फालतू काम – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

आजा मेरा राजा बेटा तू ही ये काम कर सकता है मालिनी ने तीसरी बार बेहद दुलार से अपने निर्विकार बेटे राजन से कहा तो पिता राजेश्वर झल्ला गए।

इतनी #लल्लो चप्पो करके क्यों बोल रही हो मालिनी। तुम्हारा बेटा है इसी घर में रहता है बाजार जाके सामान लाना उसका भी कार्य है …दिन भर कान में ठेठा लगा कर लैपटॉप में मुंह घुसाए पड़ा रहता है सुनाई भी कैसे देगा उसे। कुछ काम कर लेगा तो घिस नहीं जाएगा।

धीरे बोलिए अभी सुन लेगा तो नाराज हो जायेगा ।अरे बच्चे हैं इतनी पढ़ाई लिखाई करनी रहती है। घर के इन फालतू कार्यों के लिए टाइम कहां है बिचारे के पास।पूरी जिंदगी पड़ी है ये सब करने के लिए।

फालतू के काम हैं ये सब मालिनी!रामेश्वर बोल उठे।

रिंकी बेटा तू आ जा मेरी अच्छी गुड़िया है बेटा जरा दो कप चाय बना ला आज सिर में बहुत दर्द है पापा के लिए भी बना लेना बेटा ।मेरी बेटी के हाथ में तो जादू है ऐसी चाय बनाती है कि भयंकर सिर दर्द भी छू मंतर हो जाता है अबकी बार मालिनी ने बिटिया को दुलार भरी आवाज दी।

मां .. मां सिर में तो मेरे भी बहुत दर्द है चाय मैं भी पी लूंगा तब तक राजन बोल उठा।

अभी बहुत जल्दी सुनाई पड़ गया तुझे पिता ने टोक ही दिया।

इतना गेम खेलेगा लैपटॉप पर तो सिर तो दुखेगा ही …मां ये चाय वाय बनाने का काम मुझसे नहीं होगा मुझे कॉलेज का असाइनमेंट कंप्लीट करना है।पापा से कह दो ।भैया क्यों नहीं बना देता गेम खेल रहा होगा लैपटॉप पर रिंकी का तीखा जवाब सुन रामेश्वर जी तिलमिला गए।

ला बेटा तेरा सिर दबा देती हूं बाम लगाकर मालिनी बेटे की बात सुन बाम लेकर उसकी ओर बढ़ी।

मेरी लाडो बेटी बना दे आज भर बना दे देख कल तेरी सहेलियां आएंगी उसकी भी तैयारी करनी है मुझे मालिनी ने फिर दुलारा।

मां मेरी सहेलियां कभी कभी तो मेरे घर आती हैं तब भी आप से थोड़ा सा काम नहीं हो पाता आखिर आप घर में खाली ही तो रहती हो कोई जॉब भी तो नहीं करती फिर भी…रिंकी बोलती जा रही थी।

अच्छा अच्छा बेटा ठीक कह रही है रहने दे मै चाय बना लूंगी तू अपना प्रोजेक्ट कर ले तेरी सहेलियों के लिए मैं सब तैयारी कर लूंगी तू चिंता मत कर मेरी गुड़िया कहती मालिनी सिर पर बाम लगाती कसकर दुपट्टा बांध किचेन की तरफ बढ़ने लगी।

मां मेरे लिए भी बड़ा वाला कप… राजन ने चिल्लाकर कहा तो रामेश्वर जी खुद को रोक नहीं पाए।

मालिनी …रुको कोई जरूरत नहीं है तुम्हे तबियत खराब में किचेन में जाने की गरज उठे वह।

राजन …उठो और जाओ जाकर चाय बनाकर लाओ अपनी मां के लिए जोर से हड़क कर रामेश्वर ने कहा तो राजन डर गया।

जी पिता जी कहता जल्दी से किचेन में चला गया।

रिंकी तुझे बड़ी हंसी आ रही है ।चल यहां आ और मां के सिर में ये बाम लगा..  पिता जी की हड़क का असर रिंकी पर भी तुरंत हुआ वह प्रोजेक्ट छोड़ कर मां के पास बैठ बाम लगाने लगी।

सुनो ,पढ़ाई लिखाई भी जरूरी है पर साथ में घर के छोटे छोटे कार्यों में हिस्सेदारी एक दूसरे का बिना कहे ख्याल भी जरूरी है इस बात का ध्यान रखा करो।

और सुनो मालिनी बच्चों से काम कहना और करवाना सीखो पूरी जिंदगी नहीं पड़ी है।अभी से आदत नहीं पड़ेगी नहीं करेंगे तो बड़े होने पर भी इनका इस तरफ ध्यान नहीं जायेगा ।आगे भी कोई उम्मीद मत रखना…आज से इनकी लल्लो चप्पो बंद…!!

बेटी के मुलायम हाथों से बाम लगवाती मालिनी को सुकून भरी  हंसी आ गई थी और रिंकी और राजन को थोड़ी अकल ।

 

लतिका श्रीवास्तव 

लल्लो चप्पो करना#मुहावरा आधारित लघुकथा

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