होठों से बहता खून माथे पर ग़ुमड़ शरीर पर नीले नीले चोटों के निशान लिए सुरभि अपनी सास और ससुर के सामने खड़ी थी… शादी के तीन साल होने को आए पर हर चौथे दिन रमन मेरे साथ ऐसे हीं जानवरों सा व्यवहार करता है.. बताइए मम्मी जी पापा जी मैं क्या करूं… बिलखते हुए सुरभि ने पूछा… रमन तब तक बाहर अपने दोस्तों के साथ निकल चुका था….
सासू मां और ससुर जी ने पहले तो अपना पल्ला झाड़ना चाहा… सुरभि बोली अगर आप लोग के पास जवाब या समाधान नहीं है तो मैं मायके जा रही हूं… बात बिगड़ते देख मम्मी जी ने कहा बेटा दोनो घरों की इज्जत तुम्हारे हाथ में है… तुम्हारी एक छोटी बहन है और एक छोटा भाई है जिनकी शादी नहीं हुई है
और तुम्हारा देवर राजीव और ननद रीमा के लिए भी मुश्किल हो जाएगा… ये समाज तुम्हे माफ नहीं करेगा… रमन को हम समझाएंगे…. पति पत्नी के बीच की बात तीसरे तक नहीं जाने देना हीं खानदानी लड़की की पहचान है… रमन वैसे तो बहुत अच्छा लड़का है पर दोस्त जब पिला देते हैं तो बहक जाता है और हाथ उठा देता है…
पति को भगवान का दर्जा दिया जाता है सुरभि… थोड़ा तुम भी बर्दाश्त करो… सुरभि गुस्सा क्षोभ और अपमान से बिफर पड़ी… उसने अपना फैसला सुना दिया मै मायके जा रही हूं… रमन जब तक हाथ उठाने की आदत और मुझे गाली देने की आदत नहीं छोड़ेंगे तब तक मैं वापस नहीं आऊंगी… और सुरभि निकल गई…
रात भर के सफर के बाद सुबह जब मायके की दहलीज पर कदम रखा तो खुश होने के बदले मम्मी पापा दादी के चेहरे सुरभि को देखते हीं स्याह पड़ गए.. दामाद जी से झगड़ा कर के आई हो? मम्मी ने पूछा… देख लो तुम्हारे दामाद जी ने मेरे साथ कैसा जानवरों जैसा बर्ताव किया है… दादी सौम्या को दरवाजा बंद करने बोली…
पड़ोस वालों को पता चलेगा तू झगड़ा कर के आई है तो# घर की इज्जत#मुहल्ले में उछलने में समय नहीं लगेगा.. सुरभि अवाक रह गई… मेरे शरीर पर पड़े चोटों के दाग से ज्यादा इन्हें अपने घर की इज्जत…
सुरभि रोते हुए ऊपर कमरे में चली गई और दरवाजा बंद कर लिया… मम्मी पापा और सौम्या दरवाजा खुलवाने आए… सुरभि ने कहा मुझे थोड़ी देर अकेला छोड़ दीजिए और हां डरिए मत मै आत्महत्या नहीं करूंगी…
सुरभि अतीत में चली गई…बचपन का सहपाठी नमन से कब दिल के तार जुड़ गए पता हीं नहीं चला… घंटों दोनों एक दूसरे से बातें करते…देश दुनिया पढ़ाई सहपाठी न जाने कितने विषय थे…गोरी लंबी दुबली पतली लंबी चोटी वाली सुरभि की आंखों में एक अजीब सी कशिश थी…
नमन भी आकर्षक व्यक्तित्व का शांत गंभीर मृदुभाषी लड़का था.…जब नमन कोलकाता सीए की पढ़ाई करने जाने लगा तो दोनो को महसूस हुआ.. एक दूसरे के बिना रहना मुश्किल है..नमन मारवाड़ी और मै ब्राम्हण परिवार की लड़की… रिश्ता के लिए सहमति थोड़ी कठिन जरूर थी पर असंभव नहीं थी…
नमन ने मुझसे वादा किया था शादी तुम से हीं करूंगा वरना अकेला हीं रहूंगा… पीजी के एग्जाम खत्म होने के बाद पापा ने कहा कल शाम को लड़के वाले तुझे देखने आ रहे हैं.. अच्छे से तैयार हो जाना… मैने पापा को अपने और नमन के बारे में बताया… पापा भड़क गए.. घर खानदान की इज्जत की दुहाई देने लगे…
अंत में कहा मै आत्महत्या कर लूंगा.. दूसरे जाति में शादी मेरे जीते जी संभव नहीं है… मम्मी और दादी मेरे सामने हाथ जोड़ने लगी.. मेरे सुहाग को मत छीनो… मेरे बेटे को मत मारो सुरभि… अपने भाई बहन का मुंह देखो इनकी जिंदगी भी बर्बाद हो जाएगी.. और मैं रमन की पत्नी बन उसके घर आ गई…
नमन के बारे में सोचती तो आंसू नहीं रुकते… कहीं से रमन को मेरे और नमन के बारे में पता चल गया… हमेशा ताने देने लगा.. यार की याद आ रही है… कहां तक आगे बढ़ गई थी यार के साथ…
हाथ तो पहले भी उठाता था अब और बढ़ गया था… मायके जाने की मनाही कर दिया… तीन साल हो गए मायके गए हुए…. मेरी सहेली फोन पर बताई थी नमन अहमदाबाद में नौकरी कर रहा है… घर में एलान कर दिया है शादी की चर्चा ना करें.. मैं कभी शादी नहीं करूंगा…
धीरे धीरे मुहल्ले में मेरे आने की खबर हो गई.. कामवाली ने सबको बता दिया… कानाफूसी होने लगी… झगड़ा कर के आई है… दो महीने हो गए कोई आया नहीं ससुराल से.…
घर का माहौल बहुत बोझिल हो चुका था.. मम्मी पापा दबाव बनाने लगे वापस भेजने के लिए… रमन बोला सबके सामने पैर पकड़ के माफी मांगे फिर वापस आएगी.. चोरी और सीनाजोरी… इसी कश्मकश में पांच महीने गुजर गए… मैने अपनी दोस्त जो वकील थी उसके साथ बात कर चुपके से तलाक का मुकदमा दायर कर दिया…
रमन के पास नोटिस गया तो उसने मेरे पापा को फोन किया… पापा पूरा घर सर पर उठा लिया… एक तरह से मुझे घर से जबरदस्ती ससुराल भेजने की तैयारी चलने लगी… मैं अपनी दोस्त के घर चली गई… नमन भी अहमदाबाद से आ गया था… नमन ने वर्किंग वूमेंस हॉस्टल में मेरे रहने की व्यवस्था की…
दो साल तक मुकदमा चला.. नमन और उसके घरवाले मेरे साथ साए की तरह रहे… रमन ने मेरे इज्जत की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी… मेरे घरवालों ने रिश्ता तोड़ लिया… और मुझे तलाक मिल गया… नमन के साथ मेरी शादी सादे समारोह में हो गई…. आज मैं नमन के# घर की इज्जत #हूं… नमन के साथ अगले सप्ताह अहमदाबाद जा रही हूं… नमन का परिवार हीं मेरा मायका और ससुराल है… और मै उनके# घर की इज्जत #
लेखिका : वीणा सिंह
#घर की इज्जत