एक लड़की जब शादी करके अपने ससुराल आती है तो कितने सपने लेकर आती है वह सबको अपना बनाना चाहती है ।नये रिश्तो को बांधना चाहती है। उसे सब कहते हैं अब तुम अपने घर जा रही हो तो वह आकर ससुराल को ही अपना घर समझने लगती है।।
ऐसे ही सपने लेकर मैत्री अपने ससुराल आई। उसके ससुराल का माहौल मायके के माहौल से बिल्कुल ही अलग था ।वह एक सीधी-सादी और ज्यादातर पढ़ाई में ध्यान देने वाली लड़की थी ।फिर भी समय आने पर उसका विवाह हुआ तो उसने अपने मन में निश्चय किया था कि मैं ससुराल की सारी जिम्मेदारियों को अच्छे से निभाऊंगी ।धीरे-धीरे इसकी कोशिश भी करती थी।
मायके की दिनचर्या से ससुराल की दिनचर्या बिल्कुल अलग थी।मैत्री के मायके में उसके माता-पिता और बहनें थी।
लेकिन जब उसकी शादी हुई तो यहां सास ससुर और पति के साथ देवर भी थे। देवर और पति की उम्र में बहुत अंतर था ।
एक दिन मैत्री अपने कामों में लगी हुई थी। उसे बार-बार गली से चलते हुए आना जाना पड़ रहा था। इसी बीच उसने देखा बार गली में आईना चमक रहा है ।पहले तो उसने ध्यान नहीं दिया। लेकिन जब बार-बार यह होने लगा तो वह आंगन में झांक कर देखने लगी। उसका देवर आईने को धूप में चमका चमका कर खेल रहा था ।
उसने उससे ऐसा करने से मना किया की आईने के चमकने से रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है और मैं गिर जाऊंगी। फिर भी वह ऐसा करता रहा। इस बार मैत्री आई तो सीधे उसके आंख में आईने की चमक आई और उसे साड़ी पहनने की ज्यादा आदत तो नहीं थी लेकिन यहां वह साड़ी पहनती थी
तो उसका पैर साड़ी में उलझ गया और वह गिरते-गिरते बची उसने दीवार को पकड़ लिया ।उसे समझ नहीं आया और उसने जोर से चिल्लाया कि मैंने मना किया है उसके बाद भी तुम ऐसा क्यों कर रहे हो। अभी मैं गिरते गिरते बची हूं। इतने में उसकी सास आ गई और मैत्री को ही कहने लगी कि तुम मेरे बेटे को बोलने वाली कौन होती हो ।उसका घर है वह जैसे चाहे वैसे ही रहेगा ,जैसे चाहे वैसा करेगा। तुम कौन होती हो बोलने वाली ।बार-बार यही बात बोलने लगी।
मैत्री को तो बहुत ही दुख हुआ ।वह उसे अपने छोटे भाई जैसा समझ रही थी। इसलिए उसने कह दिया।
इस घटना से मैत्री ने मन में सोच लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए मैं कुछ भी नहीं कहूंगी।
यहां प्रश्न यह है कि जब एक लड़की ससुराल में आती है तो किसी को भी उनकी गलती पर भी उसे कुछ कहने का अधिकार नहीं है। बहु को जब जरूरत होती है तो अपना बना लिया जाता है और जब जरूरत ना हो तो उसे पराया कर दिया जाता है।
मैत्री बहुत भावुक और संवेदनशील थी।वह बहुत दिनों तक इस बात को सोचती रही ।वह तो सबको अपना समझती थी। लेकिन ऐसा ही कई बार हुआ। इसी तरह से सभी रिश्तो में दूरियां आने लगी। उसने किसी को कुछ बोलना ही छोड़ दिया ।
क्या मैत्री के साथ जो हुआ वह ठीक था। वह भी एक पढ़ी-लिखी और समझदार लड़की थी। उसे यह आशा तो की जाती थी कि वह सारे काम करें। लेकिन उसे किसी को कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं था।
स्वरचित
नीरजा नामदेव