देखो पंछी मैं बता देती हूं .. पूर्वी ना , तनु की शादी में हर मांगलिक कार्य में आगे आगे नहीं रहेगी….
माना वो तेरी बहुत अच्छी सहेली है पर है तो विधवा ना…. और पंछी तू भी तो नहीं चाहेगी ना कि तनु की शादी में कुछ ऊँच-नीच
हो… आखिर तनु बेटी है तेरी…. ! कड़े शब्दों में सासु माँ ने बहु पंछी को हिदायत दी….।
जी माँ जी …बस इतना ही तो बोल पाई थी पंछी…अपनी सासू माँ से …पर वह एक अजीब सी असमंजस की स्थिति में फंस गई थी…! एक तरफ उसकी बहुत प्यारी सहेली पूर्वी जो हर सुख दुख में पंछी के साथ खड़ी रहती है…..। और उसकी गलती भी क्या है….सोचते सोचते पंछी ना जाने कब अतीत की स्मृतियों में खो गई…उसे पता ही नहीं चला….।
कॉलेज में हम चार बेस्ट फ्रेंड हुआ करते थे उसमें से पूर्वी भी एक थी …….हम चारों में सबसे धनी और प्रतिष्ठित परिवार की इकलौती लड़की पूर्वी के क्या ठाट थे….. कॉलेज में जब बस से उतरती थी…कुछ लड़कियां तो उसके ड्रेस पर भी नजर लगाए रहती थी कि आज कौन सा ड्रेस पहना होगा पूर्वी ने …. !! इतनी संपन्नता के बाद भी व्यवहारिक थी पूर्वी … और हम सब सहेलियों के लिए तो बहुत प्यारी थी …. ।
कभी-कभी पूर्वी घर के विशेष देखरेख की वजह से उब जाती थी…उसे घुटन सा महसूस होता था……हम सहेलियों के साथ मौज मस्ती करना उसका विशेष शौक था….।
कॉलेज समाप्त होते ही एक प्रतिष्ठित बिजनेस मेन के साथ उसकी शादी तय कर दी गई …पर पूर्वी को ये शादी बिल्कुल भी पसंद नहीं थी उसने अपनी इच्छा बताने में विलंब कर दिया… इस बीच उसके घर वालों ने शादी की तारीख भी निकलवा ली थी …।
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इतने बड़े प्रतिष्ठित धनाढ्य परिवार की बात थी….. तो बात उनके इज्जत और सम्मान पर आ गई ….। और इधर पूर्वी भी किसी भी स्थिति में अपने जिंदगी के साथ समझौता नहीं करना चाहती थी …! अतएव पूर्वी ने अपने पसंद के लड़के लक्ष्य से शादी कर ली थी…। और घर छोड़कर चली गई…!!
शुरू – शुरू में सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा …! धीरे-धीरे पूर्वी को आभास हुआ लक्ष्य नशे का आदी हो गया है …। पूर्वी परेशान रहने लगी क्योंकि अपने मन की शादी थी इसीलिए कोई भी साथ देने को तैयार नहीं था …..बस एक पूर्वी की माँ ही थी जो हर पल और हर हाल में पूर्वी के साथ थी…।
माँ की सहायता से पूर्वी ने लक्ष्य को नशा मुक्ति केंद्र में दाखिल कराया जहाँ उसमें सुधार भी होने लगा था पर इसी बीच हार्टअटैक से लक्ष्य की मृत्यु हो गई…।
अकेली पड़ चुकी पूर्वी लौटकर मायके माँ के पास आ गई ….और अपना पार्लर शुरू किया..! कड़ी मेहनत,लगन ,परिश्रम और कुशल व्यवहार से पूरे शहर में नामी गामी पार्लर के नाम से पहचान बन गई …। आधुनिक तरीके और स्वच्छता को विशेष महत्व देने वाली पूर्वी नंबर वन की ब्यूटीशियन के नाम से अपनी पहचान बना ली….।
अरे पंछी कहाँ खो गई …मैंने तेरी सहेली के बारे में कहा…… तुझे बुरा लगा क्या …??? सासु माँ की आवाज ने पंछी की तंद्रा भंग की…!!
देख पंछी मैं जानती हूँ बेटा….. मैं जो कह रही हूं वह तुझे बुरा लगेगा… पर कुछ परंपराएं हैं …कुछ रीति-रिवाज है उन्हें मानना ही पड़ता है ना.. और फिर मेरी पोती की शादी है….. तो मैं किसी भी मामले मैं रिस्क नहीं ले सकती …..इसलिए मैंने इस बार उसे इस मांगलिक कार्य में शामिल होने से मना किया है …..आगे तेरी मर्जी ….सासू माँ ने अपनी बात समझाने की भरपूर कोशिश की…।
पर अब पंछी को सासु माँ की बातें सर से ऊपर जाती हुई लग रही थी ….तो उसने भी हिम्मत कर अपनी बात स्पष्ट रूप से कहने की कोशिश की ….।
देखिए माँ जी….. पूर्वी विधवा जरूर है पर वो हजारों लड़कियों को दुल्हन की तरह सजाती है , और वर्षों से उसके द्वारा तैयार हुई दुल्हन खूबसूरत दिखने के साथ -साथ सौभाग्यवती भी हैं …।
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यदि महीने भर पहले उससे अपॉइंटमेंट ना लें तो उसके पार्लर में समय और जगह भी नहीं मिलती …..और माँ जी वो तो मेरी सहेली है ना इसलिए इतनी जल्दी में भी तनु को दुल्हन की तरह सजाने को तैयार हो गई…।
माँ जी..मैं उसको बुला कर उस पर उपकार नहीं कर रही हूँ …वह मेरे घर आकर शादी की सबसे महत्वपूर्ण कार्य ” दुल्हन को सजाना ” करके वह हम पर उपकार कर रही है…. प्लीज माँ जी….. पंछी आगे कुछ बोलना चाहती थी , बीच में ही सासु माँ ने बात काट दी और समय की माँग और मौके की नजाकत को देखते हुए बात सम्भालने की कोशिश करते हुए कहा……
देख बेटा …पूर्वी को बोल देना वो ओवर मेकअप ना करें मेरी तनु को ….हमारी तनु वैसे ही सुंदर है …!! और पंछी और सासू माँ दोनों हँस पड़े…!!
वो शादी का दिन भी आ ही गया… पंछी ने एक अलग कमरा तनु को सजाने के लिए पूर्वी को दे दिया था… पूर्वी पूरे इत्मीनान व धैर्य से बिल्कुल पारंपरिक तरीके से तनु को इतनी खूबसूरती से दुल्हन का मेकअप किया था कि लोग देखते ही रह गए थे…. एकदम नेचुरल तरीके से मेकअप किया था , ओवर मेकअप बिल्कुल भी नहीं होने दिया था…. सासू माँ ने भी नेग में पूर्वी के लिए चावल और ₹2100 रखें थे…..।
तनु का मेकअप पूरा होते ही पूर्वी ने एक प्यारा सा ” नथ ” गिफ्ट में तनु को दिया और बोली …इसे पहनना… तुम्हारे ऊपर बहुत अच्छा लगेगा तनु ! फिर जल्दी-जल्दी अपना सामान समेटने लगी और पंछी से बोली…. पंछी अब मुझे चलना होगा , मैं बाद में मिलती हूं….।
क्या….?? कहां जा रही है… अब बारात आने वाली है तो इस समय तू कहां जा रही है..? क्या तैयार होकर आएगी .. ? पूर्वी ने न जाने कितने सवाल एक ही सांस में पूछ डालें …अरे नहीं ….वो ……ये ….वो क्या है ना… मेरा कहीं और भी अपॉइंटमेंट है….. हड़बड़ाहट में पूर्वी ने कहा…!
पागल है क्या पूर्वी तू..? आज तुझे नहीं मालूम था तूने क्यों लिया दूसरा अपॉइंटमेंट ….? नाराज होते हुए पंछी ने शिकायत की .. ! पूर्वी को चुप रहते देख पंछी को कुछ तो शक हुआ….. उसने पूर्वी का हाथ पकड़ धीरे से कहा…. क्या पूर्वी सच में तेरा अपॉइंटमेंट है….?
इस बार शायद पूर्वी झूठ नहीं बोल पाई ….बस उसने धीरे से कहा…. अब मेरा काम हो गया है पंछी , सारे मांगलिक कार्य तुम सब मिलकर बहुत अच्छे से करो …मैं कल मिलती हूं…!
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तू कहना क्या चाहती है पूर्वी… आगे पंछी और कुछ कहती.. काम की व्यस्तता , मेहमानों के आने जाने की तारतम्यता…. के बीच न जाने कब पूर्वी उस समारोह से गायब हो गई.. पता ही नहीं चला ….अगले दिन सही समय पर विदाई से पहले पूर्वी आ गई थी , विदाई की रस्मों में भी पीछे खड़ी थी …बस पंछी को समझा बुझा कर हंसाने की कोशिश कर रही थी ताकि विदाई के वक्त माहौल थोड़ा हल्का ही रहे और पंछी ज्यादा रोए ना…।
खैर… तनु की विदाई के बाद सारा घर खाली-खाली लग रहा था …थकान और नींद के चलते जिसको जहां जगह मिली सब लेट गए..। इसी बीच सासू माँ ने आकर धीरे से कहा…. पूर्वी तू कल शादी में नहीं थी बेटा… कहीं उसके पीछे कारण मैं तो नहीं….. बेटा यदि मेरी सोच तुझ तक पहुंच गई हो और तुझे बुरा लगा हो तो मुझे माफ करना ……दरअसल सासू माँ को लगा शायद मेरे कहने पर पंछी ने उसे मांगलिक कार्यों में सम्मिलित होने से मना किया हो…।
अरे आंटी आप ये क्या कर रही हैं …तनु मेरी भी तो बेटी है , और मैं उसका कभी अहित चाहूंगी क्या…? और एक बात बताँऊ आंटी ….” मैं विधवा जरूर हूं पर हर रोज दुल्हन सजाती हूँ ” …हाँ इस बात का जरूर ख्याल रखती हूं कि ….काम खत्म होने के बाद वहां से अलग हट जाऊं… वैसे मैं ये भी अच्छी तरह जानती हूं कि ….ये सब सिर्फ कुरीतियां और निरर्थक धारणा है… जिसे अब तोड़ना जरूरी भी है ….पर कभी-कभी डर भी लगता है यदि….
” जाने अनजाने में कोई भी कहीं भी कुछ भी अमंगल हुआ तो जिम्मेदारी एक बार फिर हम जैसी विधवाओं के ऊपर आ जाएगा ” …और थोड़ा डर भी लगता है जो मेरे साथ हुआ भगवान ना करे किसी के साथ हो ….कहते कहते पूर्वी के आंखों में आंसू थे…।
सासूमाँ वस्तुस्थिति को समझ… अपनी सोच और पुरानी कुरीतियों जिसे आंख बंद कर विश्वास कर लेने और बढ़ावा देने पर शर्मिंदा महसूस कर रही थी…।
वहीं पर पूर्वी के समझदारी व विवेकपूर्ण जिम्मेदारी को निभाने के कला की कायल भी हो चुकी थी… वह पूर्वी की प्रशंसा करते नहीं थक रही थी…।
सच में साथियों कुछ रिती – रिवाज परंपराये ऐसी हैं जिन्हें हम अशुभ बता कर आँख बंद कर विश्वास कर लेते हैं …. माना कभी किसी परिस्थिति में कुछ ऐसी घटनाएं घटित हुई होगीं… पर उसे लकीर का फकीर बन आंख बंद कर हमेशा के लिए एक रेखा खींच देना कहां तक उचित है …कभी-कभी परिस्थितियों की यथार्थता देखते हुए निर्णय लेना चाहिए ….।
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यह मेरा व्यक्तिगत विचार है किसी की भावनाओं या परम्पराओं को ठेस पहुँचाना मेरा मकसद नहीं …।
( स्वरचित मौलिक और सर्वाधिकार सुरक्षित रचना )
संध्या त्रिपाठी
#अटूट बंधन
पूर्वी की ही तरह मैं भी अपनी बेटी की शादी में मांगलिक कार्यों से दूर रही ।भले ही मैं भी इन कुरीतियों को नहीं मानती पर मन में डर तो था कि कहीं मेरी बच्ची के साथ कुछ गलत ना हो ।अंदर ही अंदर घुटती रही पर रस्मों से अलग रही ।बहुत दर्द देती है ये बेबसी ।