एक प्यारी सी लव स्टोरी (भाग -4) – अनु माथुर : Moral Stories in Hindi

अब तक आपने पढ़ा…

ऋतिका  ने  रोहित को अपनी मम्मी का फोन नंबर दिया… और दोनो परिवारों में बात भी हुई…

अब आगे….

रोहित ऋतिका के बारे में जानकर खुश होता है और अपने कमरे में जाकर ऋतिका के chat पर click करके

सारे msgs दोबारा से पढ़ता है….

उधर ऋतिका भी अपनी मम्मी से रोहित के परिवार के बारे में बात करके खुश होती है

“कितने अच्छी है ना मम्मी सुनीता Aunty और बाक़ी सब “

“हाँ… नहीं तो कौन याद करता है किसी को … आजकल तो अपने नही याद करते.. और सुनीता जी तो केवल एक बार मिली और वो भी कुछ देर के लिए |”

“ह्म्म्म ऋतिका ने कहा और अपनी मम्मी के पास में लेट गयी.. “

अगले दिन स्कूल में उसने नेहा को बताया कि रोहित के परिवार से बात हुयी उसकी

‘अरे वाह… क्या बात है.. तो क्या बात हुयी – नेहा ने पूछा

“बस ऐसे ही कुछ – कुछ हाल चाल अब पहली बार बात हुयी थी तो और क्या होती “मम्मी काफ़ी देर तक बात करती रही

सुनीता Aunty उनसे सब पूछ रही थी तो वो ही बता रहीं थी “|

बाद में उन्होंने वीडियो call की

क्या??? Video call.. तो तुमने सबको देखा

हाँ… देखा , Aunty ,uncle राशि दी, रजत

और रोहित

वो शायद घर पर नहीं होंगे… या पता नही इसलिए उनसे बात नही हुयी

“ओहो… घर पर नहीं होंगे…. क्या अदब से बात कर रही हो

तुम “

तो और क्या कहूँ…

नेहा ज़ोर से हँसी और उसने अपनी eyebrows उपर कर के कहा.. मन तो होगा ना… रोहित को देखने का तेरा

उसकी इस बात पर ऋतिका थोड़ा सा मुस्कुरा दी

“कोई शर्मा रहा है… “

“पागल चलो class hai “

“अरे ये तो बता तेरी बात हुयी उसके बाद “

“नहीं “

“Laptop खोला ही नही होगा तुमने “

आज देखना क्या पता msg हो कोई… पता तो होगा ही कि बात हुयी हैं … नेहा ने कहा

देखूंगी …time मिला तो…कहते हुए वो अपने क्लास की तरफ बढ़ गयी

शाम को ऋतिका घर आयी …अपने सब काम करके वो  कमरे में आयी तो laptop पर उसकी नज़र गयी

उसको नेहा की बात ” तुमने खोला ही नही होगा laptop याद आयी “

सच ही तो था… उसने काफ़ी दिनों से laptop खोला ही नहीं था

वो table के पास गयी और laptop open किया

रोहित का कोई msg नही था… थोड़ी सी निराशा उसे हुई

उसने सोचा मैं ही कर देती हूँ… लेकिन फिर रुक गयी

वो अपना कुछ देखने लगी…

थोड़ी देर में notification आया… उसने देखा तो रोहित का

Msg  ही था… वो मुस्कुराई और chat box open किया..

रोहित : Hii…

ऋतिका : Hello

रोहित : अरे… आज आप इस वक़्त online हो?

ऋतिका : हाँ… वो मैं कुछ काम कर रही थी |

रोहित : अच्छा आप busy है तो हम फिर बात करते हैं |

ऋतिका : नही… हो गया मेरा काम… आप बताए?

रोहित : वैसे आप करती क्या है… मेरा मतलब पढाई या… जॉब

ऋतिका : जी मैं स्कूल में पढ़ती हूँ |

रोहित : great… Which subject?

ऋतिका : संस्कृत

Rohit : क्या ???आप संस्कृत पढ़ती हैं..

पठति, पठत :   पठान्ति…

ऋतिका : जी

पठति,पठत : पठान्ति … इसमें हैरानी की क्या बात है?

रोहित : हैरानी की बात तो है ही.. बहुत tuff subject है.. मैंने तो बस जैसे – तैसे करके 8th तक पढ़ी है

ऋतिका : इतना tuff भी नहीं हैं

रोहित : हाँ जिसको आ जाए उसके लिए क्या tuff है

ऋतिका : और आप क्या करते है?

रोहित : मैं.. लोगो को सुकून की जगह देता हूँ… उनकी सबसे ज़रूरी तीन ख्वाहिशों में से एक पूरा करता हूँ |

ऋतिका : सबसे ज़रूरी तीन ख्वाहिशों में से एक पूरा करते है….

रोहित : हाँ जी… आप बता सकती है वो क्या है जो मैं काम करता हूँ?

ऋतिका : इंसान को सुकून देने वाली चीज़ उसका घर होता है आप घर बनाते है Builder है आप?

रोहित  : आप ने सही जवाब दिया लेकिन घर हमारी company बनाती है मैं interior designer हूँ |

ऋतिका ; वाह….मतलब आप सही में सुकून देते है |

रोहित : जी

ऋतिका : आपका work तो मुझसे भी ज़्यादा tuff है…बने हुए घर में जिसका घर है उसके अनुसार बनाना….. आजकल तो लोगो की demand भी बहुत होती है..

और market तो decor की इन सब चीजों से भरा है 

रोहित : हाँ.. ये सही कहा आपने.

लेकिन हो जाता है… जैसे आपके लिए संस्कृत tuff नही वैसे मेरे लिए ये

ऋतिका : तो आपका  घर तो बहुत सुंदर होगा?

रोहित : घर सुंदर उसमें रहने वाले लोग कैसे है उस से होता है… चीजों का क्या है कितनी भी लगा लो..

. आप कभी आए तो देखियेगा…

ऋतिका : आप invitation दे रहे है?

रोहित : बिल्कुल

ऋतिका :  अगर मैं सच में आ गयी तो…

रोहित :  तो… आ जाए… वैसे भी आप सबसे तो मिल ही ली है….

एक मेरे सिवा ये बात उसने मन में कही थी

ऋतिका : जी… उस दिन बात हुयी सबसे..

बहुत अच्छा लगा…

रोहित : ह्म्म्म… राशि दी ने बताया सब

ऋतिका : कैसे हैं सब घर में?

रोहित : सब ठीक है

अब ऋतिका को वो क्या लिखे  समझ नही आ रहा था

ऋतिका : जी… रात काफी हो गयी अब good night

रोहित : ऋतु…. मैं इस नाम से बुला सकता हूँ आपको ?

अपना ऋतु नाम देख कर वो थोड़ा सा हैरान हुयी

ऋतिका  :  जी ….

रोहित : Thanks.. ह्म्म्म रात काफ़ी हो गयी है बातों में पता ही नही चला..

Good night

ऋतिका : Good night

ऋतिका के होंठों पर मुस्कान आ गयी.. उसने laptop बंद किया और बेड पर आ कर लेट गयी…अपने होंठों पर मुस्कान लिए वो कब सो गयी उसे पता नहीं चला |

उधर रोहित भी फोन को side table par रख कर  लेटे हुए मुस्कुरा रहा था..

दोनों एक खूबसूरत एहसास से गुज़र रहे थे….. पता दोनों को चल रहा था…लेकिन फिर भी बेखबर थे |

अगले दिन ऋतिका ने स्कूल में बताया नेहा को कि रोहित से बात हुयी… और वो interior designer है

नेहा बहुत खुश हुयी और बोली….. वाह बहुत बढिया….

नंबर नहीं मांग उसने तेरा

नहीं….

Friend request तो भेजी ही होगी

नहीं….

अरे तो तुम भेज दो

क्यों?

Uff  अब तुम ये मत कहना… क्या करना है ?

हाँ सही बात है क्या करना है friend request भेज कर.. जब ऐसे ही बात हो ही जाती है

हाँ… सही है….

रोहित भी अजीब है…और तुम भी

ऐसा लग रहा है… रब ने बना दी जोड़ी

जोड़ी…. क्या तुम भी… कुछ भी बोलती रहती हो

चलो अब…

अच्छा अगले हफ्ते दो दिन के लिए मम्मी पापा जा रहे है मामा के पास… तो मै तेरे घर रहूँगी नेहा ने कहा…

ठीक है…. कोई problem नही है

तुम वो papers लायी हो ना… जो कल तुम्हें mail किए थे मैंने…

ऋतिका की ये बात सुन कर  नेहा पीछे की तरफ जाने लगी और बोली…. कौन से papers?

ये देखो इनको बाक़ी सब बातों में इनका दिमाग़ बहुत लगता है….लेकिन काम की बात इनके दिमाग़ में नही रहती | कल निकाल कर ले आना… वरना

समझ गयी…. कहते हुए नेहा ने उसके हाथ जोड़े और बोली…. पक्का मैं कल ले आऊँगी…

अब चले…

हाँ…. ऋतिका के पीछे – पीछे नेहा भी class में चली गयी |

कुछ दिन ऐसे ही बीत गए….नेहा आज ही ऋतिका के घर आने वाली थी  sunday था …ऋतिका देर से उठी … वो अपनी मम्मी के साथ बैठे कर बातें कर रही थी… कि तभी उसकी मम्मी का फोन बजा.. फोन सुनीता जी का था..

उन्होंने हाल – चाल पूछे और कहा -” हमें नहीं पता था कि हमारा मिलना इतनी जल्दी होगा |

” मतलब मैं समझी नही – मालती जी ने कहा

” अरे खुशखबरी है… देखिये कुछ दिनों पहले ही तो आपसे बात हुयी है हमारी और देखिये… लगता है हम लोग मिल भी पाएंगे

“अच्छा… वो कैसे”? मालती जी ने पूछा

वो ऐसे कि हमारी चाची सास की गोल्डन jublee है…… तो हमें आना है… हम सब दिल्ली आ रहे है इसी friday को saturday को फंक्शन है दिन में तो हम लोग फ्री हो जाएंगे शाम तक फिर आपसे मिलने आएंगे | sunday को शाम को हमारा reservation है राजधानी से |

अरे वाह ये तो बहुत बढ़िया बात है… आप यहीं रुक जाइये फिर तो..

अरे रुकने की कोई बात नही है… बस मिलना है हमें तो |

ठीक है बाक़ी उस समय देखेंगे |

जी बिल्कुल..

ये कह कर दोनो ने फोन रख दिया |

ऋतिका ने पूछा तो मालती जी ने सब बताया….उसने पूछा सब आ रहें है…

तभी नेहा अपना bag हाथ में पकड़े हुए अंदर आयी और बोली….. कौन आ रहा है?

मालती जी ने कहा… सुनीता जी सारे परिवार के साथ उनके परिवार में function है तो वो यहाँ भी आ रही है |

तुम आओ बैठो.. मैं चाय बना कर लाती हूँ.. ये कह कर वो चली गयी

नेहा ने ऋतिका से कहा …. क्या बात है मैडम जी…

ऋतिका ने अपनी खुशी छुपाते हुए… और अपने होंठों पर  आ रही  मुस्कान को दबाते हुए कहा….. क्या बात से …..क्या मतलब है तुम्हारा?

मतलब ये है कि देख भगवान् भी चाह रहा है कि तुम दोनो मिलो…..

फिर शुरू हो गयी तुम

अरे…. देख अगर ऐसा नही होता तो ना ही रोहित रूद्रपुर जाता.. ना ही तुझे ढूँढता… और ना ही…

बस.. बस हो गया…

तब तक मालती जी चाय बना कर ले आयी थी…

तीनो ने बैठ कर बातें की और अपने बाक़ी के काम किए… सारा दिन ऐसे ही बीत गया… रात को ऋतिका और नेहा दोनों कमरे में आ गए…

ऋतिका टेबल की तरफ बढ़ने लगी लगी जिस पर उसका laptop रखा था  फिर सोच कर रुक गयी…

रुक क्यों गयी… नेहा ने पूछा

कुछ नही…

तो फिर… कर अपना laptop open.. और बात कर … अरे मैं नही देखने वाली कि तुम क्या बात कर रही हो…. वो तो मैं मज़ाक कर रही थी |

ऋतिका मुस्कुरा कर बोली – मैं ऐसी कोई बात नहीं करती…

तो क्या मैं देख लूँ.?.. नेहा ने कहा

नहीं… ऋतिका ने एकदम से कहा तो नेहा ज़ोर से हँस दी और बोली…. तुम कर लो बात मुझे वैसे भी कुछ papers ready करने है |

नेहा जाते हुए गुनगुनाने लगी…..

कुछ तो हुआ है

कुछ हो गया है

ऋतिका ने chair पर बैठते हुए उसकी तरफ देखा तो नेहा ने उसे इशारे से laptop open करने को कहा

ऋतिका ने laptop open किया तो देखा रोहित का msg था… बस कुछ देर पहले का

रोहित : Hii…

कैसे हो आप?

ऋतिका ; Hii

बिल्कुल ठीक…..आप बताए ?

उधर से रोहित ने तुरंत ही जवाब दिया

रोहित : मैं भी ठीक हूँ..

और आपको तो पता चल गया होगा… हम लोग आ रहे है दिल्ली |

ऋतिका : हाँ आज aunty का फोन आया था |

रोहित : ऋतु …..

ऋतिका : हाँ… कहे

रोहित : मैंने तो आपको देखा नहीं है… लेकिन दी बता रही आप गुड़िया जैसी दिखती है.

ऋतिका : पता नही.. सब कहते तो है.. बाक़ी…

रोहित : बाक़ी…

ऋतिका : बाक़ी जब आप आएंगे तब बता पाएंगे

रोहित :   हाँ…. ये तो सही बात कही आपने ..

अपना address तो दें आप.. हम लोग आएंगे कैसे ?

ऋतिका : वो तो जब आप यहाँ आएंगे तो मिल ही जायेगा आपको….

वैसे दिल्ली में आप कहाँ आ रहे है?

रोहित :  स्मार्ट हैं आप…. पटेल नगर में रहते है relatives

ऋतिका : अच्छा….  जब आएंगे आप तो मैं मम्मी को बोल दूँगी वो भेज देंगी address.

रोहित : ok

एक बात पूछूँ मैं आपसे…थोड़ा सा  personal है….आप जवाब ना भी देना चाहे तो कोई बात नही |

ऋतिका : ये मैं आपका सवाल देख कर सोचूँगी….. कि जवाब देना है या नही |

रोहित : इतने दिन हो गए आपसे बात करते हुए……. तो मैं ये पूछना चाहता हूँ…

कि क्या कोई आपकी life में है… जो आपके लिए बहुत ख़ास हो?

ऋतिका : लाइफ में खास… है ना मम्मी और मेरी friend नेहा

रोहित : good…. मेरा मतलब उन दोनो के अलावा?

ऋतिका बखूबी समझ रही थी रोहित की बात का मतलब

ऋतिका : अगर यही सवाल मैं आपसे पूछूँ तो?

रोहित :  है तो नही….. लेकिन अब शायद आने लगा है कोई  मौसम की तरह… मेरे दिल का मौसम भी बदलने लगा है

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धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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