एक बार की बात है रामू और श्यामू नामक दो दोस्त थे वह रोजाना पढ़ने साथ ही जाते थे रास्ते में एक आम का बगीचा आता था बगीचे में आम पकने को आया था उसकी खुशबू दूर-दूर तक फैल रही थी रामू और श्यामू ने सोचा क्यों ना आम तोड़कर खा लिया जाए। रामू बोला अरे भाई अभी आम तोड़ोगे तो माली अंदर ही बैठा रहता है वह तुम्हें तोड़ डालेगा ऐसा करते हैं हम रात में जब माली सो जाएगा तो बगीचा के अंदर आएंगे और हम आम तोड़ेंगे श्यामू ने बोला ठीक कह रहे हो जैसे ही आधी रात हुई रामू और श्यामू बगीचा के अंदर आम तोड़ने के लिए आ चुके थे।
दोनों ने मिलकर खूब आम तोड़ा और वहीं बैठ कर मनभर आम खाया। आम खाने के बाद श्यामू बोला कि रामू यार देखो कितनी सुंदर चांदनी रात निकल रही है अब मेरा मन इस चांद को देखकर कुछ गाने को कर रहा है और गाना भी मुझे याद आ रहा है “चांद छुपा बादल में शरमा के मेरी जाना”।
रामू बोला भाई क्यों अपनी ढ़ोल जैसी आवाज को खोलने पर लगे हो अभी माली जग जाएगा हम दोनों की शामत आ जाएगी श्यामू बोला भाई कुछ भी हो जाए अब तो मैं यही कुछ देर बैठूंगा और गाना गाऊंगा उसके बाद ही यहां से घर जाऊंगा। रामू ने बोला कि ठीक है भाई तुम्हें गाना गाने का मन है तो गा लो लेकिन मैं तुम्हारा बगीचे के गेट पर इंतजार कर रहा हूं तुम वहां आकर मुझे मिल जाना श्यामू ने बोला ठीक है।
जैसे ही श्यामू ने गाना गाना शुरू किया तब तक माली जग गया वह समझ गया कि बगीचे के अंदर कोई चोर घुस गया है उसने अपना डंडा उठाया और धीरे से आवाज की दिशा में बढ़ने लगा और वहां आकर देख रहा है कि एक लड़का बैठकर गाना गा रहा है और बहुत सारा आम उसके आसपास बिखरे पड़े हैं माली को समझते देर नहीं लगा कि यह लड़के ने कब से आम तोड़ रहा है और इसे लगता है कि यहां पर कोई रखवाले करने वाला नहीं है।
माली पीछे से आया और श्यामू को अपने डंडे से दो तीन डंडे ज़ोर से मारा। अब श्यामू की सारा गाना गाने की हेकड़ी निकल आई थी और वह जोर से गेट की तरफ भागा और रामू को भी बोल बोला किस रामू जल्दी से भागोवाली हमारे पीछे आ रहा है।
रामू बोला कि मैंने तो तुम्हें तब ही कहा था कि चुपचाप आम लेकर निकल चलते हैं तो तुम्हें बैठकर गाना गाने की सूची थी अब तुम खुद भी भुगत रहे हो और मुझे भी पकड़वाओगे।
दोस्तो इस कहानी से हमको यही शिक्षा मिलती है कि कभी भी हमे अपने मन का नहीं करना चाहिए अगर कोई साथी हमें कुछ कह रहा है तो उसकी बातों पर भी गौर करना चाहिए।