एक सैर, जादुई दुनिया की.. – संगीता त्रिपाठी

 #जादुई दुनिया..

 

                     सुबह -सुबह आँख गुलाब की भीनी खुश्बू से खुली, देखा सुर्ख लाल गुलाब के दो फूल के साथ चाय का कप,सामने बैठे मुस्कुराते पतिदेव… मानों कोई सपना देख रही हूँ, पिछले कई बरस से तो मैंने पति देव को भौं चढ़ाते देखा,मुस्कुराते नहीं । उनको मुस्कुराते किसी ने नहीं देखा।सच चिकोटी काटने का मन कर रहा था, ये सपना हैं या सच हैं, तभी पतिदेव ने मुस्कुराते हुये कहा -चाय पसंद आई। मेरे आश्चर्य में और वृद्धि हो गई, एक गिलास पानी नहीं लेने वाला, मुझसे चाय ठीक बनी कि नहीं पूछ रहा। हाँ -हाँ बहुत अच्छी बनी, पर आपकी कहाँ हैं, आप पी रही तो समझिये मै पी रहा हूँ मोहतरमा…।मै पति के बदले जादुई काया -कल्प से हैरान थी। याद आया कल ही तो दुर्गा मैया से पति की बुद्धि सही हो जाये का वरदान माँग कर आई थी। लगता हैं, मैया ने सुन लिया। बस अब तो अपने दिन भी फिर गये, मिसेज शर्मा और वर्मा को दिखा दूंगी, मै भी कम नहीं..।

 

                     आप तैयार हो जाइये, शॉपिंग पर चलना हैं, मुस्कुराते हुये पतिदेव बोले।मुझे हार्ट अटैक होते -होते बचा,अरे आज क्या हो गया भाँग खा लिया या सुबह -सुबह किसी ने मेरे खड़ूस पति को कुछ खिला दिया। मुझे परेशान देख पतिदेव ने मुझे दुबारा याद दिलाया -जल्दी करें नहीं तो देर हो जाने पर अच्छी चीजें नहीं मिलेगी। उफ़्फ़ शॉपिंग के नाम से भड़कने वाले पति इतने मनुहार से शॉपिंग पर ले जा रहे हैं, कुछ तो गड़बड़ हैं। दिमाग में बत्ती जल गई, मौके का फायदा उठा, जल्दी से शॉपिंग करने जा, बाकी बातें बाद में।

 

          साड़ी की दुकान पर बहुत भीड़ थी, सेल चल रही थी। दुकानदार,जो पहले मुझे देख मुँह बना लेता था, क्योंकि हमेशा मोल -भाव करने में मै वक्त जाया करती थी खरीदती कुछ नहीं, उठ कर आया और बड़े अदब से मेरे लिये जगह बनाता अंदर ले गया। एक से बढ़ कर एक साड़ी दिखा रहा था। पति देव सब रखवा ले रहे थे, मै घबरा गई, बिल तगड़ा आयेगा। खींसे निपोरते दूकानदार बोला -मैडम क्यों चिन्ता करती हैं, आपकी ही दुकान हैं, और जब साहब मना नहीं कर रहे तो आप क्यों परेशान हैं। माथे का पसीना पोंछते मै सर हाँ में हिला दी।


 

               साड़ीयाँ आप छोड़ जाइये, फॉल -पिको करा मै घर भिजवा दूंगा, दूकानदार की बात सुन फिर मुझे चक्कर आ गया। पति देव मुस्कुराते हुये मेरा हाथ पकड़ उठा दिये। चलो अब कुछ खा लेते हैं, आप थक गई होंगी। एक महंगे रेस्टोरेंट में ले गये, उसका मालिक भागा -भागा आया और हमें ले जाकर एक रिजर्व टेबल पर बैठा दिया। मेरी हैरानी बढ़ती जा रही, तभी डांस के लिये म्यूजिक बज उठा, पतिदेव हाथ बढ़ा कर डांस के लिये आग्रह कर रहे थे।डान्स और पति…. मुझे ऑंखें मलनी पड़ी, चिकोटी काटने का मन तो हुआ,पर फिर दिमाग ने कहा जो सामने हैं, उसे एन्जॉय कर, बाकी बाद में..।डांस के दौरान हम बेस्ट कपल चुने गये। वहाँ  जब ट्राफी दी गई तो लोगों ने खूब तालियाँ बजाई। कुछ ने ऑटोग्राफ मांगे, इतराते हुये मै ऑटोग्राफ दे रही थी। भीड़ खत्म ही नहीं हो रही थी मेरे हाथ दुखने लगे… बस अब और नहीं…मै चिल्ला पड़ी, क्या बस -बस लगा रखी हो , इतनी देर से उठा रहा हूँ ये महारानी जी घोड़े बेच कर सो रही, आज मै फिर लेट हो गया, पति की कर्कश आवाज ने मुझे  जादुई दुनिया से यथार्थ की दुनिया में ला पटका । सच की दुनिया कौन सी थी, जिसमें मै घूम रही थी या ये, जिसमें पानी की बुंदे चेहरे से साफ कर रही थी। अब तो चिकोटी काटनी ही पड़ेगी, सच का पता लगाने के लिये।

 

           रात भर सपनों की जादुई दुनिया ने, मेरे होठों पे हँसी ला दी, चलो कुछ ख्वाहिशे सपनों में ही सही, पर पूरी तो हुई। कहाँ ये कर्कश पति और दुनिया भर की समस्या और कहाँ वो जादुई दुनिया का हैंडसम पति,और रोमांस … मै जोर से हँस पड़ी, पतिदेव ने घूरते हुये कहा -दिमाग खराब हो गया हैं क्या। और मै उनकी ओर एक मधुर स्मित फेंक रसोई की ओर चल पड़ी।अब हैरान होने की बारी उनकी, क्योंकि उन्होंने भी मेरा ये रूप बरसों हो गये, नहीं देखा।

 

                              —-संगीता त्रिपाठी

                                गाजियाबाद 

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