लक्ष्मी घर की बड़ी बहू हर एक काम में बहुत होशियार कभी भी किसी काम में ना नकुल नहीं करती थी सविता की दो बहुएं दोनों पढ़ी-लिखे आई हुई थी देवरानी जेठानी मिलकर सुबह शाम का काम अपने हिसाब से कर लेती थी सविता ने दोनों के बीच कोई मन मुटाव न हो इसलिए उन्होंने दोनों के अपने काम बांट दिए थे और उनको कह भी दिया था
कि जीवन में तुम दोनों कभी अलग मत होना अपने अकॉर्डिंग ही काम कर लिया करो जैसे सुबह का खाना बड़ी बहू ने बना लिया तो शाम का खाना छोटी बहू बना लेगी बड़ी बहू किसी काम में व्यस्त है तो सुबह का खाना छोटी बहू बना लेती थी
तो शाम का खाना पूरा बड़ी बहू देख लेती इस प्रकार से सविता की दोनों बहू में बहुत समझदार थी कहीं भी जाना दोनों मिलकर ही जाती थी कोई भी नहीं कह सकता था कि दोनों बहू में है या दोनों बहने हैं
दोनों में इतना प्यार कभी-कभी तो ऐसा होता था कि दोनों एक सी साड़ी पहनती थी कभी एक-एक सा नेकलेस पहन लेती थी यहां तक की उन्होंने किटी पार्टी भी एक साथ ही ज्वाइन की सविता को अपने घर का माहौल देखकर बहुत अच्छा लगता था और लगता था कभी-कभी के कोई यहां आकर नजर ना लगा दे…..
एक दिन अचानक बुआ सास का फोन आया मैं गंगा स्नान करके भाभी आपके घर आना चाहती हूं सविता ने तुरंत हां कर दी और दोनों बहू को बता भी दिया कि तुम्हारी बुआ सास आ रही है उनकी आव भगत में कोई कमी नहीं होनी चाहिए…. दोनों बहुएं उनकी आव.. भगत के लिए तैयारियां शुरू कर दी… लक्ष्मी और शांति दोनों बहू ने मिलकर प्लान बनाया कि जितने दिन बुआ सास घर में रहेंगी…
इतने दिन ही अलग-अलग आइटम घर में बनाएंगे… और उन्होंने एक लिस्ट तैयार कर ली.. और अपनी सासू मां को दिखाकर पूछ लिया !की मम्मी आप इसमें कोई चेंज करना चाहती हैं🥰 तो बता दीजिए सविता यह देखकर बहुत खुश हुई
कि हमारी बहूएं इतनी पढ़ी-लिखी और समझदार है कि उन्होंने हर दिन का मेनू अलग बना लिया है …इनका काम करने का अंदाज ही अलग है सविता ने कहा- बिल्कुल ठीक है: बस तुम लोग किसी बात पर उनसे जवाब सवाल नहीं करना.. क्योंकि इसके पहले वह जब भी आए हैं घर में कुछ ना कुछ तमाशा जरूर हुए हैं
लक्ष्मी और शांति ने कहा कि मम्मी आप बिल्कुल टेंशन मत लीजिए हम लोग पूरा घर बच्चे और बुआ सास को संभाल लेंगे।
सुबह लक्ष्मी के पति उमेश बुआ सास को स्टेशन पर लेने गए वहां पर बुआ सास के चरण स्पर्श करके उनको कार में बिठाकर उमेश घर ले आए… शांति ने बुआ सास को पहली बार देखा था लक्ष्मी की शादी के बाद बुआ सास पहली बार घर में आई थी
शांति ने उनके पैर छुए तुरंत ही बुआ सास ने कहा -कि तुम्हारी सास ने पैर छूना नहीं सिखाया ….अच्छे से दबाकर बैठकर चरण स्पर्श करने चाहिए
शांति ने कहा जी बुआ जी और…. उसने वैसे ही चरण स्पर्श किया.. लक्ष्मी
लक्ष्मी ने भी चरण स्पर्श किए और बुआ से कहा कि बुआ आपके लिए पानी गर्म हो गया है नहा लीजिए
फिर मैं आपको नाश्ता लगा कर देती हूं बुआ सास ने कहा -अभी मुझे बैठने तो दो पहले फिर मैं दो-चार बातें करूंगी.. तब नहाने जाऊंगी.. लक्ष्मी ने कहा जी बुआ जी दोनों बहू में अपने काम में व्यस्त हो गई और बुआ सास नित्य क्रिया से निपट कर आकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गई
उन्होंने नाश्ता वगैरह बहुत अच्छे से किया और गपशप की फिर खाना का समय हो गया लक्ष्मी ने बुआ सास को आवाज दी की बुआ जी खाना तैयार हो गया है..
आप डाइनिंग टेबल पर आ जाइए फिर शांति ने घर के सभी लोगों को आवाज दी की मम्मी पापा जी डाइनिंग टेबल पर आ जाइए खाना तैयार हो गया है
बुआ सास ने जैसे ही एक निवाला लिया कहने लगी आज तो नमक भाभी बहुत ज्यादा हो गया…
सब्जी में सविता जी ने सब्जी टेस्ट की तो बिल्कुल भी नमक ज्यादा नहीं लगा सविता ने कहा जीजी आप दाल के साथ खा लीजिए दही भी है
बुआ लक्ष्मी से कहने लगी कितने सालों में तुम खाना बनाना नहीं सीख पा रही हो क्या?? लक्ष्मी की आंखों से आंसू आने लगे…
बुआ जी मैं तो सब्जी टेस्ट करने के बाद ही आपके परोसी मुझे तो नमक बिल्कुल भी नहीं लग लगा था ।
यह सुनकर लक्ष्मी और शांति वहां से हट गई और सविता जी ने सभी को परोस दिया कुछ देर बाद खाने होने के बाद चाय और बिस्किट शांति ने बुआ जी को लाकर दे दी।
बुआ जी का लगभग तीन दिन हो गए इन तीन दिनों में बुआ जी ने घर को हिला कर रख दिया।
कभी लक्ष्मी की बुराई करती तो कभी शांति की बुराई करती
लेकिन सविता जी को कभी बुरा नहीं लगता क्योंकि उनको पता था उनकी बहुएं बहुत अच्छी है ।
और वह हमेशा कहती थी कि सावित्री जीजी आप क्यों इन बातों में समय बर्बाद करती हैं।
अब तो आपकी उम्र हो गई है आप तो पूजा पाठ ध्यान में मन लगाया करिए..
मैं भी अपना ध्यान पूजा पाठ में ही ज्यादा से ज्यादा लगाती हूं सावित्री जीजी आज हम चलते हैं रामायण पाठ में वहां आपको भी अच्छा लगेगा..
और हमें भी अच्छा लगेगा सावित्री जीजी भाभी तुम्हारी उम्र हुई है मेरी उम्र नहीं हुई है । अचानक सावित्री अपनी बहू की तारीफ करने लगी..
सब करने के लिए मेरी बहु इतनी अच्छी है कि मुझे हर चीज हाथों पर लाकर देती है लेकिन सविता को पता था कि उनकी बहू से उनकी बिल्कुल नहीं बनती है इसलिए यह साल भर कहीं ना कहीं जाती रहती हैं सावित्री और सविता ड्राइंग रूम में बैठी हुई थी तभी लक्ष्मी का मोबाइल बजा लक्ष्मी ने फोन उठाकर बात करनी शुरू कर दी
और हंसकर बात करने लगी यह देखकर सावित्री को बहुत चिढ़ होने लगी उसने सविता जी से कहा कि तुम्हारी बहू को बिल्कुल संस्कार नहीं है जो इतना हंस हंस कर बात कर रही है जोर-जोर से चिल्ला कर बात कर रही है आज पड़ोस वाले क्या सोच रहे होंगे घर की इज्जत के बारे में तो सोचना चाहिए भैया इतनी बड़ी पोस्ट से रिटायर्ड हुए हैं
और आप भी इतनी सु संस्कृत है और बहू को तो देखो जोर-जोर से चिल्ला कर बात कर रही है थोड़ा संस्कार सिखाओ… अपनी बहू को सविता ने कहा जीजी आजकल की बहू को जो करना है वह करें हमने उनको बिल्कुल फ्री छोड़ा है और इसमें घर की इज्जत की क्या बात है मैं सच कहूं आज मैं खुलकर आपसे बता रही हूं
कि मैंने जो सहा था मैं अपनी बहू के साथ वह नहीं कर रही हूं आप तो जानती हो मैंने कितने कठिन दिन निकाले थे सावित्री कहने लगी पुरानी बातों को भूल जाओ गड़े मुर्दे क्यों उठा रही हो?
हां, मै उससे जलती हूं!! -अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi
सविता ने कहा कि ठीक है अब आप जीजी नहीं सुनना चाह रही है तो ठीक है लेकिन मैं अपनी बहू के ऊपर कोई बंधन नहीं बंधना चाहती हूं ….वह खुश है तो हम खुश हैं वह मुझे अच्छे से रख रही हैं बस मुझे इसी बात की खुशी है।
लक्ष्मी और शांति आज जल्दी-जल्दी काम कर रही थी क्योंकि उन्हें आज किटी पार्टी में जाना था सविता जी को धीरे से उन्होंने बता दिया था कि मम्मी आज हम दोनों को किटी पार्टी में जाना है तो हम लोग सुबह ही खाना बना कर रख दे रहे हैं आप बस गर्म करके बुआ जी को परोस दीजिए और पापा जी को परोस दीजिए हम जब आएंगे
तब हम अपने बच्चों को और इनको खिला देंगे और जो यह लोग कहेंगे वह गरम-गरम बना देंगे लगभग दोपहर के 3:00 बजे थे हुआ अपने कमरे में सो रही थी अचानक दरवाजा खुलने की आवाज है उन्होंने देखा की लक्ष्मी और शांति जींस और टॉप पहनकर गॉगल लगाकर कहीं जा रहे हैं उन्होंने सविता को तुरंत आवाज दी भाभी कहां है कहां जा रही हैं…
भाभी यह बहुएं क्या पहन कर कहां जा रही है तुम देख रही हो कि बस आराम फरमा रही हो.. सविता ने तुरंत कहा कि जीजी वह अपनी सहेलियों से मिलने जा रहे हैं आप आराम करिए अरे! यह क्या पहन के जा रही हैं।
तुमने देखा कि नहीं हां मुझे पता है आजकल की मॉडर्न बहू है सब कुछ पहनती हैं अरे! “घर की इज्जत का सवाल” है… हमारे पापा दादा के जमाने में यह सब कुछ नहीं चलता ना अरे!
नहीं जीजी थोड़ी देर के लिए पहन कर जा रही हैं और मैं ही कह दिया कि जो पहनना हो वह पहन सकती हो अरे मुझे तो लगता है आजकल की बहूएं है घर की इज्जत को तो पानी में मिला देंगी..
सविता सावित्री के पास आई बोली जिज्जी तुम इतना सब सोचती हो..
तभी तुम्हारी बहु रंजना से बिल्कुल नहीं बनती है मुझे पता है एक दिन राकेश का फोन आया था वह कह रहा था उमेश से की मम्मी को समझओ कि आजकल की बहू को ज्यादा रोक-टोक ना करें।
आज मैं आपसे यही बात कह रही हूं कि अब जब घर जाओगी तो राकेश और संजना के बीच जो दूरियां हो रही है उनको आप सुलझाओगी बहु को किटी पार्टी में जाना है उन्हें कब खाना बनाना है क्या बनाना है पूरा आप उनके ऊपर छोड़ दीजिए संजना भी पढ़ी लिखी है आप इतना रोक-टोक करोगी तो आप यह सोचिए कि आपके बुढ़ापे में कौन सहारा होगा।
यह बहू ही तो हमारा सहारा होगी सावित्री ने कहा कि सच कह रही हो भाभी मुझे नहीं पता था.. की उमेश के पास राकेश का फोन आया है मेरी बहू और मेरे बीच इसी बात से अनबन रहती है और राकेश भी बहुत परेशान रहता है अब मैं तुमसे यही सीख कर जा रही हूं.. की बहू पर ज्यादा बंधन नहीं बांधूंगी उन्हें जो करना है वह करने दूंगी सच कह रही हो मेरे बुढ़ापे का सहारा तो वही होगी।
आज तुमने मेरी आंखें खोल दी हमने जो सहा था हम बहू के ऊपर क्यों निकाले उनको स्वतंत्र रूप से छोड़ दें वही तो हमारे घर की इज्जत मान सम्मान है हम उन्हें दूसरे घर से लेकर आए हैं यह तो नहीं है कि वह अपने आप आई हो हम उन्हें लेकर आए हैं तो हमें उन्हें अच्छे से रखना होगा ठीक है भाभी अब मुझे तुम्हारी बातें सारी समझ में आ गई।
मैं इतने सालों बाद तुम्हारे घर आई हूं लेकिन तुमने मेरी आंखें खोल दी और सावित्री और सविता गले लगा कर एक दूसरे को धन्यवाद दे रही हैं।
लेखिका : विधि जैन
#घर की इज्जत