घर सबका होता है – अंजना ठाकुर  : hindi stories with moral

hindi stories with moral : भाभी किस से पूछ कर आपने ये सोफा की जगह बदल दी नेहा की ननद रीना गुस्से मै बोली

नेहा डर गई बोली दीदी मुझे लगा थोड़ी जगह बदलने से नया लुक आ जाएगा और सफाई भी हो जाएगी इसलिए मैने ..और आगे बोलती तब तक मांजी आ गई बोली इस घर मैं कुछ करने से पहले पूछ लिया करो ये तुम्हारा मायका नही है जो तुम्हारी मर्जी चलेगी

जी नेहा उदास हो कर चली गई ।

नेहा की शादी को एक साल होने वाला था उसे याद आया जब दुल्हन बन कर आई थी तब सास ने कहा था बहु आज से ये घर तुम्हारा है इसे अपना घर समझ कर सम्हालना और इस घर के लोगों को अपना समझ कर ही प्यार देना

नेहा भी अपनी तरफ से पूरी कोशिश करती लेकिन उसे लग रहा था की इस घर की जिम्मेदारी बस उसकी है बाकी कभी उसे महसूस नही हुआ की ये घर उसका है क्योंकि खाने से लेकर हर बात मैं सास और ननद की चलती यहां तक की अपने पति आकाश के संग कहां जाना है क्या पहनना है ये भी बही तय करती

कई बार नेहा को गुस्सा आ जाता वो आकाश से कहती की ये घर सिर्फ नाम का मेरा है यहां मैं कुछ भी तो मन का नही कर पाती तुम कुछ कहते क्यों नहीं

अरे मुझे इसमें मत घसीटो कहकर आकाश पल्ला झाड़ लेता नेहा भी नई नई होने के कारण कुछ बोल नहीं पाती पर अंदर ही अंदर घुट रही थी ।

आज रीना के साथ नेहा बाजार गई थी रीना कुछ खरीदारी कर रही थी नेहा दूर ही खड़ी थी उसे पता था उसकी राय मानने वाली तो है नही ,वहां  उसकी पक्की सहेली मिल गई जिसे देखकर नेहा बहुत खुश हुई नेहा की शक्ल देख कर बोली क्या यार ये दमकता चेहरा बुझा बुझा क्यों है

नेहा ने अपनी परेशानी बताई तो बो बोलो इतनी सी बात है मैं तुझे बताती हूं और उसने उपाय बताया पहले तो नेहा बोली ये सही नही है यार इस से बात और बिगड़ जाएगी।

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सहेली बोली अरे तू करके देख ऐसे कब  तक रहेगी आखिर अब उसी घर मैं तुझे रहना है नेहा भी सोच विचार करती हुई घर आ गई।

दूसरे दिन मांजी चाय का इंतजार कर रही थी नेहा ने अपनी चाय बनाई और कमरे मै जा रही थी मांजी बोली बहु मेरी चाय कहां है

नेहा बोली मांजी आप अपने आप बना लीजिए जब घर ही मेरा नही है तो फिर मैं घर का काम क्यों करूं

मांजी गुस्से से बोली दिमाग खराब हो गया है घर का काम तुम नही करोगी तो कौन करेगा तब तक 

ससुर ,रीना ,और आकाश भी आ गए

आकाश बोला ये क्या फालतू बात कर रही हो तुम ।

नेहा बोली आज आप बीच मै क्यों बोल रहे हो वैसे तो आप कहते हो की मैं घर के मामले मैं नही पड़ना चाहता ,और रीना आज से घर के रख रखाव की जिम्मेदारी तुम्हारी ही है तुम अपने हिसाब से सब देख लेना नेहा चाय ले कर कमरे मै चली गई।

सास बोली देख क्या रहा है उसके मायके फोन लगा तब ससुर बोले जो नेहा की स्थिति समझते थे बोले नेहा सही कह रही है जब घर की जिम्मेदारी उसकी तो घर भी उसका होना चाहिए जहां अपने मन से वो रह सके कुछ कर सके नही तो घर टूटते देर नही लगती

पहले तो मांजी को समझ नही आया पर घर टूटने के अंदेशा से उन्हे डर लगा फिर वो नेहा के पास गई बोली तुम सही थी घर सबका होता है तुम्हे भी अपनी पसंद से जीने का और घर को सम्हालने का हक है मुझे ही समझने मैं देर लग गई ।

नेहा बोली माफ करना मांजी ये बात समझाने के लिए ही मुझे ऐसा करना पड़ा आप सब तो मेरे अपने ही हो  नेहा मन ही मन सहेली को धन्यवाद दे रही थी उसके चेहरे की रौनक वापस आ गई थी

#घर

स्वरचित

अंजना ठाकुर 

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