आज सुबह से ही मीना का मूड कुछ उखड़ा उखड़ा था, वो सीधा रसोई में गई और अपना टिफ़िन लेकर ऑफिस के लिए निकल गई ,आज उसने किसी से न तो बात की न ही जाते वक़्त कुछ कहा। घरवालों ने उससे बात कर ने और उसका मूड खराब होने का कारण जानना भी चाहा लेकिन वो बिना कुछ बोले सीधा निकल गई।
अब घर में भाभियों के बीच कानाफुसी शुरू हो गई कि आज ननद रानी को क्या हो गया , किस बात से ऐंठी हुई है।
मीना की माँ निर्मला देवी भी आज मीना के इस बर्ताव से दुखी तो थी लेकिन बहुओं की कानाफूसी जब उनके कानों तक पहुंची तो उन्होंने मीना का पक्ष रखते हुए सबसे कहा कि मीना के ऑफिस में ज़्यादा काम आन पड़ा है क्योंकि कुछ स्टाफ छुट्टी पर है तो मीना को एक्स्ट्रा काम करना पड़ रहा है जिसकी वजह से थोड़ा तनाव तो होना लाज़मी है।
हालाँकि माँ ने घर में मीना की बात अपनी तरह से संभाल तो ली थी लेकिन अंदर ही अंदर वो खुद नहीं समझ पा रही थी कि आख़िर आज मीना को हुआ क्या है , शाम में मीना से बैठकर उसकी समस्या पूछने और उसका हल करने की बात सोचकर मीना की माँ निर्मला देवी मंदिर की ओर चली गई।
दूसरी तरफ मीना ऑफिस में बैठ कर अपनी क़िस्मत को रो रही थी ,तभी उसके साथ काम करने वाली उसकी सहेली निशा ने उसे हेलो बोलकर चौंका दिया , मीना को चौंकते देख निशा ने अपनी आदत अनुसार मज़ाक़ किया और कहा कि अरे किसके ख्यालों में खोई हो , कौन है वो राजकुमार जिसे याद करते करते इतना खो गई कि हमारे हेलो से चौंक उठी , हमें भी नाम बताओ।
मीना को निशा की ये बात नागँवार गुज़री और उसने सख्ती से कहा कि “निशा आज के बाद मेरे सामने किसी राजकुमार या प्यार मोहब्बत का नाम ना लेना , मैं इन सबमे नहीं मानती , मैं यहां काम करने आती हूँ , किसी राजकुमार के सपने देखने नहीं। निशा को मीना से ऐसे जवाब की क़तई उम्मीद नहीं थी। निशा ने आगे कोई बात न करते हुए अपनी कुर्सी संभाली और काम में लग गई। मीना भी ऑफिस की फ़ाइल बनाने में व्यस्त हो गई। लेकिन रह रह कर उसे कल रात रसोई में चल रही भाभियों की बात चुभती जा रही थी, वो चाहकर भी भाभियों की बातों को भुला नहीं पा रही थी। उसका दिल उसे अंदर ही अंदर रुलाये जा रहा था “
शाम को जैसे ही मीना घर वापस आई तो आदतन माँ के पास न जाकर अपने कमरे में गई और अपना सामान पैक करने लगी। माँ पीछे पीछे मीना के कमरे में आई और उसे सामान पैक करते देख बोली कि बेटा क्या तुम ऑफिस के काम से कहीं बाहर जा रही हो , जो कपडे पैक कर रही हो, और ये क्या तुम तो सारी अलमारी ही पैक करने पर लगी हुई हो , और आज ऑफिस से आकर मेरे पास न आकर तुम सीधा अपने कमरे में आ गई ,, हुआ क्या है ???
मैं तुम्हारी माँ हूँ , मुझे बताओ।
अब तक मीना के दिल में बह रहे आंसुओ ने आँखों से बहना शुरू कर दिया और उसकी आँखों में आंसुओं का सैलाब आ गया। ये देखकर माँ निर्मला देवी घबरा गई , उन्होंने मीना को संभालते हुए उसे पानी पिलाया और कहा पहले तुम रोना बंद करो और मुझे बताओ हुआ क्या है ??/
तब मीना ने अपनी माँ से कहा कि “माँ, मैं मानती हूँ कि राकेश पर भरोसा करके मैंने बहुत बड़ी गलती की थी , उस वक़्त मैंने आप लोगों की बात नहीं मानी और भेड़िये की शक्ल में छुपे राकेश को ही अपने सपनों का राजकुमार मान बैठी , आप लोगों के खिलाफ़ जाकर मैंने उससे शादी की, आप लोगों से रिश्ते तोड़ दिए , लेकिन शादी के बाद जब राकेश की असलियत और उसकी आवारगी मेरे सामने आई तो मैं ठगी सी रह गई , मेरे हाथ में कुछ नहीं बचा था , उसकी मार खाती रही , उसके साथ आने वाली ग़लत लड़कियों को अपनी आँखों के सामने अपने कमरे में जाते देखती रही और कुछ न कर सकी , मेरा वहां रहना मेरी मज़बूरी थी क्योंकि उस वक़्त मैं माँ बनने वाली थी और वहां से निकल कर जाती तो कहाँ जाती , “
, मैं आप सबके पास वापस आना चाहती थी लेकिन किस मुंह से वापस आती ,यही सोचकर मैं उसी घर में पड़ी रही लेकिन जब एक दिन उसने मुझे इतना मारा कि मैं बेहोश हो गई और पडोसी मुझे उठाकर हॉस्पिटल ले गए , वहां डॉ ने बताया कि इतनी मार खाने से मैंने अपने होने वाले बच्चे को खो दिया है , उस वक़्त में टूट गई और तब जाकर मैंने आपको फ़ोन कर वहां बुलाया।
आप और पापा मेरे एक फ़ोन पर अगली ही ट्रेन से मेरे पास आ गए , पापा ने आते ही सबसे पहले राकेश को पुलिस के हवाले किया , आप दोनों ने मेरा हॉस्पिटल में दिन रात ध्यान रखा। मुझे ये अहसास तक नहीं होने दिया कि मैंने आपका कितना दिल दुखाया था , आप सबकी कितनी जग हंसाई कराई थी।
मैंने ठीक होने पर सिर्फ एक बार कहा कि पापा क्या मैं वापस घर आ सकती हूँ तो पापा ने कहा ” बेटा घर की दहलीज़, घर का आँगन तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है , तुम्हारे आज भी उस घर में उतना ही हक़ है जितना पहले था , और आप लोग मुझे वापस घर ले आये ,,आप दोनों ने न समाज की परवाह की न उसके तानों की , भाइयों को भी आप लोगों ने समझा दिया “. मैं आप लोगों का ये अहसान ज़िंदगी भर नहीं भूल सकती।
मैं हर वक़्त रोती रहती थी, मेरी हालात देखकर आप लोगों ने मुझे घर से बाहर निकल कर लोगों से मिलने जुलने को कहा, पापा ने मेरी जॉब लगवाई जिससे मैं व्यस्त रहने लगी और धीरे धीरे नॉर्मल होने लगी।
लेकिन आज फिर वही सब मंज़र मेरी आँखों के सामने घूम गया है माँ।
इतना सब कहने के बाद मीना फिर से रोने लगी, तब मीना की माँ बोली बेटा क्या हुआ है , आज तू दोबारा से वो सब गड़े मुर्दे क्यों उखाड़ रही है , वो बातें बीत चुकी है , तो तू भी अब गड़े मुर्दे उखाड़ना बंद कर , जो बीत गई सो बात गई, अब तू सिर्फ हमारी वो ही बेटी है जो इन हादसों से पहले थी। अब उन बातों को कोई याद नहीं करता।
नहीं माँ , ऐसा आपको लगता है कि अब कोई उन बातों को याद करके मेरा मखोल नहीं उड़ाता , आज भी उन बातों को याद करके गड़े मुर्दे उखाड़े जाते हैं और इसी घर में उखाड़े जाते हैं। मीना ने माँ से कहा।
मुझे बता बेटा , किसने क्या कहा है और कौन है जो इन गड़े मुर्दों को फिर से उखाड़ रहा है ।
नहीं माँ रहने दीजिये , अगर मैं बताउंगी तो सबको लगेगा कि मैं आपके कान भर रही हूँ , और आपको सबके ख़िलाफ़ भड़का रही हूँ। आप सिर्फ इतना जान लीजिये माँ कि एक बार मैंने अपनी बेवकूफी में ये घर छोड़ा था और आज अपनी समझदारी में इस घर से विदा ले रही हूँ। मैं यहां से जाना चाहती हूँ माँ। लेकिन आप और पापा फ़िक्र न करना , मैं आप लोगों के आसपास ही रहूंगी, मेरे ऑफिस के सामने ही मैंने एक घर किराये पर ले लिया है और आप में से कोई भी कभी भी मेरे पास मेरे घर आ सकता है।
पहली बार घर छोड़ते वक़्त मैं कमज़ोर थी आज मैं मज़बूत हूँ। मैं मानती हूँ कि मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी थी और जिसकी सज़ा मैं आज तक भुगत रही हूँ लेकिन माँ मैं हूँ तो इंसान ही न, और गलती इंसान से हो जाती है , मैंने भी कर दी। ..लेकिन एक औरत कभी दूसरी औरत का दर्द क्यों नहीं समझ पाती, क्यों एक औरत ही दूसरी औरत के ज़ख्मों को कुरेद कर ठहाके मारती है न, हम औरतें ही क्यों एक दूसरे का मज़ाक बनाती हैं। मैंने अपना सच्चा प्यार झूठा साबित होते देखा , मैंने अपने शरीर पर सौ सौ ज़ख़्म बनते देखते , मैंने अपने बच्चे को अपने पेट में ही मरते देखा , क्या इतनी सज़ा काफी नहीं है मेरे लिए।
इतना कह कर मीना माँ से लिपट गई और ज़ार ज़ार रोने लगी , मीना की भाभियाँ जो काफ़ी देर से दरवाज़े पर खड़ी ये सब सुन रही थी वो भी अपने आंसू नहीं रोक पाई और आकर मीना के क़दमों में गिर गई और बोली दीदी हमें माफ़ कर दो , हमसे गलती हो गई , हम आपका दर्द नहीं समझ पाए , हम खुद औरत है और एक औरत के ज़ख्मों को कुरेदते रहे।
मीना की माँ के पूछने पर उसकी भाभियों ने बताया कि गड़े मुर्दे उखाड़ने वाली और कोई नहीं वो दोनों ही थी,कल रात वो दोनों मीना के पिछले जीवन को लेकर उसका उपहास कर रही थी और उसे भला बुरा कह रह थी , शायद तब मीना ने उनकी बातें सुन ली।।
इतने में मीना के पिता और भाई भी कमरे में आ चुके थे। उन्होंने दोनों भाभियों को लताड़ते हुए कहा कि आज के बाद घर में इस तरह की कोई बात नहीं होनी चाहिए।।। दोनों भाभियों ने सभी घरवालों और ख़ासकर मीना से दोबारा माफ़ी मांगी , मीना ने उन्हें दिल से माफ़ कर दिया लेकिन अलग रहने के फैसले को लेकर वो अडिग रही , उसका कहना था कि वो खुद भी एक नयी ज़िंदगी शुरू करना चाहती है।
मीना की माँ ने उसे जाने से मना किया लेकिन पिता और भाई ने कहा कि मीना को जाना तो होगा इस घर को छोड़कर।
ये सुनकर मीना की माँ और भाभियाँ और खुद मीना भी चौंक गई , तभी पिता जी ने मीना को सीने से लगाते हुए कहा कि उनके दोस्त का बेटा आशीष मीना से शादी करना चाहता है और उसे सब सच मालूम है। लेकिन फिर भी वो मीना से शादी करना चाहता है। मीना की माँ बोली लेकिन कल को अगर उसने मीना की बीती ज़िंदगी को लेकर कुछ कहा तो ,,,इतने में आशीष ने अचानक पीछे से आकर कहा , आंटी क्यों गड़े मुर्दे उखाड़ रही हैं , पिछली बातों में मुझे सिर्फ इतना याद है कि मैं मीना से बचपन से प्यार करता हूँ और इसके अलावा कुछ याद नहीं।
घरवालों ने मीना की तरफ देखा तो उसने भी मुस्कुरा कर अपनी मौन सहमति दे दी।
आज मीना की ज़िंदगी एक नयी शुरुआत कर रही थी और अब उसे यक़ीन था कि अब उसकी ज़िंदगी में कोई ‘गड़े मुर्दे नहीं उखाड़ेगा’.
#गड़े मुर्दे उखाड़ना
लेखिका : शनाया अहम