गाजर ,मूली समझना – माधुरी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

चमेली आज सुबह से बर्मा जी के घर काम में लगी थी , सिर्फ एक कप चाय पीकर वह भी विना किसी नाश्ते के।जानती थी कुछ कहने का मतलब बर्मा मैडम का लैक्चर चालू हो जाता।

तुम लोगों को चाहे कितना भी पैसा देदो,जरासा काम आजए तो नतीजा वही ढाक के तीन पात

आज मिसिज बर्मा की किट्टी पार्टी है,पूरे बीस लेडीज का लंच है तो पूरी तैयारी करनी है ।शामत तो वेचारी चमेली की आगई है ।जरा जल्दी जल्दी हाथ चला चमेली अभी कितने काम करने बाकी है साढ़े दस बज रहे हैं और पूरे ग्यारह बजे तक सब लेडीज आजायगी।अपने नेल फाइल करते हुए बर्मा की मिसिज ने चमेली को डांटा

देख तू फटाफट से पूरी का आटा बना ले,दही भल्ले दही में डाल दे।सौंठ वना ले,सलाद काट ले हाथ धोकर। मैं तैयार होकर आती हूं।

चमेली काम तो करती जारही थी,लेकिन मन ही मन मिसिज बर्मा को कोस रही थी जब काम # गाजर मूली की तरह ले रही होते कम से कम कुछ खाने पीने को तो दो।

काम का क्या है ,हम लोग तो बने ही काम के लिए हैं,पेट पालने के लिए न जाने किस किस की बातें सुननी पड़ती हैं।काम से थोड़े ही डरते हैं बस पेट में कुछ पड जाए तो हाथ भी जल्दी चलें ,खुद तो मैडम जी सुबह से न जाने क्या क्या टूंग रही है थोड़ी थोड़ी देर में और हमारे सिर पर दरोगा की तरह सबार हैं ।इतना काम करवाने के बाद खाना भी देंगी ये दो दिन फिरज में रखने के बाद जब खुद से नही खा या जायगा तो।

क्या फायदा ऐसा बड़ा आदमी होने का,दिल भी तो बडा होना चाहिए इनसान का।

एक शर्मा जी की मैडम हैं पिछले महीने की किट्टी पार्टी उनके यहां थी ,काम तो यही था पूरे बीस लोगों का लंच।लेकिन चमेली ने ख़ुशी ख़ुशी सब निपटाया। क्योंकि कि चमेली के आते ही दो गर्म परांठे दिया साथ में चाय और कहा कि गाड़ी में पेट्रोल पूरा होना चाहिए

तभी तो गाड़ी फर्राटे से चलेगी,साथ ही खुद भी लगी रहीबराबर से ये नही कि चमेली ही गाजर मूली की तरह लगी रहे।और तो और जब उनकी सभी सहेलियों ने खाने की तारीफ की तो चमेली को हॉल में बुला कर सबसे मिलाया और कहा कि चमेली की मेहनत की बदौलत ही आज किट्टी पार्टी हो पाई है।

बरना मेरे अकेले के बस में कहां था ये सब।इतना ही नहीं पूरे दोसौ रूपए दिया साथ में उसके पूरे परिवार के लिए खाना।चमेली बहुत खुश थी काम करके।चमेली की तारीफ सुन कर उसको दो और लोगों ने काम दे दिया।ये होती है इन्सानियत।

ये नही कि काम तो गाजर मूली की तरह लेोअरे कम से कम इन्सान को इन्सान तो समझो।थकान हमें भी होती है लेकिन यदि मालकिन प्यार के दो मीठे बोल बोल दे तो सारी थकान दूर हो जाती है।किसी इन्सान का व्यवहार ही उसकी असली पहचान होता है।

स्वरचित व मौलिक

माधुरी गुप्ता

#गाजर मूली समझना मुहावरे पर आधारित लघुक

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!