मनन ये तूने क्या किया मेरे सारे किए कराए पर पानी क्यों फेर दिया.. घर में प्रवेश करते राजन के स्वर में दुख भी थी और चिंता भी ।
…क्या हो गया ऐसा क्या कर दिया मेरे बेटे ने रश्मि ने जल्दी पानी का गिलास पकड़ाते हुए पूछा।
अपने लाडले से ही पूछ लो ना।अरे नए वर्ष की पार्टी दे रहे थे दोस्तो के साथ शराब पी ली फिर लड़कियों के साथ कुछ ज्यादा ही मस्ती करने लगे थे।किसी ने पुलिस को कॉल कर दिया सब गिरफ्त में आ गए ।मैने अपने वकील दोस्त के साथ मिलकर रुपयों की भेंट चढ़ा कर सब सेट कर दिया था कितनी मुश्किल से पूरा मामला दबा दिया था…
क्या कह रहे हैं आप ! हमें तो पार्टी के बारे में कुछ नहीं बताया था इसने। मेरी आंखों से नीचे गिरने वाली हरकत कर दिया तूने आज ।मै कैसे सिर उठाकर सबके बीच खड़ी हो पाऊंगी …. रश्मि जी ने बीच में ही बात काटकर पुत्र की तरफ तीखी नजरों से देखतेहुए भर्त्सना की।
हां वही तो ..तुम्हारी ही नहीं अभी सबको पता चलेगा तो हम पूरे समाज रिश्तेदार की #आँखों से गिर जाएंगे सब नाम रखेंगे इसीलिए तो मैं कोशिश कर रहा था लेकिन ये हजरत ….राजन सच में व्यथित था।
अब क्या किया इसने….रश्मि ने नाराजगी से पूछा।
अरे अचानक इन्हें सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र याद आ गए सारी जिम्मेदारी अपने सिर मढ़ ली मेरे वकील के रोकते रोकते भी जाकर पुलिस के सामने कुबूल लिया कि मेरी पार्टी थी मेरी गलती थी किसी दोस्त का कोई हाथ नहीं है इन सबको छोड़ दिया जाए…राजन ने अत्यधिक गुस्से से कहा।… पूछो इससे क्यों किया इसने .?
….. ताकि मैं अपनी नजरों से ना गिर जाऊं पापा बहुत धीमे लेकिन दृढ़ स्वर में मनन कह उठा। ये झूठ ये रुपए सबकी आंखो पर परदा डाल सकते हैं लेकिन खुद अपनी आँखो से मैं एक बार गिर गया तो कभी नहीं उठ पाऊंगा पापा मैं आप लोगों से माफी….
तब तक रश्मि ने आगे बढ़ कर अपने बेटे को गले से लगा लिया था।सही कहा तूने बेटा अब तू मेरी भी आंखों में ऊपर उठ गया है….!!
आंखों से गिरना#आदर कम होना#मुहावरा आधारित लघुकथा
लतिका श्रीवास्तव