राधिका इस मोहल्ले मे अभी नई नई आई थी क्योकि वो एक सरकारी स्कूल मे शिक्षिका थी और उसका तबादला मेरठ से दिल्ली कर दिया गया था । उसके परिवार मे सास -ससुर, पति सौरभ और दो बच्चे खुशी और वत्सल थे क्योकि दोनो बच्चे आठवीं और दसवीं मे पढ़ते थे तो ऐसे अचानक स्कूल छोड़ना संभव नही था और राधिका भी सरकारी स्कूल की नौकरी छोड़ नही सकती थी इसलिए सर्वसहमति से अभी राधिका अकेले दिल्ली आई थी यहाँ उसने एक दो कमरों का फ्लैट किराये पर लिया था । शिफ्टिंग के वक़्त उसके पति यहां आये थे और दो दिन रूककर सब इंतज़ाम करवा वापिस चले गये थे क्योकि वहाँ उनको भी अपनी नौकरी देखनी थी।
राधिका ने सौरभ के जाने के अगले दिन से ही नौकरी पर जाना शुरु कर दिया था। उसके स्कूल मे लड़के लड़कियां दोनो सुबह की पाली मे ही पढ़ते थे बस दोनो के क्लासरूम अलग अलग थे और राधिका दोनो को ही पढ़ाती थी। अपने स्वभाव और पढ़ाने के तरीके से वो बहुत जल्द अपने विद्यार्थियों की पसंदीदा अध्यापिका बन गई थी । बच्चे बेझिझक उनके पास अपने सवाल लेकर आते और वो बहुत अच्छे से उनके जवाब देती । इस स्कूल मे आये राधिका को छह महीने होने को आये थे आज स्कूल मे फेयरवेल थी तो लड़के और लड़कियाँ रंग बिरंगे कपड़ो मे सजे विद्यालय के प्रांगण मे घूम रहे थे । आज सभी अध्यापिकाएं भी कुछ ज्यादा ही अच्छे से तैयार होकर आई थी।
” क्या बात है बच्चो आज तो बहुत प्यारे लग रहे हो तुम सब !” राधिका कुछ बच्चो के ग्रुप मे जा बोली।
” मेम आप भी बहुत प्यारे लग रहे हो !” बच्चो ने भी उसकी तारीफ की।
ऐसे ही हंसी खुशी के मोहोल मे फेयरवेल चल रही थी । बच्चो की तरफ से कई सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे थे । राधिका और कुछ अध्यापिकाओं को सारे कार्यक्रम की जिम्मेदारी दी गई थी इसलिए वो सब घूम घूम कर इंतजामात देख रही थी । तभी राधिका को एक कमरे मे कुछ हलचल सी महसूस हुई ।
” शिल्पी सभी बच्चे तो नीचे है फिर इस कमरे मे ये आवाज़ कैसी ?” राधिका ने अपनी सह अध्यापिका से पूछा।
” हो सकता है कोई लड़की अपनी साड़ी ठीक करने आई हो !” शिल्पी बोली।
” पर नीचे इतने कमरों को छोड़ इतनी दूर साड़ी ठीक करने क्यो आएगा कोई रुको मैं देखती हूँ !” राधिका बोली और बंद दरवाजे की तरफ बढ़ी।
” अच्छा तू देख मैं आती हूँ मुझे प्यास लग रही बहुत तेज !” ये बोल शिल्पी वहाँ से चली गई।
राधिका ने जैसे ही दरवाजे को धक्का दिया वो खुल गया और दरवाजा खुलते ही वो हैरान रह गई वहाँ एक लड़का लड़की को आपत्तिजनक हालत मे देख क्योकि लड़का लड़की के होठो पर चुम्बन ले रहा था जबकि वो दोनो मात्र ग्यारहवीं के छात्र छात्रा थे।
” क्या हो रहा है यहां?” राधिका चिल्लाई।
” कुछ नही मेम वो ….वो !” वो लड़की जिसका नाम निया थी बोली।
” क्या वो वो रिजुल तुम क्या कर रहे हो यहां ?” राधिका लड़के से बोली।
” मेम …मेम !” वो हकलाने लगा।
” शर्म नही आती इतनी सी उम्र मे ये हरकते करते हुए तुम्हारे माता पिता यहां पढ़ने भेजते है या ये सब करने अभी प्रिंसिपल को बोल तुम्हारे माता पिता को बुलाती हूँ यहाँ !” राधिका गुस्से मे चिल्लाई ।
” नही मेम प्लीज हमें माफ़ कर दीजिये आइंदा से ऐसा कुछ नही होगा !” निया और रिजुल माता पिता का नाम सुन डर गये और हाथ जोड़ बोले।
” तुम लोगो को समझ भी है तुम क्या कर रहे थे वो भी इतनी छोटी उम्र मे । कुछ तो अपने माता पिता का ख्याल किया होता वो कितने विश्वास से तुम्हे पढ़ने भेजते है और तुम लोग ये सब कर रहे हो यहां। तुम बच्चे क्यो नही समझते की हर चीज एक उम्र मे ही अच्छी लगती है ।” राधिका बोली।
” मेम हम समझ गये है अब ऐसा कभी नही करेंगे आप बस किसी को ये बात मत बताइयेगा वरना हमारे मम्मी पापा हमारा स्कूल छुड़वा देंगे प्लीज मेम !” निया रोते हुए बोली रिजुल भी रोने की सी अवस्था मे था। राधिका को लगा अगर ऐसा हुआ तो बच्चो का भविष्य खराब हो जायेगा इसलिए वो उन दोनो को समझा कर नीचे ले आई।
फेयरवेल खत्म हो गई और सभी अपने अपने घरो को चले गये । कुछ दिन बाद से वार्षिक परीक्षा शुरु हो गई और सब उसमे व्यस्त हो गये पर फेयरवेल के बाद से निया और रिजुल राधिका की निगाहो मे रहने लगे इसलिए अब उन दोनो को स्कूल मे बात करने का भी वक्त नही मिलता था। इस बात से दोनो परेशान थे । वक्त बीता और परीक्षा खत्म होने के बाद परिणाम भी आ गया । रिजुल और निया किसी तरह पास हो बारहवीं मे आ गये।
जब परीक्षा थी तब वो किसी तरह एक दूसरे से बात किये बिना रह रहे थे किन्तु कच्ची उम्र का प्यार कुछ ज्यादा ही सिर चढ़ कर बोलता है इसलिए अब दोनो राधिका से छिपकर पत्रों के माध्यम से एक दूसरे से दिल की बात करने लगे क्योकि अब वो पत्र द्वारा ही बात कर सकते थे मिलते तो राधिका की नज़र मे आ जाते। और निया के पास एंड्राइड फोन था नही जो घर जा मेसेज मे बात हो सके।
” क्या कर रही हो तुम निया ध्यान कहा है तुम्हारा मैं तुमसे जो पूछ रही उसका जवाब दो ये क्या पढ़ने मे लगी हो ?” एक दिन क्लास के दौरान निया कही गुम थी और राधिका उसकी सीट पर आ बोली।
” वो …कुछ नही मेम !” निया झेंप कर हाथ मे लिया पेज छिपाने लगी।
” क्या कुछ नही दिखाओ !” राधिका उससे पेज ले पढ़ने लगी जैसे जैसे वो पेज पढ़ती जा रही थी उसका चेहरा सख्त होता जा रहा था।
” मेम !” निया को समझ नही आया क्या बोले।
” तुम क्लास के बाद स्टाफ रूम मे मिलना मुझसे !” ये बोल राधिका ने वो पेज मोड़ कर अपने पर्स मे रख लिया।
क्लास खत्म होने के बाद निया थके कदमो से राधिका के पास पहुंची ।
” ये क्या है निया मुझे लगा था मेरे समझाने का तुम पर असर हुआ होगा पर तुम लोग इस हद तक बढ़ गये कि पत्र मे ऐसी अश्लील बाते भी करने लगे। तुम्हे अंदाजा भी है तुम क्या कर रही हो ।” राधिका निया को देख गुस्से मे बोली।
” पर मेम वो …वो हम एक दूसरे को पसंद करते है !” निया नज़रे झुकाये बोली।
” देखो निया सब कुछ उम्र के साथ अच्छा लगता है और अभी तुम लोगो की उम्र पढ़ाई करने की है । मैं ये पत्र तुम्हारे माता पिता को बुला उनको दे दूंगी फिर वो देखे उन्हे क्या करना है क्योकि एक बार मैं तुम लोगो को पहले भी मौका दे चुकी हूँ !” राधिका कुछ सोचते हुए बोली।
” नही नही मेम उन्हे मत बुलाइयेगा वो लोग मेरी पढ़ाई छुड़वा देंगे। मैं अब बिल्कुल ऐसा नही करूंगी अब मैं पढ़ाई पर ध्यान दूंगी पक्का !” माँ बाप का नाम सुन निया माफ़ी मांगने लगी ।
” ठीक है ये पत्र मेरे पास रहेगा तुम्हारा और भविष्य मे फिर मैं कुछ ऐसा देखती हूँ तो मुझे मजबूरन ये उन्हे देना पड़ेगा । अभी तुम क्लास मे जाओ !” राधिका पत्र को अपने पर्स मे रखती हुई बोली।
राधिका ने निया के माता पिता को ना बताने का फैसला उसकी भलाई के लिए लिया था क्योकि वो नही चाहती थी कि निया की पढ़ाई छूटे पर यहां शायद राधिका गलती कर रही थी क्योकि इस उम्र मे बच्चे माँ बाप की जानकारी मे जब तक नही आते वो निडर होते है।
स्कूल के बाद निया ने रिजुल को सब बात बताई ।
” यार ये मेम को क्या दिक्कत है अरे टीचर है वो माँ बनने की कोशिश क्यो कर रही है !” निया बोली।
” लगता है अब कुछ करना पड़ेगा वरना तो ये किसी दिन हमारे घर पर बता देंगी । अब बहुत हुआ अब इन्हे रोकना होगा !” रिजुल गुस्से मे बोला।
” पर हम कर भी क्या सकते है अब तो मेम के पास वो पत्र भी है और मुझे डर है मेम मेरे घर वालों को ना बुला ले अब इसलिए मैं अब तुझसे कोई बात नही करूंगी ना हम पत्र लिखेंगे मैने तुझे पहले ही कहा था ये पत्र मत लिख पर तुझे ही शौक चढ़ा था पत्रों से बात करने का !” निया बोली।
” अरे यार पत्र तो इसलिए बोला था मैने क्योकि तेरे पास एंड्राइड फोन है नही जो हम चैट करे पर अब मैने सोच लिया है क्या करना है !” रिजुल बोला और दोनो ने एक दूसरे से विदा ली।
घर आकर रिजुल पूरा समय अपने कमरे मे फोन पर लगा रहा उसकी मम्मी ने उससे पूछा भी पर उसने पढ़ाई का बहाना बना दिया। पर वो पढ़ाई नही कर रहा था वो तो कुछ यूट्यूब पर लगा था और कुछ मंसूबे बना रहा था। अगले दो दिन वो कुछ ना कुछ करता रहा जिसकी किसी को खबर ना थी।
निया और रिजुल इस वक़्त ये नही समझ रहे थे राधिका उन्हे सही सलाह दे रही है उन्हे तो इस वक्त राधिका उनकी सबसे बड़ी दुश्मन नज़र आ रही थी। आजकल के बच्चे वैसे ही फोन के कारण उम्र से पहले बड़े हो गये है और कुछ बच्चे तो छोटी उम्र मे सब करना चाहते है भले वो उनके लिए सही हो ना हो।
अगले दिन रविवार था तो राधिका घर पर थी वो अभी दोपहर का खाना खाकर ही हटी थी की दरवाजे की घंटी बजी ।
” इतनी गर्मी मे भरी दोपहरी कौन आ गया ?” खुद से बोलते हुए उसने देखा तो बाहर रिजुल खड़ा था।
” नमस्ते मेम …वो आपसे कुछ पूछना था कल टेस्ट है ना तो एक चीज समझ नही आ रही !” रिजुल दरवाजा खुलते बोला।
” पर इतनी धूप मे तुम इतनी दूर आये हो कल सुबह पूछ लेते मुझसे !” राधिका हैरानी से बोली।
” वो मेम मैं इधर आया था इसलिए सोचा पूछता चलूँ कल याद नही हो पायेगा इतनी जल्दी !” रिजुल बोला।
” ठीक है अंदर आओ बहुत गर्मी है कैसे पसीने मे भीगे हो !” राधिका कुछ सोचते हुए बोली। दोनो अंदर आये तो राधिका ने रिजुल को बैठने को बोला और खुद उसके लिए पानी लेने चली गई।
” हाँ बोलो क्या समस्या है तुम्हे ? ” पानी दे राधिका ने वही बैठते हुए पूछा।
” मेम ये !” बोल रिजुल ने किताब खोल दी और कुछ प्रश्न करने लगा।
” मेम क्या मैं आपका वाशरूम इस्तेमाल कर सकता हूँ ?” थोड़ी देर बाद रिजुल ने पूछा । राधिका ने जवाब मे वाशरूम की तरफ इशारा कर दिया। रिजुल के वाशरूम जाने पर राधिका अपना फोन लेकर बैठ गई उसने देखा उसके पति ने परिवार की कुछ वीडियो बना कर व्हाट्सअप पर भेज रखी है वो उन्हे देखने मे मग्न थी कि तभी उसकी गर्दन पर चाकू से वार हुआ राधिका के गले से एक चीख निकली और वो कटे पेड़ से डह गई। थोड़ी देर बाद वहाँ सन्नाटा था। गर्मी की दोपहरी थी सभी अपने घरो मे आराम कर रहे थे तो किसी को पता नही चला वहाँ हुआ क्या है।
थोड़ी देर बाद राधिका के पति सौरभ ने उसे विडिओ कॉल की किन्तु उसने उठाई नही उसने एक …दो …तीन बार कॉल की पर कोई फायदा नही जबकि ऐसा कभी नही हुआ अब सौरभ को थोड़ी चिंता हुई उसने राधिका की बिल्डिंग मे ही उपर के हिस्से मे रहने वाली अनुपमा जी को फोन किया जिसका नंबर राधिका के जरिये ही उसने लिया था । सौरभ के कहे पर अनुपमा नीचे आई तो देखा राधिका का दरवाजा भी खुला है ।
” राधिका ..राधिका कहाँ हो भई भाई साहब कब से तुम्हे फोन मिला रहे है उठाती क्यो नही तुम ?” अनुपमा ये बोलती हुई अंदर आई पर अंदर का दृश्य देख जोर से चीख पड़ी और बाहर की तरफ भागी । उनकी चीख इतनी तेज थी कि मोहल्ले के काफी लोग जमा हो गये । अनुपमा कुछ बोल तो नही पा रही थी पर राधिका के घर की तरफ इशारा कर रही थी । लोगो ने वहाँ जाकर देखा तो राधिका को खून से लथपथ पाया अनुपमा के पति भी नीचे आ चुके थे तुरंत पुलिस को फोन किया गया और पांच मिनट मे पुलिस हाजिर थी। जब उन्होंने राधिका की नब्ज टटोली तो वो चल रही थी आनन फानन उन्हे अस्पताल भेजा गया और पुलिस वहाँ का मुआयना करने लगी। तभी पुलिस की नज़र वहाँ रखी एक किताब पर पड़ी जिसपर रिजुल नाम लिखा था पर चुंकि राधिका एक अध्यापिका थी तो किसी बच्चे की किताब वहाँ मिलना पुलिस को कोई बड़ी बात नही लगी ।
पुलिस ने ऊपरी तौर पर छानबीन् कर सौरभ को फोन किया और फिर राधिका का घर सील कर अस्पताल की तरफ रुख किया । वहाँ डॉक्टर से बात करने पर पता चला अपराधी कोई नौसीखिया था इसलिए ज्यादा खतरे वाली बात नही है पर फिर भी राधिका को अभी होश नही आया था उसकी वजह थी राधिका को सदमा लगा था। कुछ घंटो बाद सौरभ और उसके परिवार के बाकी लोग भी अस्पताल पहुंच गये। सौरभ से भी पुलिस ने सवाल जवाब किये पर यहां कोई राधिका का दुश्मन है ये उसके लिए भी हैरानी की बात थी।
अब अस्पताल से पुलिस ने फिर से राधिका के घर का रुख किया और वहाँ के cctv कैमरा देखे । सौभाग्य से एक कैमरा बिल्कुल राधिका के घर के सामने लगा था । पुलिस ने उसी की फुटेज निकलवाई । उसमे एक लड़का घर मे आता दिख रहा था किन्तु उसके चेहरे पर मास्क था उसके सिवा कोई और नज़र नही आया । थोड़ी देर बाद वही लड़का तेजी से भागता नज़र आया इस वक्त उसके चेहरे पर मास्क नही था लेकिन उसका चेहरा साफ नही था पर पुलिस को ये साफ नज़र आया कि ये कोई छोटी उम्र का लड़का है।
अब पुलिस ने वापिस घर के अंदर का रुख किया और हर जगह जांच पड़ताल की तभी उन्होंने देखा राधिका का पर्स जोकि दूसरे कमरे मे रखा था उसपर खून के निशान है मतलब अपराधी ने उसमे से कुछ निकाला है पर वहाँ पैसे तो रखे थे यानी अपराधी कुछ लेने आया था वहाँ । मेज पर रखा गिलास , राधिका जहाँ बैठी थी वही रखी एक किताब और cctv कैमरा ये सब सुबूत काफी थे पुलिस के लिए ये जानने के लिए कि अपराधी स्कूल का ही कोई है । पर क्योकि आज रविवार था तो स्कूल बंद था । फिर भी पुलिस ने स्कूल की मुख्य अध्यापिका को फोन किया क्योकि वो स्कूल के पास ही रहती थी और इतना बड़ा कांड का सुनकर वो फ़ौरन स्कूल आ गई लेकिन क्योकि बच्चे नही आये थे आज तो कुछ भी पता करना मुश्किल था और एक एक बच्चे के घर जाना भी नामुमकिन था। इसलिए फिलहाल पुलिस ने अस्पताल का ही रुख किया।
अस्पताल मे राधिका को अभी भी होश नही आया था , सौरभ कुछ बता नही पा रहा था। राधिका के घर के आस पास पुलिस जाँच कर चुकी थी अब तो बस सबको कल का इंतज़ार था क्योकि सबको यही उम्मीद थी कि कातिल कोई स्कूल का ही है।
अगले दिन जैसे ही स्कूल खुला पुलिस पहुंच गई क्योकि प्रार्थना के समय सभी बच्चो को देखा जा सकता था। प्रार्थना शुरु होने मे थोड़ा वक्त था।
” रिजुल तू यहां क्यो आया है राधिका मेम ने देख लिया तो ?” रिजुल को अपने पास आया देख निया धीरे से बोली।
” अब मेम कभी हमें नही देख पायेगी !” रिजुल बोला । निया को समझ नही आया वो क्या बोल रहा है वो कुछ बोलने को हुई पर तभी प्रार्थना की घंटी बजी और सभी बच्चे वहाँ चल दिये।
जैसे ही प्रार्थना शुरु हुई वहाँ तीन चार पुलिस कर्मी पहुंचे और वहाँ घूमने लगे जिन्हे देख रिजुल के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ गई । उसे तो लगा था राधिका मेम अकेली रहती है तो किसी को जल्दी से पता नही लगेगा पर पुलिस का स्कूल मे आना मतलब कहीं पुलिस को पता तो नही लग गया मैने उन्हे मारा है ।
” यहां रिजुल कौन है ?” प्रार्थना खत्म होते ही इंस्पेक्टर ने वो किताब ऊपर उठा पूछा।
किताब देखते ही रिजुल समझ गया कि अब खेल खत्म उसका मन कर रहा था वो यहां से भाग जाये पर इससे पहले की वो कुछ निर्णय करता उसने देखा उसकी क्लास के सब बच्चे जो उससे आगे लाइन मे लगे थे वहाँ से हट गये अब इंस्पेक्टर को वो और उसे इंस्पेक्टर साफ नज़र आ रहे थे। रिजुल अब पसीने पसीने हो गया । अब वो कोई शातिर अपराधी तो था नही एक सौलह – सतरह साल का बच्चा था ।
” साहब ये तो वही cctv वाला लग रहा है !” एक हवलदार रिजुल को देख बोला इतना सुनते ही रिजुल वहाँ से भागने लगा । ये देख निया भी हैरान थी फिर उसे रिजुल के कहे शब्द याद आये ” मेम हमें अब कभी नही देखेंगी ”
” रिजुल कहीं तूने मेम को …नही ये क्या किया तूने !” वो मन ही मन बोली ।
इधर पुलिस वाले तब तक रिजुल को पकड़ चुके थे । सब बच्चो को कक्षा मे भेज दिया गया और रिजुल को प्रधानाचार्या के कमरे मे लेकर आया गया । दो अध्यापिका भी साथ थी । रिजुल के माता पिता को फोन किया गया और उन्हे फ़ौरन स्कूल बुलाया गया।
” सर मैने कुछ नही किया !” डरा सहमा रिजुल बोला । सभी अध्यापक हैरान थे ये रिजुल ने क्या किया और क्यो? सभी बच्चो के मन मे भी सवाल था रिजुल ने किया क्या है । और निया तो बहुत ज्यादा परेशान थी क्योकि अब उसका नाम भी सामने आएगा ।
रिजुल के माता पिता को प्रधानाचार्या ने फोन करके स्कूल आने का आदेश दिया । रिजुल जिसे यही लगता था कि राधिका मेम को उसने जान से मार दिया है वो एक तरफ बैठा फूट फूट कर रो रहा था वो समझ गया था अब झूठ बोलने का कोई फायदा भी नही है इसलिए वो खुद को मिलने वाली सजा की सोच डरा हुआ था ।
” क्या हुआ मेम आपने यूँ अचानक से हमें यहाँ बुलाया और ये रिजुल क्यो रो रहा है क्या किया है इसने और स्कूल मे पुलिस क्यो है ?” रिजुल के पिता घबराये हुए से उसकी मम्मी के साथ आये और बोले।
” ये आपको हम नही रिजुल बताएगा ..क्यो रिजुल !” इंस्पेक्टर साहब ने रिजुल से कहा।
” सर मुझे माफ़ कर दीजिये प्लीज मैं राधिका मेम को मारना नही चाहता था बल्कि वो तो मेरी फेवरेट टीचर थी !” रोते रोते रिजुल बोला।
” क्या……..तुमने राधिका मेम को मार डाला पर कब और क्यो ?” आश्चर्य से रिजुल के माता पिता ने पूछा। वो इससे आगे कुछ बोलते कि इंस्पेक्टर ने उन्हे चुप रहने का इशारा किया क्योकि वो चाहते थे रिजुल सारी सच्चाई बयान कर दे पहले । रिजुल के माता पिता चुप तो हो गये पर वो भी डरे हुए थे इकलौता बेटा है रिजुल सिमित आमदनी मे भी उन्होंने खूब लाड प्यार से पाला है उसे हर चीज , हर ख्वाहिश कहे से पहले पूरी हुई है उसकी पर वही बेटा ऐसा करेगा उन्हे अंदाजा भी नही था।
” मम्मी पापा मैं उन्हे मारना नही चाहता था मैं तो बस निया से प्यार करता था और उन्होंने हमें साथ देख लिया था !” रिजुल बोला । निया का नाम सुनकर सारे टीचर चौके ।
” ये निया कौन है उसे बुलाइये ?” इंस्पेक्टर बोले प्रधानाचार्या ने एक टीचर को इशारा किया और वो बाहर गई और कुछ देर बाद निया को लेकर आई जो बहुत ज्यादा डरी हुई थी और रो रही थी । उसकी हालत देखते हुए अभी उससे कुछ नही पूछा गया और उसके भी माता पिता को बुलाया गया। रिजुल से अपनी बात जारी रखने को कहा गया।
उसने शुरु से लेकर आखिर तक की बात बता दी वो भी सच सच ।
” सर मैं बहुत डर गया था मुझे लगा मेम ने हमारे घर वालों को सब बता दिया और मेरा वो लेटर दिखा दिया तब हम लोगो की पढ़ाई छुड़वा दी जाएगी तब हम मिल नही पाएंगे बस यही सोच मैं कल मेम के घर गया था क्योकि उन्होंने सबको कह रखा था कि पेपरो को लेकर कोई भी दिक्कत हो तो घर पर भी आ सकते है बस मुझे मौका मिल गया और मैने वो कर दिया जो ….!” ये बोल रिजुल अपने चेहरे को हाथो मे छिपा रो दिया निया के माता पिता ने जब ये सुना तो वो भी सन्न रह गये ।
” निया भी तुम्हारे साथ थी ?” इंस्पेक्टर ने पूछा।
” नही नही सर बल्कि उसे तो कुछ पता भी नही था ये अकेले मैने किया है इसलिए आप सजा भी मुझे दीजिये !” रिजुल एकदम से बोला।
इंस्पेक्टर ने निया से कुछ सवाल पूछे जिनसे वो समझ गये रिजुल सच बोल रहा है ।
” सर हमारा बेटा नासमझी मे इतना बड़ा कांड कर देगा इसकी हमें जरा भनक नही थी हमने तो इसकी हर इच्छा पूरी की है पर ये इतना बड़ा हो गया कि …हमें बिल्कुल अंदेशा नही था !” रिजुल के पिता हाथ जोड़ इंस्पेक्टर से बोले । तभी इंस्पेक्टर का फोन बजा और उन्होंने साइड जाकर बात की।
” आपने बेटे की हर इच्छा पूरी की पर कभी ये देखा कि आपका बेटा कर क्या रहा है । सिर्फ इच्छाएं पूरी करना माँ बाप का फर्ज नही होता बल्कि बच्चो के बारे मे सारी जानकारी रखना भी उनका फर्ज होता है !” इंस्पेक्टर साहब बोले।
” हम समझ गये गलती हमारी है तो इसकी सजा भी हमें दीजिये और हमारे बच्चे को छोड़ दीजिये प्लीज !” रिजुल की माता जी रोते हुए हाथ जोड़ बोली ।
” हवलदार तुम रिजुल को लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचो मैं अस्पताल होकर आता हूँ !” इंस्पेक्टर ये बोल वहाँ से निकल गया । निया की हालत को देखते हुए उसे उसके माता पिता साथ भेज दिया गया । रिजुल के साथ उसके माता पिता भी चल दिये ।
” मेम कैसी है अब आप ?” अस्पताल पहुंच इंस्पेक्टर ने राधिका से पूछा क्योकि उसे होश आ चुका था ।
” जी बेहतर हूँ !” राधिका ने धीरे से जवाब दिया वो अब काफी ठीक दिखाई दे रही थी। क्योकि जख्म बहुत गहरे नही थे ।
इंस्पेक्टर ने डॉक्टर से पूछ राधिका का बयान लिया और रिजुल के खिलाफ रिपोर्ट लिखने लगे।
” सर क्या मैं ये रिपोर्ट दो तीन दिन मे अस्पताल आकर लिखवा सकती हूँ ?” कुछ सोचते हुए राधिका ने पूछा ।
” पर मेम !” इंस्पेक्टर कुछ बोलने को हुए तो राधिका ने रिक्वेस्ट की तो इंस्पेक्टर ने हामी भरी और जरूरी कार्यवाही कर वहाँ से निकल गये।
पुलिस स्टेशन पहुंच उन्होंने रिजुल से कुछ सवाल और किये और उसे फिलहाल जेल मे बने बाल सुधार ग्रह भेज दिया । रिजुल के माता पिता को जबरदस्ती घर भेजा गया। रिजुल को अभी भी ये नही पता था कि राधिका मेम जिंदा है । बाल सुधार ग्रह मे उसपर नज़र रखी जाती कि वो कुछ गलत ना कर ले। रिजुल वहाँ खामोश एक कोने मे बैठा रहता । उसे अपने किये पर बहुत पछतावा हो रहा था पर जैसे मयान से निकला तीर वापिस नही आता वैसे अपराध को वापिस ठीक नही किया जा सकता।
” रिजुल तुम्हे इंस्पेक्टर साहब ने बुलाया है !” दो दिन बाद हवलदार उसे बुलाने आया।
रिजुल चुपचाप निगाह नीची किये उसके साथ चल दिया । और इंस्पेक्टर के केबिन मे आकर ऐसे ही खड़ा हो गया।
” कैसे हो रिजुल ?” अचानक एक आवाज़ ने उसे चौंका दिया और निगाह उठाने पर मजबूर कर दिया।
” मेम आप !” हैरानी से ये बोल रिजुल भाग कर राधिका के कदमो मे गिर जोर जोर से रो दिया। राधिका की आँख भी नम हो गई क्योकि उसे अपने हर विद्यार्थी मे अपने बच्चे नज़र आते थे। उसने रिजुल को उठाया।
” मेम आप जिंदा है ..थैंक गॉड मेम …मेम मुझे माफ़ कर दीजिये मेम ..!” रिजुल को समझ नही आ रहा था वो क्या कहे । तभी रिजुल के माता पिता भी आ गये वो भी राधिका को जिंदा देख आश्चर्य मे पड़ गये साथ ही खुश भी हुए।
” हां तो मेम आप रिपोर्ट लिखवा दीजिये क्योकि ये लड़का नाबालिग है इसलिए इसको जेल तो नही भेजा जा सकता किन्तु इसे सजा तो मिलेगी ही। ” इंस्पेक्टर राधिका से बोला।
” सर मुझे कोई रिपोर्ट नही लिखवानी !” राधिका बोली तो सब चौंक गये।
” पर क्यो मेम इसने अपराध किया है तो इसे सजा तो मिलनी चाहिए । वो तो शुक्र है आपके जख्म गहरे नही थे वरना अगर आपकी जान चली जाती तो ?” इंस्पेक्टर बोला।
” तब मेरे घर वालों के उपर था वो क्या फैसला करते । पर अभी मैं ठीक हूँ और नही चाहती रिजुल का भविष्य खराब हो इसलिए मैने बहुत सोच समझ कर ये निर्णय लिया है रिजुल को मैं कोई सजा नही दिलाना चाहती !” राधिका बोली। सबने उसे बहुत समझाया यहाँ तक कि उसके पति ने भी पर वो अपनी बात पर अड़ी रही । रिजुल और उसके माता पिता राधिका का इतना बड़ा दिल देख नतमस्तक हो गये।
” ठीक है मेम जैसी आपकी इच्छा पर ऐसा ना करने की वजह जान सकता हूँ ?” इंस्पेेक्टर फाइल बंद करता बोला।
” सर मैं एक अध्यापिका हूँ बच्चो का भविष्य बनाना मेरा पेशा ही नही कर्तव्य भी है । माना रिजुल ने गलती की है लेकिन वो अभी बहुत छोटा है आज उसे सजा मिली तो उसका भविष्य तो खराब होगा ही साथ ही कल को हो सकता है वो सच मे अपराधी बन जाये । मैं नही चाहती उसे कोर्ट सजा दे बल्कि मैं उसे खुद सजा देना चाहती हूँ !” राधिका ये बोल रिजुल की तरफ पलटी !
” आप खुद सजा देना चाहती है पर क्या ?” इंस्पेक्टर बोला।
” रिजुल की सजा यही है कि वो ये सब भूल सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे और कुछ साल बाद मुझे कुछ बनकर दिखाये । साथ ही ये वादा करे कि वो जब तक अपनी मंजिल नही पा लेता किसी लड़की से ऐसा कोई रिश्ता ना रखे ..क्यो रिजुल तुम्हे ये सजा मंजूर है ?” राधिका बोली।
” नही मेम आप मुझे सजा देने दीजिये मैने बहुत बड़ा अपराध किया आप जैसी अच्छी टीचर पर मैने …नही मेम मुझे सजा मिलनी चाहिए !” रिजुल रोते हुए बोला।
” रिजुल जो सजा मैं दे रही हूँ तुम्हे वही काटनी होगी और मुझे यकीन है तुम एक अच्छे बच्चे की तरह अपनी सजा काट मुझसे मिलने जरूर आओगे । बोलो आओगे ना !” राधिका रिजुल के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली ।
रिजुल राधिका से लिपट कर रोता जा रहा था । इस वक्त उसके मन मे मेम के लिए हद से ज्यादा सम्मान था और राधिका के मन मे रिजुल के लिए ममता। वहाँ मौजूद सभी लोगो की आँख नम हो गई साथ ही राधिका का बड़प्पन देख् सबके मन मे उसके लिए सम्मान बढ़ गया। रिजुल के माता पिता तो राधिका का शुक्रिया करते नही थक रहे थे।
राधिका अपने पति के साथ ससुराल आ गई क्योकि अभी उसे आराम की जरूरत थी और कुछ समय मे उसका तबादला मेरठ ही कर दिया गया। रिजुल के माता पिता उसे ले दूसरे शहर चले गये जहाँ उसका दाखिला नए स्कूल मे करा दिया गया और उसने खुद को पढ़ाई मे झोंक दिया।
निया के माता पिता को भी स्कूल वालों ने समझाया और उसकी पढ़ाई जारी रही।
आज उस बात को 5 साल से ज्यादा बीत गये राधिका मेरठ मे ही नौकरी करती है । आज इतवार है और उसके घर मे सभी लोग साथ बैठे नाश्ता कर रहे थे। तभी दरवाजे की घंटी बजी राधिका ने जैसे ही दरवाजा खोला वहाँ उसे एक अजनबी नौजवान नज़र आया । राधिका को देख वो उसके चरण छूने झुक गया। राधिका ने उसके सिर पर हाथ रखा पर वो सवालिया निगाहो से उसे देख रही थी।
” मेम आपने पहचाना नही मुझे ..मैं रिजुल !” वो बोला।
” ओह रिजुल तुम काफी बदलाव आ गये तुम्हारे चेहरे पर इसलिए मैं पहचान नही पाई । पर तुम यहाँ ?” राधिका बोली।
” मेम स्कूल से आपका पता लेकर आया हूँ यहाँ । लीजिये मिठाई खाइये आपका ये अपराधी अपनी सजा पूरी करके आया है । मैं आई आई टी से इंजीनियर बन गया और गुरुग्राम की बहुत अच्छी फर्म मे मेरा सिलेक्शन हो गया है !” रिजुल बोला।
” क्या सच मे !! बहुत बहुत मुबारक हो तुम्हे आओ अंदर तो आओ !” राधिका खुश होते हुए बोली।
” मेम ये सिर्फ और सिर्फ आपके कारण है । इतने बड़े अपराध की शायद ही किसी ने इतनी अच्छी सजा दी होगी जो अपराधी का भविष्य ही बना दे ।” रिजुल नम आँखों से बोला।
” रिजुल ये तुम्हारी मेहनत है वरना तो तुम मेरी बात ना भी मानते और सही राह ना जा गलत राह चले जाते तो भी मैं क्या कर लेती !” राधिका उसे चुप करवाते हुए बोली । फिर उसने सबसे रिजुल का परिचय करवाया। रिजुल को कामयाब देख सबका गुस्सा जो उससे था वो खत्म हो गया और सबने उसे बधाई दी।
” नही मेम एक टीचर होती है जो माँ के बाद बच्चो की जिंदगी बनाती है । आपने वो बाखूबी किया है मैं आपका ये उपकार ना कभी भुला और ना भूलूंगा !” रिजुल बोला ।
” बहुत बड़ी बड़ी बाते बनाने लगा है । माना तू इंजीनियर बन गया पर मैं हूँ तो तेरी टीचर ही आज भी तेरे कान पकड़ सकती हूँ ।” ये बोल राधिका ने सच मे उसके कान पकड़ मोहोल को हलका करने की कोशिश की क्योकि उसकी आँख भी नम हो गई थी । आज उसे खुद के उस फैसले पर गर्व हो रहा था जो उसने रिजुल को सजा ना दिलाकर किया था।
राधिका ने जैसे ही रिजुल के कान पकड़े सब हंस दिये । थोड़ी देर बाद रिजुल वहाँ से चला गया पर वो जाते जाते राधिका का नंबर ले गया जिससे उससे जुड़ा रहे। बाद मे रिजुल के माता पिता भी राधिका का धन्यवाद करने आये क्योकि उसके कारण ही उनका बेटा सही राह गया था ।
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल
BHUT SUNDAR
बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏🙏