अब तक आपने पढ़ा….
राशि अपने पग फेरे की रस्म के लिए आती है…. सब साथ मिलकर घूमने जाते है … ऋतिका और नेहा के जाने का दिन भी आ जाता है… वो लोग station के लिए निकल जाते है…
अब आगे….
रोहित और रजत गाड़ी में सब सामान रख कर ऋतिका और नेहा के साथ station के लिए निकल जाते है…
Station पहुँचने में अभी वक़्त था सब ख़ामोश थे……इतने दिन साथ रहने के बाद यूँ अलग होना सबके लिए थोड़ा सा मुश्किल था….
रजत रोहित की उदासी महसूस कर लेता है …..वो माहौल को कुछ हल्का करने के लिए कहता है
तो ऋतिका दी आप अब तो स्कूल में busy हो जायेगी…
हाँ ऋतिका ने जवाब दिया
वैसे आपको कैसा लगा हमारा मुंबई?
बहुत अच्छा लगा – ऋतिका ने कहा
आप क्यों चुप है नेहा ?
कुछ नही…. आप सबके साथ इतने दिन पता ही नही चले..
रजत मुस्कुरा कर बोला मतलब आप कुछ अच्छी यादें ले कर जा रही है
ह्म्म्म
तो इन यादों के साथ आपको हमारी भी याद आयेगी ना….थोड़ा सा miss to आप करेंगी ना ?
उसकी इस बात पर रोहित ने mirror में देखा तो ऋतिका mirror में ही दिख रही थी.. उसने उसे देखते हुए देखा तो अपनी पलकें झुका ली और बाहर देखने लगी
नेहा ने कुछ जवाब नही दिया
बोलें कुछ…. रजत ने फिर कहा
ह्म्म्म….
लो station भी आ गया… रजत ने कहा
पर्किग में गाड़ी लगा कर.. रजत और रोहित ने सामान उतारा.. रोहित ने कहा मैं प्लेटफॉर्म टिकिट ले कर आता हूँ तुम चलो
भाई आप अकेले क्यों जा रहे है ?
तभी नेहा बोली मैं चली जाती हूँ
अरे आप यही रहो… क्या मैं चली जाती हूँ ?
दी आप जाओ भाई के साथ
ऋतिका ने सिर हिला कर हाँ बोला
रजत और नेहा सामान ले कर अंदर की तरफ चले गए
रजत ने कहा….क्या आप भी ?अरे जा रहीं हैं दी ….रहने दो कुछ देर साथ में
मैं तो …
क्या मैं तो..
कुछ नही चलें आप… नेहा अपने पैर पटकती हुयी आगे बढ़ गयी
रजत मन में बोला …वैसे दिमाग बहुत है इनको maths पढ़ाती है…लेकिन ऐसे पता नही इनको कुछ समझ नहीं आता….
और नेहा के साथ चलने लगा
रोहित ऋतिका के साथ टिकेट काउंटर की तरफ बढ़ गया..
टिकिट जल्दी ही मिल गयी….
आप कुछ लेंगी .. चाय, कॉफी या कुछ और?
नहीं …
आयें बैठें… अभी ट्रेन जाने में थोड़ा time है
ऋतिका वहीं पास में बेंच पर बैठ गयी
रोहित भी उसके पास ही बैठ गया
कुछ कहेंगी नहीं आप?
क्या कहूँ…
कुछ ऐसा जो आपसे दोबारा मिलने तक मुझे याद रहे
आपका एहसास साथ ले कर जा रहीं हूँ और….
और .. ?
ऋतिका ने अपने पर्स में से एक बॉक्स निकाल कर रोहित को दिया
ये आपके लिए
रोहित मुस्कुराया और बोला – ये क्या है ?
रोहित ने बॉक्स खोला उसमें ब्रेसलेट था जिसमें आर बना हुआ था
रोहित ने उसे देखा और बोला… ये कब ले लिया आपने ?
यहाँ नहीं लिया
तो फिर…
ऋतिका मुस्कुराई
आप दिल्ली से…
ह्म्म्म…… आपको देने का मौका ही नहीं मिला …. फिर सोचा जाते वक़्त दे दूँगी
रोहित ने उसे अपने हाथ में पहनते हुए कहा.. कैसा लग रहा है ?
ह्म्म्म अच्छा है… किसने दिया??और मुस्कुराने लगी
रोहित हँसा और उसके थोड़ा क़रीब जा कर बोला….. है कोई ख़ास ..
अच्छा जी ….
और दोनों हँसने लगे….
आपको मेरा नाम पता है ? रोहित ने पूछा
ये कैसा सवाल है ?
सवाल है बताएं ?
हाँ पता है
क्या है ?
ऋतिका ने उसकी तरफ देखा और बोली..रोहित
रोहित मुस्कुराया
क्या हुआ…?
कुछ नही ….
ऐसा क्यों पूछा आपने ?
रोहित ने उसकी तरफ देखा और बोला.. इतने दिनों में आपने कभी मेरा नाम नहीं लिया सुनना था मुझे एक बार….बस इसलिए ..
ऋतिका शर्मा कर नीचे देखने लगी और उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गयी
तभी रजत का call आया..
भाई आ जाइये…. टाइम हो रहा है ट्रेन का
हाँ आते हैं
रोहित बोला चलें
ह्म्म्म
दोनों ट्रेन के पास पहुँचे… रोहित और रजत ने उनका समान सेट किया…. और नीचे उतर आये…..
ऋतिका और नेहा दोनो ही ट्रेन के गेट के पास खड़े थे ट्रेन चलने का टाइम हो गया था…Attendent ने दोनों को गेट पर से हटने को कहा
ऋतिका मुस्कुराई उसने bye किया रोहित और रजत ने भी हाथ हिला कर bye किया
नेहा ने रजत को देखा तो वो उसे ही देख रहा था…. इस बार नेहा ने अपनी नज़रे झुका ली… रजत बस मुस्कुरा दिया…
Attendent ने दरवाज़ा बन्द किया… दोनो अपनी सीट पर आ कर बैठ गयी …ट्रेन ने धीरे – धीरे रफ़्तार पकड़ ली.. ऋतिका और नेहा खिड़की से दिख रहे थे ….. रोहित और रजत उन्हें दूर होते हुए दिखाई दे रहे थे |
रजत ने रोहित को ट्रेन की तरफ देखते हुए देखा तो बोला…. चलें
हाँ … चलो
दोनो घर आ गए…..
मुकेश जी ने पूछा बिठा दोनो को ठीक से .. कोई परेशानी तो नही हुयी?
नहीं पापा
मुकेश जी ने रोहित को कहा..
आओ कुछ बात करनी है तुमसे
जी पापा कहें
सुनीता जी तब तक चाय ले कर आ गयी और सबको दी और वहीं बैठ गयी
रोहित….. मैं और तुम्हारी मम्मी ये पूछना चाहते हैं कि ऐसा कह कर मुकेश जी ने सुनीता जी की तरफ देखा
सुनीता जी ने इशारे से कहा.. पूछीए ना
कि….. हमने तुम्हारे लिए किसी को पसंद किया है
रोहित ने उनकी तरफ देखा तो उसने सोचा क्या मतलब रजत ने तो कहा था इनको सब पता है
सुनीता जी ने मुकेश जी की तरफ देखा और फिर रजत की तरफ देखा रजत ज़ोर से हँसा
सुनीता जी ने अपनी आँखों को एक पल के लिए बंद किया और गहरी सांस ली और बोली…. रोहित हमने ऋतिका को तुम्हारे लिए पसंद किया है
वैसे हमको पता है कि तुम भी पसंद करते हो …. हम सब तो दिल्ली में मिले थे बस तुम नहीं मिले. थे.. इसलिए उस समय ये बात हमने नहीं की… अब तो तुम मिल भी लिए हो… तुमको कोई एतराज़ या कुछ भी बात हो तो बताओ?
रोहित से पहले रजत ने ही कहा… मम्मी भाई तैयार है.. हैं ना भाई?
रोहित ने उसकी तरफ देखा तो रजत सामने देखने लगा
रोहित ने कहा – नहीं मुझे कोई एतराज़ नहीं है
हाँ … लेकिन अभी हम कुछ कह नही सकते क्योंकि मालती जी ने अभी कुछ कहा नहीं है बात की है मैंने… अब देखो क्या जवाब आता है उनका |
मुकेश जी ने कहा अगर उनका जवाब हाँ में आता है तो तुम देख लो एक दो दिन की छुट्टी मिले तो हम दिल्ली चलेंगे |
सुनीता जी ने मालती जी को फोन करके बता दिया कि ऋतिका और नेहा को ट्रेन में बिठा दिया है | उन्होंने भी दोनो से बात कर ली थी और पहुँच कर फोन करने को बोला |
रात को dinner के बाद रोहित ने ऋतिका को msg किया
Hi…
ऋतिका ने msg देखा तो reply किया
हैलो..
Dinner हो गया आपका?
हाँ …..ट्रेन में तो वैसे भी जल्दी हो जाता है…… आपका?
बस अभी…
अच्छा…
घर सूना – सूना लग रहा है …. दी भी नहीं है और आप भी चले गए |
क्या? आप तो बिल्कुल भी miss नहीं कर रहे
नेहा कह रही वो बहुत miss कर रही है ..
ह्म्म्म… नेहा से याद आया… शायद रजत नेहा को पसंद करता है
क्या ?
ये emoji
Confirm नहीं है यूँ ही लगा मुझे
ये दोनो तो इतना लड़ते है….
तो उस से क्या….. ?
ह्म्म्म सही कहा आपने
Rest करे आप मैं सुबह call करता हूँ
Good night
जी….Good night
सुबह ऋतिका की ट्रेन दिल्ली पहुँच गयी थी .. उन्होंने कैब बुक की और घर पहुँच गयी.. उसने कैब में से सुनीता जी को फोन कर के बता दिया कि वो पहुँच गए….. रोहित का भी फोन आ गया था |
ऋतिका ने मालती जी सब बताया और सुनीता जी ने जो भी सामान दिया था.. वो सब दिखाया
सारी बातें बताते वक़्त ऋतिका के चेहरे पर खुशी झलकृ रही थी मालती जी कुछ तो संतुष्ट हुयी.. कि ऋतु को अच्छा लगा जा कर
सुनीता जी की बात उनको याद आयी… उन्होंने ऋतिका को rest करने को कहा और अपनी बहन से ऋतिका और रोहित के रिश्ते की जो बात सुनीता जी ने की थी उस पर बात करने उनके घर गयी
महेंद्र जी अभी घर पर ही थे उन्होंने नूतन और उनको सारी बात बतायी
नूतन ने कहा — जीजी वो सब बहुत अच्छे है.. मिल कर हमको पता चल गया… महेंद्र जी ने भी ये ही कहा .. बस एक बार आप ऋतु से पूछ लो
ऋतु के चेहरे पर उनकी बातें बताते हुए जो खुशी थी उस से तो ये ही लगता है कि वो खुश है… फिर भी एक बार पूछना ज़रूरी है – मालती जी ने कहा
ऋतिका का स्कूल reopen हो गया था वो उसमें busy हो गयी थी……रोहित से उसकी बात whatsapp पर रोज़ ही होती थी……राशि ने एक whatsapp ग्रुप बना लिया था जिसमें वो सब लोग थे… उसमें सब बात करते लेकिन रजत और नेहा अक़्सर किसी भी बात पर बहस कर लेते थे |
एक हफ्ते बाद….
ऋतिका के स्कूल की छुट्टी थी वो आराम से उठी और मालती जी के साथ चाय पी रही थी
मालती जी ने कहा – बेटा सुनीता जी का फोन आया था…
अच्छा कैसी है Aunty और बाक़ी सब?
सब ठीक है …. उन्होंने रिश्ते की बात की है तुम्हारे और रोहित की
ऋतिका चाय पीते – पीते रुक गयी और नीचे देखने लगी..
मैंने तो अभी देखा नही रोहित को बाक़ी तो सबसे मिले है सब अच्छे है…….तुम वहाँ रह कर आयी हो….. तो तुम ही बताओ की तुमको रोहित पसंद है….. ? मैं force नहीं करूँगी…. जो भी है तुम बता सकती हो… अभी कोई जल्दी नहीं है तुम जितना समय लेना चाहो लो… सोच लो फिर बताना |
मम्मी…. मैं सच कहूँ तो वहाँ जाकर ऐसा लगा ही नहीं कि किसी और जगह है … Aunty, uncle, राशि दी, रजत सबने बहुत मान दिया..बिल्कुल घर के सदस्य की तरह….. अपने सारे घर के सदस्यों ये ये कह कर मिलवाया कि मैं उनके दोस्त की बेटी हूँ….. मम्मी सिर्फ एक बार आये थे uncle उसके बाद कभी नहीं आये ना ही कोई contanct .. फिर भी उन्होंने इतने प्यार से रखा.
मालती जी उसकी बात सुन रहीं थी… उन्होंने पूछा …रोहित?
उनके बारे में क्या कहूँ… इतने सरल साफ दिल के है…. कोई बात मुझे ऐसी लगी ही नहीं कि मैं ये कह सकूँ कि ये अच्छा नहीं है .. एक अच्छे बेटे, भाई, सब तो देखा मैंने उनमें.. और क्या कहूँ… वो इतना कह कर चाय पीने लगी
मैं समझ गयी… मुझे खुशी है कि तुम्हें रिश्तों के मायने पता है…. तो मैं आने को बोल दूँ सुनीता जी को वो पूछ रहीं थी..
ऋतिका ने कुछ नही कहा बस वो मालती जी के गले से लग गयी मालती जी मुस्कुरा कर उसका सिर सेहला रहीं थी
अगले दिन मालती जी ने सुनीता जी को फोन किया
नमस्ते सुनीता जी
नमस्ते… कैसी हैं आप?
बस जी बढ़िया हैं.. और घर में सब ?
सब अच्छे है राशि के जाने से घर सूना सूना हो गया है… रोहित, रजत , और ये सुबह जाकर शाम को घर लौटते है… आप बताएं
जी मैंने ये पूछने के लिए फोन किया था कि यहाँ आने के लिए आपने कोई date final की है ?
क्या…. इसका मतलब आपको रिश्ता मंजूर है….?
जी…. आप सब आए फिर बैठ कर बातें करते हैं..
मालती जी आप नहीं जानती कि आपने हम सबको कितनी बड़ी ख़ुशी दी है…ऋतिका हमारे घर की बहू बने ये सपना ले कर मैं दिल्ली से आयी थी… और देखिए पूरा भी होने जा रहा है … मैं आज शाम को इनसे बात करके आपको बताती हूँ
जी ठीक है… नमस्ते
नमस्ते
शाम को सबके घर आने पर सुनीता जी ने मुकेश जी को मालती जी से हुयी सारी बातें बतायी और एक महीने बाद दिल्ली जाने का decide किया |
राशि को भी सुनीता जी ने बता दिया वो भी ये सुनकर बहुत खुश हुयी |
एक महीने बाद
दिल्ली में मालती जी की बहन और महेंद्र जी उनकी आने की तैयारियों में लगे हुए थे
पहली बार जब वो लोग आए थे तो अलग बात थी इस बार वो रिश्ता बनने जा रहा था | नेहा को और उनके मम्मी पापा को भी भी मालती जी ने बुला लिया था…. नेहा वहीं रुक गयी थी रात में ..
11 बजे के क़रीब मुकेश जी मालती जी के घर पहुँचे.. सब उन्हे लेने बाहर गए….
सुनीता जी ने मालती जी से कहा… आप बाक़ी सब से मिली है… ये रोहित है
रोहित ने नमस्ते की और उनके पैर छुए
मालती जी ने भी उसे आशीर्वाद दिया और सब अंदर आ गए
अभी तक ऋतिका बाहर नही आयी थी नेहा भी उसी के साथ थी
मालती जी ने मुकेश और सुनीता जी को नेहा के मम्मी पापा से मिलवाया..
सब बैठ कर बातें करने लगे… मेड ने आ कर चाय नाश्ता लगा दिया था |
रोहित इधर – उधर देख रहा था… रजत ने उसे ऐसे देखा तो कहा .
आज इतनी आसानी से नहीं दिखने वाली आपको भाभी आज तो इंतज़ार करना होगा
रोहित ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुरा दिया
सुनीता जी ने मालती जी से कहा…. आप रोहित से कुछ पूछना चाहें तो पूछ सकती है.. …
मालती जी मुस्कुराई और बोली – रोहित बेटा… इतना ही कहूँगी कि आप बस ऋतु का ख़्याल रखना |
उनकी इस बात पर रोहित ने सिर हिला कर हाँ में जवाब दिया
चलिए अब रिश्ता तय हो गया है तो हमारी बहू को तो बुलाइए और नेहा भी कहीं दिख नहीं रही….
नेहा ऋतु के साथ ही है.. मैं बुला कर लाती हूँ.. नूतन ने कहा
रोहित आज दिल थाम कर बैठा हुआ था उसकी धड़कने बेकाबू हो रहीं थी…
दिल थाम कर तो कोई और भी बैठा था वो था रजत जिसकी नज़रे भी नेहा को ढूँढ रहीं थी
दो mnt बाद नूतन ऋतिका को ले कर आ गयी सुनीता जी उठी और आगे बढ़ कर उसे गले से लगा लिया…. राशि ने भी उसे गले से लगा लिया था….
रोहित उसे ही देख रहा था ऋतिका की नज़रे रोहित देखने के लिए उठ ही नहीं रही थी …
तभी सुनीता जी ने रजत को कहा आओ तुम इधर और ऋतिका को ले जा कर रोहित के पास बैठा दिया |
नज़र ना लगे किसी की और अपनी आँख से काजल निकाल कर ऋतिका के कान के पीछे लगा दिया |
सुनीता जी मालती जी से कहा अगर आपको ठीक लगे तो यहीं रोका कर देतें हैं…
बाक़ी शादी बाद में शुभ महूर्त में करेंगे
मालती जी ने मुस्कुरा कर कहा जी बिल्कुल और अपनी बहन से कह कर टीका करने के लिए थाली लाने को बोला
तैयारी तो मालती जी ने भी की थी
सुनीता जी ने रोहित और ऋतिका का टीका किया ऋतिका को उन्होंने शगुन दिया मालती जी ने भी रोहित का टीका किया और शगुन दिया | बाक़ी सबने भी दोनो का टीका किया और शगुन दिया |
आशा करती हूँ कहानी का ये भाग आपको पसंद आया होगा जल्दी ही फिर मिलूँगी
धन्यवाद
स्वरचित
कल्पनिक कहानी
अनु माथुर
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धन्यवाद
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कल्पनिक कहानी
अनु माथुर