छत्तीसगढ़ गांव में संदीप नाम का लड़का रहता था…,उसके माता-पिता बहुत ही गरीब थे…. किसी तरह से ही वह अपने बेटे को शिक्षा दीक्षा दिला रहे थे…. बहुत कष्ट उठाकर और मजदूरी करके किसी तरह उन्होंने अपने बेटे को 12वीं तक की तो पढ़ाई करवा दी लेकिन अब उनकी हिम्मत जवाब दे चुकी थी….
लेकिन संदीप का बचपन से ही सपना था कि वह सैनिक बने और अपनी मातृभूमि की रक्षा करें…. इसलिए उसने तय किया कि वह कोच बन जाएगा और लोगों को बॉडी फिटनेस के बारे में बताएगा…. अभ्यास करवाएगा जिससे कि कुछ पैसा भी आ जाएगा
और साथ ही साथ उसकी खुद की वर्दिश भी हो जाएगी….. यही सोचकर वह कोच बन गया… वह सुबह क्लासेस करवाता और दिन में अपनी पढ़ाई करता…. इस तरह धीरे-धीरे अपने अपने दम पर यूपीएससी और एसएससी का एग्जाम एक ही बार में पास कर लिया….
जो अच्छे -2 लोग दो-तीन बार में क्लियर कर पाते हैं… क्योंकि बचपन से उसका एक ही ध्येय था….कि बनना है तो बस सैनिक….वह अपने आप को देश की रक्षा के लिए न्योछावर कर देना चाहता था….
अब बारी थी सिलेक्शन की…
वैसे तो उसने सब कुछ पहले ही देख रखा था….क्योंकि वह एक कोच था …..इसलिए उसे पता था कि एक सैनिक बनने के लिए क्या-क्या योग्यता होनी चाहिए….
लगभग 157.5 सेंटीमीटर, कद 3 से 5 किलोमीटर की दौड़ लगभग 15 मिनट में, रस्सी से चढ़ने की क्रिया, वजन लगभग 60-70 kg इत्यादि…. इसके अलावा मेडिकल फिटनेस में कोई बीमारी नहीं होनी चाहिए…पैरों को जॉइंट में, सांस की बीमारी नहीं होनी चाहिए,
मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ होना चाहिए, दृष्टि तेज होनी चाहिए, चश्मा लगा नहीं होना चाहिए..सांस नहीं फुलनी चाहिए हृदय व प्रेशर से संबंधित कोई रोग से ग्रसित नहीं होना चाहिए वगैरा-वगैरा…. इसलिए वह सबसे पहले अपनी स्वत: ट्रेनिंग में लग गया …. सरकारी ट्रेनिंग से पहले….
सरकारी ट्रेनिंग करीब 3 महीने बाद थी…. सिलेक्शन के लिए…. इसलिए वो जोर शोर से अभ्यास में लग गया…. रोज सुबह तड़के उठकर वह वर्दिश में लग गया…. रस्सी के सहारे चढ़ना, ऊंची ऊंची छलांग भरना, तेज दौड़ना… नतीजा ये की सभी क्रिया में अव्वल हो गया…
वो कहते है.. ना जब किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात लग जाती है… आपको उससे मिलवाने के लिए…. आखिरकर इतनी मशक्कत के बाद संदीप का सिलेक्शन आरमी में हो ही गया… और वो एक जाबाज सैनिक बन गया…..
4 सालों तक उसने अपने मातृभूमि की रक्षा की और दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिये…. जाबाज सैनिक की तरह वीरतापूर्वक लडा़…. लेकिन कहते है… ना की जिदंगी इतनी आसान नही होती… सपना तो पूरा हो गया देश की रक्षा में अपना सर्वस्व न्योछावर करने का…
लेकिन जंग की इसी आपाधापी में दुश्मनों की गोलियां संदीप के दाहिने हाथ में लग गयी…. और जहर फैलने की बजह से हाथ को काटना पड़ा…. और वो अपाहिज हो गया… पैसों की तो कोई दिक्कत नही थी…. क्योंकि वीरतापूर्वक लड़ते लड़ते उसने देश की रक्षा में अपना हाथ गंवाया था…..
सो सरकार ने आजीवन कुछ पेंशन देने का तय किया…. इधर माता पिता एक ही रट लगाए बैठे थे…. बेटा हमारी आंखें बंद होने से पहले शादी कर ले…. ताकि तेरी गृहस्थी अपनी आंखो से बसते हुए देख ले…. लेकिन ये इतना आसान नही था….
कोई भी लड़की शादी तो दुर उससे बात करना नही चाहती थी…. वह कही भी ट्रेन में, बस में सफर करता तो सब उसे हीन भावना से देखते…. और जंहा वो बैठता…. सीट छोड़ कर उठ जाते… उसे बहुत दुख होता ये सोचकर सब उससे घृणा क्यो कर रहे है….
उसका हाथ किसी जुर्म की बजह से नही कटा है… ब्लकि देश की रक्षा करते वक्त कटा है…. और ये सोचकर भी दुखी था…. कि वो अपने माता पिता की छोटी सी इच्छा भी पूरी नही कर पा रहा है…. इसलिए उसने अपने जैसी किसी अपाहिज लड़की से शादी कर ली…
और अपने माता पिता की इच्छा पूरी की…. आज शादी को 10 साल हो गये है…. दोनों एक दूसरे के साथ खुश है… दो बच्चे है…. लेकिन आज भी दोनो जब बाहर जाते है…. अपने बच्चो के साथ तो हीन भावना से देखते है…. और उनका मजाक भी उडाते है….. जैसे उन्होंने कोई जुर्म किया हो…
दोस्तों आप ही बताइए क्या कोई इंसान किसी कारणवश अपाहिज हो जाए….. या जन्म से अपाहिज तो क्या उसका उपहास उड़ाना सही है??
एक सैनिक जिसने देश की रक्षा के लिए जंग लड़ते-2 मुठभेड़ में अपना हाथ गंवा दिया तो क्या उसकी इज्जत खत्म हो जाती है… या उपहास का पात्र बन जाता है…. नही ना.. आपको क्या लगता है…
कितनी माएँ और पत्नियां अपने दिल पर पत्थर रखकर अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए जंग पर भेजती है… इस दिन के लिए की अगर उनका बेटा, पति विजयी होकर आए… लेकिन अपना हाथ या पैर गंवा दे… तो इस तरह से तिरस्कार होगा…. तो क्या बीतेगी उनके दिल पर..
क्या आप इस बात से सहमत है?? अपने सुझाव जरूर दीजिये…. क्योंकि आपके सुझाव मेरे लिए मायने रखते हैं…कमेंट करके जरूर बताए… और हां पसंद आए तो लाइक और शेयर करने से मत चुकिए….
# रक्षा
आपकी दोस्त
© मनीषा भरतीया