घड़ियाली आंसू बहाना – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

क्या हुआ शिवम् का ,आज आई आई टी का रिजल्ट आया है न अंकिता की जेठानी माधवी का फोन आया ।वो शिवम् का‌ सलेक्शन नहीं हुआ भाभी अंकिता ने बताया । अच्छा तुम परेशान न हों मैं घर आ रही हूं तुम्हारे जेठानी माधवी बोली

अंकिता और माधवी देवरानी जेठानी थी । अंकिता के जेठ ने भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी और उनके दो बेटे थे । दोनों ने ही आई आई टी का एग्जाम निकाला था हालांकि रैंक बहुत ही पीछे आई थी फिर भी नाम तो हो गया था न कि आई आई टी निकाला है । दोनों बेटों को वनारस के बीच एच यू में एडमिशन मिला था।इस बात का अंकिता की जेठानी को बड़ा घमंड था ।

अंकिता का बेटा शिवम् भी आई आई टी की तैयारी कर रहा था ‌। ज्यादातर घरों में ऐसा होता है कि घर के बड़े बेटे यदि कोई अच्छी लाइन पकड़ लेते हैं तो घर के छोटे भाई बहनों को भी एक रास्ता मिल जाता है और वो भी वही पाने की कोशिश करते हैं

जो बड़े ने किया।शिवम् भी ताऊ के बच्चों को पढ़ता देखकर आई आई टी की तैयारी करने लगा । लेकिन अंकिता की जेठानी कभी नहीं चाहती थी कि शिवम् का सलेक्शन आई आई टी में हो ।वो हमेशा अंकिता से कहती रहती थी

कि शिवम् को बीकाम या बीएस सी करवा दो क्यों चक्कर में पड़ी हो कम्पटीशन के वो नहीं कर पायेगा समय और पैसा दोनों बर्बाद कर रही हो ।बीए या बीकाम करके कहीं न कहीं छोटी मोटी नौकरी मिल जाएगी । लेकिन फिर भी शिवम् तैयारी करता रहा । पहली बार  ट्वेल्थ के साथ परीक्षा दी थी तो उस समय तो नहीं हो पाया ।और फिर एक साल बाद तैयारी करके फिर से परीक्षा दी उस समय तीन बार मौका मिलता  था तब ।

ये दूसरी बार परीक्षा दिया था शिवम् ने लेकिन इस बार भी नहीं हुआ। जैसे ही पता लगा जेठानी को कि शिवम् का सलेक्शन नहीं हुआ वो दौडी दौड़ी बेटे के साथ घर आ गई और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी ।हाय शिवम् ने इतनी मेहनत की थी ,

इतना पैसा भी लगाया और समय भी लगाया कोई बात नहीं अब तुम तैयारी छोड़कर बीकाम वगैरह कर लो । जेठानी तो चाहती ही नहीं थी कि शिवम् का सलेक्शन नहो बस घड़ियाली आंसू बहा रही थी ।

ज्यादातर रिजल्ट भी के लास्ट में या जून में आता है । इतनी चिलचिलाती गर्मी होती है और अंकिता की जेठानी इतनी गर्मी और धूप में बाहर नहीं निकलती है । लेकिन उस दिन पता लगा कि शिवम् का सलेक्शन नहीं हुआ है तो इतनी धूप और गर्मी में दौड़ी चली आई घड़ियाली आंसू बहाने।

जितना दुख अंकिता और शिवम् को नहीं था उससे ज्यादा परेशान होने का नाटक जेठानी कर रही थी । कुछ लोगों की आदत होती है किसी और का अच्छा न देख पाने की ।हर समय कहती रहती थी कि मेरे बेटों ने आईं आई टी क्या है उनको डर था कि कहीं शिवम् भी न कर ले ।                 

घर के लोगो के इस तरह के व्यवहार से बच्चे बहुत ज्यादा परेशान हो जाते हैं। यही कहते हैं बेकार में अपना समय बर्बाद कर रहे हो और मां बाप का पैसा भी।बीकाम बी-टेक ही कर लो कहीं न कहीं नौकरी मिल जाएगी ऐसा कहकर पढ़ने वाले बच्चों का मनोबल तोड़ते हैं ।

जब जेठानी अपने घर चली गई तो शिवम् को अंकिता और उसके पापा ने शिवम् को बैठकर समझाया ।बेटा तुम्हारी क्या इच्छा है आगे तैयारी करना चाहते हो या कहीं दाखिला लेना चाहते हो ।एक मौका और मिल रहा है पापा तो मैं तैयारी भी करूंगा और बीकाम का प्राइवेट फार्म भी हर दूंगा देखते हैं क्या होता है । ठीक है बेटा पढ़ाई करो अच्छे से फालतू बातों पर ध्यान न दो ।

फिर क्या था शिवम् ने जमकर तैयारी की और तीसरी बार अच्छी रैंक से आईं आई टी निकाला और उसको बाम्बे आई आई टी में दाखिला मिल गया।अब जेठानी बधाई देने तक न आई ,उस समय नहीं हुआ था तो घड़ियाली आंसू बहाने आ गई थी । ऐसे लोगों से हमें सावधान रहना चाहिए जो इस तरह की हरकतें करते हैं ।ऐ आपको प्रोत्साहित नहीं हतोत्साहित करते हैं ।

धन्यवाद 

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

14 जून 

 

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