एक प्यार ऐसा भी …(भाग -40) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि राजू ने निम्मी से मिलकर  उसके मन की बात जानना चाही …… पर निम्मी की ओर से उसके प्रति प्यार ना देख राजू लौट आया है शहर की ओर…. मन लगाकर मेंस की पढ़ाई कर रहा है राजू…. तभी मैडम भावना के बुलावे पर वह उनके ऑफिस आया है …..

राजू के बुलाने का कारण पूछने पर मैडम बोली….

राजू एक तुम्हे एक बात बतानी थी….

अब आगे….

जी कहिये मैम….

बट पहले ये बताओ राजू…. आजकल तुम इतने उदास से क्यूँ हो….. जबसे गांव से आये हो तबसे बस रिजर्व हो गये हो… ना हंसना , ना मुस्कुराना ….. किसी दोस्त से भी बात करते नहीं देखा तुम्हे ….. बस क्लास अटेंड करते हो… डायरेक्ट घर चले ज़ाते हो… घर पर भी बालकनी में नजर नहीं आते ….. बच्चे बोल रहे थे कोचिंग में कि मैम आजकल राजू बहुत  उदास सा रहता है …. अच्छा नहीं लग रहा ऐसे…. तुम तो बहुत  मिलनसार , सबका मन  बहलाने वाले नेचर के हो राजू…

वाट हैप्पेन विद यू राजू…

यू कैन  टाक टू मी ऑन दिस ……

भावना मैडम राजू के नजदीक आकर बोली….

न्थिंग मैम…. वो मेंस का एग्जाम है है बस उसी की प्रेपरेशन में बिजी हूँ…..

राजू हाथ  पीछे किये हुए बोला…..

यही बात है ना राजू… कुछ छुपा तो नहीं रहे….

नो मैम….

ओके… देन राजू… मेंस का नेक्सट मंथ एग्जाम है … इसलिये मैँ  तुम्हे डेल्ही (दिल्ली ) अपने फ्रेंड रोहित के पास भेज रही हूँ…. वो आगे की प्रेपरेरेशन करा देगा तुम्हे …… मैँ चाहती हूँ तुम फर्स्ट अटेम्ट में ही पेपर क्रैक करो…. बिकोज मैँ सचिन और निम्मी की इंगेज़मेंट की प्रेपरेशन में बिजी रहूँगी…. तो टाइम नहीं दे पाऊंगी ….

होप सो तुम्हे कोई प्रोब्ल्म नहीं डेल्ही जाने में…..??

भावना मैडम राजू के चेहरे के भाव पढ़ना चाह रही है …..

मैम… कब है निम्मी और सचिन की इंगेज़मेंट ???

राजू धीरे से बोला….

तुम्हे बताया नहीं तुम्हारी फ्रेंड निम्मी ने….15 डेय्ज़ बाद है …… एंड हमारी सोसायटी में एक रेपो है एंड यू नो निम्मी के घर के हालात …. सारे अरेंज़मेंट हमें ही करने पड़ेंगे …..

तुम आ जाना उस टाइम… निम्मी के घर से इंविटेशन ना भी मिले राजू तुम्हे तो हमारी तरफ से तुम इंवाईटेड हो…..

आओगे ना ….??

वैसे भी निम्मी तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड है …. नाराज हो जायेगी अगर तुम नहीं गये तो…..

है ना ??

भावना मैडम राजू की आँखों में देख रही थी.. जो झुकी हुई थी…..

राजू ने पास में रखा कांच का ग्लास पकड़ा हुआ था…. जो भावना मैडम की बात से नीचे गिर गया….

राजू ने खुद को किसी तरह संभाला….

नो मैम…. कभी नहीं …. राजू अब कभी भी निम्मी से नहीं मिलेगा…. नहीं आऊंगा…. नहीं देख पाऊंगा……

हाँ मैं शाम को निकल जाऊंगा…. आप एड्रेस सेंड कर देना….. अब मेंस के बाद ही मिलूँगा……

राजू के दिल का हाल ऐसा था कि चाहकर भी वो खुद के जज्बातों  पर काबू नहीं कर पा रहा था….

रुआंसे चेहरे से  बाहर आ गया…..

भावना मैडम राजू को एक पल तो देखती रह गयी…..

तभी उनके फ़ोन पर उनके पापा का फ़ोन आया…

हेलो पापा… आपको ही कॉल लगा रही थी…. आपका आ गया….

देख लो बेटा….. बेटी ने याद किया …. मुझे पता चल गया… अच्छा ये बताओ…. क्या रिएक्शन रहा राजू का दिल्ली जाने को लेकर और निम्मी , सचिन की इंगेज़मेंट को लेकर… ? ? 

भावना मैडम के पापा बोले…..

पापा…. मैं राजू को इस तरह रोता हुआ ,,सैड नहीं देख सकती बिल्कुल…. उसकी आँखों में आंसू थे पापा…. क्या मैं उसे प्रपोज कर दूँ ….. उसके दुख को कम कर सकूँगी , अगर उसकी लाइफ में मैं आ जाऊँगी तो…. प्लीज टेल ….. अब मुझ पर बर्दाश्त नहीं हो रहा…. आई कांट कंट्रोल ऑन मायसेल्फ ….. चार साल हो गये पापा मुझे अपनी फीलिंग को राजू से छुपाते हुए…. मैं इतनी स्ट्रोंग नहीं हूँ….

भावना मैडम रोती हुई ,अपने आंसू पोंछते हुए बोली…..

बेटा…..आई नो ….. बट थोड़ा सा और रुको ….. राजू को ऑफिसर बन जाने दो…. तुम्हारी और राजू की शादी मैं धूमधाम से करवाऊंगा …… इट्स माय प्रोमिस टू यू माय बच्चा……

पापा बोले….

पापा… अगर राजू ऑफिसर नहीं भी बना तो भी मैं उसी से मैंरिज करूँगी …… वो जैसा भी है जो भी है … मुझे हर तरह से असेप्टेड है …..

भावना मैडम बोली…..

यस ….. मैं जानता हूँ तुम्हारा प्यार राजू के प्रति सच्चा और पाक है ….वरना चार साल तक वेट करना हर एक के बस की बात नहीं…..

अच्छा मैं चलता हूँ… केस के लिए जाना है ….

बाय बेटा…. टेक केयर …..

यू टू पापा… बाय….

भावना मैडम ने फ़ोन रख दिया…..

इधर राकेश निम्मी के पास आया है ……

कोई बात है राकेश बोल……

निम्मी ने पूछा.. 

निम्मी एक बार और सोच ले….. राजू तुझसे बेइंतहा प्यार करता है ….. बचपन से उसने तेरे अलावा किसी लड़की की तरफ नजर उठाकर नहीं देखा…. किन किन मुसीबतों से तुझे बचाया उसने, अपनी जान की परवाह किये बिना…. नसीबों वाली है तू जो तुझे इतना प्यार करने वाला लड़का मिला….. पर तूने कदर नहीं की उसकी…… पर अब तेरी सगाई का समय भी आ गया है ….

एक बार और सोच ले निम्मी तेरे हाथ जोड़ता हूँ….

तू राजू के मुझ पर किये गये एहसान गिनाने आया है …. जा यहां से…. अब सचिन जी के अलावा मैं किसी का ख्याल नहीं ला सकती…..

मैं नहीं करती राजू से प्यार …. वो बस मेरा दोस्त है …..

ठीक है …. माफ करना मुझे निम्मी ….. राजू का हाल देखा नहीं गया ऐसलिये आ गया….. लेकिन याद रखना बहुत पछतायेगी तू निम्मी …..

इधर राजू दिल्ली आ चुका है …. बताये गये पते पर पहुँच डोर बेल बजाता  है …..

पर यह क्या रोहित सर तो…..

आगे की कहानी कल…. तब तक के लिये जय माता दी

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मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

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