ऐसे भी जीजा होते हैं – गीता वाधवानी

बचपन से हम किस्से कहानियों में पढ़ते आए हैं और टेलीविजन धारावाहिकों में, फिल्मों में यही देखते आए हैं कि देवर भाभी, जीजा साली का रिश्ता मजाक वाला होता है और इनके बीच मजाक चलता रहता है लेकिन यह सब एक सीमा में, एक मर्यादा में रहते हुए ही उचित होता है फिर भी कुछ लोग ऐसा व्यवहार करते हैं कि उन्हें मानो छेड़खानी करने का लाइसेंस मिल गया हो। जैसे की होली के त्यौहार पर”बुरा न मानो होली है” कहकर अश्लील व्यवहार करने लगते हैं और समझने लगते हैं कि उन्हें ऐसा करने का परमिट मिल गया है। 

     ऐसी ही बहुत सारी बातें मीता ने अपनी सहेलियों के मुंह से भी सुनी थी। एक सहेली ने बताया कि होली पर उसके जीजा जी ने उसे कमर से पकड़ कर मुंह पर रंग लगा दिया और दूसरी सहेली ने बताया कि जब भी जीजाजी घर पर आते हैं उस से अकेले में बात करने की कोशिश करते हैं। तीसरी सहेली ने बताया कि उसके जीजा जी उसे हमेशा”साली आधी घरवाली”कहते हैं जबकि उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। 

       तब उन दिनों मीता की बहन का विवाह दिसंबर माह में हुआ था और मार्च में वह अपने पति के साथ अपनी पहली होली मनाने के लिए आने वाली थी। वैसे तो मीता के जीजा जी बहुत अच्छे थे फिर भी उसे सहेलियों की बातें याद आ रही थी और वह बहुत तनाव में थी और बातें ऐसी थी कि वह किसी से कह भी नहीं सकती थी। 

अब होली वाले दिन दीदी और जीजा जी आए। जीजा जी ने बड़ों के चरण स्पर्श किए और सोफे पर बैठ गए। मां ने चाय नाश्ता दिया और फिर शुरू हुई होली। 

   सब एक दूसरे को अबीर गुलाल लगा रहे थे और होली की बधाइयां दे रहे थे। मीता हाथ में गुलाल लिए चुपचाप सहमी सी एक कोने में खड़ी थी कि तभी उसके जीजाजी उसकी तरफ बढ़े और उसके माथे पर टीका लगाकर बोले”हैप्पी होली बेटा”। जीजा जी के ऐसे कहने पर मीता सारा वहम और डर दूर हो गया और उसने भी खुशी-खुशी अपने जीजा जी के माथे पर टीका लगा दिया। अब उसकी समझ में आया कि सब लोग एक जैसे नहीं होते और उसके जीजा जी मर्यादा में रहकर व्यवहार करने वाले अच्छे इंसान हैं। 

अब मीता की दीदी के विवाह को 20 साल और मीता के विवाह को 10 साल व्यतीत हो चुके हैं तब से लेकर अब तक जब कभी भी जीजा जी होली पर मिलते हैं वह मीता को हमेशा बेटा कहकर माथे पर टीका ही लगाते हैं और उसे अपनी बेटी की तरह मानते हैं। होली के अतिरिक्त और कोई भी त्यौहार हो वह हमेशा मर्यादित व्यवहार ही करते हैं। अब मीता समझ चुकी है कि बहुत से जीजा जी ऐसे भी होते हैं। 

#मर्यादा 

स्वरचित

गीता वाधवानी दिल्लीः 

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