घर की इज्ज़त – माधुरी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

रात के बारह बजे जैसे ही सुमन ने अपने हॉस्टल रूम में प्रवेश किया,उसकी रूम मेट सुहानी ने कहा, आ गई उस सिर फिरे लडके के साथ मूवी देख कर,अभी भी कहती हूं संभल जा,नही तो बुरा अंजाम होगा उसकी संगति का। वह लड़का एकदम ठीक नहीं है।

तुम रजत के बारे में क्या ऊट-पटांग बोल रही हो,मेरी लाइफ है कुछ भी करू। कहीं भी जाऊ, इट्स नन ऑफ योर बिजनैस।रूम मेट हो,तो अपनी सीमाएं मत लांघो। मेरी मां बनने की कोशिश मत करो,यहां मत जाओ, जल्दी घर बापिस आओ,आदि,आदि।बड़ी मुश्किल से तो मां की टोका-टाकी से छुटकारा मिला है

अब कॉलिज लाइफ़ में थोड़ी बहुत मस्ती तो चलती ही है, मैं हर समय तुम्हारी तरह किताबों में सिर घुसा कर नही रह सकती।रजत मेरा बहुत अच्छा वॉय फ्रेंड है, तुम्हारा कोई वॉय फ्रेंड नहीं है, इसलिए तुम मुझसे जलती हो।

देखो,सुमन हमारे पेरेंट्स ने हमें यहां कॉलिज मेंपढ़ाई करके अपना अच्छा फ्यूचर बनाने के लिए भेजा है।तुम तो जानती ही हो कि आजकल पढाई पर कितना खर्चा होता है।इस खर्चे को पूरा करने के लिए उनको कितना सैकरीफाइस करना पड़ता है। तोफिर हमारा भी तो यह कर्तव्य बनता है कि हम पढाई में अपना मन लगाएं।

तुम्हारे घर से कई बार फोन आचुका है। आज तो मैंने किसी तरह कुछ बोलकर। तुम्हें बचा लिया लेकिन आगे से मैं तुम्हारे लिए झूठ नही बोलूंगी।सीधा सीधा कह दूंगी कि तुम किसी लड़के के साथ घूमने गई है,फिर तुम जानों या तुम्हारे घरबाले।

मुझे कोई शॉक नहीं है तुम्हारी लाइफ में दखलंदाजी करनेका।इसका अंजाम अच्छ हो या बुरा जो भी होगा, तुम्हें ही भुगतना होगा।फिर मत कहना।इस मौज मस्ती में कहीं तुम्हारे घर की इज्जत न दांव पर लग जाय,बस इसीलिए तुम्हें सावधान किया है,आगे तुम्हारी मर्जी जो चाहे करो। तुम्हारी रूममेट होने के कारण तुम्हें आगाह करना मेरा फ़र्ज़ था,आगे तुम्हारी मर्जी जो चाहे करो।

इस कहानी को भी पढ़ें:

मेरी बिंदिया रे – पुष्पा कुमारी ‘पुष्प’ : Moral Stories in Hindi

सुमन व सुहानी दोनों ही मिडिल क्लास परिवार से थी,सुमन के बापूजी जहां किसी स्कूल में टीचर थे वहीं सुहानी के बापूजी किसी प्राइवेट फर्म में काम करते थे।बेटियों का भविष्य उज्जवल हो इसलिए ही यहां दिल्ली में आगे की पढ़ाई के लिए भेजा था।

सुमन स्वभाव से कुछ चंचल थी वही सुहानी समझदार सुलझी हुए स्वभाव की थी।अपने परिवार की स्थिति को समझते हुए वह अपना ध्यान पढ़ाई पूरी केंद्रित करती थी,वहीं सुमन पढाई की तरफ अधिक ध्यान न देकर मौज मस्ती की तरफ ध्यान देती थी।

कॉलिज में एडमिशन लेने के कुछ दिनों बाद ही सुमन की दोस्ती रजत से हो गई,रजत किसी अमीर बाप का बिगड़ैल बेटा था,जो सिर्फ तफरी व मौज मस्ती के लिए कॉलिज आता था।पढ़ाई से उसका दूर दूर तक कोई लेना देना नही था।वह अपने पैसों से अपनी गर्ल फ्रेंड को खूब घुमाता पिक्चर देखता साथ ही उनको मंहगे गिफ्ट भी देता।

सुहानी को उसकी कजिन ने जो इसी कॉलेज में पढ़ती थी,ने रजत के बारे में सब कुछ बता दिया था,कि यदि वह तुम्हारे साथ दोस्ती करना चाहे तो उससे दूर ही रहना। लड़कियों से छेड़छाड़ के मामले में उसको कई बार प्रिंसिपल की तरफ से चेतावनी भी दी गई थी,कि आगे से इस तरह की हरकत करने पर उसे कॉलिज से रैसटीकेट कर दिया जायगा।अब चूंकि उसके फादर इस कॉलेज के ट्रस्टी भी थे, इसलिए छोड़ दिया जाता था।रजत हमेशा नई लड़कियों को अपने चंगुल में फंसाने की फिराक में रहता था।

इस बार उसने सुमन कोअपनेजाल में फंसाया था,सुहानी ने जबसुमनके हाथ में नया फोन देखा तो वह तुरंत समझ गई कि फोन रजत ने ही उसे दिलबाया होगा।सुमन ने भी चहकते हुए सुहानी को फोन दिखाया,देखो रजत ने आज मुझे नया आई फोन गिफ्ट किया है,जानती हो ये फोनपूरे चालीस हजार का है, कुछ भी कहो यार कॉलिज लाईफ में मजे तो बहुत है,और वो भी दिल्ली जैसे मैट्रो सिटी में।

सुमन पर रजत के मंहगे तोफहों का रंग धीरे-धीरे चढ़ता जारहा था।वह पढ़ाई पर कम ध्यान देकर रजत के साथ घूमने-फिरने को अधिक एंजॉय कर रही थी ।इसी कारण पहले सेमिस्टर के टेस्ट में उसके नम्बर भी काफी कम आए, इस बात का उसे जरा भी अफसोस नहीं था।जब सुहानी ने उसके कम नंबरों के बारे में कहा तो उसने लापरवाही से कंधे। उचका कर कहा क्या होगया पहला सेमिस्टर ही के है आगो कवर कर लूंगी,तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो मुझ पर नहीं।

इस कहानी को भी पढ़ें:

खून -खौलना – संगीता श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

एक दिन शनिवार को रजत ने सुमन से कहा आज मेरे किसी खास फ्रेंड का बर्थ डे है,उसने तुमको भी इनबाइट किया है,चलोगी न,देखो मना मत करना,पहले तो सुमन ने आनाकानी की लेकिन रजत के बहुत कहने पर वह पार्टी में चलने को राजी होगई।शहरसे काफी दूर किसी फार्म हाउस में पार्टी रखी गईं थी। मुश्किल सेआठदस दोस्त रहे होंगे रजत के। पहले तो खाना-पीना केक काटना हुआ फिर डांस व ड्रिंक का दौर शुरू हुआ।सुमन से भी रजत ने ड्रिंक करने को कहा,पहले तो उसने मना कर दिया फिर जब रजतने कहा कि एक दो पैग लेलो ,कुछ नहीं होगा। पार्टीज में ये सब चलता है।

सुमन ने भी रजत के कहने पर ड्रिंक कर लिया।बाकी दोस्त तो चले गए रजत व जिस फ्रैंड की बर्थ डे थी सिर्फ वही रह गए,तो लाइट आफ करके रजत व उसके फ्रैंड ने सुमन की इज्जत पर हाथ डालने काी कोशिश की,।जब सुमन ने इस तरह की बेहूदगी करने के लिए मना किया कि ये सब गलत है तो रजत ने कहा, बड़ी भोली हो,ये सही गलत तुम कबसे सोचने लगी,जब टाइम बेटाइम मेरे साथ घूमती थी ,तब तो सही गलत का ध्यान नही आया,अब बड़ी सती सावित्री बन रही हो।सुमन ने चिल्लाने की कोशिश की तो

रजत ने वेशरमी से खीसें निपोरते हुए कहा,बेबी प्यार में सही गलत कुछ नही होता,यदि हमने कुछ देर तुम्हारे शरीर से खेल लिया तो क्या होजायगा।बैसे भी यह जगह शहर से काफी दूर है,दूसरे यहां तुम्हारी आवाज़ सुनने व मदद करने कोई नही आसकता तुम्हारा भला इसी में है कि चुपचाप हमारी बात मानो और तुम भीएनजॉय करो इस मोमेंट को।

रजत की ऐसी बातें सुन कर सुमन में न जाने कहां से इतनी ताकत आगई कि उसने शराब की बोतल उठा कर रजत व उसके दोस्त के सिर पर दे मारी और वहां से भाग ली।रात का समय सुनसान सड़क डर तो लग रहा था लेकिन भगवान का नाम लेकर आगे बढ़ रही थी। फिर न जाने कहां से एक फरिश्ता आया जिसने अपनीकारमें उसे लिफ्ट दी और उसे उसके हॉस्टल मे छोड़ गया।

आधी रात को इस बदहबासी की हालत में जब सुमन को सुहानी ने देखा तो उसे समझते देर नहीं लगी कि ये बेहूदा कारनामा सिर्फ रजत का ही किया धरा हो सकता है।

सुमन भी रूम में आकर सुहानी से लिपट कर फूट फूट कर रोने लगी,व सारी बातें सुहानी को बताई कि किस तरह

आज उसने उसरजत से अपनी इज्जत बचाई है।सच तुम ठीक ही कहती थी।आगेसेमैं उस लफंगे से कोई मतलब ही नहीं रखूंगी। सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ही फोकस करूंगी। चलो देर आयत,दुरूस्त आयत।तुमको ठीक समय पर अकल आ गई, वर्ना तुम्हारे घर की इज्जत दांव पर लग जाती।

स्वरचित व मौलिक

माधुरी गुप्ता

नई दिल्ली

घर की इज्जत शब्द पर आधारित कहानी

VM

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!