोनिया , मैं इस जिले की नई  IAS नियुक्ति हुई हूं। कभी समय निकालकर आना ऑफिस में।

“ह…ह.. हां हां जरूर।,, हकलाते हुए सोनिया बोली।

एक गार्ड ने भागकर थोड़ी दूर पर खड़ी लाल बत्ती की गाड़ी का दरवाजा खोला और सुधा जाकर उसमें बैठ गई। खिड़की से उसने अपना हाथ हिलाते हुए सोनिया को बाय बाय कहा और गाड़ी अपने गंतव्य की ओर दौड़ गई।

सोनिया सुधा के जाने के बाद भी अपना हाथ हिलाते रह गई। जब थोड़ी देर बाद उसकी तंद्रा भंग हुई तो वो भी टैक्सी की ओर बढ़ गई। आज उसका घमंड रूपी रेत से बना महल भर-भराकर नीचे गिर रहा था।  आज उसे समझ आ गया था कि किसी की हैसियत बदलते देर नहीं लगती। शक्ल और पहनावे के हिसाब से किसी का आकलन करना एक तरह का पाप ही है।

 #घमंड

मौलिक एवं स्वरचित

सविता गोयल 🙏

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