सरला बड़ी सरल ह्रदय महिला थी स्कूल में पढ़ाती थी , पति की किराने की दुकान थी ,दो बच्चे एक बड़ा बेटा राजीव एक बेटी रोशनी ,उसने अपने बच्चों को ,घर गृहस्थी को अच्छे से संभाला हुआ था ,उसके पति भी नरम मिजाज के व्यक्ति थे।बच्चे भी समझदार थे बेटा थोड़ा तेज स्वभाव का तुनक मिजाज था कई बार मनमोहन की अनुपस्तिथि में दुकान पर बबलू को कहता रुपये देने के लिए तो वह मना कर देता कि बिना इजाजत नहीं दे सकता तो उससे बदतमीजी कर रहा था तभी मनमोहन आ गया और तेज डांट लगाई ,बबलू तुमसे बड़ा है बड़े भाई समान है कैसे बात कर रहे हो ,जो अपने बडो को इज्जत नहीं करता सब उसकी बुराई करते हैं ये सभ्य इंसान की निशानी नही है समझे जाओ घर , गुस्से में राजीव घर आ गया ।
मां ने जब बात सुनी तो यही समझाया कभी भी छोटे हों या बड़े आप कैसे बात करते हो ये आपके संस्कार बताते हैं कुछ दिनों से में देख रही हूं बहुत गुस्सा करने लगे हो छोटी छोटी बातों पर, ओर अगर तुम्हें रुपये चाहिए थे तो पापा का इंतजार कर लेते या मुझ से ले जाते, बबलू की इसमें कोई गलती नहीं है वो हमारी दुकान पर काम करता है इसका मतलब ये नहीं कि उसकी कोई इज्जत नहीं कल तुम जाके उससे माफी मांगना समझे ।
तब तो राजीव तुनक कर चला गया । रात में मनमोहन से सरला कहती है बड़ा ही उदण्ड होता जा रहा है रोशनी से भी जरा जरा बात पर झगड़ा करता है कैसे समझाएं, कोई नहीं बढ़ती उम्र है अभी ,समझ जाएगा तुम चिंता मत करो।
कुछ साल बीत जाने पर बेटे की रेलवे में नोकरी लग जाती है बड़ा खुशी का दिन था सबके लिए मिठाई बांटी मोहल्ले में इधर रोशनी की भी स्कूल मे नोकरी लग गई थी ।
सरला के पहचान में एक परिवार रोशनी को बड़ा पसन्द करता था उन्होंने अपने बेटे के लिए उसका हाथ मांगा ,कपड़े की शॉप थी छोटा परिवार था और जानपहचान वाले लोग थे ,लड़का लड़की ने भी एक दूसरे को पसन्द कर लिया ,सरला ने पहले ही बता दिया हम दहेज के खिलाफ हैं , हम स्वेक्षा से ही देंगे ,केंसी बात करती हैं आप लड़के की माँ ने कहा इतनी सुशील लड़की हमारे घर की बहू बनेगी ओर क्या चाहिए हमे ,आपने इतना पढ़ाया लिखाया ,अपने पैरों पर खड़ी है ये बात क्या किसी से कम है सरला खुश हो जाती है ,4 महीने बाद शादी हो जाती है रोशनी की ।
इस कहानी को भी पढ़ें:
तांत्रिक – कमलेश राणा
रोशनी की बसी गृहस्थी देख सन्तुष्ट हो गई थी।
बस अब उसे राजीव की चिंता थी , अभी कुछ महीने पहले 60 किलोमीटर दूर शहर में क्वार्टर भी मिल गया था और वह अकेला रहने चला गया क्योंकि रोज अप डाउन करना थोड़ा मुश्किल हो रहा था इधर रोशनी के ससुराल पक्ष के दूर की रिश्तेदारी में राजीव के अपनी बेटी का रिश्ता उसके लिए भेजा लड़की सुंदर सुशील थी एक छोटा भाई और मां घर में थे पिताजी नहीं थे उनकी पेंशन से और किराए की दुकानों से घर चलता था सरला को यह रिश्ता अच्छा लगा उसने अपने बेटे से कहा बेटा तुम एक बार देख लो मुझे लड़की बहुत अच्छी लगी है राजीव अभी शादी करने के मन में नहीं था सरला ने पूछा तुम किसी और से शादी करना चाहते हो क्या राजीव ने मना किया तो फिर क्यों नहीं अच्छी लड़की है देख लो अगर पसंद आ जाती है तो आगे बात बढ़ाएंगे नहीं तो जरूरी नहीं है इस बात पर राजीव तैयार हो गया ।
रोशनी के घर दोनों परिवार आये ,थोड़ी देर राजीव और सलोनी को दूसरे कमरे में ले गई रोशनी ,जिससे वह अकेले में बात कर सके औपचारिक बातें होने के बाद वह बाहर आ गए ,घर आकर सरला ने पूछा कैसी लगी तुम्हें सलोनी अच्छी है मां अगर आप लोग को पसंद है तो मुझे भी कोई एतराज नहीं है।
सरला सुनकर खुश हो गई मनमोहन से बोला जल्दी पंडित जी से शादी का मुहूर्त निकलवा लीजिए 2 महीने बाद शादी की तारीख तय हो गई जल्द ही सारी तैयारियां शॉपिंग शुरू हुई और राजीव और सलोनी की शादी हो गई कुछ समय सरला के पास रही सलोनी फिर राजीव और सलोनी पास के जगह घूमने गये ।वैसे राजीव अच्छा था लेकिन अकेले रहने के कारण उसको दोस्ती यारी में शराब की लत लग गई थी तुनक मिजाज तो था ही छोटी-छोटी बात पर गुस्सा भी कर देता था जब सलोनी राजीव के पास रहने क्वार्टर में आई थोड़े दिन अच्छा चला कभी-कभी राजीव उस पर छोटी-छोटी बात पर गुस्सा करता था ,रात में कभी-कभी दोस्तों के साथ बैठने के कारण शराब पीकर भी आता झगड़ा करता ,दूसरे दिन माफी भी मांग लेता, सलोनी भी क्या करती ,उसने सोच लिया जैसे जीना है अब मुझे यहीं जीना है ।
इस बीच सरला के दोस्त की बेटी की शादी उसके शहर में थी सरला 2 दिन पहले शादी के अपने बेटे बहू के पास आ जाती है उसने देखा राजीव का व्यवहार अच्छा नहीं है सलोनी के साथ छोटी-छोटी बात पर नाराज होता है झल्ला जाता है ,उसने समझाया भी यही शिक्षा दी है क्या मैंने तुम्हें ,तुमने कभी अपने पापा को मुझसे इस तरीके से बात करते हुए देखा है पति पत्नी का रिश्ता समान होता है दोनों को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए तभी यह रिश्ता मजबूत बनता है, गलती क्या तुमसे कभी नहीं होती ।
इस कहानी को भी पढ़ें:
माँ की पीड़ा – दीपनारायण सिंह
दूसरे दिन सब लोग शादी में जाते है, दूसरे दिन सलोनी उसे बताती है कि वह दादी बनने वाली है सरला बहुत खुश हो जाती है और कुछ महीने बाद वह फिर से आने का बोल कर चली जाती है। धीरे-धीरे समय व्यतीत होता रहता है राजीव इस बीच ज्यादा दोस्त यारों में बैठने लगता है और शराब पीकर आता है सलोनी बोलती है अब हमारे घर बच्चा आने वाला है आप शराब में ऐसे रुपए मत उड़ाइये काम आएंगे, वह बोलता है अब तुम बताओगी मुझे ,मैं कमाता हूं तो मुझे हक है मैं कैसे भी खर्च करूं तुम्हें क्या तुम्हें तो खाना रहना सब मिल रहा है ना सुहानी सुनकर चुप हो जाती है कुछ महीने बाद सरला फिर से रहने आती है उसने सोचा सलोनी गर्भवती है थोड़ा सहारा हो जाएगा,
उसका पूरा ध्यान रखती एक रात राजीव और सलोनी का शराब की बात पर झगड़ा हो रहा था वह अपने दोस्त यारों पर शराब पर बड़ा पैसा खर्च करता था उसकी दोस्त लालची किस्म के थे खाना-पीना बस इसी की यारी थी , झगड़े की आवाज कमरे के बाहर तक आ रही थी सरला की नींद खुल गई उसने दरवाजा खटखटाया तो सलोनी रो रही थी उसने सलोनी को सीने से लगाया और राजीव को बोला यही संस्कार दिए हैं मैंने तुम्हें एक अच्छा इंसान कैसा व्यवहार करता है यह उसकी परवरिश बताती है तुमने आज मुझे शर्मिंदा कर दिया, मैं अपनी बहू से कैसे नजरें मिलाऊँ बताओ, जो इंसान औरत की इज्जत नहीं कर सकता वह किसी लायक नहीं है बहु घर की लक्ष्मी होती है और मैं अभी जिंदा हूं तुम इस काबिल नहीं हो कि मेरे घर की इज्जत को अपने घर रख सको ,मैं ले जाऊंगी इसे ,तुम रहो अपनी शराब और दोस्तों के साथ राजीव सुनकर सन्न रह जाता है,
नहीं मैं अब नहीं करूंगा मां,पिछली बार भी तुमने यही कहा था मैं कल निकल जाऊंगी ।औरत को अपनी इज्जत सबसे प्यारी होती है जिस पति के लिए भी लिए वह अपना सब कुछ न्यौछाबर कर देती है यदि वह पति ही उसकी इज्जत न करे प्यार सम्मान न तो वह कैसे सुखी रह सकती है । वह जीती तो हे परिवार के लिए पर उसकी अंतरात्मा पल पल मरती है।
सलोनी को अपने कमरे में ले जाती है, सुबह होती है बैगपैक हो चुके थे , सरला ने राजीव से कहा टैक्सी बुला दो राजीव माफी मांगता है मां माफ कर दो ,आगे से अगर कोई भी शिकायत सलोनी करती है तो आप जरूर से सलोनी को ले जाना , तुम्हारी यही सजा है तुम कुछ दिन अकेले रह कर आत्ममंथन करो जैसा व्यवहार तुम करते हो ,रोशनी के साथ हो तुम सह पाआगे तुम्हारा बच्चा आने वाला है वह भी तुमको देखकर यही सीखेगा क्या तुम ऐसे संस्कार अपने बच्चे को देना चाहते हो ।
पता नहीं मैंने ऐसे कौन सी कमी कर दी जो तुम सलोनी जैसी बहू की इज्जत ना कर पाए , आखिरकार सरला सलोनी को ले जाती है घर पहुंच कर मनमोहन को सारी बात बताती है मनमोहन साथ देता है अच्छा किया तुमने थोड़े दिन उसको अकेले रहने दो इधर सलोनी के बिना घर राजीव को काटने दौड़ता है अब उसका शराब में भी मन नहीं लग रहा था जब रुपए नहीं दिए तो दोस्तों ने भी कन्नी काटनी शुरू कर दी उसे एहसास हो गया था यह दोस्त केवल रुपए के कारण उसके यार थे।
वह ट्रेन पकड़ कर घर आता है और मां के पैर पकड़ कर माफी मांगता है सलोनी के सामने हाथ जोड़ता है मुझे माफ कर दो अब मैं शराब छोड दूंगा, उन दोस्तों से मैंने दूरियां कर ली हैं। मैं सलोनी को वह इज्जत प्यार दूंगा जिसकी वह हकदार है…….
नंदिनी
स्वलिखित
#इज्जत