घर….. प्रियंका सिंह : hindi stories with moral

hindi stories with moral : शिवानी रोड पर बेसुध सी चली जा रही थी लगातार उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह रहे थे।।

अभी वह कुछ ही दूर पहुंची थी कि सामने से आ रही एक गाड़ी से उसकी टक्कर होते-होते बची गाड़ी उसके एकदम करीब से होकर गुजरी।।

आगे जाकर गाड़ी वाले ने गाड़ी की खिड़की खोलकर शिवानी को देखकर चिल्लाते हुए कहा अरे अंधी हो क्या रोड पर कैसे चलना है यह भी नहीं पता क्या तुम्हें??

उस आदमी के ऐसा कहने पर शिवानी ने एक बार उसकी तरफ पलट कर देखा और फिर से वो बेजान सी होकर रोड में चलने लगी।।

अब तो मौसम ने भी करवट ले ली थी आसमान में काले बादल घिर आए थे और बारिश हल्की-हल्की शुरू हो चुकी थी ।।

लेकिन शिवानी को बारिश में भीगने का एहसास नहीं हो रहा था वह बस चलती ही जा रही थी।।

देखते ही देखते शाम का अंधेरा घिर आया ।।

आसमान में काले बादल और लगातार बारिश होने के कारण आज अंधेरा जल्दी ही हो गया था ।।

उसका सर जोरों से घूम रहा है उसे सब कुछ धुंधला धुंधला सा दिखाई देने लगा और वो चक्कर खाकर वहीं पर गिर पड़ी।।

लेकिन जब शिवानी को होश आया तो उसे महसूस हुआ कि वह किसी के घर के बेडरूम में लेटी हुई है वह एक झटके से उठकर बैठ गई तभी उसके सामने एक औरत आई और उसे औरत को देखते ही शिवानी के मुंह से निकल पड़ा … अंजली तुम???

हां जीजी मैं…दरअसल शाम को जब मैं सब्जी लेकर बाजार से लौट रही थी तो मेरी नजर अचानक से रोड किनारे बेहोश पड़ी एक औरत पर गई।।

मैं ने ऑटो वाले को रुकने को कहा और पास जाकर देखा तो वो औरत कोई और नहीं बल्कि आप थी आपको इस हालत में देखकर मेरे तो हाथ पर ही ठंडा पड़ गए थे जीजी।।

फिर मैंने ऑटो वाले की मदद से आपको उठाकर ऑटो में बैठाया और यहां ले आई वैसे अब आपकी तबीयत कैसी है।।

शिवानी अपना सर पकड़ते हुए कहती है बस सर में थोड़ा सा दर्द है बाकी मैं ठीक हूं ।।

अंजलि मुस्कुरा कर प्यार से शिवानी के बगल में बैठती है और उसका हाथ अपने हाथों में लेकर कहती है भगवान का लाख-लाख शुक्र है जीजी की अब आप ठीक है ।।

वरना मैं तो डर ही गई थी पता नहीं आप बेहोशी में क्या-क्या बड़बड़ा रही थी आप बार-बार विहान और अमायरा का नाम ले रही थी …

यह दोनों कौन है जीजी??

अंजलि के इस प्रश्न पर शिवानी के चेहरे पर एक अजीब सी उदासी छा जाती है और वह अपना सर झुका कर कहती है यह दोनों मेरे बच्चे हैं।।

अंजलि शिवानी की बात सुनकर कहती है अरे वाह जीजी मतलब यह दोनों मेरे भांजे भांजी हैं इनसे मिलने का कभी मौका ही नहीं मिला तो आपके मुंह से उनका नाम सुनकर मैं पहचान नहीं पाई।।

फिर शिवानी अंजलि से पूछती है वैसे तुम्हारे कितने बच्चे हैं??

तो अंजलि कहती है हम अरे हां जीजी बातों बातों में मैं तो आपको अपने बच्चों से मिलवाना ही भूल गई फिर अंजलि आवाज लगती है…

प्रज्ञा बेटा भाई को लेकर जरा यहां आना…

अंजलि की आवाज सुनकर कमरे में एक 18 साल की लड़की और एक 16 साल का लड़का प्रवेश करते हैं अंजलि उन दोनों को प्यार से अपने पास बुलाते हुए कहती है ।।

यहां आओ बेटा इनसे मिलो ये आपकी बड़ी मासी हैं दोनों बच्चे जाकर शिवानी के पैर छूकर उसे प्रणाम करते हैं।।

फिरंजलि शिवानी से कहती है जीजी यह मेरी बेटी प्रज्ञा है और ये हैं बेटा नकुल…

शिवानी दोनों बच्चों के सिर पर प्यार से हाथ रखते हुए कहती है सॉरी बेटा अभी तो मेरे पास तुम दोनों को आशीर्वाद देने के अलावा और कुछ भी नहीं है देने के लिए।।

तो प्रज्ञा मुस्कुराते हुए कहती है हमें और कुछ चाहिए भी नहीं मासी आप बस अपना आशीर्वाद भरा हाथ ही हमारे सिर पर रख दीजिए हमारे लिए वही बहुत है।।

प्रज्ञा के मुंह से ऐसी समझदारी भरी बातें सुनकर शिवानी कुछ देर के लिए आवक रह जाती है।।

फिर अंजलि कहती है जीजी प्रज्ञा ने इसी साल मेडिकल की परीक्षा में अव्वल दर्जा प्राप्त किया है और इसका एडमिशन यहां के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज में हो गया है ।।

और सरकार इसे इसकी आगे की पढाई के लिए स्कॉलरशिप भी देने वाली है ।।

तो शिवानी अंजलि की बात सुनकर कहती है अरे अंजलि सच में तेरी बेटी तो बहुत ही काबिल निकली फिर शिवानी नकुल की तरफ देखते हुए पूछती है और बेटा तुम क्या कर रहे हो ??

तो नकुल कहता है बस मासी मैं ने इसी साल दसवीं बोर्ड की परीक्षा अव्वल दर्जे में पास की है अभी 11वीं की पढ़ाई कर रहा हूं मेरी पूरी कोशिश रहेगी कि आगे चलकर मुझे भी किसी बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन मिल जाए और मैं एक अच्छा इंजीनियर बन सकूं।।

फिर अंजलि बच्चों से कहती है अच्छा चलो अब मौसी को ज्यादा परेशान मत करो उनकी तबीयत ठीक नहीं है उन्हें आराम करने दो ।।

दोनों बच्चे अपनी मां की आज्ञा का पालन करते हुए वहां से चले जाते हैं उनके जाने के बाद शिवानी अंजलि से पूछती है अंजलि तू तो ज्यादा पढ़ी-लिखी भी नहीं थी फिर तूने अपने बच्चों को अपने अच्छे संस्कार कैसे दिए।।

अंजलि के चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कराहट आ जाती है और वह कहती है मैंने कुछ नहीं किया जीजी मैंने सिर्फ अपने घर और अपने परिवार को अपना वक्त दिया है बाकी सब कुछ तो अपने आप हो गया।।

अंजलि की बात सुनकर शिवानी एक का एक अपने अतीत में पहुंच जाती है।।

दरासल शिवानी और अंजलि दोनों चचेरी बहनें थी जहां शिवानी बड़े भाई की इकलौती खूबसूरत और लाडली बेटी थी ।।

वही शिवानी छोटे भाई की एक अनाथ और बेसहारा बच्ची जिसके मां-बाप बचपन में ही मर गए थे और उसके पालन पोषण का पूरा जिम्मा उसके बड़े पापा यानी कि शिवानी पिताजी के ऊपर था।।

लेकिन वो कहते हैं ना दूसरे का बच्चा कभी अपना नहीं हो सकता जहां शिवानी को उसके माता-पिता ने बहुत ही नाज नखरे से पाला और उसे खूब पढ़ाया लिखाया ।।

 वही अंजलि को उन्होंने बहुत ही कम पढ़ाया और घर के कामों में लगा दिया वक्त बितता गया दोनों लड़कियां बड़ी हुई शादी का वक्त आया तब भी भेदभाव के वशीभूत होकर।।

शिवानी की शादी एक बहुत ही बड़े बिजनेसमैन के बेटे से तय की गई और दूसरी तरफ अंजलि की शादी एक मिडिल क्लास फैमिली के साधारण से लड़के से हो गई ।।

और शादी के बाद तो जैसे अंजलि से उसके बड़े पापा और उनके परिवार ने अपना पिंड ही छुड़ा लिया था उसका मायके बहुत कम ही आना जाना होता था ।।

वहीं दूसरी तरफ शिवानी हर थोड़े दिन में मायके जाती है और खूब मौज करती धीरे-धीरे वक्त बिता गया और शिवानी के माता-पिता परलोक सिधार गए।।

उसके बाद तो शिवानी ने एक ही शहर में रहने के बावजूद भी कभी अंजलि की खोज खबर नहीं ली।।

शिवानी अपने पैसे और शोहरत में इतनी खो चुकी थी कि उसने अपने हाथों से ही अपना घर बर्बाद कर लिया था।।

उसे दिन भर किटी पार्टियों और मौज मस्ती से फुर्सत ही नहीं मिलती देखते ही देखते उसके दो बच्चे भी हो गए लेकिन उसने कभी अपने बच्चों पर भी ध्यान नहीं दिया ।।

उन्हें हमेशा नौकरों के हवाले ही छोड़ रखा था पति से भी वह कम ही मिल पाती अक्सर पति के आने से पहले शिवानी किटी पार्टी के लिए निकल जाती ।।

और देर रात नशे में धूत होकर घर लौटती यह सिलसिला बरसों तक चलता रहा और इसका अंजाम यह हुआ कि शिवानी के दोनों बच्चे उसके हाथ से निकल गए ।।

लडका जहां नशे  जुए की बुरी लत में पड़ गया वही लड़की को पब और डिस्को में जाकर शराब पीने की आदत लग गई।।

वो शिवानी की बात बिल्कुल भी नहीं मानते थे और दूसरी तरफ पति का भी कहीं बाहर अफेयर चलने लगा था।।

हद तो तब हो गई जब आज शिवानी के बेटे ने नशे की हालत में आकर शिवानी पर हाथ उठा दिया था

इसी सदमे के कारण शिवानी बिना किसी को बताएं घर से बाहर निकल गई थी।।

शिवानी इन्हीं सब सोच में डूबी हुई थी …तभी अंजलि उसे आवाज देते हुए कहती है अरे जीजी किन ख्यालों में गुम हो गई आप??

अंजलि की आवाज सुनकर शिवानी अपने ख्यालों के दुनिया से बाहर आती है और कहती है ।।

अंजलि एक बात बता तेरी शादी तो एक नॉर्मल मिडिल क्लास घर में हुई थी और मुझे जहां तक पता है ।।

तेरे पति के पास भी कोई खास नौकरी नहीं थी वह किसी प्राइवेट कंपनी में जॉब करते थे ना फिर तूने सब कुछ कैसे मैनेज किया।।

शिवानी के इस सवाल पर अंजलि एक लंबी गहरी सांस लेते हुए कहती है जीजी जब मैं इस घर में आई थी ना तो यहां सिर्फ दो कमरे थे एक में मैं रहती थी और बगल वाले कमरे में मेरे सास ससुर।।

पति की भी छोटी सी नौकरी थी जिसमें हमारा घर जैसे-तैसे चल जाता था लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी।।

हमेशा अपने पति के कंधे से कंधा मिलाकर चली मैंने घर में ही कपड़े सिलाई करने का काम शुरू किया आपको तो पता ही है कि मुझे शुरू से ही कढ़ाई बनाई करने का बहुत शौक था।।

बस इसी शौक को मैंने अपना आय का साधन बना लिया और धीरे-धीरे मुझे उसमें सफलता भी मिलती गई फिर दोनों बच्चे हुए।।

मैंने अपने काम के साथ-साथ बच्चों की परवरिश में भी कोई कमी नहीं छोड़ी उन्हें हर वो अच्छी चीज सीखाई जिससे आगे चलकर वह एक अच्छे इंसान बन सके ।।

और धीरे-धीरे इस मकान को भी थोड़ा बड़ा करके रहने लायक बनवाया बस जीजी इतना ही किया है मैने।।

तभी घर की डोर बेल बजती है डोर बेल की आवाज सुनकर अंजलि कहती है जीजी लगता है ये ऑफिस से आ गए आप आराम करिए मैं अभी आती हूं ।।

यह बोलकर अंजलि बाहर रूम के बाहर चली जाती है अंजलि के बाहर जाने के बाद शिवानी उस रूम के झरोखे से झांक कर बाहर देखती है ।।

जहां अंजलि के पति घर आए थे और उनके हाथों में कुछ गिफ्ट की थैलियां थी वह जल्दी से अपने बच्चों को आवाज देते हुए कहते हैं ।।

अरे प्रज्ञा और नकुल जल्दी बाहर आओ बच्चे बाहर आते हैं तो वह गिफ्ट की थैलियां बच्चों को पकड़ते हुए कहते हैं यह लो भाई मैंने अपना वादा पूरा किया।।

मैंने कहा था ना कि जैसे ही इस महीने की तनख्वाह आएगी तुम दोनों के लिए तुम्हारे बताए हुए गिफ्ट्स लेकर आऊंगा तो लो संभालो अपने गिफ्ट्स।।

बच्चे खुशी से अपने पिता के गले लग जाते हैं और अपना गिफ्ट लेकर अंदर चले जाते हैं बच्चों के अंदर जाते अंजलि के हस्बैंड एक और गिफ्ट का थैला अंजलि के हाथों में देते हुए कहते हैं ।।

और ये गिफ्ट मेरी प्यारी पत्नी के लिए अंजलि वह पैकेट हाथ में लेते हुए कहती है अरे इसकी क्या जरूरत थी आप भी ना बच्चों के लिए गिफ्ट ले आए इतना काफी नहीं था क्या??

तो अंजलि के हस्बैंड प्यार से उसे गले लगाते हुए कहते हैं तुमने मेरे इस मकान को एक घर बनाया है अगर तुम नहीं होती ना तो पता नहीं मेरा क्या होता।।

तुमने हर सुख दुख में मेरा साथ दिया है और बहुत ही समझदारी इस मकान को एक घर बनाया है जहां अपनों का साथ और खुशियां बस्ती है।।

तो फिर एक गिफ्ट तो तुम्हारे लिए बनता ही है ना…

अंजलि अपने पति की बात सुनकर प्यार से उनके गले लग जाती है।।

और अंदर कमरे में खड़ी हुई शिवानी अंजलि और उसके परिवार का प्यार देखकर मन ही मन सोचती है ।।

कि सिर्फ पैसा और शोहरत ही सब कुछ नहीं होता एक मकान को घर बनाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है उसे घर की औरत का समझदार और परिवार के लिए अपने दायित्व को समझना ।।

अगर घर की लक्ष्मी अपनी जिम्मेदारी और मर्यादाएं निभाना जानती हो तो फिर वह छोटे से मकान को भी एक स्वर्ग जैसा घर बन सकती है।।

और अगर वो ही अपनी जिम्मेदारी ना समझे तो एक बसे बसाए घर को भी एक खंडहर जैसा नर्क बना सकती है।।

यह सब सोचते सोचते शिवानी की आंखों से फिर आंसुओं की धारा बहने लगती है वह चुपचाप अपने आंचल से अपने आंसू पूछती है और अंजलि को बिना बताए पीछे के दरवाजे से निकलकर चली जाती है।।

प्रियंका सिंह

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