गर्व –   मंजु ओमर  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :

जननी को अपने दोनों बेटों पर बड़ा घमंड था। दोनों बेटों का आई आई टी में सलेक्शन हो गया था। हालांकि दोनों की कोई अच्छी रैंक नहीं आई थी बेटों की बहुत पीछे था । कोई मनपसंद कोर्स मिल नहीं रहा था ।बनारस में दाखिला मिल पाया था। पहले तो वनारस को आई आई टी का दर्जा नहीं मिला था लेकिन जब रजनी के बेटों के एडमिशन की बारी आई तो वनारस भी आईं आईं टी की मान्यता से नवाजा जा चुका था।

 जहां जाती थी रजनी किसी दुकान पर , किसी समारोह पर या मोहल्ले पड़ोस में सबके सामने गाना गाने लगती थी कि मेरे दोनों बेटे तो हीरा है दोनों ने कंपटीशन निकाला है आईं आईं टी में सलेक्शन हुआ है कोई मजाक थोड़े ही है मेरे बेटे हीरा है हीरा। ऐसे ही पड़ोस में किसी महिला के सामने बेटों का गुणगान कर रही थी हीरा वाली तो उस महिला ने तपाक से कहा दिया भाभी जी सभी मां बाप के लिए उनके बच्चे हीरा होते हैं सिर्फ आपके ही नहीं इतना सा मुंह लेकर चली आई थी रजनी।

                       रजनी की एक देवरानी थी उसका बेटा भी इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा था।तो बड़े र्गव से कहती रजनी अरे नयना तुम्हारे बेटे का तो हो नहीं सकता सलेक्शन आई आई टी में क्यों कि देवर जी तो इंजिनियर है नहीं वो तो बिजनेस करते हैं दुकान चलाते हैं दुकान में ही बैठेगा तुम्हारा बेटा । मेरे बेटे तो इस लिए कम्पिटीशन में आए हैं क्योंकि उसके पापा भी इंजीनियर रहे हैं ।क्यों तुम पैसा बर्बाद कर रही हो बेटे की पढ़ाई में आखिर बैठना तो उसे दुकान पर ही है न।नयना को बहुत बुरा लगता था वो बोलती भाभी ऐसा मत बोलो बेटे के सामने उसका आत्मविश्वास डगमगा जाता है । उसका पढ़ने में मन लग रहा है तो पढ़ने दो ना । फिर रजनी बोलती भी हम तो सही सलाह दे रहे हैं मानो या न मानो ।और यदि हो भी गया तो कोई बहुत इंस्टीट्यूट का सपना न देखो जो दूसरे आई टी है यदि हो गया तो वैसे तो होगा नहीं फिर भी तो वनारस ही मिलेगा कहीं और नहीं। नयना को बहुत बुरा लगता था लेकिन क्या करें रजनी का तो र्गव से माथा ऊंचा था न ।

              नयना का बेटा कड़ी मेहनत कर रहा था और अच्छे संस्थान जो पांच आईं टी है उसका सपना देख रहा था । सपने देखना गलत नहीं है सपने आप नहीं देखोगे तो उसे पूरा कैसे करोगे सपने देखना अच्छी बात है ।

             फिर नयना के बेटे की कमटीशन में अच्छी रैंक आ गई उसकी मेहनत सफल हो गई । शायद रजनी की आत्मविश्वास डिगाने की बातों ने भी उसमें हिम्मत भर दी थी ।उसको आई आई टी खड़गपुर में एडमिशन मिल गया अब तो रजनी के सीने पर सांप लोट गया।उनकी कही गई सारी बातें ग़लत साबित हो रही थी। उन्होंने नयना से बात करना ही बंद कर दिया सोचने लगी अरे ये कैसे हो गया। कोई रजनी का परिचित जब रजनी से कहता कि अरे तुम्हारे देवर का बेटा तो बड़ी अच्छी रैंक लाया है कहां एडमिशन ले रहा है तो रजनी तुनक कर बोलती मुझे नहीं पता कहां एडमिशन ले रहा है।

            और जब नयना का बेटा ताई और ताऊ के पैर छूने गया तो दोनों ने उससे बात भी नहीं की सदमे में आ गई थी ताई कि अरे ये क्या हो गया।अब मेरे बेटों की छोड़ कर सब नयना के बेटे की तारीफ करेंगे।अब तो कुछ कहने लायक मुंह ही नहीं था ‌र्गव से उठा सिर झुकता नजर आ रहा था ज्यादा घमंड अच्छा नहीं होता है न ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

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