प्रिया घरवालों की लाड़ली पड़ने में होशियार एक छोटा भाई और मम्मी पापा छोटा सा परिवार ।
पढ़ाई में अव्वल आती हमेशा और आगे की पढ़ाई के लिए बड़े शहर होस्टल में रहकर आगे की पढ़ाई की।
इसी बीच उसकी बुआ की बेटी की शादी आती है ,दोनों बचपन से साथ रहे थे बहुत, तो बड़ा उत्साह था शादी में जाने का मस्ती धमाल करने का ।
शादी में खूब मस्ती की सबने लड़के पक्ष में से एक लड़का रोहित प्रिया के कुछ ज्यादा ही आसपास रहने की कोशिश में लगा था ,थोड़ी बहुत बातचीत भी हुई और शादी के सारे रस्मों रिवाज में सबने कुछ मस्ती की जूता चुराई की मस्ती हो या फेरों के समय रात में जागना ,समय पता ही नहीं चला ।
सुबह विदा हुई और बाकी के मेहमान भी विदा हो रहे थे धीरे धीरे ,इधर रोहित भी जाने से पहले मिलने आया प्रिया से और नम्बर मांगा तो प्रिया ने इंकार कर दिया , मैं अजनबी को नम्बर नहीं देती ,अरे अब तो तुम मुझे जानती हो न ,नहीं इतनी पहचान में ,मैं नम्बर नहीं देती वैसे भी मेरे एग्जाम आ रहे मुझे अपना पूरा ध्यान वहीं लगाना है ,माफ करना ,
कोई बात नहीं रोहित कहता है ।
कुछ महीने बाद प्रिया की पढ़ाई पूरी होने के बाद जॉब लग जाती है , उधर रोहित के दिलों दिमाग पर छाई हुई थी प्रिया , फेसबुक पर आखिर ढूंढ लिया और मैसेज किया , याद है मेरा नाम कि वो भी भूल गईं , मैं रोहित ,
रात में ये मेसेज प्रिया देखती है और जबाव देती है , अरे क्या बात है मोबाइल नम्बर नहीं था ,तो भी मुझ तक पहुंच गए आखिर ,
इस कहानी को भी पढ़ें:
किस्मत के खेल से कौन बच सका है भला..? – रोनिता कुंडू:Moral stories in hindi
रोहित ने कहा हाँ तुमसे बात करने का मन कर रहा था तो खोज ही लिया, कहाँ हो क्या रही हो ,प्रिया ने कहा जॉब लग गई है यहीँ , बस इसी में व्यस्त हुँ ,तुम बताओ क्या चल रहा , बस पापा ने नई बिल्डिंग होस्टल के लिए बनवा रहे हैं वो पूरी हो गई है लगभग कुछ महीनों में होस्टल का सारा कामकाज मैं ही देखूंगा ।
अरे वाह बढ़िया अब तो बिजनेसमेन बन जाओगे , चलो मुझे कल ऑफिस जाना है बाय ।
अब लगभग दो तीन दिन में रोहित का मैसेज आ जाता और प्रिया को भी उससे बात करके अच्छा लगता ,एक दिन रोहित ने कहा कल में तुम्हारे शहर आ रहा हूं मिल सकते हैं क्या ,प्रिया कहती है चलो कल डिन्नर साथ करते हैं ,अरे अब तो तुम्हारा मोबाइल नम्बर दे दो कॉल कैसे करूंगा ,प्रिया हंसती है और नम्बर सेंड करती है ,चलो कल मिलते हैं बाय।
दूसरे दिन मुलाकात होती है ओर रोहित इस मुलाकात में ही शादी के लिए प्रिया को पूछता है , प्रिया को अचानक से आये इस पश्न का जबाव तुरंत नहीं देते बना ,उसने सोचने के लिए वक्त मांगा ।
ओर आखिर रोहित ने प्रिया को मना ही लिया , दोनों के परिवार वाले मिले और शादी हो गई ।
प्रिया को कम्पनी ने रोहित के शहर में ट्रांसफ़र भी दे दिया ।
शुरू में सब अच्छा चला , रोहित ने सब अच्छा अच्छा दिखाया था शादी के पहले , थोड़े दिनों बाद प्रिया को पता चला उसकी खूब दोस्ती यारी है और शराब भी चलती है खूब ,होस्टल के हिसाब में भी बहुत झोल करता इस लत के कारण ओर उसके पापा ने नाराज होकर किसी ओर को होस्टल का कामकाज देखने रख लिया।प्रिया कुछ कहती तो कहता में जल्द ही कम कर दूंगा सब एकदम से नही कर सकता ।
कुछ महीनों में ही देर से घर आना और झगड़ा करना , पैसों की वजह से भी झगड़े होते ,प्रिया को अहसास होता है ,शादी के पहले रोहित ने जो अपनी इमेज बताई थी उससे विपरीत है ,प्रिया इन सब आदतों से बड़ी परेशान ओर चिड़चिड़ी हो गई थी।
इस कहानी को भी पढ़ें:
कुमुदिनी भाभी – प्रियंका सक्सेना Moral stories in hindi
उसने रोहित को साफ कहा में ऐसे इंसान के साथ पूरा जीवन नही निकाल सकती जिसको ने रिश्तों की परवाह हो ,न अपने भविष्य का ख्याल , कब से तुम कह रहे हो बदल लूंगा पर वहीं के वहीं है सब कुछ ,अगर ऐसा ही रहा तो में तलाक की अर्जी लगा दूंगी , रोहित कहता है ऐसे कैसे बोल रही हो इतनी सी बात पर कोई ऐसा बोलता है ,हाँ ये मेरा फैसला है और मैंने बहुत सोच समझ कर लिया है इस फैसले के कारण में कई रातों से सोई नहीं हूं पर मेँ सुकून चाहती हूं जीवन में ,ओर तुम्हारी यही आदतें रहीं तो मुश्किल है में खुश रहूँ इसलिए ये फैसला लिया है मैंने ।
कुछ महीनों के समय है पापा से कह कर हॉस्टल का काम अच्छे से देखो और शराब की आदत छोड़नी होगी तुम्हें ,जब तो तुमने नही बताया था कि शराब पीते हो मुझे सख्त नफरत है ,कभी कभार हो तो भी सोच लूं एक बार ,पर तुम्हारे दोस्तों का तो क्या कहना ज्यादातर शराब के लिए ही दोस्ती है तुम्हारी , पर बस बहुत हो गया ,तुम अगर ये सोचते हो कि में एक लड़की हुँ शादी के बंधन से बंधी कुछ भी करो कहाँ जाऊँगी ऐसे ही रहती रहूंगी ,पर मेरा परिवार मेरे साथ है जॉब है अपने पैरों पर खड़ी हुँ ,मैंने ऐसे जीवन की कल्पना भी नहीं की थी , मैं अपने लिए अपनी खुशियों के लिए तुमसे भीख नहीं मांगने वाली सोच लो अच्छे से तुम ओर चली जाती है ।
रोहित थोड़े दिन अच्छे से रहता है , वापस कुछ दिन में ही फिर वही लेट आना शराब शुरू हो जाता है , अब प्रिया अपने जीवन का फैसला ले चुकी थी और बेग पैक करके मायके चली जाती है, झूठ की बुनियाद पर रिश्ते नहीं टिकते पापा ,ओर जरूरी नहीं कि कुछ गलत हुआ है तो आपको वही पूरी जिंदगीं सहना होगा, में थक चुकी हुँ इस रिश्ते में कुछ नहीं बचा है,जीवन अगर मौका दे तो जरूर लेना चाहिए इसलिए मैंने फैसला किया है तलाक लूंगी ,प्रिया के मम्मी पापा उसकी खुशी के लिए उसका साथ देते हैं ,जबजस्ती सुसराल भेजना समाज के डर से की लोग क्या कहेंगे ये नहीं सोचते ।
तलाक के पेपर रोहित को भेज दिये जाते हैं , रोहित को कल्पना नहीं थी कि प्रिया बोल रही है तो कर भी देगी।
तलाक हो जाता है प्रिया दूसरे शहर में जॉब करने लगती है ,कुछ महीनों बाद अमन उस कम्पनी में जॉइन करता है बड़ा सुलझा हुआ खुशमिजाज दोनों में दोस्ती होती है ,प्रिया एक बार धोखा खा चुकी थी अब सोच समझ कर कोई कदम उठाएगी यही सोचा , कुछ महीनों की दोस्ती में अमन का स्वभाव समझ आ गया प्रिया को ,वैसे भी ज्यादा दिनों तक कोई बनाबटी नही रह सकता ,अमन से उसने अपनी पुरानी जिंदगी का कुछ नहीं छिपाया था ,अमन ने सब जानने पर कहा ये सब एक बुरा सपना समझ कर भूल जाओ इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं और मेरे साथ अपनी जिंदगी की नई शुरुवात करो ।
अगले महीने शादी हो जाती है , दोनों एक ऑफिस में थे साथ जाना आना और अमन उसे घर के काम में भी छोटी मोटी हेल्प करता,
2 साल बाद प्रिया एक प्यारे से बेटे की मां बनी , और अपनी जिंदगी में बहुत खुश थी , घुट घुट कर समझौते भरी जिंदगी जीने के बजाय उसने अपने लिए जो फैसला लिया आखिर वो सही साबित हुआ ……….
नंदिनी
स्वरचित
#मासिक_प्रतियोगिता_कहानी