घर की जिस बेटी पर सभी को गर्व था , भाई भाभी की गरीब स्थिति पर उसी ने उड़ाया उनका मजाक !! : भाग 2

Moral Stories in Hindi : एक रात अचानक भावेश की दुकान में आग लग जाने के कारण भावेश को भारी नुकसान हो गया , बहन की शादी सर पर थी !! दोनों बच्चों के खर्चे , घर परिवार के खर्चे अब कैसे पुरे होंगे सोचकर भावेश का सर चकराने लगा मगर ऐसे समय में रक्षा ने अपने बचाए पैसे निकाले ताकि गीतांजली की शादी में कोई समस्या ना आए बाकी रमीला जी ने अपने पास रखे गहने  तुड़वाकर बेटी के लिए नए गहने बनवाए !! जैसे तैसे ब्याह के लिए रूपए इकटठा कर भावेश और रक्षा ने गीतांजली की शादी करवाई जिसमें भावेश पर कर्ज भी चढ़ गया !!

गीतांजली की शादी के कुछ समय बाद ही रमीला जी भी नहीं रहीं !!

भावेश और रक्षा को आए दिन नई मुसीबतों का सामना करना पड़ता और ना इतने पैसे थे कि आग लगी दुकान की वापस मरमत्त करवाकर उसे ठीक कराया जाए !!

भावेश ने अपनी नई दुकान किराए पर ली थी मगर वह ना के बराबर चलती थी जिस वजह से भावेश डिप्रेशन का शिकार हो रहा था , दूसरी तरफ रक्षा ने घर में सिलाई कढ़ाई का काम शुरू कर दिया था !! सर्दी के समय वह लोगों के स्वेटर बुनकर देती और रोजर्मरा के दिनों में बाकी के कपड़े ताकि घर के खर्चे उठाए जा सकें !!

थोड़े दिनों बाद उन्हे खबर मिली की गीतांजली को मोटी तनख्वाह वाली नौकरी मिल गई हैं !!

रक्षा ने सोचा अबके वह गीतांजली से अपने घर की मुसीबतों के बारे में बात करेगी , शायद गीतांजली ही उनकी कुछ मदद कर दें !!

गीतांजली वैसे भी अमीर खानदान की बहु थी और अब इतनी बड़ी नौकरी भी लग गई हैं तो हमारी थोड़ी सी मदद करने में वह कभी पीछे नही हटेगी !!

गीतांजली इस बार मायके आई तो रक्षा ने उसे बताया कि वे लोग किस तरह मुश्किल के दौर में गुजर रहे हैं !! भावेश दुकान ना चलने के कारण अवसाद में घिर चुका हैं और वह किस तरह सिलाई कढ़ाई से घर का गुजारा कर रही हैं !!

गीतांजली ने यह सारी बातें सुन कोई प्रतिक्रिया नही थी और दो दिन रुकने के बाद वह अपनी कार में वापस लौट गई !!

जाते हुए जब रक्षा ने उसे थोड़ी पैसों से मदद करने कहा तो वह बोली भाभी , मैं सोचकर बताऊंगी !!

उस दिन के बाद गीतांजली ने कभी मुड़कर इस घर की तरफ नहीं देखा और ना कभी फोन पर हालचाल लेने तक की कोशिश की !!

रक्षा को वह सारे दिन याद आ गए कि कैसे उसने गीतांजली की शादी के लिए अपनी जमा की गई पाई पाई तक निकाल कर रख दी थी और यह सब बातें गीतांजली अच्छी तरीके से जानती भी थी !!

गीतांजली की फरमाईश रक्षा सबसे पहले पुरी करती थी मगर अब गीतांजली का रवैया बहुत बदल चुका था !!

 नई दुकान ना चलने के कारण भावेश निरंतर डिप्रेशन में चला जा रहा था जिसकी वजह से उसकी तबीयत खराब रहने लगी और दुकान बंद करने की नौबत आ गई !!

भावेश की मानसिक स्थिति निरंतर खराब होती चली जा रही थी !!

रक्षा के सामने अपने दोनों बच्चों की पढ़ाई , घर के खर्चे और अब पति की बीमारी थी !!

एसे समय में उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें ??

आखिरकार उसने उन रिश्तेदारों को फोन करना शुरू किया जिन पर उसके सास ससुर खुब रुपए उड़ाते थे और कहते थे जरूरत पड़ने पर यही लोग काम आएंगें !!

बुआ सास , चाची सास और मामी सास ने भी पैसे से कोई मदद नहीं की और बोले एक बार इंसान डिप्रेशन में चला जाए तो उसके वापस नार्मल होने के चांस बहुत कम होते हैं !! भावेश की बीमारी पर पैसे खर्च करना मुर्खता होगी , हमारी मान भावेश को उसके हाल पर छोड़ दे और तु अपना भविष्य संवार , तेरे आगे आखिर दो बच्चों की जिम्मेदारी भी तो हैं !!

ऐसे उत्तर पाकर रक्षा एक पल तो निराश हो गई मगर वह कहते हैं ना डूबते को तिनके का सहारा काफी होता हैं !!

रक्षा की पड़ोस वाली आशा भाभी और उसके पति कैलाश भाई ने ऐसे समय में पैसे से और मन की मजबुती से रक्षा की खुब मदद की जिससे भावेश की हालत अब सुधर रही थी !!

रक्षा ने अपने पडोसियों को जल्द से जलद पैसे चुकाने का वादा किया मगर वे लोग बोले हमारे लिए भावेश का ठीक होना ज्यादा मायने रखता था , पैसे चुकाने की कोई जल्दी मत करना !! अभी सिर्फ अपना घर परिवार का गुजारा और भरण पोषण अच्छे से कर लो बाकी की चिंता छोड़ दो !! हमने तो बस अपना पडोसी धर्म निभाया हैं !!

जहां एक ओर नाते- रिश्तेदार , सगे संबंधी सबकी असलियत सामने आ चुकी थी , वहां दूसरी ओर ऐसे लोग भी थे !! रक्षा ने एक पल सोचा जब घर की सगी बेटी गीतांजली ने ऐसी परिस्थियों में हमसे मुंह मोड़ लिया तो दूसरों से क्या ही अपेक्षा रखना ??

अगर आज यह पड़ोसी काम नही आते तो ना जाने हमारा क्या होता ??

अब भावेश एकदम ठीक हो चुका था और उसने नौकरी की तलाश शुरू कर दी थी !!

बहुत जगह ढूंढने के बाद उसे एक स्कूल में गार्ड की नौकरी मिली !!

जहां उसे पुरे दिन गेट पर ख़ड़े होकर चौकीदारी करनी थी !!

उसने घर आकर रक्षा को इस नौकरी के बारे में बताया तो एक पल रक्षा को धक्का लगा कि उसके पति को अब गार्ड की नौकरी करनी पड़ेगी मगर मरता क्या ना करता !!

कुछ ना होने से कुछ तो हो यही सोचकर रक्षा ने भी भावेश को यह नौकरी करने से रोका नहीं !!

 

एक दिन भावेश की बुआ सास का फोन भावेश पर आया कि उनका बेटा रोहित एक महिने के लिए उनके घर रहने आएगा क्योंकि उसका यह पहला जॉब हैं और अभी जल्दबाजी में कहीं कमरा लेना संभव नहीं हो पाएगा !!

जब भावेश ने यह बात रक्षा को बताई तो रक्षा बोली बस बहुत हुआ भावेश !! हम अपने घर का खर्चा जैसे तैसे पुरा कर रहे हैं ऐसे में हम रोहित की कहां से मदद कर पाएंगे ??

जिन लोगों ने हमारे खराब समय में हमारी बिल्कुल भी मदद नहीं की आज उन्हें हमसे मदद मांगने में रत्ती भर शर्म नहीं आ रही वाह दुनिया के लोगो के रंग निराले !! 

कुछ देर बाद रोहित उनके घर आ जाता हैं , रक्षा  रोहित को चाय – नाश्ता देकर बोली रोहित , कितने दिन का विचार हैं यहां रहने का ??

रोहित बोला जी भाभी , एक दो महिना शायद !!

रक्षा बोली तुम्हें यदि रहने के लिए कमरा चाहिए तो यहां बहुत जगह पी.जी में रहने की व्यवस्था हैं , हम पहले से मुश्किल हालातों से गुजर रहे हैं इसलिए तुम्हारा खर्चा नहीं उठा पाएंगे , बेटा बुरा मत मानना , शायद अभी तुम हमारी परिस्थिति ना समझ पाओ क्योंकि तुम तो अभी पढने लिखने वाले बच्चे हो !!

रोहित वहां से बिना कुछ बोले चला गया !!

रक्षा बोली भावेश , मैं जानती हुं तुम्हें बुरा लगा होगा , मुझे तुम्हारे रिश्तेदारो से इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए थी !!

भावेश बोला तुमने बिल्कुल सही किया रक्षा !!

बुआजी का जिस समय फोन आया था तभी मुझे उनसे यह बात कह देनी चाहिए थी मगर मैं असमंजस में पड गया बल्कि तुमने तो हमारी मुश्किल आसान शब्दों में कह दी जो मैं नहीं कह पा रहा था !!

हम किन हालातों से गुजर रहे हैं यह बात हमारे सारे रिश्तेदार जानते हैं मगर किसी ने हमसे फोन कर हमारे हालचाल पूछने तक की जहमत नहीं उठाई !! बस अपना काम निकलवाना आता हैं सभी को ……

 दिन ऐसे ही गुजर रहे थे कि एक दिन गीतांजली अपनी कार से उतरी और सीधे दरवाजा खोलकर रक्षा के घर में आ घुसी !!

ननद को इतने समय बाद देखकर रक्षा बोली गीतांजली तुम !! आओ बैठोना !!

आज अचानक आई , फोन भी नहीं किया तुमने आने से पहले !!

गीतांजली बोली भाभी , यह सब फालतू बातें सुनने का मेरे पास समय नहीं हैं !!

उतने में भावेश बाथरूम से नहाकर बाहर आया !!

गीतांजली बोली भैया आपको गार्ड की नौकरी करने यही स्कूल मिला था जहां मेरी ननद का बेटा शौर्य पढ़ने जाता हैं !!

कल जब सभी लोग मेरी शादी की एल्बम देख रहे थे तब शौर्य आपकी तस्वीर देखकर बोला यह अंकल तो  हमारे स्कूल के गार्ड हैं , जानते हो मुझे कितनी शर्म आई यह सुनकर !! सभी लोग हैरनी से मेरी तरफ देख रहे थे , आप जैसे गरीब भाई भाभी से तो अच्छा होता मेरे भाई भाभी ही ना होते !!

भावेश को अपनी बहन का यह रूप देखकर ओर गुस्सा आया वह गुस्से में बोला ….

हां तो कह देती सभी से यह भाई मर गया हैं मेरे लिए , इससे मेरा कोई वास्ता नहीं !!

रक्षा बोली आप चुप हो जाईए , ऐसे बात नहीं करते अपनी बहन से !!

अगला भाग

घर की जिस बेटी पर सभी को गर्व था , भाई भाभी की गरीब स्थिति पर उसी ने उड़ाया उनका मजाक !! : भाग 3

आपकी सहेली

स्वाती जैंन

1 thought on “घर की जिस बेटी पर सभी को गर्व था , भाई भाभी की गरीब स्थिति पर उसी ने उड़ाया उनका मजाक !! : भाग 2”

  1. Khubsurat Aur lajawab kahani ne Aur Aap ki kalam ne dil Choo Liya Swati Jain Ji Waah kya baat hai Aap ki Kalam ki🙏❤️🌹👍🌹❤️🙏

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