“अरे क्या हुआ है ? रो क्यों रही है ? सब ठीक तो है ?”
सीमा नीता के गले लग सुबक-सुबक कर रो रही थी। करीब दो महीने पहले ही सीमा की शादी हुई थी। नीता और उसके पति निहार सिंह ने बड़े ही चाव से खूब पैसा लगाकर बड़े घर में सीमा की शादी की थी। लड़के वालों की हर डिमांड को पूरा किया था नीता और निहार सिंह ने।
“अरी सीमा क्या हुआ है ? मुझे बता। मैं छोड़ूँगा ना किसी को भी। बस नाम बता तू मुझे उसका”- निहार सिंह चिल्लाते हुए बोला।
गाँव का रसूख़ वाला परिवार था निहार सिंह का। घर में निहार की माँ, छोटा भाई रमेश और निहार की बीवी नीता और लड़की सीमा ही थे।
एक साल पहले ही निहार के छोटे भाई रमेश की शादी पड़ोस के गाँव की सीधी -साधी रूपा से हुई थी। अपनी हैसियत के अनुसार ही रूपाके माँ-बाप ने रूपा की शादी रमेश से की थी। रूपा को ससुराल आये कुछ ही दिन हुए थे और उसने परिवार के सभी लोगों का दिल जीत लिया था। रूपाकी सास भी उससे बहुत प्यार करती थीं और उनके इसी व्यवहार के कारण रूपा भी अपना मायका भूल सी गई थी।
“अम्मा गाँव से भैया का फोन आया है। बाबू जी बहुत बीमार हैं और मुझसे मिलना चाह रहे हैं। आप कहो तो दो दिन के लिए मैं सीमा को लेकर मिलने चली जाऊँ ?” – नीता ने अपनी सास से कहा।
“हाँ हाँ चली जा। निहार जायेगा तेरे संग क्या ?”
“नहीं। ये तो ना जा सकेंगें। रमेश को ले जाऊँ साथ ? कल शाम तक आ जाएँगे वापस ” – नीता ने सास से कहा।
“हाँ ये ठीक है। रमेश को ले जा। बुलवा ले उसे दुकान से “- नीता की सास ने कहा।
नीता अपने देवर रमेश और बेटी सीमा के साथ दोपहर को अपने गाँव चली गई।
रात का सारा काम निबटा कर रूपा अपनी सास को खाना देने उनके कमरे में पहुँची। निहार सिंह अपनी माँ के पास ही बैठा बतिया रहा था।
“रूपा इसका खाना भी यहीं लिया ” – सास ने कहा।
दोनों को खाना परोसकर रूपा अपने कमरे में जा कर लेट गई। थकी होने के कारण उसकी आँख लग गई। अचानक रूपा को झटका सा लगा। आँख खुली तो बदन जैसे बिस्तर से चिपक गया था। पूरा बदन दर्द से कराह रहा था। बगल में निहार सिंह धुत्त पड़ा सो रहा था। रूपा जैसे-तैसे उठकर सास के कमरे में पहुँची और बिलखते हुए सास से लिपट गई। रूपा ने सास को कमरे में निहार ने उसके साथ जो किया सारी बात सास को बतायी।
सास रूपा को अपने से अलग कर उसके आँसू पौंछते हुए बोली – “ कमबख़्त है यू निहार। जवान लड़की है इसकी फिर भी नियत ना भरी इसकी। चुप हो जा तू। अब जो होना था हो गया। किसी से इसका जिकर करने की ज़रूरत ना है। रमेश से और नीता से कुछ भी ना बताइयो तू।
छोड़ घर की बात है।
मन-तन से छटपटाती रूपा ने ख़ुद को समेटा और रसोई में बैठ घंटों रोती रही।
समय बीत रहा था। रूपा ने घर में किसी से भी इस बात ज़िक्र नहीं किया।
निहार सिंह की बेटी सीमा शादी के दो महीने बाद आज घर आयी थी और लगातार रोये जा रही थी। उसके लगातार रोने से घर में सब परेशान थे।
“अरे सीमा चुप हो जा लाडो। तू मुझे बता सब बात अपनी दादी को। मैं सब ठीक कर दूँगी।”
रमेश, निहार, नीता और रूपा सब खड़े सीमा को तक रहे थे कि सीमा कुछ तो बताये आख़िर हुआ क्या है।
“दादी कल रात इनके बड़े भाई ने नशे की हालत में मेरे संग..” – इतना कह सीमा ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी ।
“अरी क्या कह रही है तू ? जान से मार दूँगा इन लोगों को मैं। इन लोगों ने क्या समझ रखा है हमें “- निहार सिंह गुर्राया।
“अभी दो महीने ही हुए हैं इसके ब्याह को और देखो कमीनों ने क्या कर दिया हमारी लाडो के संग ” – नीता भी चिल्लाते हुए बोली।
“अरे छोड़ूँगा नहीं मैं इन लोगों को भाभी। देखो क्या करता हूँ मैं इनके संग ” – रमेश बोला।
सबके चीखने चिल्लाने के बीच में रूपा ने सीमा को गले लगाया और बोली -“ इतना हो हल्ला करने की जरूरत ना है तुम सबको। अम्मा जी आप सीमा को और इन सबको भी अच्छे से समझा दो कि – “ छोड़ें घर की बात है और इसका जिकर भूल के भी किसी से ना करें।”
रूपा की ये बात सुन उसकी सास और निहार सिंह रूपा को घूरने लगे।
दीपा डिंगोलिया